Madhavi Marathe stories download free PDF

परिमल - 2

by Madhavi Marathe
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जामुनी रास्ता जब हम गोवा में रहते थे तब हरियाली में, समंदर के साथ घुमने का शौक सब ...

परिमल - 1

by Madhavi Marathe
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ओंकार चलते चलते एक मंदिर के सामने अचानक मेरे पैर रुक गए। अंदर से ओंकार धुन का नाद ...

स्पंदन - 8

by Madhavi Marathe
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२३: चाय का प्याला मेइजी युग के नान-इन झेनगुरू के पास विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर झेनयोगा के ...

स्पंदन - 7

by Madhavi Marathe
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२३: चाय का प्याला मेइजी युग के नान-इन झेनगुरू के पास विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर

स्पंदन - 6

by Madhavi Marathe
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१७: मौन का मंदिर साक्षात्कार प्राप्त हुए चुका शोईची, अपने शिष्यों को, तोफुकू मंदिर में सिखाते थे। दिन-रात ...

स्पंदन - 5

by Madhavi Marathe
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१०: ध्येय एक बार झेन मास्टरजीने सोचा की अब अपने शिष्यों का इम्तहान ले लेते है। अमावस ...

स्पंदन - 4

by Madhavi Marathe
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८: स्वर्ग-नरक एक दिन झेनगुरू ओैर ईश्वर में ज्ञानचर्चा चल रही थी। झेनगुरूं ने ईश्वर से पुछा ...

स्पंदन - 3

by Madhavi Marathe
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६ : मैले कपडे जपान के ओसाका शहर के नजदिक, एक छोटे गाव में एक झेन मास्टर ...

स्पंदन - 2

by Madhavi Marathe
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३: अमरत्व एक गाँव में वैद्य रहा करता था। लोगों को जडी-बुटी देकर उनके रोग दूर करता ...

स्पंदन - 1

by Madhavi Marathe
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