बलमवा तुम क्या जानो प्रीत बात सिर्फ इतनी सी थी, सिर्फ इतनी ही तो .. कि बस जी नहीं ...
कूचाए नीमकश दरख़्त के सुर्ख पत्ते अचानक आये हवा के झोंके से गिरते हैं । धीमे धीमे तैरते लहराते, ...