Satyadeep Trivedi stories download free PDF

दो आशिक़ अन्जाने - 10 - अंतिम भाग

by Satyadeep Trivedi
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खाली बैठा इंसान समय काटने के मक़सद से जो भी काम करता है, उन सभी कामों को दो प्रमुख ...

दो आशिक़ अन्जाने - 9

by Satyadeep Trivedi
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मुग़लकालीन एक छोटी सी गुमटी के बाहरी हिस्से में, लकड़ी का एक गोल कुंदा रखा है जिसपर जगह-जगह कटने ...

दो आशिक़ अन्जाने - 8

by Satyadeep Trivedi
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अर्जुन रात भर का सोया नहीं है। अलसायी आँखों से आसपास का मुआयना कर रहा है। कोई छोटा-मोटा क़स्बा ...

दो आशिक़ अन्जाने - 7

by Satyadeep Trivedi
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अर्जुन का बुरा हाल है। 21 डिग्री सेल्सियस में उसके पसीने छूट रहे हैं। उसका जो दिल अभी तक ...

दो आशिक़ अन्जाने - 6

by Satyadeep Trivedi
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मीनाक्षी अब से पहले किसी हमउम्र लड़के के इतने नज़दीक नहीं आयी थी। ये सब जो भी हो रहा ...

दो आशिक़ अन्जाने - 5

by Satyadeep Trivedi
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भारतीय पुरुषों की एक ख़ास बात है कि सौंदर्य-दर्शन होते ही, इन्हें शक्ति प्रदर्शन करने की सनक चढ़ जाती ...

दो आशिक़ अन्जाने - 4

by Satyadeep Trivedi
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अप्रैल का महीना। गेहूँ की फ़सल कटने लगी है। सड़क के दोनों ओर दूर तक फ़ैले खेतों में गेहूँ ...

दो आशिक़ अन्जाने - 3

by Satyadeep Trivedi
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आय प्रमाण पत्र और राशन कार्डों को अगर आधार मानें, तो यूपी-बिहार के 60% लोग; भूखों मर जाने की ...

सियासत के हवाले से

by Satyadeep Trivedi
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सियासत के हवाले सेजिस प्रकार आत्मा मरती नहीं है, केवल पुराने शरीर को छोड़कर नये शरीर में प्रवेश कर ...

दो आशिक़ अन्जाने - 2

by Satyadeep Trivedi
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नियम कहता है कि हर किसी को अपनी गलती सुधारने का एक मौका मिलना चाहिए। हालांकि प्रकृति की श्रेष्ठतम ...