ज़िन्दगी... काले बादल छाये थे, बादलों की हल्की-हल्की फुहार दोपहरी को शाम की सुहानी छटा दे रही थी। कई ...
हरिदास ध्यान से समाचार सुन रहा होता है, विदेश की, ख़बर की आवाज़ सुनकर कुसुम सब्जी काटना छोड़, खिड़की ...
(एक छोटा सा प्रयास हैं किसी ऐसी माँ की व्यथा को वर्णित करने का जिसने अपने परिवार की मान ...
नारी हूँ... जरा ठहरो तो अपनी जथा कहूँ नारी हु.....सुन सकते हो तो, थोड़ी सी अपनी व्यथा ...
माँ तुम मेरी आदर्श नहीं हो... मेरी प्रेणना हो..... बात जरा सी आप लोगों को ...