लेखक - धीरेंद्र सिंह बिष्टअध्याय 1: पहाड़ की पहली दरार(जहां से पलायन शुरू हुआ)देवभूमि उत्तराखंड — जहां हवा में ...
“जो बात एक बार में न समझे, वो सौ बार सुनकर भी नहीं समझेगा। और जो समझता है, उसे ...
“जब चुप्पी आदत बन जाए, तब शब्द भी पराये लगने लगते हैं।”1. आदत की चुप्पीराघव अब बोलता नहीं था ...
June 28, 2025“हर बार समझाने की ज़रूरत हो, तो शायद समझने वाला ही ग़लत चुन लिया है।”1. रिश्तों की ...
चुप्पी की भाषा”June 28, 2025“जब शब्द बेमानी हो जाएँ, तो चुप्पी बोल उठती है।”1. चुप्पी का इन्कारराघव को अब ...
आत्म-साक्षात्कार — जो खोया, वही अब पहचान बना फोकटिया: लेखक: धीरेन्द्र सिंह बिष्ट शोर जब थमता है, ...
हल्दी, संगीत और एक पुराना नाम सुबह का सूरज आँगन पर ठीक वैसे ही चमक रहा था जैसे कनिका ...
जब नक़ाब उतरता है(पुस्तक: फोकटिया | लेखक: धीरेन्द्र सिंह बिष्ट)“सच बोलने में ताक़त होती है,मगर डर उससे होता है ...
बात अब सिर्फ दोस्ती की नहीं रही(पुस्तक: फोकटिया | लेखक: धीरेन्द्र सिंह बिष्ट)“हर रिश्ता निभाना ज़रूरी नहीं,कुछ को छोड़ना ...
जब कोई चीज़ को बार-बार बोलना पड़े, फिर इन सब का मतलब शून्य हो जाता है।कई बार लगता है ...