Gujarati Whatsapp Status | Hindi Whatsapp Status
Yogi Krishnadev Nath

ওজন কমানো সম্পর্কিত এই বইটিও অ্যামাজন ও ফ্লিপকার্টে পাওয়া যাচ্ছে। একদম দিন গোনা ৩০ দিনের রোডম্যাপ দেওয়া হয়েছে এখানে; মেনে চললে মিনিমাম ১০ কেজি ওজন কমে যাবে। যাদের শরীরের ওজন বেশি তাদের আরো বেশি কমবে।

Nothing

My view POV:

Shailesh Joshi

🙏પ્રત્યેક માતા-પિતાએ યાદ રાખવા જેવું🙏 કે આપણે માત્ર આપણાં સંતાનો ખુશ રહે એવું નથી કરવાનું, પરંતુ એની સાથે-સાથે આપણું સંતાન એના સંતાનોને પણ ખુશ રાખી શકે એવું બનાવવાનું છે. - Shailesh Joshi

Raju kumar Chaudhary

🌅 Imagine – Happy New Year 2026 Song Scene कल्पना कीजिए… सुबहे-सुबहे हल्की सुनहरी धूप आसमान में फैल रही है। ठंडी हवा चेहरे को छूते हुए एक नई शुरुआत का एहसास करा रही है। लोग छतों पर खड़े हैं—हाथों में खुशियों की चमक, बच्चे हँसते हुए रंग-बिरंगी पटाखों की स्पार्कलर चला रहे हैं। सड़कों पर हल्की सजावट, लाइटों की टिमटिमाहट… हर घर के बाहर "Happy New Year 2026" की रंगीन लाइटें चमक रही हैं। आप कैमरे के सामने खड़े हैं— चेहरे पर आत्मविश्वास, आँखों में सपने, और धीमी हवा में आपकी जैकेट हल्के-हल्के लहर रही है। जैसे ही म्यूज़िक शुरू होता है— आस-पास के दोस्त, परिवार, भाई-बहन सब एक साथ 3…2…1… की गिनती करते हैं। फिर पूरा माहौल एक साथ चिल्लाता है— "Happy New Year 2026!!!" आकाश में रंगीन आतिशबाज़ी फटती है, चिंगारियों की रोशनी सबके चेहरों पर पड़ती है, और लगता है जैसे पूरा आसमान आपके सपनों के लिए रास्ता खोल रहा हो। कैमरा ऊपर उठता है— तारों से भरा आसमान, नीचे खुशियों से भरा शहर, और बीच में आप— नए साल की नई उम्मीदों के साथ मुस्कुराते हुए।

Raju kumar Chaudhary

https://youtu.be/WRuvN3RCYiQ?si=QZFp_naIN6rafeDu

Raju kumar Chaudhary

https://youtu.be/WRuvN3RCYiQ?si=QZFp_naIN6rafeDu🌅 Imagine – Happy New Year 2026 Song Scene कल्पना कीजिए… सुबहे-सुबहे हल्की सुनहरी धूप आसमान में फैल रही है। ठंडी हवा चेहरे को छूते हुए एक नई शुरुआत का एहसास करा रही है। लोग छतों पर खड़े हैं—हाथों में खुशियों की चमक, बच्चे हँसते हुए रंग-बिरंगी पटाखों की स्पार्कलर चला रहे हैं। सड़कों पर हल्की सजावट, लाइटों की टिमटिमाहट… हर घर के बाहर "Happy New Year 2026" की रंगीन लाइटें चमक रही हैं। आप कैमरे के सामने खड़े हैं— चेहरे पर आत्मविश्वास, आँखों में सपने, और धीमी हवा में आपकी जैकेट हल्के-हल्के लहर रही है। जैसे ही म्यूज़िक शुरू होता है— आस-पास के दोस्त, परिवार, भाई-बहन सब एक साथ 3…2…1… की गिनती करते हैं। फिर पूरा माहौल एक साथ चिल्लाता है— "Happy New Year 2026!!!" आकाश में रंगीन आतिशबाज़ी फटती है, चिंगारियों की रोशनी सबके चेहरों पर पड़ती है, और लगता है जैसे पूरा आसमान आपके सपनों के लिए रास्ता खोल रहा हो। कैमरा ऊपर उठता है— तारों से भरा आसमान, नीचे खुशियों से भरा शहर, और बीच में आप— नए साल की नई उम्मीदों के साथ मुस्कुराते हुए।

Raju kumar Chaudhary

https://youtu.be/WRuvN3RCYiQ?si=QZFp_naIN6rafeDu🌅 Imagine – Happy New Year 2026 Song Scene कल्पना कीजिए… सुबहे-सुबहे हल्की सुनहरी धूप आसमान में फैल रही है। ठंडी हवा चेहरे को छूते हुए एक नई शुरुआत का एहसास करा रही है। लोग छतों पर खड़े हैं—हाथों में खुशियों की चमक, बच्चे हँसते हुए रंग-बिरंगी पटाखों की स्पार्कलर चला रहे हैं। सड़कों पर हल्की सजावट, लाइटों की टिमटिमाहट… हर घर के बाहर "Happy New Year 2026" की रंगीन लाइटें चमक रही हैं। आप कैमरे के सामने खड़े हैं— चेहरे पर आत्मविश्वास, आँखों में सपने, और धीमी हवा में आपकी जैकेट हल्के-हल्के लहर रही है। जैसे ही म्यूज़िक शुरू होता है— आस-पास के दोस्त, परिवार, भाई-बहन सब एक साथ 3…2…1… की गिनती करते हैं। फिर पूरा माहौल एक साथ चिल्लाता है— "Happy New Year 2026!!!" आकाश में रंगीन आतिशबाज़ी फटती है, चिंगारियों की रोशनी सबके चेहरों पर पड़ती है, और लगता है जैसे पूरा आसमान आपके सपनों के लिए रास्ता खोल रहा हो। कैमरा ऊपर उठता है— तारों से भरा आसमान, नीचे खुशियों से भरा शहर, और बीच में आप— नए साल की नई उम्मीदों के साथ मुस्कुराते हुए।

Raju kumar Chaudhary

https://youtu.be/WRuvN3RCYiQ?si=QZFp_naIN6rafeDu🌅 Imagine – Happy New Year 2026 Song Scene कल्पना कीजिए… सुबहे-सुबहे हल्की सुनहरी धूप आसमान में फैल रही है। ठंडी हवा चेहरे को छूते हुए एक नई शुरुआत का एहसास करा रही है। लोग छतों पर खड़े हैं—हाथों में खुशियों की चमक, बच्चे हँसते हुए रंग-बिरंगी पटाखों की स्पार्कलर चला रहे हैं। सड़कों पर हल्की सजावट, लाइटों की टिमटिमाहट… हर घर के बाहर "Happy New Year 2026" की रंगीन लाइटें चमक रही हैं। आप कैमरे के सामने खड़े हैं— चेहरे पर आत्मविश्वास, आँखों में सपने, और धीमी हवा में आपकी जैकेट हल्के-हल्के लहर रही है। जैसे ही म्यूज़िक शुरू होता है— आस-पास के दोस्त, परिवार, भाई-बहन सब एक साथ 3…2…1… की गिनती करते हैं। फिर पूरा माहौल एक साथ चिल्लाता है— "Happy New Year 2026!!!" आकाश में रंगीन आतिशबाज़ी फटती है, चिंगारियों की रोशनी सबके चेहरों पर पड़ती है, और लगता है जैसे पूरा आसमान आपके सपनों के लिए रास्ता खोल रहा हो। कैमरा ऊपर उठता है— तारों से भरा आसमान, नीचे खुशियों से भरा शहर, और बीच में आप— नए साल की नई उम्मीदों के साथ मुस्कुराते हुए।

Nisha

kya aap work from home Krna chahte ho agr ha to dm kijiye

Shailesh Joshi

📢 આ ભૂલ બહુ મોંઘી પડી શકે છે, સંતાનને પણ, અને મા-બાપને પણ આપણે આપણા સંતાનને ભલે ગમે તેટલી મોંઘી વસ્તુઓ લાવી આપીએ, પછી એ મોબાઈલ હોય, બાઈક હોય, કે પછી ગાડી હોય, કોઈપણ વસ્તુ કેમ ના હોય. પરંતુ જો એ સંતાન જે તે વસ્તુની કિંમત જાણતું હોય, અને એ વસ્તુ ખરીદવા માટે મારા મા-બાપે દુકાનદારને જે રૂપિયા આપ્યા, એ રૂપિયા મારા મા-બાપની કેટલી મહેનત કર્યા પછી, કે કેટલો પરસેવો પાડ્યા પછી આવ્યા છે ? બસ એકવાર આ બે બાબતોનું જ્ઞાન સંતાનમાં આવી જાય, પછી સંતાન જે માંગે એ લાવી આપવામાં ક્યારેય, કોઈ જ વાંધો નથી આવતો.

Shah Nimishaben Kantilal

વ્હેમમાં રહેવું ગમે છે, હકીકત ક્યાં કદી ખૂબસૂરત હોય છે સૌને સૌની હદમાં રાખવા ગમે, શરાફત ક્યાં કદી સલામત હોય છે. ​હોઠ પર ઝેર લઈને પણ હસવું પડે છે, ક્યાં દરેક વાતની અસર પણ કરુણાવત હોય છે! ​સાવ ઓછું બોલે છે જે, એ વધુ સમજે છે, શાંત એ જ હોય છે જેનામાં બહાદુરીની તાકાત હોય છે. ​આશરો આપીને પછી રસ્તા બતાવે, એકલા રહેવાની એની ખાસ અદાવત હોય છે. ​જ્યાં જઈને આંસુ છુપાવી શકાય છે, એક ખૂણો હોય છે, ત્યાં જ શાંતિની ઈમારત હોય છે. ​શબ્દને ચૂપ કરી દેવો પડે, કેમકે 'હું' છું, નહીંતર તો ઘોંઘાટમાં ક્યાં કદી શાનદાર વાત કબૂલાત હોય છે?

Dr. Damyanti H. Bhatt

गीता महोत्सव 🌹🙏🌹

Dr. Damyanti H. Bhatt

Dr. Damyanti Bhatt: गीता जयंति की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐💐🙏🙏🙏🌹🙏🌹 संजय ने कहा, करूणा से व्याप्त, अश्रुपूर्ण नयनों से, अर्जुन ने श्री कृष्ण से कहा, नहीं लड़ना चाहता मैं हे केशव! यह धर्मयुद्ध, आचार्य पिता मह,गुरु उनसे में कैसे लड़ु?जिन्होंने ही मुझे बाण चलना सिखाया कैसे यह महापातक करूं? इससे तो अच्छा है, मैं अपना जीवन भिक्षा में व्यतीत करूं। नहीं लड़ना चाहता मैं। ऐसा कहकर मौन हुआ जब अर्जुन , तब मुस्कुराए मधुसुधन! तू बड़ा विद्वान हो गया बातें करने लगा शाण पनकी, बल्कि विद्वान पुरुष कभी शोक नहीं किया करते हैं, यह देहमें बचपन, युवानी ,जरा- मरण आया जाया करते हैं, जैसे सुख-दुख, शीत -गरमी आया जाया करते हैं, वैसे जन्म मृत्यु का नित्यक्रम चलता रहता है, इसमें शॉक कैसा? तुम क्षत्रिय हो,युद्ध कर। नहीं आत्मा का जन्म होता और ना मृत्यु, जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को फेंक कर नयाधारण करता है वैसे शरीर पुराना त्याग कर, नया दे प्राप्त करता है, इसमें शोक कैसा? तुम क्षत्रिय हों, युद्ध कर! नहीं आत्मा किसी से मरता है, नहीं जन्म पामता, नासमझ है वह लोग जो इसे नहीं मानते, यह आत्मा अविनाशी अजर अमर सनातन है,तुम क्षत्रिय हो,युद्ध कर। सुख दुख ,लाभ -अ लाभ, जय पराजय, में समत्व बुद्धि धारण करें और साधना अविरत करें फलश्रुति की अपेक्षा ना करें, उसको कर्म बंधन क्या नडे ?जो अपना सब कुछ मुझ को समर्पित करें, स्वयं समाधि में स्थिर रहे वही मेरी नजर में स्थित प्रज्ञ है,"गीता" तुम क्षत्रिय हो,युद्ध कर। ✍️...© drdhbhatt

Shailesh Joshi

સંબંધોમાં સૌથી વધારે થતી એક એવી ભૂલ, કે જે આપણને હંમેશાં પરસ્પરની સાચી લાગણી, અને એકબીજાનાં સાચા પ્રેમની અનુભૂતિથી દૂર રાખે છે. એ ભૂલ એટલે..... 1 - કોને કેટલી છૂટ આપવી ? અને 2 - કોની ઉપર કેટલો વિશ્વાસ મૂકવો ? આ બે બાબતોમાં આપણે જ્યારે સામેના વ્યક્તિનો કોઈપણ પ્રકારનો અનુભવ કર્યાં વગરજ અગાઉથી જાતેજ નક્કી કરી લેવું, ને પછી એ નિર્ણય પર જ કાયમ ( અડગ ) રહેવું. આ બહુજ ખોટું છે, કારણકે આના કારણે આપણને જે નુકશાન થાય છે, એ નુકશાન સામેના વ્યક્તિ પર એક વાર વિશ્વાસ મૂક્યા પછી મળતા વિશ્વાસઘાત કરતા અતિશય મોટું હોય છે, અને કાયમી પણ. માટે કોઈપણ સંબંધમાં આપણને સામેની વ્યક્તિ પસંદ હોય, અથવા તો આપણને એના વગર ચાલે એમ ના હોય તો એક બે વાર એ વ્યક્તિ પર પૂર્ણ વિશ્વાસ મૂકી જોવો, પછી ભલે એમાં આપણને કોઈપણ પ્રકારનું થોડું ઘણું નુકશાન જવાનો ડર હોય, કેમકે આવું કરવાથી આપણને બે વાતનો ખુલાસો મળી રહેશે. 1 - કાંતો આપણો ડર સાચો હતો કે ખોટો એ આપણને જાણવા મળશે, અને 2 - કાંતો આપણે સામેની વ્યક્તિ પર મુકેલ વિશ્વાસમાં એ વ્યક્તિ જ્યારે ઉણો ઉતરે પરંતુ જ્યારે એ વ્યક્તિ એના ઉણા ઉતારવાનું સાચું કારણ આપણને જણાવે ત્યારે એવું પણ બને કે, આપણે એના વિશે અગાઉથી બાંધેલી ધારણામાં આપણે પોતેજ ખોટા હતા એનો આપણને એહસાસ થઈ જાય.

