मायके आए हुए मुझे पूरे दस दिन हो चुके थे.पति विशाल से फोन पर बातचीत करने के बाद उठी ...
गंगा घाट की सीढ़ियों पर बैठी नयनतारा जीवन के विगत पलोंको आँखों में भर बहती गंगा की धारा को ...
"अब नहीं जाऊँगी,कहे देती हूँ !" आते ही अपना पर्स पलंग पर फेंकते हुए चित्रा चिल्ला उठी ।" आखिर ...
तेज कदम बढ़ाते हुए विशाखा सूनी सड़क पर चली जा रही थी। सड़क किनारे लगे कतारबद्ध अशोक के वृक्ष ...
अंत संकरे रास्ते से होते हुए आखिर मैं पहुँच ही गया उस जगह जिसे आम भाषा में बदनाम बस्ती ...
हुकुम सिंह ने आते ही सबसे पहले ननकी को ऊपर से नीचे तक घूरा । उसकी पैनी दृष्टि के ...
मूसलाधार बारिश । सुनसान रास्ता । आज ऑफिस में मीटिंग देर तक चली थी । शुभ्रा जब ऑफिस से ...
कर्म-फल सलाखों के बीच घिरा हुआ बैठा था वह. पूरी तरह से पीली पड़ चुकी आँखें. पिचके हुए गाल,मुख ...