रामानुज दरिया stories download free PDF

मोर।

by Ramanuj Dariya
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(मोर) चिलचिलाती धूप में आये ढूँढने छाँव जब देखा मोर को तो याद आ गया गाँवमैं तो बस यूं ...

आगाज़-ए-सच्ची मोहब्बत।

by Ramanuj Dariya
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आज हम अपने और अपने प्यार पर कुछ लाइनें लिखना चाहते हैं जो बातें बहुत दिनों से इस ...

बाबू वाला डिजिटल लव

by Ramanuj Dariya
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थोड़ा सा नीचे, और थोड़ा सा,अरे नहीं थोड़ा बाएं और हल्का सा ,हां सेन्टर पर करो, हां अब ठीक ...

पन्द्रह साल बाद

by Ramanuj Dariya
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रात के 11 बज रहे थे और गर्मी अपने चरम पर थी ओ भी उमस वाली गर्मी जो सबको ...

मिलन

by Ramanuj Dariya
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आइये न प्लीज , अंदर आ जाइये आख़िर बाहर क्यों खड़े हैं, उसकी आँखें खुली और ओठ सिले हुए ...

दिवाली

by Ramanuj Dariya
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घना अंधेरा था, हवा के तेज सायं सायं चलने कीआवाज़ उस छोटी सी खिड़की से आ रही थी जिसपे ...

कुंठित मानसिकता

by Ramanuj Dariya
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मेरी सोंच उस आधुनिकता की भेंट नहीं चढ़ना चाहती थी जिसमें एक लड़की के बहुत से बॉयफ्रेंड हुआ करते ...

दूसरा आखिरी पन्ना।

by Ramanuj Dariya
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अब बात नहीं होती, न ही fb पर रात - रात भर चैट होती है। काफी दिन गुजर जाता ...

सांवलापन

by Ramanuj Dariya
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ऐसा नहीं कि ओ खूबसूरत नहीं थी लेकिन किसकी नज़र में थी इसका अंदाजा लगा पाना बहुत मुश्किल था ...

सीमित प्रेम

by Ramanuj Dariya
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एक लड़का है जिसे लोग आशु के नाम से जानते हैं ,नाम से कम उसके काम से लोग ज्यादा ...