Rahul Raaj

"इंतज़ार जो शायद ख़त्म ही न हो" इंतज़ार तो ऐसा कर रहा हूँ जैसे, वो सच में एक दिन लौट आएगी... जैसे इन सूनी गलियों में फिर से उसके क़दमों की आहट पड़ेगी, जैसे इन सूखे होंठों पर फिर से उसका नाम हलके से ठहर जाएगा। रातें अब भी लंबी नहीं लगतीं, बस ख़ाली लगती हैं, जैसे किसी ने मेरी नींद से मेरा सुकून चुरा लिया हो। हर सुबह इस आस में आँख खुलती है, कि शायद आज वो "फिर से" अपने होने का कोई सबूत छोड़े। मेरे कमरे की दीवारें अब भी उसका नाम जानती हैं, और वो तसवीर... जिसे मैंने कई बार हटाना चाहा, हर बार दिल ने कहा- छोड़ दे, उसे रहने दे, कहीं सच में लौट आए तो उसे देख कर मुस्कुरा सके। कभी-कभी सोचता हूँ वो कैसे जी रही होगी? क्या उसे भी कभी नींद से पहले मेरी याद आती है? या अब उसके दिल में किसी और के लिए वैसी ही जगह बन गई है जैसी कभी मेरे लिए थी - अधूरी, मगर सच्ची। आज भी बारिश की हर बूंद में वही आवाज़ सुनता हूँ, वही हँसी, वही नाराज़गी वही चुप्पी... कभी लगता है, वो यहीं है, बस छुपी हुई, कहीं मेरी उम्मीदों में, या शायद मेरे टूटने में। लोग कहते हैं, छोड़े हुए लोग लौट कर नहीं आते, पर दिल अब भी जिद्दी बच्चा बना है, बस बैठा है उसी मोड़ पर जहाँ वो आख़िरी बार पलटी थी, आँखों से कुछ कह कर, होंठों से कुछ और। शायद वो कभी न लौटे, पर इंतज़ार तो अब साँसों की तरह हो गया है – रोक लूँ हो दम टूट जाए, चलता रहूँ तो दिल हर धड़कन में उसका नाम ले। बहुत ज्यादा याद आ रही है तुम्हारी🥺🥺🥺

Dada Bhagwan

Pujya Niruma's Birthday We promise to stay in utmost humility and oneness with each and every living being in this world. To know more about Pujya Niruma, please visit: https://dbf.adalaj.org/sqaDOqeG #birthday #happybirthday #birthdayvibes #DadaBhagwanFoundation

Rahul Raaj

इंसान विकल्पों का आदी है, विकल्प मिलते ही उसे पुराने में कमिया और नए में खूबिया नजर आने लगती है..!

Rahul Raaj

तुम्हें छूना... हमेशा रोमांस नहीं होता, कई बार ये तुम्हारी रूह से अपनी रूह को थोड़ी देर के लिए जोड़ लेने जैसा होता है। तुम्हें गले लगाना... मानो सारे डर, सारी थकान एक ही पल में पिघल जाए। कई बार बहुत तरस जाता हूँ सिर्फ़ तुम्हारी उँगलियों के हल्के-से स्पर्श के लिए, तुम्हारी बाँहों के उस घेराव के लिए जहाँ दुनिया का शोर एकदम ख़ामोश हो जाता है। बस एक ही कसक रहती है-तुम आओ... और मुझे यूँ थाम लो जैसे मैं तुम्हारी ही धड़कन हूँ

SADIKOT MUFADDAL 《Mötäbhäï 》

કોણ કહે છે ઇશ્વર નથી દેખાતો, એ જ તો દેખાય છે જ્યારે કોઈ નથી દેખાતું. !! - SADIKOT MUFADDAL 《Mötäbhäï 》

Parmar Mayur

🙏🙏જે પૈસા માટે 'હવા પાણી' દૂષિત કરતાં માણસ તું અચકાતો નથી. જ્યારે તે જ પૈસાથી ખરીદવા પડશે હવા પાણી ત્યારે તેનું 'મૂલ્ય' સમજાશે તને.🦚🦚 ⏳રાષ્ટ્રીય પ્રદૂષણ નિયંત્રણ દિવસ 💡

Jyoti Gupta

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Imaran

♥♥जमाने,,,के,,देखे,,है,,,रंग,,,हज़ार, ,,नही,,,कुछ,,सिवा,,,, प्यार,,,के,,, आके,,,तू,,,लग,,,जा,,,गले,,,मेरे,,,यार,, नही,,,कुछ,,,सिवा,,, प्यार ,,,,के,,♥♥ 💞 imran 💞

Deepak Bundela Arymoulik

शब्दों की आवाज़ जिन्हें शब्दों की आवाज़ सुनाई नहीं देती, वो इंसान की आवाज़ क्या सुनेंगे? जिनकी आत्मा सोई है पत्थर बनकर, वो दर्द की धड़कन क्या सुनेंगे? जो अक्षरों में आग नहीं पहचानते, उन्हें सच की गर्मी क्या छू पाएगी? जो खामोशी में भी शोर नहीं पढ़ते, उन्हें चीख़ की भाषा क्या समझ आएगी? जिनकी आँखों में मतलब मर चुका है, वो आँसुओं की इबारत क्या पढ़ेंगे? जिन्हें शब्दों की आवाज़ सुनाई नहीं देती, वो इंसान की आवाज़ क्या सुनेंगे? और जो सुनते हैं शब्दों की सरगोशी, वो ही ज़मीर की साज सुनाते हैं, वो हर टूटी आवाज़ को जोड़कर, इंसानियत को फिर जिंदा कर जाते हैं। आर्यमौलिक

Deepak Bundela Arymoulik

कलम की आवाज़ लाखों लोग मोबाइल में उलझे हुए हैं, उँगलियों में दुनिया, दिल सूने पड़े हैं। कोई रोटी के टुकड़े को तरसता हुआ, कोई फ़ैशन में डूबा, सच्चाई से अनजान हुआ। हज़ारों हैं जो दौड़ रहे हैं नाम के पीछे, थक गए हैं सपने, पर रुकते नहीं सीने। कुछ गिनते हैं नोट, कुछ गिनते हैं लाइक, किसी को नहीं फ़ुर्सत, किसी को नहीं वक़्त। पर कुछ ऐसे भी हैं, जो ख़ामोश लिखते हैं, अंधेरे समाज में उजाला बिखेरते हैं। उन्होंने मोबाइल नहीं, कलम को थामा है, हर शब्द में सच्चाई का दीप जलाया है। जहाँ भी अन्याय, वहीं उनकी स्याही बहती, जहाँ भी मजबूरी, वहीं कविता कहती। उनके अल्फ़ाज़ कोई खेल नहीं होते, वो ज़िंदा समाज की नींव होते। कलम चलती है, तो क्रांति जन्म लेती है, सोई हुई आत्मा भी जाग उठती है। मोबाइल से आगे भी एक दुनिया है, जहाँ विचारों की सबसे बड़ी पूँजी है। सलाम उन हाथों को जो लिखते हैं सच, जो झूठ की भीड़ में जलाते हैं मशाल हर पल। क्योंकि समाज वही बदलेगा एक दिन, जिसके पास कलम की ताक़त होगी, न कि मोबाईल फोन की चाहत होंगी। क्या बदलेंगे लोग, बदलेगा युग...? आर्यमौलिक

ભૂપેન પટેલ અજ્ઞાત

हाथ से रेत सरकती रही, वैसे ही वक्त बहता रहा। चंद लम्हों में मुट्ठी खाली सी हो गई, फिर से वही रेत को वही मुट्ठी से उठाया, पर बीता हुआ वह वक्त हाथों में नहीं आया, बस,छूटे हुए लम्हों के निशान ही रह गए।।।। - ભૂપેન પટેલ અજ્ઞાત

Deepak Bundela Arymoulik

मोहब्बत और ज़िन्दगी वो मोहब्बत को जितने निकले हैं, वो ज़िन्दगी में बीतने निकले हैं। ख्वाबों की झोली भर लाए थे, पर नींद में ही रीतने निकले हैं। जिसे जीत समझा था बाज़ी में, वो खुद से ही हारने निकले हैं। हर मोड़ पे शीशे टूटे हैं, फिर भी मुस्कानों को सीतने निकले हैं। इश्क़ का पंछी ऊँचा उड़ा, पर पंख जमीं में गींतने निकले हैं। वो जिनको फ़तह का गुमान था, वो वक़्त से ही सीखने निकले हैं। मोहब्बत में जो सब हार गए, अक्सर वही खुद को पाने निकले हैं। आर्यमौलिक

Deepak Bundela Arymoulik

दिन औऱ रात के लोग दिन के उजाले में अंधे हैं लोग, रात के अँधेरे में सफ़र करते हैं लोग। सूरज सामने, फिर भी राह न दिखे, झूठे उजालों में सच से डरते हैं लोग। आँखों पर बाँध रखे हैं फ़ायदे के पट्टे, दिल को गिरवी रख बाज़ार करते हैं लोग। शोर बहुत है, पर सुनता कोई नहीं, ख़ामोशी बेच कर भाषण करते हैं लोग। दीप जले हर घर में, फिर भी अंधियारा, मन के कोनों में ख़ौफ़ भरते हैं लोग। आईने टूटे हैं सच बोलने के डर से, तस्वीरों में ख़ुद को बेहतर करते हैं लोग। रात की आगोश में सपने जाग उठें, दिन की धूप में उन्हें मारते हैं लोग। नींद को ओढ़कर जागने का अभिनय, जागते-जागते भी सोते हैं लोग। कभी तो लौटेगी रौशनी भीतर भी, कभी तो सच का सामना करेंगे लोग। तब दिन भी बोल उठेगा रात की भाषा, और अँधेरों में भी उजाले भरेंगे लोग। आर्यमौलिक

Raj Phulware

IshqKeAlfaaz मैंने कई हसरतें..

Raj Phulware

IshqKeAlfaaz बुलाओगे तो

Raj Phulware

IshqKeAlfaaz तोल माझा का..

DrAnamika

तेरी मोहब्बत ने दिल का नक्शा ही बदल दिया, हर दर्द को जैसे नेमतों में उगल दिया। तेरे होने से रूह में ऐसी ख़ामोशी उतरी, ख़ुदा भी मुझमें कुछ पल ठहर गया। #डॉअनामिका

Chaitanya Joshi

ના મુસીબત આપણી સૌને કહીએ. હરડગલે બસ આપણે ગાતાં રહીએ. સુખદુઃખ આવે સહજ સહુ સહીએ, હરડગલે બસ આપણે ગાતાં રહીએ. ગીત અમારું હશે હિંમત આપનારું, હસતાં રમતાં એ આગળ વધારનારું. ના રોદણાં રડીને કોઈને ના કહીએ, હરડગલે બસ આપણે ગાતાં રહીએ. વિજય ગીત અમારું પ્રાણ પૂરનારુ, આફતને ટાળી વળી આગે ધપનારુ. વહેતા વારિની જેમ વહેતાં રહીએ, હરડગલે બસ આપણે ગાતાં રહીએ.

