प्रेम-जल बरशा बादल से, दरख़्त की हर पत्तियां सुनहरी हों चली हैं।अंगड़ाई लिए नई कोंपलें उठती हैं, जमीं कितनी ...
પળ ભર રહીને હું ચાલ્યો આવીશ પાછો પ્રિયતમામને રજા આપો જવાનીશું લાગે છે તમનેહું રહી શકીશ દેવલોક માં વગર ...
अब मुसलसल यादों में आता ही नहींलगता है मुझसे बेवफ़ाई मोड़ ली है।___Rajdeep Kotaरोना धो ना सब सहना सीख ...
मिले तो होगी फ़िर वोही बात जुदाई किइससे अच्छा हैं ये दिन ऐसे ही बसर होने दें।___Rajdeep Kotaदेर तक ...
अब वोही पुराने ज़ख्म ताजियाना क्यों करें।इश्क़ के दरख़्त पे नया आशियाना क्यों करें।___Rajdeep Kotaजब ये लालिमा कालिमा मैं ...
न था इंतज़ार कीसुका फ़िर भी उम्र भर इंतज़ार में रहें