यह कहानी एक रात की है जब अमावस्या का समय था। चाँद आसमान में नहीं था और वातावरण में अंधेरा और सन्नाटा था। दो बच्चे, एक बारह साल का और दूसरा छह साल का, आग की लपटों की ओर बढ़ रहे थे। बड़े बच्चे के पास मशाल थी, जबकि छोटे बच्चे को ठंड बहुत लग रही थी। बड़े ने छोटे को अपने कम्बल में लपेटा ताकि वह गर्म रहे, जबकि खुद को ठंड सहने का प्रयास किया। छोटा बच्चा भूख के बारे में नहीं कहता क्योंकि उन्हें खाने के लिए कुछ नहीं था। बड़े बच्चे ने छोटे को साथ लेकर चलना शुरू किया और दोनों ने आग की लपटों की ओर इशारा किया। बड़े बच्चे का कहना था कि वे वहां जाना चाहते हैं जहां वे ताकतवर बन सकें और उन शैतानों का सामना कर सकें जो बस्तियों को जलाते हैं। छोटे बच्चे ने डर के मारे सवाल किया कि वे कहाँ जा रहे हैं, और बड़े ने उत्तर दिया "शंकरगढ़"।
फिर वही खौफ
Chandra Prakash Pandey द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी
Four Stars
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विवरण
प्रस्तावना रात अमावस की थी। चांद आसमान से नदारद था। वातावरण में नीरवता और अंधेरे का आधिपत्य था। पूस का महीना होने के कारण हवाएं सर्द थीं, जिनका वेग उग्र तो नहीं था, किन्तु उग्रता की सीमा से अधिक परे भी नहीं था। पश्चिम दिशा में दृष्टि के आखिरी छोर पर गगन रक्तिम नजर आ रहा था। आसमान छूती आग की भयानक लपटें लोमहर्षक अग्निकाण्ड की ओर संकेत कर रही थीं। आभास होता था मानो किसी बड़ी बस्ती को निर्ममता से आग के हवाले कर दिया गया हो। उन बालकों की संख्या दो थी, जिनमें से एक आगे-आगे मशाल
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