Dhamak

કોણ યાદ રાખશે તને, એવું તે શું છે તારામાં… ક્યારેક મન પોતાને પૂછે, તું શું છે પોતાની ઓળખમાં… શાંત પળોમાં અંદર કહેશે, “હું તારો જ સહારો છું.” અંધારું આવે ત્યારે પણ, તારું અંતર જ પ્રકાશનું વ્હાલું સૂત્ર છું. જવાબ બધાં મારી અંદર જ છે… મારી ઓળખનો પ્રકાશ પણ અંદર જ છે…

kajal jha

"तेरे जाने के बाद दिल का शहर वीरान हुआ, हर मुस्कान के पीछे एक चुभता अरमान हुआ। हमने तो साँसों की डोर भी तुझसे जोड़ रखी थी, तू टूटा क्या… हम भी अंदर ही अंदर बेजान हुआ।" - kajal jha

Mamta Trivedi

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं पूरी कविता का वीडियो देखिए https://youtu.be/1xxFwdwruMU?si=cp34P1QLuvWbab7a

Soni shakya

🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏 🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹

Dr Darshita Babubhai Shah

मैं और मेरे अह्सास पल भर का ये सफ़र हमसफ़र के साथ पल भर का ये सफ़र रहा l और सफ़र का वक्त जैसे पानी की तरह बहा ll दिल का भी अज़ीब खेल होता है देखो तो l जाना कहां था ओ पहुँचे गये जान थी वहा ll "सखी" डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

Dinesh

*🙏જય બાબા સ્વામી*🙏 *આજનો સુવિચાર* કેટલાંક સંબંધોથી માણસો સારાં લાગે છે અને કેટલાંક માણસોથી સંબંધો સારાં લાગે છે. *શુભ સવાર*

બદનામ રાજા

સત્યને કોઈનાં સાથની જરૂર નથી હોતી તેની આંગળી તો ભગવાને જ પકડી હોય છે અને પ્રમાણિકતાને પુરાવાની જરૂર નથી હોતી દોસ્ત, સમય જ બધું પુરવાર કરી આપે છે... શુભ સવાર 🌻 વહેલી સવારના જાજા કરીને જય શ્રી કૃષ્ણ 🙏🏻🚩 ભગવાન ❤️🙂

GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

जीवन के इस सफ़र में, नहीं मिला हमराह। सतत ढू़ंढता रह गया, बची रह गयी चाह।। दोहा--334 (नैश के दोहे से उद्धृत) ----गणेश तिवारी 'नैश'

Ritik Sandilya

मैं उन्हें भूल जाऊं .....ये एक बात है..... वो मुझे याद तक नहीं आतीं .....ये एक बात है।

Ritik Sandilya

कुछ खाश पलों में मै उन्हें याद कर लेता हूं या यूं कहूं.....मैं कभी उन्हें कभी भूल ही नहीं पाया 😔😔

Heena Ramkabir Hariyani

વ્યથા નો થાક એટલો છે કે મૌન થઈ જાઉં, કથા નો સાર એટલો છે કે દુનિયા શર લઉં હીના રામકબીર હરીયાણી

વૈભવકુમાર ઉમેશચંદ્ર ઓઝા

किसी कामसे आपकी गली से इत्तेफाक से गुज़रे थे, झरोखेंमें आपको देखके हम किसी कामके ना रहे। - स्पंदन

વૈભવકુમાર ઉમેશચંદ્ર ઓઝા

तड़प रहे है वो जिसके हम ना हो सके, और आप है कि हमसे रूठे बैठे हो। - स्पंदन

Raju kumar Chaudhary

दिल के रहस्य - Dil ke Rahasya❤️ दिल के रहस्य – पार्ट 5 शीर्षक: खतरा और दिल की दास्तान जैसे ही अजनबी नज़दीक आया, नीरव ने आर्या का हाथ कसकर पकड़ा और उसे कैंटीन के पीछे छुपा लिया। दिल की धड़कनें तेज़ थीं, और डर साफ़ महसूस हो रहा था। “आर्या, अब संभल कर!” नीरव ने फुसफुसाया। अजनबी ने नीरव की तरफ घूरते हुए कहा, “तुम्हारे राज़ को अब छुपाना मुश्किल होगा। मैं तुम्हें चेतावनी दे रहा हूँ।” आर्या ने महसूस किया कि नीरव का डर वास्तविक था। लेकिन उसी समय, नीरव ने उसे धीरे से अपनी ओर खींचा। उनके चेहरे बहुत करीब थे, और डर के बीच रोमांस की हल्की चमक भी थी। नीरव ने धीरे से कहा, “आर्या, तुम्हें सब सच बता दूँ?” आर्या ने हौले से सिर हिलाया। “हां… मुझे जानना है।” नीरव ने अपना पहला राज़ खोला: > “मेरी फैमिली पर कभी हमला हुआ था, और मैं हमेशा सतर्क रहता हूँ कि वही खतरा मुझे और मेरे दोस्तों तक न पहुँचे। यही कारण है कि मैं बहुत कुछ छुपाता हूँ। लेकिन अब मैं चाहूँगा कि तुम मेरी कहानी का हिस्सा बनो।” आर्या के दिल में डर और विश्वास दोनों उमड़ रहे थे। उसने नीरव का हाथ कसकर पकड़ा और कहा, “मैं तुम्हारे साथ हूँ, चाहे कुछ भी हो।” अजनबी ने देखा कि नीरव अकेला नहीं है। वह कुछ पल ठहरा, फिर धीरे-धीरे वहां से चला गया। आर्या और नीरव की नज़दीकियाँ बढ़ चुकी थीं, लेकिन खतरा अभी भी छुपा हुआ था। क्या अजनबी फिर लौटेगा? और क्या आर्या और नीरव इस खतरे का सामना कर पाएंगे?

Raju kumar Chaudhary

❤️ दिल के रहस्य – पार्ट 2 शीर्षक: पहली दोस्ती, पहला रहस्य अगले दिन, आर्या कॉलेज पहुँचते ही महसूस कर रही थी कि नीरव की छवि उसके दिमाग़ से गायब नहीं हो रही। हर क्लास में उसकी नजरें कहीं न कहीं उसे ढूंढतीं। क्लास में बैठते ही अचानक नीरव उसके सामने आ खड़ा हुआ। “आजकल तुम्हें बहुत परेशान देख रहा हूँ… क्या सब ठीक है?” उसने धीरे से पूछा। आर्या मुस्कराई। “ठीक हूँ, बस नए माहौल में थोड़ी अजीब सी लग रही है।” नीरव ने हँसते हुए कहा, “तुम्हें जल्दी एडजस्ट होना पड़ेगा। वैसे, मैं मदद कर सकता हूँ।” आर्या ने उसकी ओर देखा। उसका अंदाज, उसकी मुस्कान, सब कुछ उसे आरामदेह लग रहा था। शायद यही पहली दोस्ती की शुरुआत थी। दिन भर वे छोटे-छोटे ग्रुप एक्टिविटी में एक-दूसरे के करीब आए। आर्या ने महसूस किया कि नीरव में सिर्फ मिस्ट्री नहीं, बल्कि एक दयालु और समझदार इंसान भी है। लेकिन शाम को, जब क्लास खत्म हुई और लोग निकलने लगे, नीरव अचानक आर्या की ओर झुककर कुछ कहने वाला था… पर तभी उसके फोन की घंटी बज गई। आर्या ने गौर से सुना, और महसूस किया कि नीरव ने कुछ अनकहा रहस्य उसे बताना चाहा। क्या नीरव कोई राज़ छुपा रहा है? और क्या आर्या उसके राज़ को जान पाएगी? ❤️ दिल के रहस्य – पार्ट 3 शीर्षक: पहला राज़ और पहला ट्विस्ट अगले दिन, कॉलेज का माहौल सामान्य था, लेकिन आर्या की नींद नहीं खुल रही थी। नीरव का वो रहस्य उसके दिमाग़ में बार-बार घूम रहा था। लंच ब्रेक में नीरव अचानक उसके पास आया। “आर्या, कुछ दिखाना है तुम्हें। ये सिर्फ तुम्हारे लिए…” उसने अपनी जेब से एक छोटा नोटबुक निकालकर दिखाया। आर्या ने हैरानी से पूछा, “ये क्या है?” नीरव ने धीरे से कहा, “ये मेरी डायरी का एक पन्ना है। इसमें कुछ बातें हैं जो मैंने कभी किसी को नहीं बताई। मैं चाहता हूँ कि तुम समझो…” आर्या ने हौले से पन्ना पढ़ना शुरू किया। > “मैं कॉलेज में दिखाने जितना सामान्य नहीं हूँ। मेरे पास एक राज़ है… मेरी फैमिली में कुछ ऐसा हुआ है, जिसकी वजह से मैं हमेशा सतर्क रहता हूँ। मुझे डर है कि लोग इसे समझेंगे नहीं…” आर्या की आँखों में आश्चर्य और थोड़ी चिंता दोनों थी। वह जान गई कि नीरव सच में अलग है और उसका रहस्य शायद बड़ा है। तभी नीरव ने उसके हाथ को हल्का सा पकड़ा और कहा, “आर्या, मैं चाहता हूँ कि तुम मेरी दोस्त बनो… लेकिन ये राज़ अभी और समय लेगा खुलने में।” आर्या ने मुस्कान दी और कहा, “ठीक है… मैं रहस्य के लिए तैयार हूँ।” लेकिन जैसे ही वे दोनों हँसते हुए वहां खड़े थे, कॉलेज के गेट पर एक अजनबी आया और नीरव की ओर गंभीर नजरों से देखा। क्या आर्या का नया दोस्त सच में सुरक्षित है? और ये अजनबी कौन है जो नीरव के राज़ को जानता है? ❤️ दिल के रहस्य – पार्ट 4 शीर्षक: खतरा और बढ़ती नज़दीकियाँ अगली सुबह, आर्या कॉलेज पहुंची तो उसने देखा कि नीरव कुछ चिंतित लग रहा था। उसकी आँखों में हल्की चिंता थी, जो पहले कभी नहीं देखी थी। “क्या हुआ?” आर्या ने पूछा। नीरव ने धीरे से कहा, “कल जो अजनबी गेट पर खड़ा था… वह मेरे अतीत से जुड़ा है। मैं नहीं चाहता कि तुम परेशान हो, लेकिन शायद हमें सतर्क रहना पड़े।” आर्या की धड़कन तेज़ हो गई। खतरा नज़दीक था, और अब सिर्फ दोस्ती ही नहीं, बल्कि सुरक्षा भी मायने रखती थी। दिनभर क्लास में आर्या और नीरव एक-दूसरे के करीब आने लगे। छोटे-छोटे पल – साथ में किताबें उठाना, कॉफी ब्रेक में बातचीत, और कभी-कभी नजरों का टकराना – सब रोमांस की मिठास बढ़ा रहा था। लेकिन दोपहर को, जब कॉलेज का कैंटीन खाली था, वही अजनबी फिर दिखाई दिया। उसने नीरव की तरफ तेज़ कदम बढ़ाए। नीरव ने आर्या की ओर देखा और फुसफुसाया, “छिपो, जल्दी।” आर्या ने उसके हाथ को पकड़ लिया। उस पल, डर और रोमांस दोनों एक साथ महसूस हो रहे थे। अजनबी ने नीरव को कुछ कहा, और नीरव के चेहरे का रंग बदल गया। “ये वही है जिसकी वजह से मैं हमेशा सतर्क रहता हूँ…” नीरव ने धीरे से कहा। क्या यह अजनबी नीरव के राज़ को उजागर कर देगा? और क्या आर्या इस खतरे से बच पाएगी?❤️ दिल के रहस्य – पार्ट 5 शीर्षक: खतरा और दिल की दास्तान जैसे ही अजनबी नज़दीक आया, नीरव ने आर्या का हाथ कसकर पकड़ा और उसे कैंटीन के पीछे छुपा लिया। दिल की धड़कनें तेज़ थीं, और डर साफ़ महसूस हो रहा था। “आर्या, अब संभल कर!” नीरव ने फुसफुसाया। अजनबी ने नीरव की तरफ घूरते हुए कहा, “तुम्हारे राज़ को अब छुपाना मुश्किल होगा। मैं तुम्हें चेतावनी दे रहा हूँ।” आर्या ने महसूस किया कि नीरव का डर वास्तविक था। लेकिन उसी समय, नीरव ने उसे धीरे से अपनी ओर खींचा। उनके चेहरे बहुत करीब थे, और डर के बीच रोमांस की हल्की चमक भी थी। नीरव ने धीरे से कहा, “आर्या, तुम्हें सब सच बता दूँ?” आर्या ने हौले से सिर हिलाया। “हां… मुझे जानना है।” नीरव ने अपना पहला राज़ खोला: > “मेरी फैमिली पर कभी हमला हुआ था, और मैं हमेशा सतर्क रहता हूँ कि वही खतरा मुझे और मेरे दोस्तों तक न पहुँचे। यही कारण है कि मैं बहुत कुछ छुपाता हूँ। लेकिन अब मैं चाहूँगा कि तुम मेरी कहानी का हिस्सा बनो।” आर्या के दिल में डर और विश्वास दोनों उमड़ रहे थे। उसने नीरव का हाथ कसकर पकड़ा और कहा, “मैं तुम्हारे साथ हूँ, चाहे कुछ भी हो।” अजनबी ने देखा कि नीरव अकेला नहीं है। वह कुछ पल ठहरा, फिर धीरे-धीरे वहां से चला गया। आर्या और नीरव की नज़दीकियाँ बढ़ चुकी थीं, लेकिन खतरा अभी भी छुपा हुआ था। क्या अजनबी फिर लौटेगा? और क्या आर्या और नीरव इस खतरे का सामना कर पाएंगे?

