Gujarati Whatsapp Status |
Hindi Whatsapp Status
Raju kumar Chaudhary
“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 2”
विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से सामान्य हो रही थी। बच्चों की पढ़ाई, घर और कामकाज के बीच दोनों ने अपनी खुशियों को छोटे-छोटे पलों में ढूंढना शुरू किया। लेकिन जैसे ही सब कुछ ठीक लग रहा था, विकास के ऑफिस में अचानक एक नई परियोजना आई, जो उसकी पूरी ऊर्जा मांग रही थी।
इस दौरान, अनामिका ने एक बड़ी पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लिया और उसका काम देश भर में सराहा गया। उसकी प्रसिद्धि बढ़ने लगी, और उसे अक्सर बाहर रहने के लिए बुलाया जाने लगा।
विकास और अनामिका दोनों व्यस्त थे, और धीरे-धीरे उनकी जिंदगी फिर से उलझन में आ गई। एक दिन, विकास ने देखा कि अनामिका ने उसके जन्मदिन पर कोई संदेश नहीं भेजा। दिल टूट सा गया।
“क्या मैं अब उसके जीवन में उतना अहम नहीं हूँ?” वह सोचने लगा।
अनामिका भी अपने मन में यही सवाल कर रही थी। उसने सोचा, “विकास बहुत थका हुआ है, शायद वह मेरी खुशी में खुश नहीं है।”
तभी कहानी में ट्विस्ट आया। विकास के ऑफिस में एक नई महिला कर्मचारी आई – स्नेहा। स्नेहा बहुत दोस्ताना और खुशमिजाज थी। विकास ने पहले तो सोचा कि वह सिर्फ मददगार है, लेकिन धीरे-धीरे उसके साथ अधिक समय बिताने लगा।
अनामिका ने यह महसूस किया और अंदर से थोड़ा डरने लगी। उसने विकास से सीधे सवाल किया,
“विकास, क्या हम कहीं खो रहे हैं?”
विकास ने कुछ देर चुप रहकर कहा,
“अनामिका, कभी-कभी मैं समझ नहीं पाता कि कैसे दोनों चीज़ें—काम और घर—साथ में निभाऊँ। लेकिन मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।”
तभी अनामिका ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तो हम फिर से शुरुआत करते हैं। अपने प्यार को प्राथमिकता देंगे, चाहे कितना भी काम क्यों न हो।”
दोनों ने तय किया कि रोज़ कम से कम आधा घंटा सिर्फ एक-दूसरे के लिए निकालेंगे। धीरे-धीरे, स्नेहा की मौजूदगी भी सिर्फ एक पेशेवर दोस्ती में बदल गई।
कुछ महीने बाद, विकास ने अनामिका को सरप्राइज दिया। उसने उनके पुराने कॉलेज वाले पार्क में एक छोटे-से कैम्पिंग ट्रिप का इंतजाम किया। वहाँ, दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया और कहा,
“हमारी जिंदगी में उतार-चढ़ाव आए, लेकिन हम हमेशा साथ रहे। यही असली प्यार है।”
और इस तरह, विकास और अनामिका ने साबित किया कि सच्चा प्यार वही है जो मुश्किल समय में भी डगमगाए नहीं, बल्कि और मजबूत हो जाए।
“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 3”
कुछ साल बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से स्थिर लग रही थी। बच्चों की पढ़ाई अच्छी चल रही थी, और दोनों ने अपनी-अपनी काम में संतुलन बना लिया था। लेकिन तभी अचानक एक बड़ा संकट आया।
अनामिका की पुरानी दोस्त, नीहा, शहर में वापस आई। नीहा और अनामिका कॉलेज की दोस्त थीं, लेकिन विकास को नीहा के साथ अनामिका की दोस्ती कभी अच्छी नहीं लगी थी। नीहा ने अनामिका से मिलने के बहाने घर पर आए और धीरे-धीरे विकास के सामने उसके काम की तारीफ करने लगी।
विकास ने यह देखा और पहली बार अंदर से असुरक्षित महसूस किया। उसने अनामिका से कहा,
“अनामिका, मुझे डर है कि कहीं तुम्हारे पुराने दोस्त हमारी खुशियों में खलल न डाल दें।”
अनामिका ने गंभीर होकर कहा,
“विकास, मैं तुम्हारे लिए चुनी गई हूँ, और मेरे लिए तुम ही सब कुछ हो। नीहा सिर्फ मेरी पुरानी दोस्त है, और कोई खतरा नहीं है।”
लेकिन संकट यहीं खत्म नहीं हुआ। उसी समय, विकास के ऑफिस में एक बड़ा प्रोजेक्ट था जिसमें गलतफहमी और दबाव की वजह से वह गलती कर बैठा। कंपनी ने उसे सस्पेंड कर दिया। विकास बेहद टूट गया और अनामिका ने उसका सहारा बनने का फैसला किया।
उसने विकास को सहलाते हुए कहा,
“हमने पहले भी हर कठिनाई का सामना किया है। तुम अकेले नहीं हो। हम साथ हैं।”
फिर कहानी में एक रोमांटिक मोड़ आया। अनामिका ने एक सरप्राइज प्लान किया—पुराने कॉलेज वाले कैम्पस की वही जगह जहाँ उन्होंने पहली बार अपनी दोस्ती की शुरुआत की थी। वहाँ पहुँचते ही उसने विकास के सामने कहा,
“याद है, जब हम पहली बार यहाँ आए थे, हमने वादा किया था कि हम हमेशा साथ रहेंगे? मैं आज वही वादा दोबारा करना चाहती हूँ।”
विकास ने उसकी आँखों में देखकर कहा,
“और मैं आज फिर से वादा करता हूँ कि चाहे कोई भी मुश्किल आए, चाहे समय कितना भी बदल जाए, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा।”
दोनों ने हाथ थाम कर आसमान की ओर देखा और महसूस किया कि उनकी जिंदगी में उतार-चढ़ाव कितने भी आएँ, उनका प्यार और विश्वास अडिग था।
कहानी का संदेश यह था कि सच्चा प्यार केवल रोमांस नहीं, बल्कि विश्वास, समर्पण और एक-दूसरे के साथ हर चुनौती का सामना करना है।“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 4”
कुछ सालों बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से व्यवस्थित लग रही थी। उनके बच्चे अब किशोरावस्था में थे और घर में खुशियों का माहौल था। लेकिन एक दिन अचानक अनामिका के पिता की तबियत गंभीर हो गई।
अनामिका की शादी के समय से ही उनके पिता ने कभी पूरी तरह उसके करियर और स्वतंत्र निर्णय को स्वीकार नहीं किया था। अब उनका इलाज बहुत महंगा था और विकास के ऑफिस में फिर से वित्तीय संकट आ गया।
विकास और अनामिका ने मिलकर यह फैसला किया कि वे पिता की देखभाल और इलाज के लिए शहर छोड़ देंगे। बच्चों के स्कूल और परिवार को संभालना आसान नहीं था।
इसी बीच, विकास के ऑफिस में एक प्रतियोगिता की घोषणा हुई। अगर विकास जीतता है तो उसे उच्च पद और वित्तीय सुरक्षा मिल सकती थी। लेकिन इसका मतलब था कि वह पूरे महीने घर से दूर रहे।
अनामिका ने उसे रोकने के बजाय कहा,
“विकास, यह तुम्हारे लिए एक अवसर है। मैं घर संभाल लूँगी, तुम्हें मौका लेना चाहिए। हम साथ हैं, याद है?”
