एक थी...आरजू-१०गतांक से आगे ...
शांताबाई के जाने के पन्द्रह मिनट बाद शहजाद आरजू के पास उसके कमरे में आया था। शांताबाई उसकी बिगड़ी ...
अगले एक घण्टे में हरिओम जी लोकल थाने के इंस्पेक्टर राजेन्द्र सिंह राठी के सम्मुख बैठे अपनी बेटी ...
सुबह जब काफी देर इंतजार करने के बाद भी आरजू ब्रेकफास्ट के लिए न आयी तो हरिओम के कहने ...
"डिंग डाँग" ...
इसके बाद ये आरजू के रोज का रूटीन बन गया की वह शहजाद के साथ उसकी बाइक पर घूमने ...
उस दिन सारा टाइम आरजू शहजाद की बाइक पर उसके गले में अपनी बाहों का फंदा डाले घूमती फिरती ...
अगले दिन, एक ...
और एक रात, ...
एक थी आरजू-1 प्रिय पाठकों,यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है जिसका ...