ADRIL

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Raju kumar Chaudhary

“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 2” विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से सामान्य हो रही थी। बच्चों की पढ़ाई, घर और कामकाज के बीच दोनों ने अपनी खुशियों को छोटे-छोटे पलों में ढूंढना शुरू किया। लेकिन जैसे ही सब कुछ ठीक लग रहा था, विकास के ऑफिस में अचानक एक नई परियोजना आई, जो उसकी पूरी ऊर्जा मांग रही थी। इस दौरान, अनामिका ने एक बड़ी पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लिया और उसका काम देश भर में सराहा गया। उसकी प्रसिद्धि बढ़ने लगी, और उसे अक्सर बाहर रहने के लिए बुलाया जाने लगा। विकास और अनामिका दोनों व्यस्त थे, और धीरे-धीरे उनकी जिंदगी फिर से उलझन में आ गई। एक दिन, विकास ने देखा कि अनामिका ने उसके जन्मदिन पर कोई संदेश नहीं भेजा। दिल टूट सा गया। “क्या मैं अब उसके जीवन में उतना अहम नहीं हूँ?” वह सोचने लगा। अनामिका भी अपने मन में यही सवाल कर रही थी। उसने सोचा, “विकास बहुत थका हुआ है, शायद वह मेरी खुशी में खुश नहीं है।” तभी कहानी में ट्विस्ट आया। विकास के ऑफिस में एक नई महिला कर्मचारी आई – स्नेहा। स्नेहा बहुत दोस्ताना और खुशमिजाज थी। विकास ने पहले तो सोचा कि वह सिर्फ मददगार है, लेकिन धीरे-धीरे उसके साथ अधिक समय बिताने लगा। अनामिका ने यह महसूस किया और अंदर से थोड़ा डरने लगी। उसने विकास से सीधे सवाल किया, “विकास, क्या हम कहीं खो रहे हैं?” विकास ने कुछ देर चुप रहकर कहा, “अनामिका, कभी-कभी मैं समझ नहीं पाता कि कैसे दोनों चीज़ें—काम और घर—साथ में निभाऊँ। लेकिन मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।” तभी अनामिका ने मुस्कुराते हुए कहा, “तो हम फिर से शुरुआत करते हैं। अपने प्यार को प्राथमिकता देंगे, चाहे कितना भी काम क्यों न हो।” दोनों ने तय किया कि रोज़ कम से कम आधा घंटा सिर्फ एक-दूसरे के लिए निकालेंगे। धीरे-धीरे, स्नेहा की मौजूदगी भी सिर्फ एक पेशेवर दोस्ती में बदल गई। कुछ महीने बाद, विकास ने अनामिका को सरप्राइज दिया। उसने उनके पुराने कॉलेज वाले पार्क में एक छोटे-से कैम्पिंग ट्रिप का इंतजाम किया। वहाँ, दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया और कहा, “हमारी जिंदगी में उतार-चढ़ाव आए, लेकिन हम हमेशा साथ रहे। यही असली प्यार है।” और इस तरह, विकास और अनामिका ने साबित किया कि सच्चा प्यार वही है जो मुश्किल समय में भी डगमगाए नहीं, बल्कि और मजबूत हो जाए। “साथ-साथ जीवन की राह – भाग 3” कुछ साल बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से स्थिर लग रही थी। बच्चों की पढ़ाई अच्छी चल रही थी, और दोनों ने अपनी-अपनी काम में संतुलन बना लिया था। लेकिन तभी अचानक एक बड़ा संकट आया। अनामिका की पुरानी दोस्त, नीहा, शहर में वापस आई। नीहा और अनामिका कॉलेज की दोस्त थीं, लेकिन विकास को नीहा के साथ अनामिका की दोस्ती कभी अच्छी नहीं लगी थी। नीहा ने अनामिका से मिलने के बहाने घर पर आए और धीरे-धीरे विकास के सामने उसके काम की तारीफ करने लगी। विकास ने यह देखा और पहली बार अंदर से असुरक्षित महसूस किया। उसने अनामिका से कहा, “अनामिका, मुझे डर है कि कहीं तुम्हारे पुराने दोस्त हमारी खुशियों में खलल न डाल दें।” अनामिका ने गंभीर होकर कहा, “विकास, मैं तुम्हारे लिए चुनी गई हूँ, और मेरे लिए तुम ही सब कुछ हो। नीहा सिर्फ मेरी पुरानी दोस्त है, और कोई खतरा नहीं है।” लेकिन संकट यहीं खत्म नहीं हुआ। उसी समय, विकास के ऑफिस में एक बड़ा प्रोजेक्ट था जिसमें गलतफहमी और दबाव की वजह से वह गलती कर बैठा। कंपनी ने उसे सस्पेंड कर दिया। विकास बेहद टूट गया और अनामिका ने उसका सहारा बनने का फैसला किया। उसने विकास को सहलाते हुए कहा, “हमने पहले भी हर कठिनाई का सामना किया है। तुम अकेले नहीं हो। हम साथ हैं।” फिर कहानी में एक रोमांटिक मोड़ आया। अनामिका ने एक सरप्राइज प्लान किया—पुराने कॉलेज वाले कैम्पस की वही जगह जहाँ उन्होंने पहली बार अपनी दोस्ती की शुरुआत की थी। वहाँ पहुँचते ही उसने विकास के सामने कहा, “याद है, जब हम पहली बार यहाँ आए थे, हमने वादा किया था कि हम हमेशा साथ रहेंगे? मैं आज वही वादा दोबारा करना चाहती हूँ।” विकास ने उसकी आँखों में देखकर कहा, “और मैं आज फिर से वादा करता हूँ कि चाहे कोई भी मुश्किल आए, चाहे समय कितना भी बदल जाए, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा।” दोनों ने हाथ थाम कर आसमान की ओर देखा और महसूस किया कि उनकी जिंदगी में उतार-चढ़ाव कितने भी आएँ, उनका प्यार और विश्वास अडिग था। कहानी का संदेश यह था कि सच्चा प्यार केवल रोमांस नहीं, बल्कि विश्वास, समर्पण और एक-दूसरे के साथ हर चुनौती का सामना करना है।“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 4” कुछ सालों बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से व्यवस्थित लग रही थी। उनके बच्चे अब किशोरावस्था में थे और घर में खुशियों का माहौल था। लेकिन एक दिन अचानक अनामिका के पिता की तबियत गंभीर हो गई। अनामिका की शादी के समय से ही उनके पिता ने कभी पूरी तरह उसके करियर और स्वतंत्र निर्णय को स्वीकार नहीं किया था। अब उनका इलाज बहुत महंगा था और विकास के ऑफिस में फिर से वित्तीय संकट आ गया। विकास और अनामिका ने मिलकर यह फैसला किया कि वे पिता की देखभाल और इलाज के लिए शहर छोड़ देंगे। बच्चों के स्कूल और परिवार को संभालना आसान नहीं था। इसी बीच, विकास के ऑफिस में एक प्रतियोगिता की घोषणा हुई। अगर विकास जीतता है तो उसे उच्च पद और वित्तीय सुरक्षा मिल सकती थी। लेकिन इसका मतलब था कि वह पूरे महीने घर से दूर रहे। अनामिका ने उसे रोकने के बजाय कहा, “विकास, यह तुम्हारे लिए एक अवसर है। मैं घर संभाल लूँगी, तुम्हें मौका लेना चाहिए। हम साथ हैं, याद है?” विकास ने अनामिका को देखा और उसकी आँखों में अपने प्यार और भरोसे को महसूस किया। उसने प्रतियोगिता में भाग लिया और कड़ी मेहनत के बाद जीत गया। वित्तीय संकट समाप्त हुआ। घर लौटने पर, अनामिका ने उसे सरप्राइज दिया। उसने घर सजाया, बच्चों के साथ स्वागत किया और खुद भी एक सुंदर पोशाक में इंतजार कर रही थी। विकास ने उसे देखा और कहा, “तुम्हारा हर कदम, तुम्हारा हर भरोसा और प्यार ही मेरी ताकत है। तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं।” अनामिका ने हँसते हुए कहा, “और तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं। हम दोनों मिलकर हर संकट को पार कर सकते हैं।” फिर, उस रात दोनों ने बच्चों को सोने के बाद पुरानी यादों और अपने प्यार के पल याद किए। विकास ने अनामिका के हाथों को पकड़ा और कहा, “हमारी जिंदगी में चाहे कितने भी तूफान आएँ, हम हमेशा साथ रहेंगे। यही सच्चा प्यार है।” और इस तरह, विकास और अनामिका ने साबित किया कि असली प्यार कठिनाइयों में झुकता नहीं, बल्कि और मजबूत होकर खिलता है।“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 5” कुछ सालों बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी अब स्थिर और खुशहाल लग रही थी। बच्चों की पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी, और घर में प्यार और समझदारी का माहौल था। लेकिन एक दिन अचानक अनामिका को एक पुराना पत्र मिला। यह पत्र उसकी कॉलेज की दोस्त नीहा से आया था। नीहा ने लिखा कि वह अब विदेश में शादी कर रही है और वह विकास और अनामिका को एक खास मौका देना चाहती है। पत्र में लिखा था कि उसने अनामिका की पेंटिंग्स से प्रेरित होकर एक इंटरनेशनल आर्ट गैलरी खोलने का विचार किया है और वह अनामिका को अपना विशेष अतिथि बनाना चाहती है। अनामिका ने विकास को पत्र दिखाया। विकास ने मुस्कुराते हुए कहा, “देखो, तुम्हारी कला और मेहनत ने तुम्हें इतना बड़ा मौका दिलाया है। मैं तुम्हारे साथ चलूँगा।” गैलरी का उद्घाटन दिन आया। अनामिका ने अपने पेंटिंग्स प्रदर्शित किए और हर कोई उनकी तारीफ कर रहा था। विकास ने उसके हाथ में हाथ डालकर कहा, “तुम हमेशा चमकती रहो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।” इसी बीच, बच्चों ने चुपचाप एक सरप्राइज प्लान किया। उन्होंने पिताजी और माँ के लिए एक वीडियो तैयार किया जिसमें उनके छोटे-छोटे प्यारे पल, उनके संघर्ष और खुशियाँ दिख रही थीं। जब विकास और अनामिका ने वह वीडियो देखा, दोनों की आँखों में आँसू आ गए। रात में, गैलरी की छत पर दोनों अकेले बैठे और आसमान की तरफ देखकर अनामिका ने कहा, “विकास, हमारी जिंदगी में हर तूफान आया, लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी। हमारे प्यार ने हर चुनौती को पार किया।” विकास ने धीरे से कहा, “अनामिका, तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नहीं हूँ। तुम मेरी ताकत, मेरी प्रेरणा और मेरी जिंदगी हो।” फिर, बच्चों और दोस्तों के सामने, विकास ने अनामिका को अपने हाथों में हाथ देकर कहा, “क्या तुम मेरे साथ जीवन भर के लिए फिर से यह वादा दोहराओगी—हर मुश्किल, हर खुशी, हर पल साथ रहने का?” अनामिका ने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, विकास। हमेशा। हम साथ हैं, और हमेशा रहेंगे।” और इस तरह, विकास और अनामिका की कहानी ने साबित किया कि प्यार, विश्वास और साथ की ताकत से हर मुश्किल आसान हो जाती है, और जिंदगी की असली खूबसूरती छोटे-छोटे पलों और साथ बिताए समय में ही है

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“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 4” कुछ सालों बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से व्यवस्थित लग रही थी। उनके बच्चे अब किशोरावस्था में थे और घर में खुशियों का माहौल था। लेकिन एक दिन अचानक अनामिका के पिता की तबियत गंभीर हो गई। अनामिका की शादी के समय से ही उनके पिता ने कभी पूरी तरह उसके करियर और स्वतंत्र निर्णय को स्वीकार नहीं किया था। अब उनका इलाज बहुत महंगा था और विकास के ऑफिस में फिर से वित्तीय संकट आ गया। विकास और अनामिका ने मिलकर यह फैसला किया कि वे पिता की देखभाल और इलाज के लिए शहर छोड़ देंगे। बच्चों के स्कूल और परिवार को संभालना आसान नहीं था। इसी बीच, विकास के ऑफिस में एक प्रतियोगिता की घोषणा हुई। अगर विकास जीतता है तो उसे उच्च पद और वित्तीय सुरक्षा मिल सकती थी। लेकिन इसका मतलब था कि वह पूरे महीने घर से दूर रहे। अनामिका ने उसे रोकने के बजाय कहा, “विकास, यह तुम्हारे लिए एक अवसर है। मैं घर संभाल लूँगी, तुम्हें मौका लेना चाहिए। हम साथ हैं, याद है?” विकास ने अनामिका को देखा और उसकी आँखों में अपने प्यार और भरोसे को महसूस किया। उसने प्रतियोगिता में भाग लिया और कड़ी मेहनत के बाद जीत गया। वित्तीय संकट समाप्त हुआ। घर लौटने पर, अनामिका ने उसे सरप्राइज दिया। उसने घर सजाया, बच्चों के साथ स्वागत किया और खुद भी एक सुंदर पोशाक में इंतजार कर रही थी। विकास ने उसे देखा और कहा, “तुम्हारा हर कदम, तुम्हारा हर भरोसा और प्यार ही मेरी ताकत है। तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं।” अनामिका ने हँसते हुए कहा, “और तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं। हम दोनों मिलकर हर संकट को पार कर सकते हैं।” फिर, उस रात दोनों ने बच्चों को सोने के बाद पुरानी यादों और अपने प्यार के पल याद किए। विकास ने अनामिका के हाथों को पकड़ा और कहा, “हमारी जिंदगी में चाहे कितने भी तूफान आएँ, हम हमेशा साथ रहेंगे। यही सच्चा प्यार है।” और इस तरह, विकास और अनामिका ने साबित किया कि असली प्यार कठिनाइयों में झुकता नहीं, बल्कि और मजबूत होकर खिलता है।