विकास ने अनामिका को देखा और उसकी आँखों में अपने प्यार और भरोसे को महसूस किया। उसने प्रतियोगिता में भाग लिया और कड़ी मेहनत के बाद जीत गया। वित्तीय संकट समाप्त हुआ।
घर लौटने पर, अनामिका ने उसे सरप्राइज दिया। उसने घर सजाया, बच्चों के साथ स्वागत किया और खुद भी एक सुंदर पोशाक में इंतजार कर रही थी। विकास ने उसे देखा और कहा,
“तुम्हारा हर कदम, तुम्हारा हर भरोसा और प्यार ही मेरी ताकत है। तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं।”
अनामिका ने हँसते हुए कहा,
“और तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं। हम दोनों मिलकर हर संकट को पार कर सकते हैं।”
फिर, उस रात दोनों ने बच्चों को सोने के बाद पुरानी यादों और अपने प्यार के पल याद किए। विकास ने अनामिका के हाथों को पकड़ा और कहा,
“हमारी जिंदगी में चाहे कितने भी तूफान आएँ, हम हमेशा साथ रहेंगे। यही सच्चा प्यार है।”
और इस तरह, विकास और अनामिका ने साबित किया कि असली प्यार कठिनाइयों में झुकता नहीं, बल्कि और मजबूत होकर खिलता है।“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 5”
कुछ सालों बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी अब स्थिर और खुशहाल लग रही थी। बच्चों की पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी, और घर में प्यार और समझदारी का माहौल था। लेकिन एक दिन अचानक अनामिका को एक पुराना पत्र मिला।
यह पत्र उसकी कॉलेज की दोस्त नीहा से आया था। नीहा ने लिखा कि वह अब विदेश में शादी कर रही है और वह विकास और अनामिका को एक खास मौका देना चाहती है। पत्र में लिखा था कि उसने अनामिका की पेंटिंग्स से प्रेरित होकर एक इंटरनेशनल आर्ट गैलरी खोलने का विचार किया है और वह अनामिका को अपना विशेष अतिथि बनाना चाहती है।
अनामिका ने विकास को पत्र दिखाया। विकास ने मुस्कुराते हुए कहा,
“देखो, तुम्हारी कला और मेहनत ने तुम्हें इतना बड़ा मौका दिलाया है। मैं तुम्हारे साथ चलूँगा।”
गैलरी का उद्घाटन दिन आया। अनामिका ने अपने पेंटिंग्स प्रदर्शित किए और हर कोई उनकी तारीफ कर रहा था। विकास ने उसके हाथ में हाथ डालकर कहा,
“तुम हमेशा चमकती रहो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।”
इसी बीच, बच्चों ने चुपचाप एक सरप्राइज प्लान किया। उन्होंने पिताजी और माँ के लिए एक वीडियो तैयार किया जिसमें उनके छोटे-छोटे प्यारे पल, उनके संघर्ष और खुशियाँ दिख रही थीं। जब विकास और अनामिका ने वह वीडियो देखा, दोनों की आँखों में आँसू आ गए।
रात में, गैलरी की छत पर दोनों अकेले बैठे और आसमान की तरफ देखकर अनामिका ने कहा,
“विकास, हमारी जिंदगी में हर तूफान आया, लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी। हमारे प्यार ने हर चुनौती को पार किया।”
विकास ने धीरे से कहा,
“अनामिका, तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नहीं हूँ। तुम मेरी ताकत, मेरी प्रेरणा और मेरी जिंदगी हो।”
फिर, बच्चों और दोस्तों के सामने, विकास ने अनामिका को अपने हाथों में हाथ देकर कहा,
“क्या तुम मेरे साथ जीवन भर के लिए फिर से यह वादा दोहराओगी—हर मुश्किल, हर खुशी, हर पल साथ रहने का?”
अनामिका ने मुस्कुराते हुए कहा,
“हाँ, विकास। हमेशा। हम साथ हैं, और हमेशा रहेंगे।”
और इस तरह, विकास और अनामिका की कहानी ने साबित किया कि प्यार, विश्वास और साथ की ताकत से हर मुश्किल आसान हो जाती है, और जिंदगी की असली खूबसूरती छोटे-छोटे पलों और साथ बिताए समय में ही है
Raju kumar Chaudhary
“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 4”
कुछ सालों बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से व्यवस्थित लग रही थी। उनके बच्चे अब किशोरावस्था में थे और घर में खुशियों का माहौल था। लेकिन एक दिन अचानक अनामिका के पिता की तबियत गंभीर हो गई।
अनामिका की शादी के समय से ही उनके पिता ने कभी पूरी तरह उसके करियर और स्वतंत्र निर्णय को स्वीकार नहीं किया था। अब उनका इलाज बहुत महंगा था और विकास के ऑफिस में फिर से वित्तीय संकट आ गया।
विकास और अनामिका ने मिलकर यह फैसला किया कि वे पिता की देखभाल और इलाज के लिए शहर छोड़ देंगे। बच्चों के स्कूल और परिवार को संभालना आसान नहीं था।
इसी बीच, विकास के ऑफिस में एक प्रतियोगिता की घोषणा हुई। अगर विकास जीतता है तो उसे उच्च पद और वित्तीय सुरक्षा मिल सकती थी। लेकिन इसका मतलब था कि वह पूरे महीने घर से दूर रहे।
अनामिका ने उसे रोकने के बजाय कहा,
“विकास, यह तुम्हारे लिए एक अवसर है। मैं घर संभाल लूँगी, तुम्हें मौका लेना चाहिए। हम साथ हैं, याद है?”
विकास ने अनामिका को देखा और उसकी आँखों में अपने प्यार और भरोसे को महसूस किया। उसने प्रतियोगिता में भाग लिया और कड़ी मेहनत के बाद जीत गया। वित्तीय संकट समाप्त हुआ।
घर लौटने पर, अनामिका ने उसे सरप्राइज दिया। उसने घर सजाया, बच्चों के साथ स्वागत किया और खुद भी एक सुंदर पोशाक में इंतजार कर रही थी। विकास ने उसे देखा और कहा,
“तुम्हारा हर कदम, तुम्हारा हर भरोसा और प्यार ही मेरी ताकत है। तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं।”
अनामिका ने हँसते हुए कहा,
“और तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं। हम दोनों मिलकर हर संकट को पार कर सकते हैं।”
फिर, उस रात दोनों ने बच्चों को सोने के बाद पुरानी यादों और अपने प्यार के पल याद किए। विकास ने अनामिका के हाथों को पकड़ा और कहा,
“हमारी जिंदगी में चाहे कितने भी तूफान आएँ, हम हमेशा साथ रहेंगे। यही सच्चा प्यार है।”
और इस तरह, विकास और अनामिका ने साबित किया कि असली प्यार कठिनाइयों में झुकता नहीं, बल्कि और मजबूत होकर खिलता है।
Raju kumar Chaudhary
“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 2”
विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से सामान्य हो रही थी। बच्चों की पढ़ाई, घर और कामकाज के बीच दोनों ने अपनी खुशियों को छोटे-छोटे पलों में ढूंढना शुरू किया। लेकिन जैसे ही सब कुछ ठीक लग रहा था, विकास के ऑफिस में अचानक एक नई परियोजना आई, जो उसकी पूरी ऊर्जा मांग रही थी।
इस दौरान, अनामिका ने एक बड़ी पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लिया और उसका काम देश भर में सराहा गया। उसकी प्रसिद्धि बढ़ने लगी, और उसे अक्सर बाहर रहने के लिए बुलाया जाने लगा।
विकास और अनामिका दोनों व्यस्त थे, और धीरे-धीरे उनकी जिंदगी फिर से उलझन में आ गई। एक दिन, विकास ने देखा कि अनामिका ने उसके जन्मदिन पर कोई संदेश नहीं भेजा। दिल टूट सा गया।
“क्या मैं अब उसके जीवन में उतना अहम नहीं हूँ?” वह सोचने लगा।
अनामिका भी अपने मन में यही सवाल कर रही थी। उसने सोचा, “विकास बहुत थका हुआ है, शायद वह मेरी खुशी में खुश नहीं है।”
तभी कहानी में ट्विस्ट आया। विकास के ऑफिस में एक नई महिला कर्मचारी आई – स्नेहा। स्नेहा बहुत दोस्ताना और खुशमिजाज थी। विकास ने पहले तो सोचा कि वह सिर्फ मददगार है, लेकिन धीरे-धीरे उसके साथ अधिक समय बिताने लगा।
अनामिका ने यह महसूस किया और अंदर से थोड़ा डरने लगी। उसने विकास से सीधे सवाल किया,
“विकास, क्या हम कहीं खो रहे हैं?”
