Kishanlal Sharma stories download free PDF

बन्धन प्यार का - 41

by किशनलाल शर्मा
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औऱ रात धीरे धीरे ढल रही थी।और फिर फेरो का समय हो गया था।फेरे हंसी मजाक और रात भर ...

बन्धन प्यार का - 40

by किशनलाल शर्मा
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कोमल दुल्हन के लिबास में अप्सरा सी लग रही थी।हिना और कोमल की सहेली उसे लेकर चली।आगे आगे फूल ...

बंधन प्यार का - 39

by किशनलाल शर्मा
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"मैं समझ रही थी वहां ऐसा खाना नही मिलता।"और वे नाश्ता करने लगी।नाश्ता करते हुए कोमल बोली,"आप नरेश भैया ...

गगन--तुम ही तुम हो मेरे जीवन मे - 19

by किशनलाल शर्मा
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दूसरी संतान बेटी हुई थी।मैने पहले ही बोल दिया था।चाहे लड़का हो या लडक़ी नसबंदी करा दूंगा।और ऐसा ही ...

बंधन प्यार का - 38

by किशनलाल शर्मा
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और वे तीनों ट्रेन के लिये नई दिल्ली स्टेशन आ गए थे।स्टेशन पर यात्रियो की भारी भीड़ थी।नरेश ने ...

इधर उधर की - 5

by किशनलाल शर्मा
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मैं अकेला उनके चेम्बर के बाहर खड़ा था।वह लंच खत्म होने पर आए।उस समय उतर पश्चिम रेलवे के सी ...

बंधन प्यार का - 37

by किशनलाल शर्मा
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लाहौर में मुगल काल की स्थापत्य कला के साथ साथ ब्रिटिश काल के भी भवन आदि हैं।इस शहर को ...

जिंदगी के रंग हजार - 18

by किशनलाल शर्मा
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भारतीय रेलवे का ट्रेन संचालनरेल का अपना अलग नेटवर्क है और ट्रेन संचालन कंट्रोल के माध्यम से किया जाता ...

बंधन प्यार का - 36

by किशनलाल शर्मा
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"पहले साल में 6 महीने तो बन्द और प्रदर्शन होता था।बचे 6 महीने में पर्यटक आते थे लेकिन कम ...

इधर उधर की - 4

by किशनलाल शर्मा
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कुमार सुपरवाइजर से भी जो उससे उम्र में बहुत बड़े थे से अबे तबे से बात करता और गधा ...