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“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 2” विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से सामान्य हो रही थी। बच्चों की पढ़ाई, घर और कामकाज के बीच दोनों ने अपनी खुशियों को छोटे-छोटे पलों में ढूंढना शुरू किया। लेकिन जैसे ही सब कुछ ठीक लग रहा था, विकास के ऑफिस में अचानक एक नई परियोजना आई, जो उसकी पूरी ऊर्जा मांग रही थी। इस दौरान, अनामिका ने एक बड़ी पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लिया और उसका काम देश भर में सराहा गया। उसकी प्रसिद्धि बढ़ने लगी, और उसे अक्सर बाहर रहने के लिए बुलाया जाने लगा। विकास और अनामिका दोनों व्यस्त थे, और धीरे-धीरे उनकी जिंदगी फिर से उलझन में आ गई। एक दिन, विकास ने देखा कि अनामिका ने उसके जन्मदिन पर कोई संदेश नहीं भेजा। दिल टूट सा गया। “क्या मैं अब उसके जीवन में उतना अहम नहीं हूँ?” वह सोचने लगा। अनामिका भी अपने मन में यही सवाल कर रही थी। उसने सोचा, “विकास बहुत थका हुआ है, शायद वह मेरी खुशी में खुश नहीं है।” तभी कहानी में ट्विस्ट आया। विकास के ऑफिस में एक नई महिला कर्मचारी आई – स्नेहा। स्नेहा बहुत दोस्ताना और खुशमिजाज थी। विकास ने पहले तो सोचा कि वह सिर्फ मददगार है, लेकिन धीरे-धीरे उसके साथ अधिक समय बिताने लगा। अनामिका ने यह महसूस किया और अंदर से थोड़ा डरने लगी। उसने विकास से सीधे सवाल किया, “विकास, क्या हम कहीं खो रहे हैं?” विकास ने कुछ देर चुप रहकर कहा, “अनामिका, कभी-कभी मैं समझ नहीं पाता कि कैसे दोनों चीज़ें—काम और घर—साथ में निभाऊँ। लेकिन मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।” तभी अनामिका ने मुस्कुराते हुए कहा, “तो हम फिर से शुरुआत करते हैं। अपने प्यार को प्राथमिकता देंगे, चाहे कितना भी काम क्यों न हो।” दोनों ने तय किया कि रोज़ कम से कम आधा घंटा सिर्फ एक-दूसरे के लिए निकालेंगे। धीरे-धीरे, स्नेहा की मौजूदगी भी सिर्फ एक पेशेवर दोस्ती में बदल गई। कुछ महीने बाद, विकास ने अनामिका को सरप्राइज दिया। उसने उनके पुराने कॉलेज वाले पार्क में एक छोटे-से कैम्पिंग ट्रिप का इंतजाम किया। वहाँ, दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया और कहा, “हमारी जिंदगी में उतार-चढ़ाव आए, लेकिन हम हमेशा साथ रहे। यही असली प्यार है।” और इस तरह, विकास और अनामिका ने साबित किया कि सच्चा प्यार वही है जो मुश्किल समय में भी डगमगाए नहीं, बल्कि और मजबूत हो जाए।

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“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 3” कुछ साल बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से स्थिर लग रही थी। बच्चों की पढ़ाई अच्छी चल रही थी, और दोनों ने अपनी-अपनी काम में संतुलन बना लिया था। लेकिन तभी अचानक एक बड़ा संकट आया। अनामिका की पुरानी दोस्त, नीहा, शहर में वापस आई। नीहा और अनामिका कॉलेज की दोस्त थीं, लेकिन विकास को नीहा के साथ अनामिका की दोस्ती कभी अच्छी नहीं लगी थी। नीहा ने अनामिका से मिलने के बहाने घर पर आए और धीरे-धीरे विकास के सामने उसके काम की तारीफ करने लगी। विकास ने यह देखा और पहली बार अंदर से असुरक्षित महसूस किया। उसने अनामिका से कहा, “अनामिका, मुझे डर है कि कहीं तुम्हारे पुराने दोस्त हमारी खुशियों में खलल न डाल दें।” अनामिका ने गंभीर होकर कहा, “विकास, मैं तुम्हारे लिए चुनी गई हूँ, और मेरे लिए तुम ही सब कुछ हो। नीहा सिर्फ मेरी पुरानी दोस्त है, और कोई खतरा नहीं है।” लेकिन संकट यहीं खत्म नहीं हुआ। उसी समय, विकास के ऑफिस में एक बड़ा प्रोजेक्ट था जिसमें गलतफहमी और दबाव की वजह से वह गलती कर बैठा। कंपनी ने उसे सस्पेंड कर दिया। विकास बेहद टूट गया और अनामिका ने उसका सहारा बनने का फैसला किया। उसने विकास को सहलाते हुए कहा, “हमने पहले भी हर कठिनाई का सामना किया है। तुम अकेले नहीं हो। हम साथ हैं।” फिर कहानी में एक रोमांटिक मोड़ आया। अनामिका ने एक सरप्राइज प्लान किया—पुराने कॉलेज वाले कैम्पस की वही जगह जहाँ उन्होंने पहली बार अपनी दोस्ती की शुरुआत की थी। वहाँ पहुँचते ही उसने विकास के सामने कहा, “याद है, जब हम पहली बार यहाँ आए थे, हमने वादा किया था कि हम हमेशा साथ रहेंगे? मैं आज वही वादा दोबारा करना चाहती हूँ।” विकास ने उसकी आँखों में देखकर कहा, “और मैं आज फिर से वादा करता हूँ कि चाहे कोई भी मुश्किल आए, चाहे समय कितना भी बदल जाए, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा।” दोनों ने हाथ थाम कर आसमान की ओर देखा और महसूस किया कि उनकी जिंदगी में उतार-चढ़ाव कितने भी आएँ, उनका प्यार और विश्वास अडिग था। कहानी का संदेश यह था कि सच्चा प्यार केवल रोमांस नहीं, बल्कि विश्वास, समर्पण और एक-दूसरे के साथ हर चुनौती का सामना करना है।

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“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 5” कुछ सालों बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी अब स्थिर और खुशहाल लग रही थी। बच्चों की पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी, और घर में प्यार और समझदारी का माहौल था। लेकिन एक दिन अचानक अनामिका को एक पुराना पत्र मिला। यह पत्र उसकी कॉलेज की दोस्त नीहा से आया था। नीहा ने लिखा कि वह अब विदेश में शादी कर रही है और वह विकास और अनामिका को एक खास मौका देना चाहती है। पत्र में लिखा था कि उसने अनामिका की पेंटिंग्स से प्रेरित होकर एक इंटरनेशनल आर्ट गैलरी खोलने का विचार किया है और वह अनामिका को अपना विशेष अतिथि बनाना चाहती है। अनामिका ने विकास को पत्र दिखाया। विकास ने मुस्कुराते हुए कहा, “देखो, तुम्हारी कला और मेहनत ने तुम्हें इतना बड़ा मौका दिलाया है। मैं तुम्हारे साथ चलूँगा।” गैलरी का उद्घाटन दिन आया। अनामिका ने अपने पेंटिंग्स प्रदर्शित किए और हर कोई उनकी तारीफ कर रहा था। विकास ने उसके हाथ में हाथ डालकर कहा, “तुम हमेशा चमकती रहो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।” इसी बीच, बच्चों ने चुपचाप एक सरप्राइज प्लान किया। उन्होंने पिताजी और माँ के लिए एक वीडियो तैयार किया जिसमें उनके छोटे-छोटे प्यारे पल, उनके संघर्ष और खुशियाँ दिख रही थीं। जब विकास और अनामिका ने वह वीडियो देखा, दोनों की आँखों में आँसू आ गए। रात में, गैलरी की छत पर दोनों अकेले बैठे और आसमान की तरफ देखकर अनामिका ने कहा, “विकास, हमारी जिंदगी में हर तूफान आया, लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी। हमारे प्यार ने हर चुनौती को पार किया।” विकास ने धीरे से कहा, “अनामिका, तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नहीं हूँ। तुम मेरी ताकत, मेरी प्रेरणा और मेरी जिंदगी हो।” फिर, बच्चों और दोस्तों के सामने, विकास ने अनामिका को अपने हाथों में हाथ देकर कहा, “क्या तुम मेरे साथ जीवन भर के लिए फिर से यह वादा दोहराओगी—हर मुश्किल, हर खुशी, हर पल साथ रहने का?” अनामिका ने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, विकास। हमेशा। हम साथ हैं, और हमेशा रहेंगे।” और इस तरह, विकास और अनामिका की कहानी ने साबित किया कि प्यार, विश्वास और साथ की ताकत से हर मुश्किल आसान हो जाती है, और जिंदगी की असली खूबसूरती छोटे-छोटे पलों और साथ बिताए समय में ही है।

Raju kumar Chaudhary

“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 4” कुछ सालों बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से व्यवस्थित लग रही थी। उनके बच्चे अब किशोरावस्था में थे और घर में खुशियों का माहौल था। लेकिन एक दिन अचानक अनामिका के पिता की तबियत गंभीर हो गई। अनामिका की शादी के समय से ही उनके पिता ने कभी पूरी तरह उसके करियर और स्वतंत्र निर्णय को स्वीकार नहीं किया था। अब उनका इलाज बहुत महंगा था और विकास के ऑफिस में फिर से वित्तीय संकट आ गया। विकास और अनामिका ने मिलकर यह फैसला किया कि वे पिता की देखभाल और इलाज के लिए शहर छोड़ देंगे। बच्चों के स्कूल और परिवार को संभालना आसान नहीं था। इसी बीच, विकास के ऑफिस में एक प्रतियोगिता की घोषणा हुई। अगर विकास जीतता है तो उसे उच्च पद और वित्तीय सुरक्षा मिल सकती थी। लेकिन इसका मतलब था कि वह पूरे महीने घर से दूर रहे। अनामिका ने उसे रोकने के बजाय कहा, “विकास, यह तुम्हारे लिए एक अवसर है। मैं घर संभाल लूँगी, तुम्हें मौका लेना चाहिए। हम साथ हैं, याद है?” विकास ने अनामिका को देखा और उसकी आँखों में अपने प्यार और भरोसे को महसूस किया। उसने प्रतियोगिता में भाग लिया और कड़ी मेहनत के बाद जीत गया। वित्तीय संकट समाप्त हुआ। घर लौटने पर, अनामिका ने उसे सरप्राइज दिया। उसने घर सजाया, बच्चों के साथ स्वागत किया और खुद भी एक सुंदर पोशाक में इंतजार कर रही थी। विकास ने उसे देखा और कहा, “तुम्हारा हर कदम, तुम्हारा हर भरोसा और प्यार ही मेरी ताकत है। तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं।” अनामिका ने हँसते हुए कहा, “और तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं। हम दोनों मिलकर हर संकट को पार कर सकते हैं।” फिर, उस रात दोनों ने बच्चों को सोने के बाद पुरानी यादों और अपने प्यार के पल याद किए। विकास ने अनामिका के हाथों को पकड़ा और कहा, “हमारी जिंदगी में चाहे कितने भी तूफान आएँ, हम हमेशा साथ रहेंगे। यही सच्चा प्यार है।” और इस तरह, विकास और अनामिका ने साबित किया कि असली प्यार कठिनाइयों में झुकता नहीं, बल्कि और मजबूत होकर खिलता है।