विकास ने कुछ देर चुप रहकर कहा,
“अनामिका, कभी-कभी मैं समझ नहीं पाता कि कैसे दोनों चीज़ें—काम और घर—साथ में निभाऊँ। लेकिन मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।”
तभी अनामिका ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तो हम फिर से शुरुआत करते हैं। अपने प्यार को प्राथमिकता देंगे, चाहे कितना भी काम क्यों न हो।”
दोनों ने तय किया कि रोज़ कम से कम आधा घंटा सिर्फ एक-दूसरे के लिए निकालेंगे। धीरे-धीरे, स्नेहा की मौजूदगी भी सिर्फ एक पेशेवर दोस्ती में बदल गई।
कुछ महीने बाद, विकास ने अनामिका को सरप्राइज दिया। उसने उनके पुराने कॉलेज वाले पार्क में एक छोटे-से कैम्पिंग ट्रिप का इंतजाम किया। वहाँ, दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया और कहा,
“हमारी जिंदगी में उतार-चढ़ाव आए, लेकिन हम हमेशा साथ रहे। यही असली प्यार है।”
और इस तरह, विकास और अनामिका ने साबित किया कि सच्चा प्यार वही है जो मुश्किल समय में भी डगमगाए नहीं, बल्कि और मजबूत हो जाए।
Raju kumar Chaudhary
“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 3”
कुछ साल बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से स्थिर लग रही थी। बच्चों की पढ़ाई अच्छी चल रही थी, और दोनों ने अपनी-अपनी काम में संतुलन बना लिया था। लेकिन तभी अचानक एक बड़ा संकट आया।
अनामिका की पुरानी दोस्त, नीहा, शहर में वापस आई। नीहा और अनामिका कॉलेज की दोस्त थीं, लेकिन विकास को नीहा के साथ अनामिका की दोस्ती कभी अच्छी नहीं लगी थी। नीहा ने अनामिका से मिलने के बहाने घर पर आए और धीरे-धीरे विकास के सामने उसके काम की तारीफ करने लगी।
विकास ने यह देखा और पहली बार अंदर से असुरक्षित महसूस किया। उसने अनामिका से कहा,
“अनामिका, मुझे डर है कि कहीं तुम्हारे पुराने दोस्त हमारी खुशियों में खलल न डाल दें।”
अनामिका ने गंभीर होकर कहा,
“विकास, मैं तुम्हारे लिए चुनी गई हूँ, और मेरे लिए तुम ही सब कुछ हो। नीहा सिर्फ मेरी पुरानी दोस्त है, और कोई खतरा नहीं है।”
लेकिन संकट यहीं खत्म नहीं हुआ। उसी समय, विकास के ऑफिस में एक बड़ा प्रोजेक्ट था जिसमें गलतफहमी और दबाव की वजह से वह गलती कर बैठा। कंपनी ने उसे सस्पेंड कर दिया। विकास बेहद टूट गया और अनामिका ने उसका सहारा बनने का फैसला किया।
उसने विकास को सहलाते हुए कहा,
“हमने पहले भी हर कठिनाई का सामना किया है। तुम अकेले नहीं हो। हम साथ हैं।”
फिर कहानी में एक रोमांटिक मोड़ आया। अनामिका ने एक सरप्राइज प्लान किया—पुराने कॉलेज वाले कैम्पस की वही जगह जहाँ उन्होंने पहली बार अपनी दोस्ती की शुरुआत की थी। वहाँ पहुँचते ही उसने विकास के सामने कहा,
“याद है, जब हम पहली बार यहाँ आए थे, हमने वादा किया था कि हम हमेशा साथ रहेंगे? मैं आज वही वादा दोबारा करना चाहती हूँ।”
विकास ने उसकी आँखों में देखकर कहा,
“और मैं आज फिर से वादा करता हूँ कि चाहे कोई भी मुश्किल आए, चाहे समय कितना भी बदल जाए, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा।”
दोनों ने हाथ थाम कर आसमान की ओर देखा और महसूस किया कि उनकी जिंदगी में उतार-चढ़ाव कितने भी आएँ, उनका प्यार और विश्वास अडिग था।
कहानी का संदेश यह था कि सच्चा प्यार केवल रोमांस नहीं, बल्कि विश्वास, समर्पण और एक-दूसरे के साथ हर चुनौती का सामना करना है।
Raju kumar Chaudhary
“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 5”
कुछ सालों बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी अब स्थिर और खुशहाल लग रही थी। बच्चों की पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी, और घर में प्यार और समझदारी का माहौल था। लेकिन एक दिन अचानक अनामिका को एक पुराना पत्र मिला।
यह पत्र उसकी कॉलेज की दोस्त नीहा से आया था। नीहा ने लिखा कि वह अब विदेश में शादी कर रही है और वह विकास और अनामिका को एक खास मौका देना चाहती है। पत्र में लिखा था कि उसने अनामिका की पेंटिंग्स से प्रेरित होकर एक इंटरनेशनल आर्ट गैलरी खोलने का विचार किया है और वह अनामिका को अपना विशेष अतिथि बनाना चाहती है।
अनामिका ने विकास को पत्र दिखाया। विकास ने मुस्कुराते हुए कहा,
“देखो, तुम्हारी कला और मेहनत ने तुम्हें इतना बड़ा मौका दिलाया है। मैं तुम्हारे साथ चलूँगा।”
गैलरी का उद्घाटन दिन आया। अनामिका ने अपने पेंटिंग्स प्रदर्शित किए और हर कोई उनकी तारीफ कर रहा था। विकास ने उसके हाथ में हाथ डालकर कहा,
“तुम हमेशा चमकती रहो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।”
इसी बीच, बच्चों ने चुपचाप एक सरप्राइज प्लान किया। उन्होंने पिताजी और माँ के लिए एक वीडियो तैयार किया जिसमें उनके छोटे-छोटे प्यारे पल, उनके संघर्ष और खुशियाँ दिख रही थीं। जब विकास और अनामिका ने वह वीडियो देखा, दोनों की आँखों में आँसू आ गए।
रात में, गैलरी की छत पर दोनों अकेले बैठे और आसमान की तरफ देखकर अनामिका ने कहा,
“विकास, हमारी जिंदगी में हर तूफान आया, लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी। हमारे प्यार ने हर चुनौती को पार किया।”
विकास ने धीरे से कहा,
“अनामिका, तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नहीं हूँ। तुम मेरी ताकत, मेरी प्रेरणा और मेरी जिंदगी हो।”
फिर, बच्चों और दोस्तों के सामने, विकास ने अनामिका को अपने हाथों में हाथ देकर कहा,
“क्या तुम मेरे साथ जीवन भर के लिए फिर से यह वादा दोहराओगी—हर मुश्किल, हर खुशी, हर पल साथ रहने का?”
अनामिका ने मुस्कुराते हुए कहा,
“हाँ, विकास। हमेशा। हम साथ हैं, और हमेशा रहेंगे।”
और इस तरह, विकास और अनामिका की कहानी ने साबित किया कि प्यार, विश्वास और साथ की ताकत से हर मुश्किल आसान हो जाती है, और जिंदगी की असली खूबसूरती छोटे-छोटे पलों और साथ बिताए समय में ही है।
Raju kumar Chaudhary
“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 4”
कुछ सालों बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से व्यवस्थित लग रही थी। उनके बच्चे अब किशोरावस्था में थे और घर में खुशियों का माहौल था। लेकिन एक दिन अचानक अनामिका के पिता की तबियत गंभीर हो गई।
अनामिका की शादी के समय से ही उनके पिता ने कभी पूरी तरह उसके करियर और स्वतंत्र निर्णय को स्वीकार नहीं किया था। अब उनका इलाज बहुत महंगा था और विकास के ऑफिस में फिर से वित्तीय संकट आ गया।
विकास और अनामिका ने मिलकर यह फैसला किया कि वे पिता की देखभाल और इलाज के लिए शहर छोड़ देंगे। बच्चों के स्कूल और परिवार को संभालना आसान नहीं था।
इसी बीच, विकास के ऑफिस में एक प्रतियोगिता की घोषणा हुई। अगर विकास जीतता है तो उसे उच्च पद और वित्तीय सुरक्षा मिल सकती थी। लेकिन इसका मतलब था कि वह पूरे महीने घर से दूर रहे।
अनामिका ने उसे रोकने के बजाय कहा,
“विकास, यह तुम्हारे लिए एक अवसर है। मैं घर संभाल लूँगी, तुम्हें मौका लेना चाहिए। हम साथ हैं, याद है?”
