कहानी "होली बाद नमाज़" में अहद एक मुसलमान है, जो अपने धर्म पर जोर नहीं देता। वह एक नेक इंसान है, जो सभी धर्मों का सम्मान करता है और लोगों की मदद करता है। अहद का अधिकांश दोस्त हिन्दू है और वह उनके साथ मंदिर भी जाता है। उसकी सोच है कि सभी धर्मों में एक ही सच्चाई है - मिलजुलकर रहना चाहिए। अहद का कहना है कि धार्मिक भेदभाव बेकार है और हमें एक-दूसरे के पड़ोसी के रूप में देखना चाहिए। उसके दोस्त उसकी बातों को समझते हैं, लेकिन समाज की स्थिति को लेकर चिंतित हैं। समय बीतता है और अहद एक बड़े शहर में चला जाता है, जहाँ वह अकेला मुसलमान है, लेकिन वहाँ के लोग उसे अपनाते हैं। अहद ने एक हिन्दू लड़की से शादी की है और वह अपनी पत्नी के साथ त्योहार मनाता है, जैसे दीवाली पर पटाखे लाना। अहद की सोच और व्यवहार लोगों के लिए एक मिसाल बन जाते हैं और वह सभी को एकता का संदेश देता है।
होली बाद नमाज़
Qais Jaunpuri द्वारा हिंदी लघुकथा
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विवरण
तभी भीड़ में से एक सवाल और हुआ, “ये रंग आपको जहन्नुम में ले जाएँगे.” अब अहद को गुस्सा आने लगा, क्योंकि उससे सवाल करने वाले जाहिल लोग थे, जिन्हें ख़ुद जन्नत और जहन्नुम के बारे में ठीक से पता नहीं है, वो उसे जहन्नुम में भेज रहे थे, सिर्फ़ इसलिए क्योंकि उसके हाथ-पैरों में रंग लगा हुआ है. फिर भी अहद ने अपने गुस्से को पीकर बात का जवाब बात से ही देना ठीक समझा. वैसे भी, क़ुरआन झगड़े को जितना हो सके, टालने की नसीहत देता है.
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