द्वादशम अध्यायअंतिम पड़ावसोलह वर्ष उपरांत (बगदाद का युद्ध क्षेत्र)हिन्दसेना और अरबों के बीच होते युद्ध के मध्य अकस्मात ही ...
एकादशम अध्यायहिन्द सेना का नायक कौन?काश्मीरअपने कक्ष में भवभूति के साथ बैठे ललितादित्य चिंतित मुद्रा में थे। शीघ्र ही ...
दशम अध्यायअरबी आक्रान्ताओं की वापसीउन्नीस वर्ष उपरांतमूसलाधार वर्षा हो रही थी। तलवार उठाये एक अरबी योद्धा एक शिवलिंग के ...
नवम अध्यायश्री बोप्प का नाम वरण कर बप्पा रावल कहायो हैदो मास और बीत गये। सिंधु नदी के तट ...
अष्टम अध्यायबगदाद में बगावतअगले दिन का सूर्य उदय होते होते अरबों की सेना अलोर नगर की सीमा से बाहर ...
सप्तम अध्यायआलोर का अग्निसंग्रामब्रह्ममहूर्त बीतने को था। सूर्य की हल्की लालिमा आकाश में दिखने लगी थी। तलवार की नोक ...
षष्ठम अध्यायमौत का फरमानकई दिनों की यात्रा के उपरांत सागर पार कर कासिम अभिरस के तट से होते हुए ...
पंचम अध्यायसामने आये रावल और कासिमकुछ दिनों का समय बीता। हिन्दसेना के दस जहाज तीर के आकार में जलमार्ग ...
चतुर्थ अध्यायउम्म्यद में फूटदो दिन बाद संध्या काल को अपना अश्व दौड़ाते हुए कासिम ने अल्लाउद्दीन और अजीज मिर्जा ...
तृतीय अध्यायराजस्व की लूटदेबल (सिंध का तटराज्य) (एक मास उपरांत)गऊओं को हाँकता चरवाहा चहुँ ओर दृष्टि घुमाता अपने पशुओं ...