विकास ने अनामिका को देखा और उसकी आँखों में अपने प्यार और भरोसे को महसूस किया। उसने प्रतियोगिता में भाग लिया और कड़ी मेहनत के बाद जीत गया। वित्तीय संकट समाप्त हुआ।
घर लौटने पर, अनामिका ने उसे सरप्राइज दिया। उसने घर सजाया, बच्चों के साथ स्वागत किया और खुद भी एक सुंदर पोशाक में इंतजार कर रही थी। विकास ने उसे देखा और कहा,
“तुम्हारा हर कदम, तुम्हारा हर भरोसा और प्यार ही मेरी ताकत है। तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं।”
अनामिका ने हँसते हुए कहा,
“और तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं। हम दोनों मिलकर हर संकट को पार कर सकते हैं।”
फिर, उस रात दोनों ने बच्चों को सोने के बाद पुरानी यादों और अपने प्यार के पल याद किए। विकास ने अनामिका के हाथों को पकड़ा और कहा,
“हमारी जिंदगी में चाहे कितने भी तूफान आएँ, हम हमेशा साथ रहेंगे। यही सच्चा प्यार है।”
और इस तरह, विकास और अनामिका ने साबित किया कि असली प्यार कठिनाइयों में झुकता नहीं, बल्कि और मजबूत होकर खिलता है।
Raju kumar Chaudhary
“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 2”
विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से सामान्य हो रही थी। बच्चों की पढ़ाई, घर और कामकाज के बीच दोनों ने अपनी खुशियों को छोटे-छोटे पलों में ढूंढना शुरू किया। लेकिन जैसे ही सब कुछ ठीक लग रहा था, विकास के ऑफिस में अचानक एक नई परियोजना आई, जो उसकी पूरी ऊर्जा मांग रही थी।
इस दौरान, अनामिका ने एक बड़ी पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लिया और उसका काम देश भर में सराहा गया। उसकी प्रसिद्धि बढ़ने लगी, और उसे अक्सर बाहर रहने के लिए बुलाया जाने लगा।
विकास और अनामिका दोनों व्यस्त थे, और धीरे-धीरे उनकी जिंदगी फिर से उलझन में आ गई। एक दिन, विकास ने देखा कि अनामिका ने उसके जन्मदिन पर कोई संदेश नहीं भेजा। दिल टूट सा गया।
“क्या मैं अब उसके जीवन में उतना अहम नहीं हूँ?” वह सोचने लगा।
अनामिका भी अपने मन में यही सवाल कर रही थी। उसने सोचा, “विकास बहुत थका हुआ है, शायद वह मेरी खुशी में खुश नहीं है।”
तभी कहानी में ट्विस्ट आया। विकास के ऑफिस में एक नई महिला कर्मचारी आई – स्नेहा। स्नेहा बहुत दोस्ताना और खुशमिजाज थी। विकास ने पहले तो सोचा कि वह सिर्फ मददगार है, लेकिन धीरे-धीरे उसके साथ अधिक समय बिताने लगा।
अनामिका ने यह महसूस किया और अंदर से थोड़ा डरने लगी। उसने विकास से सीधे सवाल किया,
“विकास, क्या हम कहीं खो रहे हैं?”
विकास ने कुछ देर चुप रहकर कहा,
“अनामिका, कभी-कभी मैं समझ नहीं पाता कि कैसे दोनों चीज़ें—काम और घर—साथ में निभाऊँ। लेकिन मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।”
तभी अनामिका ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तो हम फिर से शुरुआत करते हैं। अपने प्यार को प्राथमिकता देंगे, चाहे कितना भी काम क्यों न हो।”
दोनों ने तय किया कि रोज़ कम से कम आधा घंटा सिर्फ एक-दूसरे के लिए निकालेंगे। धीरे-धीरे, स्नेहा की मौजूदगी भी सिर्फ एक पेशेवर दोस्ती में बदल गई।
कुछ महीने बाद, विकास ने अनामिका को सरप्राइज दिया। उसने उनके पुराने कॉलेज वाले पार्क में एक छोटे-से कैम्पिंग ट्रिप का इंतजाम किया। वहाँ, दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया और कहा,
“हमारी जिंदगी में उतार-चढ़ाव आए, लेकिन हम हमेशा साथ रहे। यही असली प्यार है।”
और इस तरह, विकास और अनामिका ने साबित किया कि सच्चा प्यार वही है जो मुश्किल समय में भी डगमगाए नहीं, बल्कि और मजबूत हो जाए।
“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 3”
कुछ साल बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से स्थिर लग रही थी। बच्चों की पढ़ाई अच्छी चल रही थी, और दोनों ने अपनी-अपनी काम में संतुलन बना लिया था। लेकिन तभी अचानक एक बड़ा संकट आया।
अनामिका की पुरानी दोस्त, नीहा, शहर में वापस आई। नीहा और अनामिका कॉलेज की दोस्त थीं, लेकिन विकास को नीहा के साथ अनामिका की दोस्ती कभी अच्छी नहीं लगी थी। नीहा ने अनामिका से मिलने के बहाने घर पर आए और धीरे-धीरे विकास के सामने उसके काम की तारीफ करने लगी।
विकास ने यह देखा और पहली बार अंदर से असुरक्षित महसूस किया। उसने अनामिका से कहा,
“अनामिका, मुझे डर है कि कहीं तुम्हारे पुराने दोस्त हमारी खुशियों में खलल न डाल दें।”
अनामिका ने गंभीर होकर कहा,
“विकास, मैं तुम्हारे लिए चुनी गई हूँ, और मेरे लिए तुम ही सब कुछ हो। नीहा सिर्फ मेरी पुरानी दोस्त है, और कोई खतरा नहीं है।”
लेकिन संकट यहीं खत्म नहीं हुआ। उसी समय, विकास के ऑफिस में एक बड़ा प्रोजेक्ट था जिसमें गलतफहमी और दबाव की वजह से वह गलती कर बैठा। कंपनी ने उसे सस्पेंड कर दिया। विकास बेहद टूट गया और अनामिका ने उसका सहारा बनने का फैसला किया।
उसने विकास को सहलाते हुए कहा,
“हमने पहले भी हर कठिनाई का सामना किया है। तुम अकेले नहीं हो। हम साथ हैं।”
फिर कहानी में एक रोमांटिक मोड़ आया। अनामिका ने एक सरप्राइज प्लान किया—पुराने कॉलेज वाले कैम्पस की वही जगह जहाँ उन्होंने पहली बार अपनी दोस्ती की शुरुआत की थी। वहाँ पहुँचते ही उसने विकास के सामने कहा,
“याद है, जब हम पहली बार यहाँ आए थे, हमने वादा किया था कि हम हमेशा साथ रहेंगे? मैं आज वही वादा दोबारा करना चाहती हूँ।”
विकास ने उसकी आँखों में देखकर कहा,
“और मैं आज फिर से वादा करता हूँ कि चाहे कोई भी मुश्किल आए, चाहे समय कितना भी बदल जाए, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा।”
दोनों ने हाथ थाम कर आसमान की ओर देखा और महसूस किया कि उनकी जिंदगी में उतार-चढ़ाव कितने भी आएँ, उनका प्यार और विश्वास अडिग था।
कहानी का संदेश यह था कि सच्चा प्यार केवल रोमांस नहीं, बल्कि विश्वास, समर्पण और एक-दूसरे के साथ हर चुनौती का सामना करना है।“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 5”
