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दर्पण

by GAYATRI THAKUR
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शीर्षक_ "जीवन अंत कहां होगा!!" पल पल बढ़ते अनिश्चित पथ कापूर्ण विराम कहां होगा ..!,जीवन अथक कहानी है, तो,अंत ...

स्वीकृति - 14

by GAYATRI THAKUR
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बड़के चाचा के इस दावे से, कि पिछले 2 दिन से होटल के उस कमरे में जो महिला बंद ...

स्वीकृति - 13

by GAYATRI THAKUR
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पार्ट 13 कल जमके हुई भारी बरसात के बाद आज सुबह से ही मौसम काफी साफ था. रमन देर ...

स्वीकृति - 12

by GAYATRI THAKUR
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" दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है.. मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है.. ...

गिरफ्त

by GAYATRI THAKUR
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गिरफ्त "यह मंदिर अपने आप में बहुत अद्भुत है.. यहां हर मनोकामना पूरी होती है"; मंदिर जाने ...

स्वीकृति - 11

by GAYATRI THAKUR
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स्वीकृति 11 सुष्मिता को जल्द ही याद आ जाता है कि दुकान के बाहर जो शख्स खड़ा है ...

स्वीकृति - 10

by GAYATRI THAKUR
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स्वीकृति 10 निरंजन संदीप को अपने साथ चलने के लिए कहता है परंतु संदीप उसके साथ चलने से ...

स्वीकृति - 9

by GAYATRI THAKUR
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स्वीकृति 9 श्रीकांत के कमरे से निकल कर विनीता किचन में रात के खाने की तैयारी में ...

स्वीकृति - 8

by GAYATRI THAKUR
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स्वीकृति अध्याय आठ सुष्मिता पार्सल को खोलती है तो पार्सल में नोटों के कुछ बंडल पड़े थे जिसे देखते ...

स्वीकृति - 7

by GAYATRI THAKUR
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स्वीकृति अध्याय 7 उस बड़े और घने वृक्ष की पत्तियों के बीच से अस्त होते सूरज की झिलमिलाती रोशनी ...