Anand Tripathi stories download free PDF

काल्पनिक भय

by Anand Tripathi
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कल्पना में की गई बाते या दृश्य कभी सिद्ध नही होते। मौत का सिद्धांत सत्य है। बिल्कुल सत्य पंरतु ...

भगवान कैसे होते हैं?

by Anand Tripathi
  • 3.4k

एक समय की बात है एक गांव में कहीं से एक बहुत बड़े विद्वान आए । विद्वान से मिलने ...

थोड़ा और

by Anand Tripathi
  • 5.9k

जब तक हम सत्य जानते हैं। तब तक बहुत देर हो जाती है। यह आत्मा, इंद्रिय,मन कितने वज्र के ...

बैकबेंचर

by Anand Tripathi
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राहुल राहुल,नीचे बैठ जा मैम ने कहा है। तुम दोनो बाहर से अंदर आ जाओ। मॉनिटर की कर्कश आवाज़ ...

मुंशी प्रेमचंद जीवनी

by Anand Tripathi
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हिन्दी कहानी व उपन्यास के क्षेत्र को ‘प्रेमचंद युग’ दिखाने वाले मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को ...

हिंदी नए चाल में ढली।

by Anand Tripathi
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यह वाक्य भारतेंदु का है। जो उन्होने कालचक्र नामक जर्नल में लिखा था। ऐसा माना जाता है की शताब्दी ...

हेलो, मैं रावण बोल रहा हूं।

by Anand Tripathi
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नमस्ते भारत, और भारत के तथाकथित सामाजिक विद्वत जनों। आज न जानें क्यों मेरे मन बड़े प्रश्न और उनके ...

समाज कल्याण की दृष्टि में

by Anand Tripathi
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अराजकता से आधुनिकता की ओर बढ़ गया हूं। पंरतु व्यव्हार और व्याकरण में पाणिनी द्वारा रचित प्रविष्टियां अभी अभी ...

जीवन ध्येय उतर ना

by Anand Tripathi
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यह विचित्र है परंतु विस्तृत है। आप उसी नदी में दुबारा नहीं उतर सकते जिसमे कभी डुबकी लगाया करते ...

खामोश है तो कहते है उदासी इतनी अच्छी नही।

by Anand Tripathi
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मेरे अंतरमन के उद्गार का शांत हो जाना भी तो कोई खामोशी ही है। किसी को भूख लगी हो ...