Raju kumar Chaudhary

“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 2” विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से सामान्य हो रही थी। बच्चों की पढ़ाई, घर और कामकाज के बीच दोनों ने अपनी खुशियों को छोटे-छोटे पलों में ढूंढना शुरू किया। लेकिन जैसे ही सब कुछ ठीक लग रहा था, विकास के ऑफिस में अचानक एक नई परियोजना आई, जो उसकी पूरी ऊर्जा मांग रही थी। इस दौरान, अनामिका ने एक बड़ी पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लिया और उसका काम देश भर में सराहा गया। उसकी प्रसिद्धि बढ़ने लगी, और उसे अक्सर बाहर रहने के लिए बुलाया जाने लगा। विकास और अनामिका दोनों व्यस्त थे, और धीरे-धीरे उनकी जिंदगी फिर से उलझन में आ गई। एक दिन, विकास ने देखा कि अनामिका ने उसके जन्मदिन पर कोई संदेश नहीं भेजा। दिल टूट सा गया। “क्या मैं अब उसके जीवन में उतना अहम नहीं हूँ?” वह सोचने लगा। अनामिका भी अपने मन में यही सवाल कर रही थी। उसने सोचा, “विकास बहुत थका हुआ है, शायद वह मेरी खुशी में खुश नहीं है।” तभी कहानी में ट्विस्ट आया। विकास के ऑफिस में एक नई महिला कर्मचारी आई – स्नेहा। स्नेहा बहुत दोस्ताना और खुशमिजाज थी। विकास ने पहले तो सोचा कि वह सिर्फ मददगार है, लेकिन धीरे-धीरे उसके साथ अधिक समय बिताने लगा। अनामिका ने यह महसूस किया और अंदर से थोड़ा डरने लगी। उसने विकास से सीधे सवाल किया, “विकास, क्या हम कहीं खो रहे हैं?” विकास ने कुछ देर चुप रहकर कहा, “अनामिका, कभी-कभी मैं समझ नहीं पाता कि कैसे दोनों चीज़ें—काम और घर—साथ में निभाऊँ। लेकिन मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।” तभी अनामिका ने मुस्कुराते हुए कहा, “तो हम फिर से शुरुआत करते हैं। अपने प्यार को प्राथमिकता देंगे, चाहे कितना भी काम क्यों न हो।” दोनों ने तय किया कि रोज़ कम से कम आधा घंटा सिर्फ एक-दूसरे के लिए निकालेंगे। धीरे-धीरे, स्नेहा की मौजूदगी भी सिर्फ एक पेशेवर दोस्ती में बदल गई। कुछ महीने बाद, विकास ने अनामिका को सरप्राइज दिया। उसने उनके पुराने कॉलेज वाले पार्क में एक छोटे-से कैम्पिंग ट्रिप का इंतजाम किया। वहाँ, दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया और कहा, “हमारी जिंदगी में उतार-चढ़ाव आए, लेकिन हम हमेशा साथ रहे। यही असली प्यार है।” और इस तरह, विकास और अनामिका ने साबित किया कि सच्चा प्यार वही है जो मुश्किल समय में भी डगमगाए नहीं, बल्कि और मजबूत हो जाए। “साथ-साथ जीवन की राह – भाग 3” कुछ साल बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से स्थिर लग रही थी। बच्चों की पढ़ाई अच्छी चल रही थी, और दोनों ने अपनी-अपनी काम में संतुलन बना लिया था। लेकिन तभी अचानक एक बड़ा संकट आया। अनामिका की पुरानी दोस्त, नीहा, शहर में वापस आई। नीहा और अनामिका कॉलेज की दोस्त थीं, लेकिन विकास को नीहा के साथ अनामिका की दोस्ती कभी अच्छी नहीं लगी थी। नीहा ने अनामिका से मिलने के बहाने घर पर आए और धीरे-धीरे विकास के सामने उसके काम की तारीफ करने लगी। विकास ने यह देखा और पहली बार अंदर से असुरक्षित महसूस किया। उसने अनामिका से कहा, “अनामिका, मुझे डर है कि कहीं तुम्हारे पुराने दोस्त हमारी खुशियों में खलल न डाल दें।” अनामिका ने गंभीर होकर कहा, “विकास, मैं तुम्हारे लिए चुनी गई हूँ, और मेरे लिए तुम ही सब कुछ हो। नीहा सिर्फ मेरी पुरानी दोस्त है, और कोई खतरा नहीं है।” लेकिन संकट यहीं खत्म नहीं हुआ। उसी समय, विकास के ऑफिस में एक बड़ा प्रोजेक्ट था जिसमें गलतफहमी और दबाव की वजह से वह गलती कर बैठा। कंपनी ने उसे सस्पेंड कर दिया। विकास बेहद टूट गया और अनामिका ने उसका सहारा बनने का फैसला किया। उसने विकास को सहलाते हुए कहा, “हमने पहले भी हर कठिनाई का सामना किया है। तुम अकेले नहीं हो। हम साथ हैं।” फिर कहानी में एक रोमांटिक मोड़ आया। अनामिका ने एक सरप्राइज प्लान किया—पुराने कॉलेज वाले कैम्पस की वही जगह जहाँ उन्होंने पहली बार अपनी दोस्ती की शुरुआत की थी। वहाँ पहुँचते ही उसने विकास के सामने कहा, “याद है, जब हम पहली बार यहाँ आए थे, हमने वादा किया था कि हम हमेशा साथ रहेंगे? मैं आज वही वादा दोबारा करना चाहती हूँ।” विकास ने उसकी आँखों में देखकर कहा, “और मैं आज फिर से वादा करता हूँ कि चाहे कोई भी मुश्किल आए, चाहे समय कितना भी बदल जाए, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा।” दोनों ने हाथ थाम कर आसमान की ओर देखा और महसूस किया कि उनकी जिंदगी में उतार-चढ़ाव कितने भी आएँ, उनका प्यार और विश्वास अडिग था। कहानी का संदेश यह था कि सच्चा प्यार केवल रोमांस नहीं, बल्कि विश्वास, समर्पण और एक-दूसरे के साथ हर चुनौती का सामना करना है।“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 5” कुछ सालों बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी अब स्थिर और खुशहाल लग रही थी। बच्चों की पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी, और घर में प्यार और समझदारी का माहौल था। लेकिन एक दिन अचानक अनामिका को एक पुराना पत्र मिला। यह पत्र उसकी कॉलेज की दोस्त नीहा से आया था। नीहा ने लिखा कि वह अब विदेश में शादी कर रही है और वह विकास और अनामिका को एक खास मौका देना चाहती है। पत्र में लिखा था कि उसने अनामिका की पेंटिंग्स से प्रेरित होकर एक इंटरनेशनल आर्ट गैलरी खोलने का विचार किया है और वह अनामिका को अपना विशेष अतिथि बनाना चाहती है। अनामिका ने विकास को पत्र दिखाया। विकास ने मुस्कुराते हुए कहा, “देखो, तुम्हारी कला और मेहनत ने तुम्हें इतना बड़ा मौका दिलाया है। मैं तुम्हारे साथ चलूँगा।” गैलरी का उद्घाटन दिन आया। अनामिका ने अपने पेंटिंग्स प्रदर्शित किए और हर कोई उनकी तारीफ कर रहा था। विकास ने उसके हाथ में हाथ डालकर कहा, “तुम हमेशा चमकती रहो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।” इसी बीच, बच्चों ने चुपचाप एक सरप्राइज प्लान किया। उन्होंने पिताजी और माँ के लिए एक वीडियो तैयार किया जिसमें उनके छोटे-छोटे प्यारे पल, उनके संघर्ष और खुशियाँ दिख रही थीं। जब विकास और अनामिका ने वह वीडियो देखा, दोनों की आँखों में आँसू आ गए। रात में, गैलरी की छत पर दोनों अकेले बैठे और आसमान की तरफ देखकर अनामिका ने कहा, “विकास, हमारी जिंदगी में हर तूफान आया, लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी। हमारे प्यार ने हर चुनौती को पार किया।” विकास ने धीरे से कहा, “अनामिका, तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नहीं हूँ। तुम मेरी ताकत, मेरी प्रेरणा और मेरी जिंदगी हो।” फिर, बच्चों और दोस्तों के सामने, विकास ने अनामिका को अपने हाथों में हाथ देकर कहा, “क्या तुम मेरे साथ जीवन भर के लिए फिर से यह वादा दोहराओगी—हर मुश्किल, हर खुशी, हर पल साथ रहने का?” अनामिका ने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, विकास। हमेशा। हम साथ हैं, और हमेशा रहेंगे।” और इस तरह, विकास और अनामिका की कहानी ने साबित किया कि प्यार, विश्वास और साथ की ताकत से हर मुश्किल आसान हो जाती है, और जिंदगी की असली खूबसूरती छोटे-छोटे पलों और साथ बिताए समय में ही है“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 4” कुछ सालों बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से व्यवस्थित लग रही थी। उनके बच्चे अब किशोरावस्था में थे और घर में खुशियों का माहौल था। लेकिन एक दिन अचानक अनामिका के पिता की तबियत गंभीर हो गई। अनामिका की शादी के समय से ही उनके पिता ने कभी पूरी तरह उसके करियर और स्वतंत्र निर्णय को स्वीकार नहीं किया था। अब उनका इलाज बहुत महंगा था और विकास के ऑफिस में फिर से वित्तीय संकट आ गया। विकास और अनामिका ने मिलकर यह फैसला किया कि वे पिता की देखभाल और इलाज के लिए शहर छोड़ देंगे। बच्चों के स्कूल और परिवार को संभालना आसान नहीं था। इसी बीच, विकास के ऑफिस में एक प्रतियोगिता की घोषणा हुई। अगर विकास जीतता है तो उसे उच्च पद और वित्तीय सुरक्षा मिल सकती थी। लेकिन इसका मतलब था कि वह पूरे महीने घर से दूर रहे। अनामिका ने उसे रोकने के बजाय कहा, “विकास, यह तुम्हारे लिए एक अवसर है। मैं घर संभाल लूँगी, तुम्हें मौका लेना चाहिए। हम साथ हैं, याद है?” विकास ने अनामिका को देखा और उसकी आँखों में अपने प्यार और भरोसे को महसूस किया। उसने प्रतियोगिता में भाग लिया और कड़ी मेहनत के बाद जीत गया। वित्तीय संकट समाप्त हुआ। घर लौटने पर, अनामिका ने उसे सरप्राइज दिया। उसने घर सजाया, बच्चों के साथ स्वागत किया और खुद भी एक सुंदर पोशाक में इंतजार कर रही थी। विकास ने उसे देखा और कहा, “तुम्हारा हर कदम, तुम्हारा हर भरोसा और प्यार ही मेरी ताकत है। तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं।” अनामिका ने हँसते हुए कहा, “और तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं। हम दोनों मिलकर हर संकट को पार कर सकते हैं।” फिर, उस रात दोनों ने बच्चों को सोने के बाद पुरानी यादों और अपने प्यार के पल याद किए। विकास ने अनामिका के हाथों को पकड़ा और कहा, “हमारी जिंदगी में चाहे कितने भी तूफान आएँ, हम हमेशा साथ रहेंगे। यही सच्चा प्यार है।” और इस तरह, विकास और अनामिका ने साबित किया कि असली प्यार कठिनाइयों में झुकता नहीं, बल्कि और मजबूत होकर खिलता है।

kashish

Kass tu aye kisi rat yun hi apni yadon ki tarah .. Kass tu aye kisi rat is har taraf fyle andhere ki tarah .. Kass tu aye or cha jaye rochni Hi har jagah . Kass tu ayee kisi rat isi chamakte chand ki tarah .. Kass tu aye , aaa kar sine se lagale mujhko , meri ghutti sanson ko sahara de de , meri behnti ankhon ko kandha de de , Kass tu ayee kisi rat mere tadapte dil ko rahat ki tarah , Kass tu aye kisi rat is ghane badal ki tarah, in tamam bechainon me rahat ki tarah , kass tu ayee , Kass tu aye .. kisi raattt , yun hi apni yaadon ki tarah... _kashwii..

Biru Rajkumar

कविता: आत्मिक बदलाव शीर्षक: नए सवेर की ओर अंधेरों में जब खोई थी राह, मन के कोने में थी एक सुनी सदा। पर वक्त ने दिया नई सोच का एहसास, अभी भी है भीतर, एक नई शुरुआत का अहसास। बीते कल की पीड़ा, अब नहीं रोकती, हर अनुभव ने मुझे फिर से जोड़ा। अहंकार और डर को पीछे छोड़, मैं चल पड़ा, आत्मा की ओर। हर दिन नया, हर सोच नया, अतीत की परछाई को छोड़, मैंने पाया शांति का रास्ता, आत्मिक बदलाव—जीवन का सबसे प्यारा उपहार।

Raj Phulware

IshqKeAlfaaz हैरानी इस बात..

Dhamak

ફીક્ર કોઈની ચિંતા કરો તો, એને જરૂર કહેજો, મૌન રહેશો તો મનના દરવાજા બંધ થઈ જશે. ન કહેલા શબ્દો કદી કોઈ સાંભળતું નથી, અને એ શબ્દો જ અંતરમાં ભાર બની રહે છે. DHAMAK

Raju kumar Chaudhary

सरस्वती माता का गीत अंतरा 1: वाणी की देवी, ज्ञान की मूरत, सरस्वती माता, कर दो हम पर कृपा। पढ़ाई में लगे रहें, बुद्धि में वृद्धि हो, तेरे चरणों में हम समर्पित जीवन जीएँ। कोरस: जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती, ज्ञान की दाता, जग की रौशनी। जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती, वाणी और विद्या की तुम हो नायिका। अंतरा 2: साधक बनाकर करो जीवन सफल, अज्ञान के अंधकार को तुम दूर भगाओ। संगीत और कला में हमें निपुण बनाओ, माँ सरस्वती, हम सब पर अपनी कृपा बनाओ। कोरस: जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती, ज्ञान की दाता, जग की रौशनी। जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती, वाणी और विद्या की तुम हो नायिका। अंतरा 3: हाथ में वीणा, कमल पर विराज, सत्य और विद्या का करती प्रचार। भक्तों के संकट हर लो तू दूर, सरस्वती माता, कर दो जीवन सुंदर। कोरस: जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती, ज्ञान की दाता, जग की रौशनी। जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती, वाणी और विद्या की तुम हो नायिका।

Shivraj Bhokare

स्पर्धा नको कोणाशी , फक्त स्वतः ला सिद्ध करण्याची जिद्द असावी "

Manvi Chauhan

yaadein ❤️‍🩹 💭.... Kuch yaadein Tere mujhe hasati h..😊 Kuch yaadein Tere mujhe rulati hai.....😭 Mujhe Mere ache bure wkt me bs Tere hi yaad ati h...🫵❤️ Tu Mera hakikat tu hi mera ibbadat hai ❤️Tu bs Mera pyaar hi nhi Mera sara jahan Hai ✨🌍... Sach me yrr mujhe Tere bohot yaad aati..🥺💭... Saath to tu Mere abhi bhi hai..🫂 Par pehle ki trh tu pyaar dikhata nhi hai..❤️‍🩹 Tu karib ho ke bhi Ajnabi sa lgta hai❤️‍🩹🥀... Kya kasoor rkha tha mene tujhe hamare pyaar me..?💔 Tu Mera ho ke bhi Mera na hua .❤️‍🩹😭.. Shayad isi ka naam mohobbat Hai...❤️‍🩹 ✍️....... Manvi

Shivraj Bhokare

आजचा दिवस तुझाच आहे कधी कधी आपल्याला असं वाटतं की आयुष्य आपल्याविरोधात उभं आहे. लोक बोलतात, परिस्थिती बिघडते, आणि मन सांगतं — "नको रे, आज जमत नाही." पण खरं सांगू? आजचा दिवस कोण जिंकणार हे तुझ्या मनातल्या एका निर्णयावर अवलंबून आहे. तू स्वतःलाच एकदा तरी मनापासून विचार: "मी हार मानायला जन्मलोय का, की जिंकण्यासाठी?" जिंकणाऱ्यांचं एकच नियम असतो— ते थांबत नाहीत. ते पडले तरी उठतात. आणि उठल्यानंतर धावतात. कारण त्यांना माहित असतं… हार फक्त त्यालाच मिळते जो थांबतो. आणि विजय त्यालाच मिळतो जो प्रयत्न करत राहतो. आज तू छोटा प्रयत्न कर— एखादं पान वाच, एखादं स्वप्न लिहून ठेव, एखादं छोटं लक्ष्य गाठ… काहीही कर, पण रिकामा दिवस जाऊ देऊ नको. कारण हळूहळू केलेले छोटे बदलच मोठ्या जिंकांचा पाया बनतात. आणि लक्षात ठेव— तुझ्या आयुष्यातला सर्वात मजबूत व्यक्ती तूच आहेस. बाकी सगळे फक्त पाहुणे आहेत. आजचा दिवस तुझाच आहे… जा, जिंकून ये...

