चला वाही देस ! कुछ लोगों के परामर्श पर वर्ष 2012 की शुरुआत में मैंने अपनी कुछ जमापूँजी और ...
“कल्पनाओं ने शब्द दिए ,शब्दों ने अक्षर और तब इन अक्षरों से मिलकर तैयार हुआ वाक्य ! किन्तु क्या ...
नदियों की तरह हम मनुष्यों के जीवन को भी नदी की बहती हुई धाराओं की तरह होना चाहिए | ...
दगे हुए कारतूसों के बीच जीवन का उत्तरार्ध बीत रहाहै। आप तो जानते ही हैं कि कारतूस दो तरह ...
एक कहावत है कि एक असफल लेख़क एक अच्छा समालोचक होता है । मैं भी अपने आप को इसी ...
* जीवन की दूसरी पारी खेलते हुए रामेश्वरी नादान के लिखे “दूसरी पारी” उपन्यास को पढ़ना - एक सुखद ...
चुनौतियां , लुधियाना से दिल्ली तक ! मेरे फ़ेसबुक मित्र ...
राग सदा ऊपर को उठता ,आँसू नीचे झर जाते हैं ! ...
किसी ने क्या खूब कहा है कि जो आनंद अपनी छोटी पहचान बनाने में है वो किसी बड़े की ...
सुख के दरवाजे से दुख का प्रवेश ! वर्ष 2005 और ...