Lajpat Rai Garg stories download free PDF

अमावस्या में खिला चाँद - 7

by Lajpat Rai Garg
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- 7 - जब शीतल पी.जी. पहुँची तो मानसी अपनी ड्यूटी पर जाने के लिए ...

अमावस्या में खिला चाँद - 6

by Lajpat Rai Garg
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- 6 - शीतल को तीन दिन हो गए थे कॉलेज जाते हुए। पहले दिन ...

अमावस्या में खिला चाँद - 5

by Lajpat Rai Garg
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- 5 - सोमवार को कार्यालय में पहुँचकर प्रवीर कुमार ने ज़रूरी कार्य निपटाए। फिर ...

अमावस्या में खिला चाँद - 4

by Lajpat Rai Garg
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- 4 - जब प्रवीर कुमार घर पहुँचा तो सूरज पश्चिम दिशा में ऊपर से नीचे ...

अमावस्या में खिला चाँद - 3

by Lajpat Rai Garg
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- 3 - रात को अपने रूटीन के अनुसार जब मानसी कमरे पर पहुँची तो शीतल ...

अमावस्या में खिला चाँद - 2

by Lajpat Rai Garg
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- 2 - शनिवार का दिन और दिनों जैसा ही चढ़ा था। खिली हुई धूप ...

अमावस्या में खिला चाँद - 1

by Lajpat Rai Garg
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लाजपत राय गर्ग समर्पण कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र के हिन्दी विभाग के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष, केन्द्रीय साहित्य अकादमी में पाँच ...

अनूठी पहल - 25 - अंतिम भाग

by Lajpat Rai Garg
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- 25 - अभी तक ‘देहदान महादान संस्था (रजि.), दिल्ली’ की ओर से पत्र आया था, जिसमें सूचना दी ...

अनूठी पहल - 24

by Lajpat Rai Garg
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- 24 - सब कुछ वैसा ही था, जैसा प्रतिदिन होता था। आकाश साफ़ था। सूर्य-देवता अपने कर्त्तव्य-पथ पर ...

अनूठी पहल - 23

by Lajpat Rai Garg
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- 23 - प्रवीण पाँच-छह साल का था। एक साल से स्कूल जाने लगा था। स्कूल में बच्चों के ...