कांकली जंगल में विवेकअब आगे.............विवेक के इस सवाल पर सुहानी मुस्कुराते हुए कहती हैं...." हम छलावी कन्या है , ...
... विवेक , मुझे बचाओ...."आखिर में इतना कहकर अदिति की आंखें बंद हो चुकी थी....अब आगे...........इधर अदिति अपनी आंखें ...
अदिति का शरीर शिथिल पड़ने लगा हैचेताक्क्षी जल्दी से उस मूर्ति के पास जाकर देखकर हैरान रह जाती है....." ...
चैताक्षी की चिंता...अब आगे.............बौनो का राजा विवेक को रोकते हुए कहता है....." तुम अपने साथ ये विषमारक पत्ते लेकर ...
विवेक के सामने एक शर्त....अब आगे..............चेताक्क्षी अमोघनाथ जी से कहती हैं....." बाबा , अब तो केवल आदिराज काका की ...
अब आगे..............वो पेड़ विवेक को फल खाने के लिए देता है लेकिन विवेक उस पर को लेने से मना ...
एक मायानगरी....अब आगे...........विवेक पूरे जोश में कहता है....."मैं अदिति को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाऊंगा , ...
मयन देव से विवेक की मुलाक़ात....अब आगे.............उबांक की बात सुनकर गामाक्ष कहता है....." बिल्कुल उबांक तुम्हारा बदला अकेले नहीं ...
रक्त रंजत खंजर की खोज...अब आगे.................चेताक्क्षी गहरी सांस लेते हुए कहती हैं....." वो खंजर रक्त रंजत खंजरये वो खंजर ...
चैताक्षी का वापस पहरगढ़ आना....अब आगे.............अमोघनाथ जी विवेक से कहते हैं..."वनदेवी एक प्रकृति प्रेम से बनी है , उन्हें ...