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इतना तो चलता है - 3

by Komal Mehta
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इतना तो चलता है, कितना चलता है भाई, क्यों हम लड़कियों को हर जगह चुप रहने को मजबूर किया ...

પ્રેમ ની સમજણ ભાગ ૬

by Komal Mehta
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બેકાબૂ થતી આ લાગણી ને ક્યાં રોકી શકાય છે, એ તો હંમેશા એના પ્રવાહ માં વહે છે, જેમ સમુદ્ર ...

જીલે ઝરા - ૯

by Komal Mehta
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સવાર...ઊગતા સૂર્યદેવ ની સાથે આપણી સવાર થાય છે અને આથમતા સૂર્યદેવ નિસાથે આપણી સાંજ પડી જાય છે.આ સવાર થી ...

जरूरी था - 2

by Komal Mehta
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जरूरी था तेरा गिरना भी,गिरके उठना भी,जिंदगी के मुकाम को ,हासिल करना भी।जब तुम टूट जाते हो पूरी तरह ...

जरूरी था - 1

by Komal Mehta
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दुनिया आखिर किस चीज के पीछे भाग रही है, तो वो है थोड़ी सी attention! कई बार कई लोगों ...

इतना तो चलता है - 2

by Komal Mehta
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बात करते है इतना तो चलता है यार।यदि तुम्हारा सहकर्मचारी बात बात पे ..तुम्हे छूता है,कभी तुम्हारे शोल्डर पर ...

इतना तो चलता है - 1

by Komal Mehta
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आज की कविता का टॉपिक थोड़ा सा नाजुक है, ये औरत के लिए है जिन्हे अक्सर ये समझाया जाता ...

मुम्बई - पार्ट 2

by Komal Mehta
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तो दोस्तों आपने सुना कि हमरा आघात हो चुका था, मुंबई में, सारे शिकायतों को मन से अलविदा करते ...

मुम्बई - पार्ट 1

by Komal Mehta
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मुंबई ... अखिर क्या व्याख्या है हमारे मुंबई की। मेरे मुंबई को यू तो सपनों की नगरी से जाना ...

પ્રેમ ની સમજણ ભાગ ૫

by Komal Mehta
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લાગણી...આપણા પોતાનાં સબંધો માટે આપણને લાગણી હોય છે. એવી જ રીતે જે સબંધો રક્ત થી મંથી હ્રદય થી છે ...