कुछ सालों बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी अब स्थिर और खुशहाल लग रही थी। बच्चों की पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी, और घर में प्यार और समझदारी का माहौल था। लेकिन एक दिन अचानक अनामिका को एक पुराना पत्र मिला।
यह पत्र उसकी कॉलेज की दोस्त नीहा से आया था। नीहा ने लिखा कि वह अब विदेश में शादी कर रही है और वह विकास और अनामिका को एक खास मौका देना चाहती है। पत्र में लिखा था कि उसने अनामिका की पेंटिंग्स से प्रेरित होकर एक इंटरनेशनल आर्ट गैलरी खोलने का विचार किया है और वह अनामिका को अपना विशेष अतिथि बनाना चाहती है।
अनामिका ने विकास को पत्र दिखाया। विकास ने मुस्कुराते हुए कहा,
“देखो, तुम्हारी कला और मेहनत ने तुम्हें इतना बड़ा मौका दिलाया है। मैं तुम्हारे साथ चलूँगा।”
गैलरी का उद्घाटन दिन आया। अनामिका ने अपने पेंटिंग्स प्रदर्शित किए और हर कोई उनकी तारीफ कर रहा था। विकास ने उसके हाथ में हाथ डालकर कहा,
“तुम हमेशा चमकती रहो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।”
इसी बीच, बच्चों ने चुपचाप एक सरप्राइज प्लान किया। उन्होंने पिताजी और माँ के लिए एक वीडियो तैयार किया जिसमें उनके छोटे-छोटे प्यारे पल, उनके संघर्ष और खुशियाँ दिख रही थीं। जब विकास और अनामिका ने वह वीडियो देखा, दोनों की आँखों में आँसू आ गए।
रात में, गैलरी की छत पर दोनों अकेले बैठे और आसमान की तरफ देखकर अनामिका ने कहा,
“विकास, हमारी जिंदगी में हर तूफान आया, लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी। हमारे प्यार ने हर चुनौती को पार किया।”
विकास ने धीरे से कहा,
“अनामिका, तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नहीं हूँ। तुम मेरी ताकत, मेरी प्रेरणा और मेरी जिंदगी हो।”
फिर, बच्चों और दोस्तों के सामने, विकास ने अनामिका को अपने हाथों में हाथ देकर कहा,
“क्या तुम मेरे साथ जीवन भर के लिए फिर से यह वादा दोहराओगी—हर मुश्किल, हर खुशी, हर पल साथ रहने का?”
अनामिका ने मुस्कुराते हुए कहा,
“हाँ, विकास। हमेशा। हम साथ हैं, और हमेशा रहेंगे।”
और इस तरह, विकास और अनामिका की कहानी ने साबित किया कि प्यार, विश्वास और साथ की ताकत से हर मुश्किल आसान हो जाती है, और जिंदगी की असली खूबसूरती छोटे-छोटे पलों और साथ बिताए समय में ही है“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 4”
कुछ सालों बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से व्यवस्थित लग रही थी। उनके बच्चे अब किशोरावस्था में थे और घर में खुशियों का माहौल था। लेकिन एक दिन अचानक अनामिका के पिता की तबियत गंभीर हो गई।
अनामिका की शादी के समय से ही उनके पिता ने कभी पूरी तरह उसके करियर और स्वतंत्र निर्णय को स्वीकार नहीं किया था। अब उनका इलाज बहुत महंगा था और विकास के ऑफिस में फिर से वित्तीय संकट आ गया।
विकास और अनामिका ने मिलकर यह फैसला किया कि वे पिता की देखभाल और इलाज के लिए शहर छोड़ देंगे। बच्चों के स्कूल और परिवार को संभालना आसान नहीं था।
इसी बीच, विकास के ऑफिस में एक प्रतियोगिता की घोषणा हुई। अगर विकास जीतता है तो उसे उच्च पद और वित्तीय सुरक्षा मिल सकती थी। लेकिन इसका मतलब था कि वह पूरे महीने घर से दूर रहे।
अनामिका ने उसे रोकने के बजाय कहा,
“विकास, यह तुम्हारे लिए एक अवसर है। मैं घर संभाल लूँगी, तुम्हें मौका लेना चाहिए। हम साथ हैं, याद है?”
विकास ने अनामिका को देखा और उसकी आँखों में अपने प्यार और भरोसे को महसूस किया। उसने प्रतियोगिता में भाग लिया और कड़ी मेहनत के बाद जीत गया। वित्तीय संकट समाप्त हुआ।
घर लौटने पर, अनामिका ने उसे सरप्राइज दिया। उसने घर सजाया, बच्चों के साथ स्वागत किया और खुद भी एक सुंदर पोशाक में इंतजार कर रही थी। विकास ने उसे देखा और कहा,
“तुम्हारा हर कदम, तुम्हारा हर भरोसा और प्यार ही मेरी ताकत है। तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं।”
अनामिका ने हँसते हुए कहा,
“और तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं। हम दोनों मिलकर हर संकट को पार कर सकते हैं।”
फिर, उस रात दोनों ने बच्चों को सोने के बाद पुरानी यादों और अपने प्यार के पल याद किए। विकास ने अनामिका के हाथों को पकड़ा और कहा,
“हमारी जिंदगी में चाहे कितने भी तूफान आएँ, हम हमेशा साथ रहेंगे। यही सच्चा प्यार है।”
और इस तरह, विकास और अनामिका ने साबित किया कि असली प्यार कठिनाइयों में झुकता नहीं, बल्कि और मजबूत होकर खिलता है।
kashish
Kass tu aye kisi rat yun hi apni yadon ki tarah ..
Kass tu aye kisi rat is har taraf fyle andhere ki tarah ..
Kass tu aye or cha jaye rochni Hi har jagah .
Kass tu ayee kisi rat isi chamakte chand ki tarah ..
Kass tu aye , aaa kar sine se lagale mujhko , meri ghutti sanson ko sahara de de , meri behnti ankhon ko kandha de de ,
Kass tu ayee kisi rat mere tadapte dil ko rahat ki tarah ,
Kass tu aye kisi rat is ghane badal ki tarah, in tamam bechainon me rahat ki tarah , kass tu ayee ,
Kass tu aye .. kisi raattt , yun hi apni yaadon ki tarah...
_kashwii..
Biru Rajkumar
कविता: आत्मिक बदलाव
शीर्षक: नए सवेर की ओर
अंधेरों में जब खोई थी राह,
मन के कोने में थी एक सुनी सदा।
पर वक्त ने दिया नई सोच का एहसास,
अभी भी है भीतर, एक नई शुरुआत का अहसास।
बीते कल की पीड़ा, अब नहीं रोकती,
हर अनुभव ने मुझे फिर से जोड़ा।
अहंकार और डर को पीछे छोड़,
मैं चल पड़ा, आत्मा की ओर।
हर दिन नया, हर सोच नया,
अतीत की परछाई को छोड़,
मैंने पाया शांति का रास्ता,
आत्मिक बदलाव—जीवन का सबसे प्यारा उपहार।
Raj Phulware
IshqKeAlfaaz
हैरानी इस बात..
Dhamak
ફીક્ર
કોઈની ચિંતા કરો તો, એને જરૂર કહેજો,
મૌન રહેશો તો મનના દરવાજા બંધ થઈ જશે.
ન કહેલા શબ્દો કદી કોઈ સાંભળતું નથી,
અને એ શબ્દો જ અંતરમાં ભાર બની રહે છે.
