“ हाँथ पैर बांधो इसके और खूब मारो “, मारकर फांसी के फंदे में लटका दो इसे “ “ ...
आज के दौर में प्यार करना, शादी करना, तलाक लेना फिर शादी करना एक बहुत आम बात हो गई ...
सही ही कहा गया है शायद बेटियों के कोई घर नहीं होते | पैदा होने से लेकर शादी तक ...
शाम के लगभग छः बज रहे थे। पतिदेव के ऑफिस से घर आने का वक्त हो रहा था । ...
दिसम्बर का महीना उसपर से दिल्ली की कड़कड़ाती ठंड और सुबह के छः बजे अचानक फ़ोन की घंटी बजे ...
वो रात कुछ यूँही सोते जागते गुजरी थी, आकर्ष और महक की। आकर्ष को दोपहर की फ़्लाइट से दिल्ली ...
न जाने कितने लोग रोज अपने अपनों को बेगाना करके इस दुनियां को अलविदा कहकर चले जाते हैं| उनकी ...