घर के आँगन में अक्सर सन्नाटा पसरा रहता था। दीवारें ऊँची थीं, लेकिन उनके भीतर कोई अपनापन महसूस नहीं ...
संध्या का धुंधलका फैल चुका था। गाँव की संकरी गलियों में पीली रोशनी वाली टिमटिमाती लाइटें अजीब-सी खामोशी बिखेर ...