DHAMAK
Raju kumar Chaudhary
सरस्वती माता का गीत
अंतरा 1:
वाणी की देवी, ज्ञान की मूरत,
सरस्वती माता, कर दो हम पर कृपा।
पढ़ाई में लगे रहें, बुद्धि में वृद्धि हो,
तेरे चरणों में हम समर्पित जीवन जीएँ।
कोरस:
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
ज्ञान की दाता, जग की रौशनी।
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
वाणी और विद्या की तुम हो नायिका।
अंतरा 2:
साधक बनाकर करो जीवन सफल,
अज्ञान के अंधकार को तुम दूर भगाओ।
संगीत और कला में हमें निपुण बनाओ,
माँ सरस्वती, हम सब पर अपनी कृपा बनाओ।
कोरस:
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
ज्ञान की दाता, जग की रौशनी।
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
वाणी और विद्या की तुम हो नायिका।
अंतरा 3:
हाथ में वीणा, कमल पर विराज,
सत्य और विद्या का करती प्रचार।
भक्तों के संकट हर लो तू दूर,
सरस्वती माता, कर दो जीवन सुंदर।
कोरस:
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
ज्ञान की दाता, जग की रौशनी।
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
वाणी और विद्या की तुम हो नायिका।
Shivraj Bhokare
स्पर्धा नको कोणाशी ,
फक्त स्वतः ला सिद्ध
करण्याची जिद्द असावी "
Manvi Chauhan
yaadein ❤️🩹 💭....
Kuch yaadein Tere mujhe hasati h..😊
Kuch yaadein Tere mujhe rulati hai.....😭
Mujhe Mere ache bure wkt me bs Tere hi yaad ati h...🫵❤️
Tu Mera hakikat tu hi mera ibbadat hai ❤️Tu bs Mera pyaar hi nhi Mera sara jahan Hai ✨🌍...
Sach me yrr mujhe Tere bohot yaad aati..🥺💭...
Saath to tu Mere abhi bhi hai..🫂
Par pehle ki trh tu pyaar dikhata nhi hai..❤️🩹
Tu karib ho ke bhi Ajnabi sa lgta hai❤️🩹🥀...
Kya kasoor rkha tha mene tujhe hamare pyaar me..?💔
Tu Mera ho ke bhi Mera na hua .❤️🩹😭..
Shayad isi ka naam mohobbat Hai...❤️🩹
✍️....... Manvi
Shivraj Bhokare
आजचा दिवस तुझाच आहे
कधी कधी आपल्याला असं वाटतं की आयुष्य आपल्याविरोधात उभं आहे.
लोक बोलतात, परिस्थिती बिघडते, आणि मन सांगतं — "नको रे, आज जमत नाही."
पण खरं सांगू?
आजचा दिवस कोण जिंकणार हे तुझ्या मनातल्या एका निर्णयावर अवलंबून आहे.
तू स्वतःलाच एकदा तरी मनापासून विचार:
"मी हार मानायला जन्मलोय का, की जिंकण्यासाठी?"
जिंकणाऱ्यांचं एकच नियम असतो—
ते थांबत नाहीत.
ते पडले तरी उठतात.
आणि उठल्यानंतर धावतात.
कारण त्यांना माहित असतं…
हार फक्त त्यालाच मिळते जो थांबतो.
आणि विजय त्यालाच मिळतो जो प्रयत्न करत राहतो.
आज तू छोटा प्रयत्न कर—
एखादं पान वाच,
एखादं स्वप्न लिहून ठेव,
एखादं छोटं लक्ष्य गाठ…
काहीही कर, पण रिकामा दिवस जाऊ देऊ नको.
कारण हळूहळू केलेले छोटे बदलच मोठ्या जिंकांचा पाया बनतात.
आणि लक्षात ठेव—
तुझ्या आयुष्यातला सर्वात मजबूत व्यक्ती तूच आहेस.
बाकी सगळे फक्त पाहुणे आहेत.
आजचा दिवस तुझाच आहे… जा, जिंकून ये...
બદનામ રાજા
નબળો સમય શ્રેષ્ઠ પાત્રને પણ કલંકિત કરી નાખે છે,
Raju kumar Chaudhary
सरस्वती माता का गीत
अंतरा 1:
वाणी की देवी, ज्ञान की मूरत,
सरस्वती माता, कर दो हम पर कृपा।
पढ़ाई में लगे रहें, बुद्धि में वृद्धि हो,
तेरे चरणों में हम समर्पित जीवन जीएँ।
कोरस:
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
ज्ञान की दाता, जग की रौशनी।
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
वाणी और विद्या की तुम हो नायिका।
अंतरा 2:
साधक बनाकर करो जीवन सफल,
अज्ञान के अंधकार को तुम दूर भगाओ।
संगीत और कला में हमें निपुण बनाओ,
माँ सरस्वती, हम सब पर अपनी कृपा बनाओ।
कोरस:
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
ज्ञान की दाता, जग की रौशनी।
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
वाणी और विद्या की तुम हो नायिका।
अंतरा 3:
हाथ में वीणा, कमल पर विराज,
सत्य और विद्या का करती प्रचार।
भक्तों के संकट हर लो तू दूर,
सरस्वती माता, कर दो जीवन सुंदर।
कोरस:
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
ज्ञान की दाता, जग की रौशनी।
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
वाणी और विद्या की तुम हो नायिका।
Raju kumar Chaudhary
सरस्वती माता का गीत
अंतरा 1:
वाणी की देवी, ज्ञान की मूरत,
सरस्वती माता, कर दो हम पर कृपा।
पढ़ाई में लगे रहें, बुद्धि में वृद्धि हो,
तेरे चरणों में हम समर्पित जीवन जीएँ।
कोरस:
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
ज्ञान की दाता, जग की रौशनी।
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
वाणी और विद्या की तुम हो नायिका।
अंतरा 2:
साधक बनाकर करो जीवन सफल,
अज्ञान के अंधकार को तुम दूर भगाओ।
संगीत और कला में हमें निपुण बनाओ,
माँ सरस्वती, हम सब पर अपनी कृपा बनाओ।
कोरस:
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
ज्ञान की दाता, जग की रौशनी।
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
वाणी और विद्या की तुम हो नायिका।
अंतरा 3:
हाथ में वीणा, कमल पर विराज,
सत्य और विद्या का करती प्रचार।
भक्तों के संकट हर लो तू दूर,
सरस्वती माता, कर दो जीवन सुंदर।
कोरस:
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
ज्ञान की दाता, जग की रौशनी।
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
वाणी और विद्या की तुम हो नायिका।
kattupaya s
Goodnight friends sweet dreams
Awantika Palewale
માણસની ફિતરતમાં ફેરફાર આવ્યા.
ક્યાં રહી એ સાદગી, ક્યાં એ વફાદારી રહી?
દરેક નકશાઓમાં આજે તકરાર આવ્યા.
જે કહેતા હતા કે હું છું સદા તારો જ ,
સંજોગો બદલાતાં એમાં અણગમાના સાર આવ્યા.
સમયની સાથે ઉતાર-ચઢાવ આવ્યા...
હવે તો લાગણીઓ પણ સ્વાર્થનું રૂપ લે છે,
દિલના દરવાજા પર પણ હવે વેપાર આવ્યા.
સમયની સાથે ઉતાર-ચઢાવ આવ્યા...
નથી કોઈ ઓળખ હવે સંબંધોની ભીડમાં,
મોઢા પર હાસ્ય ને દિલમાં અસહકાર આવ્યા.
સમયની સાથે ઉતાર-ચઢાવ આવ્યા...
‘
વેદનાં શું કરે હવે આ દુનિયાની વાત?
નજરોમાં હતાં જે પ્રેમ, એમાં જ અંધકાર આવ્યા.
સમયની સાથે ઉતાર-ચઢાવ આવ્યા...
Soni shakya
लिखे थे कई खत मोहब्बत के,
मैंने तेरे नाम ..!
कुछ लफ्ज़ पहुंचाना चाहते थे ,
दिल की धड़कन बनकर तुझ तक..!!
पर किस्मत की हवाओं ने रास्ते ही बदल दिये,
वो 'लफ्ज़' तेरे दिल की दहलीज पर पहुंचने से पहले ही कहीं खो गए..!!!
