यह उस समय की बात है, जब धरती का अमृत और इंसानियत का जल अभी तक सूखा नहीं था।विक्रम ...
"आपा देवात, ये आपके लिए ही हुक्के की बजरका पुलिंदा खिंचा हे । मीठी ये बजर (तम्बाकू) हाथ आई ...