બદનામ રાજા

નબળો સમય શ્રેષ્ઠ પાત્રને પણ કલંકિત કરી નાખે છે,

Raju kumar Chaudhary

सरस्वती माता का गीत अंतरा 1: वाणी की देवी, ज्ञान की मूरत, सरस्वती माता, कर दो हम पर कृपा। पढ़ाई में लगे रहें, बुद्धि में वृद्धि हो, तेरे चरणों में हम समर्पित जीवन जीएँ। कोरस: जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती, ज्ञान की दाता, जग की रौशनी। जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती, वाणी और विद्या की तुम हो नायिका। अंतरा 2: साधक बनाकर करो जीवन सफल, अज्ञान के अंधकार को तुम दूर भगाओ। संगीत और कला में हमें निपुण बनाओ, माँ सरस्वती, हम सब पर अपनी कृपा बनाओ। कोरस: जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती, ज्ञान की दाता, जग की रौशनी। जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती, वाणी और विद्या की तुम हो नायिका। अंतरा 3: हाथ में वीणा, कमल पर विराज, सत्य और विद्या का करती प्रचार। भक्तों के संकट हर लो तू दूर, सरस्वती माता, कर दो जीवन सुंदर। कोरस: जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती, ज्ञान की दाता, जग की रौशनी। जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती, वाणी और विद्या की तुम हो नायिका।

Raju kumar Chaudhary

सरस्वती माता का गीत अंतरा 1: वाणी की देवी, ज्ञान की मूरत, सरस्वती माता, कर दो हम पर कृपा। पढ़ाई में लगे रहें, बुद्धि में वृद्धि हो, तेरे चरणों में हम समर्पित जीवन जीएँ। कोरस: जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती, ज्ञान की दाता, जग की रौशनी। जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती, वाणी और विद्या की तुम हो नायिका। अंतरा 2: साधक बनाकर करो जीवन सफल, अज्ञान के अंधकार को तुम दूर भगाओ। संगीत और कला में हमें निपुण बनाओ, माँ सरस्वती, हम सब पर अपनी कृपा बनाओ। कोरस: जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती, ज्ञान की दाता, जग की रौशनी। जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती, वाणी और विद्या की तुम हो नायिका। अंतरा 3: हाथ में वीणा, कमल पर विराज, सत्य और विद्या का करती प्रचार। भक्तों के संकट हर लो तू दूर, सरस्वती माता, कर दो जीवन सुंदर। कोरस: जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती, ज्ञान की दाता, जग की रौशनी। जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती, वाणी और विद्या की तुम हो नायिका।

kattupaya s

Goodnight friends sweet dreams

Awantika Palewale

માણસની ફિતરતમાં ફેરફાર આવ્યા. ક્યાં રહી એ સાદગી, ક્યાં એ વફાદારી રહી? દરેક નકશાઓમાં આજે તકરાર આવ્યા. જે કહેતા હતા કે હું છું સદા તારો જ , સંજોગો બદલાતાં એમાં અણગમાના સાર આવ્યા. સમયની સાથે ઉતાર-ચઢાવ આવ્યા... હવે તો લાગણીઓ પણ સ્વાર્થનું રૂપ લે છે, દિલના દરવાજા પર પણ હવે વેપાર આવ્યા. સમયની સાથે ઉતાર-ચઢાવ આવ્યા... નથી કોઈ ઓળખ હવે સંબંધોની ભીડમાં, મોઢા પર હાસ્ય ને દિલમાં અસહકાર આવ્યા. સમયની સાથે ઉતાર-ચઢાવ આવ્યા... ‘ વેદનાં શું કરે હવે આ દુનિયાની વાત? નજરોમાં હતાં જે પ્રેમ, એમાં જ અંધકાર આવ્યા. સમયની સાથે ઉતાર-ચઢાવ આવ્યા...

Soni shakya

लिखे थे कई खत मोहब्बत के, मैंने तेरे नाम ..! कुछ लफ्ज़ पहुंचाना चाहते थे , दिल की धड़कन बनकर तुझ तक..!! पर किस्मत की हवाओं ने रास्ते ही बदल दिये, वो 'लफ्ज़' तेरे दिल की दहलीज पर पहुंचने से पहले ही कहीं खो गए..!!! - Soni shakya

Deepak Bundela Arymoulik

"ईमानदार आईना" मनुष्य ने आईना बनाया, फिर फ़िल्टर अपनाने लगा, क्योंकि आईना सच बोलता था, और सच उसे चुभने लगा। आईने में थी हर सिलवट, हर झूठ की परत उतरती थी, फ़िल्टर में बस मुस्कान सजती, ख़ामोशियाँ नहीं झलकती थीं। आईना पूछता रहा रोज़ "तू असल में क्या बन पाया?” फ़िल्टर बोला“दिखना ही काफ़ी है, होना अब ज़रूरी कहाँ रहा?” चेहरे चमके, आत्मा धुँधली, नज़रें झूठ पर टिक गईं, आईने टूटे घर-आँगन में, फ़िल्टरों में ज़िंदगियाँ बिक गईं। काश कोई दिन ऐसा आए, जब सच फिर प्यारा हो जाए, फ़िल्टर थमें, आईना बोले और इंसान खुद से मिल जाए। आर्यमौलिक

Sonalpatadia darpan

ભગવત ગીતા એક એવું પુસ્તક છે, જેના માધ્યમથી શ્રીકૃષ્ણ વાંચનાર સાથે વાત કરે છે.

Nirbhay Shukla

Writer Nirbhay Shukla "न तू ज़मीं के लिए है, न आसमान के लिए है… जो जहाँ है, वो सिर्फ़ तेरे लिए है, पर तू बना ही नहीं इस जहाँ के लिए…" 💓

Thakor Pushpaben Sorabji

જય શ્રી કૃષ્ણ  હતો દ્વાપર યુગ ને   માગશર સુદ અગિયારસ, કુરુક્ષેત્રની ભૂમિ પર આજ દિ' એ ભગવાન કૃષ્ણ થકી ઉપદેશ મળ્યો અર્જુનને!.... કૃષ્ણ અને અર્જુન વચ્ચેનો સંવાદ જે ઉજવાય છે "ગીતા જયંતી" તરીકે!..… ૧૮અધ્યાય ને ૭૦૦ શ્લોક છે ગીતામાં પ્રથમ છ અધ્યાય કર્મ યોગના પછીના, છ અધ્યાય જ્ઞાન યોગને,છ ભક્તિ યોગના જો!.... અજ્ઞાન,દુઃખ,કામ,ક્રોધ અને મોહ ત્યજી મુક્તિનો માર્ગ બતાવે છે ગીતા!..…... જય શ્રી કૃષ્ણ: ગીતા જયંતીની શુભકામના

Nirbhay Shukla

Writer Nirbhay Shukla कुछ मौसम लौट आते हैं सिर्फ यह देखने कि दरवाज़ा अब भी उसी तरफ खुलता है।तेरे चुने फूलों की पंखुड़ियाँ मेरी डायरी में आज भी तारीख़ें बनकर गिरती हैं।अक्टूबर समझाता है हर साल कि यादें भी रुतों की तरह अपनी बारी से आती हैं।अधूरा मैं, अधूरा तू— मिलें तो पूरा, वरना इंतज़ार की ही परिभाषा हैं

Nirbhay Shukla

Writer Nirbhay Shukla

Nirbhay Shukla

कुछ तो है.....

Nirbhay Shukla

@nirbhay_shukla_

Yogi Krishnadev Nath

জীবনে প্রথম যেদিন জানতে পারলাম আমার ডায়াবেটিস হয়েছে, সেদিন যেন আকাশটাই মাথার ওপর ভেঙে পড়ল। ডাক্তারের কথা আজও কানে বাজে - “এটা কখনো ভালো হয় না। সারাজীবন ওষুধ খেতে হবে।” শুরু হলো দুঃস্বপ্নের জীবন। ওষুধের প্রভাবে মাঝেমধ্যেই হঠাৎ সুগার নেমে যেত; শরীর কাঁপতে শুরু করত, চোখে অন্ধকার নামত, মনে হতো এখনই বুঝি সব শেষ....! শরীরে শক্তি কিছুই নেই, কিন্তু ওজন বেড়েই চলেছে। হার্ট, লিভার, কিডনি, সবকিছুই যেন আমার থেকে দূরে সরে যাচ্ছিল। নিজেকে প্রশ্ন করতাম - এটাই কি জীবন, নাকি অভিশাপ ? এরপর একদিন আমার জীবনে প্রবেশ করলেন স্বামী আত্মজ্ঞানানন্দ মহারাজ। তিনি আমাকে থামিয়ে দিলেন। তিনি বললেন - “এটা রোগ না। এটা তোমার শরীরকে ভুল পথে চালানোর ফল। পথ ঠিক করো; শরীর নিজেই ঠিক হয়ে যাবে।” আমি তাঁর নির্দেশনা অনুসরণ করে জীবনকে নতুনভাবে শুরু করলাম। মাত্র ১৬ দিনে আমার সুগারের ওষুধ বন্ধ হয়ে গেল। এক মাসে ১৬ কেজি ওজন কমে গেল। তিন মাসে ২২ কেজি ওজন কমার পর, ৩০ বছর ধরে খেতে থাকা হাই প্রেশারের ওষুধটাও বন্ধ হয়ে গেল। তারপর যেন একটি নতুন জীবন ফিরে পেলাম। পরপর তিনবার HbA1c নরমাল; এখন মিষ্টি খেলেও সুগার বাড়ে না। একদিন বুঝতে পারলাম - ডায়াবেটিস আমার শরীর থেকে বিদায় নিয়েছে। এই সবকিছুই আমাকে শিখিয়েছে একটাই কথা - ডায়াবেটিস কোনো আজীবনের রোগ নয়। এটা বিপাকীয় অসামঞ্জস্য। যখন ইনসুলিন বেড়ে যায়, কোষ তাকে আর মানে না; তখনই সুগার বাড়ে। এই চক্র ভাঙলে শরীর নিজেই ঠিক হয়ে যায়। স্বামী আত্মজ্ঞানানন্দ মহারাজের দেখানো পথের অভিজ্ঞতা থেকেই লিখেছি ডায়াবেটিস থেকে মুক্তির উপায় “মিষ্টি নামের তিক্ত রোগ”। আমি এই বইটিতে শুধু সুগার ঠিক করার উপায় বলিনি, বলেছি - কিভাবে আপনার শরীরের অভ্যন্তরীণ বুদ্ধিমত্তাকে আবার সক্রিয় করবেন। কিভাবে লিভার, কিডনি, হার্ট, সবকিছুকে আবার নিজের পক্ষে কাজ করাবেন। শুধু ডায়াবেটিস নয়, যে কোনো মেটাবলিক রোগ থেকে মুক্ত থাকার লাইফস্টাইল এখানে রয়েছে। এই বইকে নিছক “বই” ভাববেন না। এটি একটি জীবনদর্শন, একটি যাত্রা, একজন সাইলেন্ট কোচ হিসেবে ব্যবহার করুন। যদি কোনোদিন কেউ আমাকে জিজ্ঞেস করে - “আপনি কিভাবে ডায়াবেটিস থেকে মুক্ত হলেন ?” আমি শুধু বলবো, এটা কোনো জাদু নয়। এটা নিজের শরীরকে আবার নিজের ঘরে ফিরিয়ে আনার একটি প্রাকৃতিক পথ। https://amzn.in/d/fje48S6