- Soni shakya
Deepak Bundela Arymoulik
"ईमानदार आईना"
मनुष्य ने आईना बनाया,
फिर फ़िल्टर अपनाने लगा,
क्योंकि आईना सच बोलता था,
और सच उसे चुभने लगा।
आईने में थी हर सिलवट,
हर झूठ की परत उतरती थी,
फ़िल्टर में बस मुस्कान सजती,
ख़ामोशियाँ नहीं झलकती थीं।
आईना पूछता रहा रोज़
"तू असल में क्या बन पाया?”
फ़िल्टर बोला“दिखना ही काफ़ी है,
होना अब ज़रूरी कहाँ रहा?”
चेहरे चमके, आत्मा धुँधली,
नज़रें झूठ पर टिक गईं,
आईने टूटे घर-आँगन में,
फ़िल्टरों में ज़िंदगियाँ बिक गईं।
काश कोई दिन ऐसा आए,
जब सच फिर प्यारा हो जाए,
फ़िल्टर थमें, आईना बोले
और इंसान खुद से मिल जाए।
आर्यमौलिक
Sonalpatadia darpan
ભગવત ગીતા એક એવું પુસ્તક છે,
જેના માધ્યમથી શ્રીકૃષ્ણ વાંચનાર સાથે વાત કરે છે.
Nirbhay Shukla
Writer Nirbhay Shukla
"न तू ज़मीं के लिए है,
न आसमान के लिए है…
जो जहाँ है, वो सिर्फ़ तेरे लिए है,
पर तू बना ही नहीं इस जहाँ के लिए…" 💓
Thakor Pushpaben Sorabji
જય શ્રી કૃષ્ણ
હતો દ્વાપર યુગ ને
માગશર સુદ અગિયારસ,
કુરુક્ષેત્રની ભૂમિ પર આજ દિ' એ
ભગવાન કૃષ્ણ થકી ઉપદેશ મળ્યો અર્જુનને!....
કૃષ્ણ અને અર્જુન વચ્ચેનો સંવાદ
જે ઉજવાય છે "ગીતા જયંતી" તરીકે!..…
૧૮અધ્યાય ને ૭૦૦ શ્લોક છે ગીતામાં
પ્રથમ છ અધ્યાય કર્મ યોગના પછીના,
છ અધ્યાય જ્ઞાન યોગને,છ ભક્તિ યોગના જો!....
અજ્ઞાન,દુઃખ,કામ,ક્રોધ અને મોહ ત્યજી
મુક્તિનો માર્ગ બતાવે છે ગીતા!..…...
જય શ્રી કૃષ્ણ: ગીતા જયંતીની શુભકામના
Nirbhay Shukla
Writer Nirbhay Shukla
कुछ मौसम लौट आते हैं
सिर्फ यह देखने कि दरवाज़ा अब भी उसी तरफ खुलता है।तेरे चुने फूलों की पंखुड़ियाँ
मेरी डायरी में आज भी तारीख़ें बनकर गिरती हैं।अक्टूबर समझाता है हर साल
कि यादें भी रुतों की तरह अपनी बारी से आती हैं।अधूरा मैं, अधूरा तू—
मिलें तो पूरा, वरना इंतज़ार की ही परिभाषा हैं
Nirbhay Shukla
Writer Nirbhay Shukla
Nirbhay Shukla
कुछ तो है.....
Nirbhay Shukla
@nirbhay_shukla_
Yogi Krishnadev Nath
জীবনে প্রথম যেদিন জানতে পারলাম আমার ডায়াবেটিস হয়েছে, সেদিন যেন আকাশটাই মাথার ওপর ভেঙে পড়ল।
ডাক্তারের কথা আজও কানে বাজে - “এটা কখনো ভালো হয় না। সারাজীবন ওষুধ খেতে হবে।”
শুরু হলো দুঃস্বপ্নের জীবন।
ওষুধের প্রভাবে মাঝেমধ্যেই হঠাৎ সুগার নেমে যেত; শরীর কাঁপতে শুরু করত, চোখে অন্ধকার নামত, মনে হতো এখনই বুঝি সব শেষ....!
শরীরে শক্তি কিছুই নেই, কিন্তু ওজন বেড়েই চলেছে। হার্ট, লিভার, কিডনি, সবকিছুই যেন আমার থেকে দূরে সরে যাচ্ছিল।
নিজেকে প্রশ্ন করতাম - এটাই কি জীবন, নাকি অভিশাপ ?
এরপর একদিন আমার জীবনে প্রবেশ করলেন স্বামী আত্মজ্ঞানানন্দ মহারাজ। তিনি আমাকে থামিয়ে দিলেন। তিনি বললেন -
“এটা রোগ না। এটা তোমার শরীরকে ভুল পথে চালানোর ফল। পথ ঠিক করো; শরীর নিজেই ঠিক হয়ে যাবে।”
আমি তাঁর নির্দেশনা অনুসরণ করে জীবনকে নতুনভাবে শুরু করলাম। মাত্র ১৬ দিনে আমার সুগারের ওষুধ বন্ধ হয়ে গেল। এক মাসে ১৬ কেজি ওজন কমে গেল। তিন মাসে ২২ কেজি ওজন কমার পর, ৩০ বছর ধরে খেতে থাকা হাই প্রেশারের ওষুধটাও বন্ধ হয়ে গেল।
তারপর যেন একটি নতুন জীবন ফিরে পেলাম।
পরপর তিনবার HbA1c নরমাল; এখন মিষ্টি খেলেও সুগার বাড়ে না। একদিন বুঝতে পারলাম -
ডায়াবেটিস আমার শরীর থেকে বিদায় নিয়েছে।
এই সবকিছুই আমাকে শিখিয়েছে একটাই কথা -
ডায়াবেটিস কোনো আজীবনের রোগ নয়। এটা বিপাকীয় অসামঞ্জস্য। যখন ইনসুলিন বেড়ে যায়, কোষ তাকে আর মানে না; তখনই সুগার বাড়ে।
এই চক্র ভাঙলে শরীর নিজেই ঠিক হয়ে যায়।
স্বামী আত্মজ্ঞানানন্দ মহারাজের দেখানো পথের অভিজ্ঞতা থেকেই লিখেছি ডায়াবেটিস থেকে মুক্তির উপায় “মিষ্টি নামের তিক্ত রোগ”। আমি এই বইটিতে শুধু সুগার ঠিক করার উপায় বলিনি,
বলেছি - কিভাবে আপনার শরীরের অভ্যন্তরীণ বুদ্ধিমত্তাকে আবার সক্রিয় করবেন।
কিভাবে লিভার, কিডনি, হার্ট, সবকিছুকে আবার নিজের পক্ষে কাজ করাবেন।
শুধু ডায়াবেটিস নয়, যে কোনো মেটাবলিক রোগ থেকে মুক্ত থাকার লাইফস্টাইল এখানে রয়েছে।
এই বইকে নিছক “বই” ভাববেন না।
এটি একটি জীবনদর্শন, একটি যাত্রা,
একজন সাইলেন্ট কোচ হিসেবে ব্যবহার করুন।
যদি কোনোদিন কেউ আমাকে জিজ্ঞেস করে -
“আপনি কিভাবে ডায়াবেটিস থেকে মুক্ত হলেন ?”
আমি শুধু বলবো, এটা কোনো জাদু নয়। এটা নিজের শরীরকে আবার নিজের ঘরে ফিরিয়ে আনার একটি প্রাকৃতিক পথ।
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Vedanta Two Agyat Agyani
उपाय से उधार — और धर्म का पाखंड ✧
✧ शुरुआत कैसी हुई?
मनुष्य सीधा, सरल, सच्चा था
दुख आया — उसने किसी जाग्रत व्यक्ति के पास गया
गुरु ने एक विशेष उपाय दिया
उस व्यक्ति के कर्म–ऊर्जा के अनुसार
उस क्षण की जरूरत के अनुसार
यह उपाय = एक वचन था
❌ नियम नहीं
❌ परंपरा नहीं
> एक खास रोग → एक खास दवा
सभी रोगों की दवा नहीं
और
क्योंकि गुरु सत्य-ऊर्जा में था
👉 उसका वचन काम कर गया
👉 समस्या का समाधान हो गया
---
✧ समस्या कब शुरू हुई?
