पहाड़ की उस सूखी, धूप में तपती चट्टान पर एक आदमी बैठा था—चुप, स्थिर, जैसे अपनी ही साँसों की ...
रात के ग्यारह बज चुके हैं।मैं अपने वीरान मकान में बेड पर पड़ा हु। फ़टाके बज रहे हैं। उनकी ...
मुझे सूर्यास्त के बाद कभी भी नींद नहीं आती। रात की चादर ओढ़कर बैठ जाना मेरे लिए आसान है। ...