Vedanta Two Agyat Agyani

उपाय से उधार — और धर्म का पाखंड ✧ ✧ शुरुआत कैसी हुई? मनुष्य सीधा, सरल, सच्चा था दुख आया — उसने किसी जाग्रत व्यक्ति के पास गया गुरु ने एक विशेष उपाय दिया उस व्यक्ति के कर्म–ऊर्जा के अनुसार उस क्षण की जरूरत के अनुसार यह उपाय = एक वचन था ❌ नियम नहीं ❌ परंपरा नहीं > एक खास रोग → एक खास दवा सभी रोगों की दवा नहीं और क्योंकि गुरु सत्य-ऊर्जा में था 👉 उसका वचन काम कर गया 👉 समस्या का समाधान हो गया --- ✧ समस्या कब शुरू हुई? दूसरे लोगों ने यह देखा और सोच लिया 👇 > “यह उपाय सबके लिए है” “अगर उसने किया और ठीक हो गया, तो हम भी करेंगे” बस! यहीं से कर्म-काण्ड पैदा हुआ। > विशेष उपाय → सार्वभौमिक नियम यही धर्म का विकृति-बिंदु है। --- ✧ फिर व्यापार शुरू पंडित ने कहा → “यही नियम है” समाज ने कहा → “यही धर्म है” किताबों में लिखने वालों ने कहा → “यही शास्त्र है” दुकानदारों ने कहा → “यही सेवा है” और ऊर्जा गुम हो गई सिर्फ दिखावा बचा। > जहां जागृति थी → वहां रिवाज़ बन गया जहां प्रेम था → वहां डर आ गया जहां सुयोग था → वहां बाध्यता आ गई --- ✧ असली बात — तुम्हारी भाषा में > उस क्षण का उपाय जब नियम बन जाए — वही अंधविश्वास है। > जहाँ दुआ थी वहाँ धंधा हो गया। > जहाँ सुयोग था वहाँ पकड़ बन गई। --- ✧ पाखंड का जन्म आज लोग साँप की लकीर पर चल रहे हैं बिना समझे बिना अनुभव किए > वह उपाय जिसने एक को बचाया दूसरे के लिए जहर बन सकता है। --- ✧ अंतिम सत्य > धर्म का जन्म अनुभव से होता है, पाखंड का जन्म नकल से। > धर्म बदलता है — समय के साथ। ❖ सार-संदेश पहले वचन था: एक गुरु, एक व्यक्ति, एक दुख, एक समाधान। ऊर्जा थी — दुआ थी — सुयोग था। लेकिन दूसरे ने नकल कर ली — उपाय उधार हो गया। जो केवल एक का सत्य था वह सभी के लिए नियम बना दिया गया। यही वह पल है जब अनुभव परंपरा बन जाता है और धर्म पाखंड। --- ❖ निष्कर्ष > जहाँ सत्य एक क्षण के लिए था वहीं झूठ हमेशा के लिए बना दिया गया। > यही धर्म का पतन है। यही पाखंड का जन्म है। पाखंड जम जाता है — पत्थर की तरह। 𝕍𝕖𝕕ā𝕟𝕥𝕒 𝕊𝕒𝕙𝕚𝕥𝕪𝕒 — 𝕃𝕚𝕥𝕖𝕣𝕒𝕥𝕦𝕣𝕖 𝕠𝕗 𝕃𝕚𝕧𝕚𝕟𝕘 𝕎𝕚𝕤𝕕𝕠𝕞 (वेदान्त साहित्य — जीवंत ज्ञान का साहित्य) 𝕍𝕖𝕕ā𝕟𝕥𝕒 𝟚.𝟘 © 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

Kaamini

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રોનક જોષી. રાહગીર

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Aruna N Oza

🙏🩷🙏

Chaitanya Joshi

શબ્દોને સંભારી લખું. વાત મારી કે તારી લખું. છે દાવાનળ દિલ દ્વારે, અગન ઉરની ઠારી લખું. થોડું થોડું રોજ નૈ ફાવે , કહાની એકધારી લખું. ભાત ભીતર છાપી ઘણી, હવે તો બસ કિનારી લખું. ઓડકાર ભૂખ્યા પેટે છે, તો શું પાનસોપારી લખું? બધે બધું નથી કહેવાનું, એથી જ છટકબારી લખું. સાવ લૂલા શબ્દો બધા, કેટલું મઠારી મઠારી લખું? -ચૈતન્ય જોષી "દીપક" પોરબંદર.

Kaamini

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Imaran

इश्क़ ने हमें बेनाम कर दिया , हर ख़ुशी से हमे अंजान कर दिया, हमने तो कभी नहीं चाहा कि हमें भी मोहब्बत हो, लेकिन आपकी एक नज़र ने हमें नीलाम कर दिया 👁️ imran 👁️

Aaliya khan

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Nensi Vithalani

बीते साल की छुपी हुई सीखें🍃 आ गया साल का आख़िरी महीना, साथ में यादों का अनगिन ख़ज़ाना ले आया। दिसम्बर की ठंड ने छूकर यूँ याद दिलाई, किसी अपने की कमी फिर दिल में गहरा उतर आया। पर शुक्रगुज़ार हूँ मैं इस बीते हुए साल की राहों का, बहुत कुछ छीनकर, बहुत कुछ देकर— ये मुझे फिर से मज़बूत बनाकर जा रहा है फ़सानों का। इस मतलबी दुनिया के लोगों से संभलकर रहना— ये सबक भी चुपके से सिखा के जा रहा है ज़माना। ठंडी हवा में कुछ अधूरे किस्से फिर महके, बुझी उम्मीदों में भी हल्की-सी रौशनी बहके। जो ना मिला—वो दर्द बनकर भी साथ खड़ा रहा, जो मिल गया—वो एहसास बनकर दिल को थामे रहा। और जाते-जाते उस साल ने चुपके से इतना सिखा दिया… कि कैसे टूटकर भी मुस्कुराया जाता है, और कैसे खोकर भी ख़ुद को पाया जाता है। ये दिसंबर भी दिल को कुछ यूँ छू गया— थोड़ा तोड़ गया, थोड़ा जोड़ गया, और कहीं भीतर… मुझे नया बना गया।

kashish

Mai khud se hu khafa , uska kusur tha kuch nahi .. Vo barishon ki bat nahi , meri pehli mohobbat thi.. Vo ek tha hajaron me , vo tha hi nahi kabhi ajnabii ... Vo uss chand si haseen , vo mere raab ki dii koi neymat thi .. Vo meri pehli mohabbat thii.. Vo khud hi ek karishma tha , use kya ho koi izad karta , Vo mere nekiyon ka makafat-e-amal , vo meri pehli mohabbat thi.. Vo agg ka koi dariya tha jisme dub ke jana tha , mai dub gaya ab usme to phir uska kya kusur , Vo pak daman si bekusur meri pehli mohabbat thi.. Vo meri pehli mohabbat thi ... _kashwii...

Yogi Krishnadev Nath

অজ্ঞাত কারণে এই প্ল্যাটফর্মে আমার ধারাবাহিক লেখাগুলো এখন প্রকাশ করা হচ্ছে না। অথচ এই প্ল্যাটফর্মের অসংখ্য সম্মানিত পাঠক আমার "মিষ্টি নামের তিক্ত রোগ" ধারাবাহিকটির জন্য অপেক্ষা করে থাকেন। এই অপারগতার দায়ভার আমার না, এটা সম্পূর্ণভাবেই মাত্রুভারতি কর্তৃপক্ষের। সম্মানিত পাঠকদের অনুরোধ করছি অনলাইন থেকে আমার এই বইটি সংগ্রহ করে নেয়ার জন্য। কারণ এই বইয়ে মধ্যে দেওয়া গাইডলাইন ফলো করে চললে কিছুদিনের মধ্যেই আপনার সুগারের ওষুধ বন্ধ হয়ে যাবে। হয়তো এজন্যই আমার এই লেখাটিকে এখন ব্ল্যাক লিস্টেড করে রাখা হয়েছে। https://notionpress.com/in/read/mishti-naam-er-tikto-rog?utm_source=share_publish_email&utm_medium=whatsapp

Parmar Mayur

કર્મ ભગવદ્ ગીતાનો મુખ્ય સાર રહ્યો છે. માણસ તેના નામથી ફક્ત ઓળખાય છે જ્યારે કર્મથી ઓળખાઇ જતાં હોય છે. કર્મના રહ્યા બે પાસાં. એક સારું કર્મ અને એક નિમ્ન અથવા દુષ્ટ કર્મ. માણસની કર્મના આ બે પાસામાં જેની પસંદગી કરે છે તે મુજબ તેનાં વ્યકિતત્વ ની સાચી ઓળખ છતી થઇ જતી હોય છે. ઈશ્વરનું ખુશી પૂર્વકનું સાનિધ્ય પામવા કર્મ ખુબજ અગત્યનો ભાગ ભજવી શકે છે. જેને પોતાના સારા કર્મો થકી દરેક જીવને સુખ, શાંતિ કે સંતોષ આપવા પ્રયત્ન કર્યો છે કે પ્રયત્નશીલ રહ્યો છે. આ સારાં કર્મથી ભલે કોઈ વિરોધી કે હિતશત્રુઓ ઇર્ષા થી દુઃખી રહે. ઈશ્વર તેમજ જે જીવને શાંતિ મળી છે તેને મળેલો હાશકારો! હૃદયને એક અલગ જ આનંદ અને તૃપ્તિ આપે છે. આ આનંદ અને તૃપ્તિ જગતના દરેક સુખ વૈભવ કરતાં કંઈક અલગ જ અહેસાસ આપે છે.

Payal Author

“तुम पास रहो या दूर, फर्क नहीं पड़ता… मेरी धड़कन तुमसे ही शुरू होती है।” 💞

Abha Dave

गीता जयंती की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏💐💐 गीता ------------- गीता में छुपा हुआ है सब ज्ञान संसार का खोल देती है अंतरपट आचार और विचार का बचपन से बुढ़ापे तक की खूबसूरत साथी है ये गूढ़ अर्थ छुपा हुआ है इसमें संसार के सार का । गीता का ज्ञान --------------------- श्रीकृष्ण दे गए गीता का ज्ञान नहीं है कोई भी उससे अनजान गीता का सार सिखाता है जीना पर सीख नही पाए, रहे अज्ञान । कलयुग में अब भी कई दुर्योधन हैं खड़े अब कोई कृष्ण नही जो उससे आकर लड़े समाज में फैल रही हैं कई विसंगतियां पर सब अपने ही सुख-दुख में घिरे पड़े। गीता की महिमा का मर्म जो समझे सभी आज सफल हो जाए जीवन सभी का सफल हो काज अनोखा गूढ़ रहस्य है इसमें सदियों से छुपा हुआ समझ जो गये वही बजायें सुख का अनमोल साज । आभा दवे मुंबई

Raju kumar Chaudhary

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Imagine cruising through life with clear, effortless vision 💫 Advanced LASIK at Netram Eye Foundation makes it possible! From faster recovery to long-lasting clarity — your eyes deserve the best care. ✨ Free LASIK Consultation ✨ Treatments starting at just ₹10,000 ✨ Performed by experienced eye surgeons ✨ State-of-the-art technology for precise results Your clear future starts today. 👁️❤️ 📞 Call: 011-41046655 🌐 www.netrameyefoundation.com 📍 E-98, GK-2, New Delhi #NetramEyeFoundation #TouchlessLASIK #AdvancedLASIK #ClearVision #DelhiEyeHospital #EyeCareDelhi #VisionFreedom #SpecsRemoval #EyeHealth #LaserVisionCorrection #BestEyeHospitalDelhi #SeeClearly #HealthyEyes #EyeCareSpecialists #dranchalgupta #fastestsurgeon

Soni shakya

तेरे पास आते ही खुद को भूल जाती हूं ..! तेरी सांसे छू जाए तो पूरी पिघल जाती हुं ..!! - Soni shakya

Yashvi

શીર્ષક: મૌન આંસુઓની ભાષા છે મૌન, વળી લાગણીઓનો વરસાદ છે મૌન, વિચારોની અતિશયોક્તિ છે મૌન, વળી ધ્યાનની અવસ્થા છે મૌન, દાર્શનિક વિચારોનો મેળો છે મૌન, વળી મૂર્ખતાનો ઘડો છે મૌન, આનંદની પ્રાપ્તિ છે મૌન, વળી વિષાદની સીમા છે મૌન, શાંત સરોવર છે મૌન, વળી ચંચળ નદી છે મૌન, સાગર સમ ઊંડું છે મૌન, વળી ખાબોચિયા સમ છીછરું છે મૌન, વણકહ્યા પ્રશ્નોનો ઉત્તર છે મૌન, વળી પ્રશ્નોનો જમાવડો છે મૌન, સમજણનો સમાગમ છે મૌન, વળી ગેરસમજનો દરવાજો છે મૌન, સહજતાનું પ્રતીક છે મૌન, વળી જટિલ સંવાદ છે મૌન, ઊંચેરી ઉડાન છે મૌન, વળી વાસ્તવિક ચાલ છે મૌન અંતરમનનાં આટાપાટા - Yashvi

kashish

Agar mai waqt rok pata .. Na jata tu dur kabhi mere pass hi har dam reh jata , agar mai waqt rok pata .. Teri ankho me uljhi meri najren , pura jaha vahi pe tham jata , agar mai waqt rok pata .. Ye tamam bechainiyan , ye udasiyon ka sabab , Ye sab kuch ek pal me mitt jata , agar mai waqt rok pata .. Na jata mai kabhi apne ghar ko chod , mai isi kamre me umar gujar deta , agar mai waqt rok pata .. Mere anshu bhi tham jate , ham tere gale se ulajh jate , Dil kitna khushi se bhar jata , agar mai waqt rok pata .. _ kashwii...

kashish

vo mere sath bhi raha , vo mere khilaaf bhi raha .. umar bhar mai jiska talabgar hi raha.. - kashwii..

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