( यह वृतांत मुझे अपनी एक पड़ोसिन की मां की सन 2008 की एक डायरी में लिखा मिला, जो ...
यकीन मानिए,डेढ़ वर्ष से हमारे पड़ोस में रह रही अपनी पड़ोसिन का चेहरा पहली बार मैं फ़ोटो में देख ...
मेरे पचहत्तरवें जन्मदिन पर मेरी दोनों बेटियां एक साथ मेरे घर पर आयीं हैं। ...
मकान के गेट पर कुंडी लगी है। कुंडी से मेरी पहचान पुरानी होने के कारण उसे खोलना मेरे लिए ...
“आंंटी,”पड़ोस की गुड्डी ने पुकारा। मैं आटा सानती रही। “आंटी, देखो कोई आया है।” मैं ने आटे की थाली ...
“देखिए,” पति से रमा अपना शारीरिक कष्ट हमेशा बढ़ा -चढ़ा कर बताती, “आज मुझे हाथ में भयंकर चोट लग ...
“पानी मैं निकालती हूं, ” आंगन में लगे हैंड- पंप की हत्थी मैं ने मां के हाथ से ले ...
यकीन मानो मेरी जिंदगी से तुम कभी गयी ही नहीं….. तुम्हारे निकनेम ‘ निकितिश्ना ‘ से मैं ने ‘निक्की’ ...
उस वर्ष हमारा दीपावली विशेषांक कहानियों पर केंद्रित था। “दीपावली विशेषांक की कहानियों के साथ जाने वाले रेखांकन तैयार ...
पुस्तकालय में उस समय अच्छी- खासी भीड़ थी। इश्यू काउंटर पर अतिव्यस्त होने के कारण सुधा मुझे पुस्तकालय में ...