दूसरे लोगों ने यह देखा
और सोच लिया 👇
> “यह उपाय सबके लिए है”
“अगर उसने किया और ठीक हो गया,
तो हम भी करेंगे”
बस!
यहीं से कर्म-काण्ड पैदा हुआ।
> विशेष उपाय → सार्वभौमिक नियम
यही धर्म का विकृति-बिंदु है।
---
✧ फिर व्यापार शुरू
पंडित ने कहा → “यही नियम है”
समाज ने कहा → “यही धर्म है”
किताबों में लिखने वालों ने कहा → “यही शास्त्र है”
दुकानदारों ने कहा → “यही सेवा है”
और
ऊर्जा गुम हो गई
सिर्फ दिखावा बचा।
> जहां जागृति थी → वहां रिवाज़ बन गया
जहां प्रेम था → वहां डर आ गया
जहां सुयोग था → वहां बाध्यता आ गई
---
✧ असली बात — तुम्हारी भाषा में
> उस क्षण का उपाय
जब नियम बन जाए —
वही अंधविश्वास है।
> जहाँ दुआ थी
वहाँ धंधा हो गया।
> जहाँ सुयोग था
वहाँ पकड़ बन गई।
---
✧ पाखंड का जन्म
आज लोग
साँप की लकीर पर चल रहे हैं
बिना समझे
बिना अनुभव किए
> वह उपाय
जिसने एक को बचाया
दूसरे के लिए जहर बन सकता है।
---
✧ अंतिम सत्य
> धर्म का जन्म अनुभव से होता है,
पाखंड का जन्म नकल से।
> धर्म बदलता है — समय के साथ।
❖ सार-संदेश
पहले वचन था:
एक गुरु, एक व्यक्ति, एक दुख, एक समाधान।
ऊर्जा थी —
दुआ थी —
सुयोग था।
लेकिन
दूसरे ने नकल कर ली —
उपाय उधार हो गया।
जो केवल एक का सत्य था
वह सभी के लिए नियम बना दिया गया।
यही वह पल है
जब अनुभव परंपरा बन जाता है
और धर्म पाखंड।
---
❖ निष्कर्ष
> जहाँ सत्य एक क्षण के लिए था
वहीं झूठ हमेशा के लिए बना दिया गया।
> यही धर्म का पतन है।
यही पाखंड का जन्म है।
पाखंड जम जाता है — पत्थर की तरह।
𝕍𝕖𝕕ā𝕟𝕥𝕒 𝕊𝕒𝕙𝕚𝕥𝕪𝕒 — 𝕃𝕚𝕥𝕖𝕣𝕒𝕥𝕦𝕣𝕖 𝕠𝕗 𝕃𝕚𝕧𝕚𝕟𝕘 𝕎𝕚𝕤𝕕𝕠𝕞 (वेदान्त साहित्य — जीवंत ज्ञान का साहित्य) 𝕍𝕖𝕕ā𝕟𝕥𝕒 𝟚.𝟘 © 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲
Kaamini
https://youtube.com/shorts/UNpX6pNAoMc?si=G3RL26ml-H7-ovDj
must watch this shorts..
pls
રોનક જોષી. રાહગીર
https://www.facebook.com/share/p/1AMeJcPFKU/
Chaitanya Joshi
શબ્દોને સંભારી લખું.
વાત મારી કે તારી લખું.
છે દાવાનળ દિલ દ્વારે,
અગન ઉરની ઠારી લખું.
થોડું થોડું રોજ નૈ ફાવે ,
કહાની એકધારી લખું.
ભાત ભીતર છાપી ઘણી,
હવે તો બસ કિનારી લખું.
ઓડકાર ભૂખ્યા પેટે છે,
તો શું પાનસોપારી લખું?
બધે બધું નથી કહેવાનું,
એથી જ છટકબારી લખું.
સાવ લૂલા શબ્દો બધા,
કેટલું મઠારી મઠારી લખું?
-ચૈતન્ય જોષી "દીપક" પોરબંદર.
Kaamini
Hiiii Friends. How are you all? I just cmback here nw...I need your support to grow this YouTube channel....pls do visit, share and like plsss...it's a free...must visit once.thankuh..!!
https://youtube.com/@tooniversehindi_tv?si=ciUlzn_yiaxIkVFe
- Kaamini
Imaran
इश्क़ ने हमें बेनाम कर दिया ,
हर ख़ुशी से हमे अंजान कर दिया,
हमने तो कभी नहीं चाहा कि हमें भी मोहब्बत हो,
लेकिन आपकी एक नज़र ने हमें नीलाम कर दिया
👁️ imran 👁️
Aaliya khan
girl s ye meri Taraf se apke liye meesho pe Jake buy Kar lo ye rha link https://meesho.com/small-flower-clutcher-8-combo/p/amv9a9?_ms=1.2
Nensi Vithalani
बीते साल की छुपी हुई सीखें🍃
आ गया साल का आख़िरी महीना,
साथ में यादों का अनगिन ख़ज़ाना ले आया।
दिसम्बर की ठंड ने छूकर यूँ याद दिलाई,
किसी अपने की कमी फिर दिल में गहरा उतर आया।
पर शुक्रगुज़ार हूँ मैं इस बीते हुए साल की राहों का,
बहुत कुछ छीनकर, बहुत कुछ देकर—
ये मुझे फिर से मज़बूत बनाकर जा रहा है फ़सानों का।
इस मतलबी दुनिया के लोगों से संभलकर रहना—
ये सबक भी चुपके से सिखा के जा रहा है ज़माना।
ठंडी हवा में कुछ अधूरे किस्से फिर महके,
बुझी उम्मीदों में भी हल्की-सी रौशनी बहके।
जो ना मिला—वो दर्द बनकर भी साथ खड़ा रहा,
जो मिल गया—वो एहसास बनकर दिल को थामे रहा।
और जाते-जाते उस साल ने चुपके से इतना सिखा दिया…
कि कैसे टूटकर भी मुस्कुराया जाता है,
और कैसे खोकर भी ख़ुद को पाया जाता है।
ये दिसंबर भी दिल को कुछ यूँ छू गया—
थोड़ा तोड़ गया, थोड़ा जोड़ गया,
और कहीं भीतर… मुझे नया बना गया।
kashish
Mai khud se hu khafa , uska kusur tha kuch nahi ..
Vo barishon ki bat nahi , meri pehli mohobbat thi..
Vo ek tha hajaron me , vo tha hi nahi kabhi ajnabii ...
Vo uss chand si haseen , vo mere raab ki dii koi neymat thi ..
Vo meri pehli mohabbat thii..
Vo khud hi ek karishma tha , use kya ho koi izad karta ,
Vo mere nekiyon ka makafat-e-amal , vo meri pehli mohabbat thi..
Vo agg ka koi dariya tha jisme dub ke jana tha , mai dub gaya ab usme to phir uska kya kusur ,
Vo pak daman si bekusur meri pehli mohabbat thi..
Vo meri pehli mohabbat thi ...
_kashwii...
Yogi Krishnadev Nath
অজ্ঞাত কারণে এই প্ল্যাটফর্মে আমার ধারাবাহিক লেখাগুলো এখন প্রকাশ করা হচ্ছে না। অথচ এই প্ল্যাটফর্মের অসংখ্য সম্মানিত পাঠক আমার "মিষ্টি নামের তিক্ত রোগ" ধারাবাহিকটির জন্য অপেক্ষা করে থাকেন। এই অপারগতার দায়ভার আমার না, এটা সম্পূর্ণভাবেই মাত্রুভারতি কর্তৃপক্ষের। সম্মানিত পাঠকদের অনুরোধ করছি অনলাইন থেকে আমার এই বইটি সংগ্রহ করে নেয়ার জন্য। কারণ এই বইয়ে মধ্যে দেওয়া গাইডলাইন ফলো করে চললে কিছুদিনের মধ্যেই আপনার সুগারের ওষুধ বন্ধ হয়ে যাবে। হয়তো এজন্যই আমার এই লেখাটিকে এখন ব্ল্যাক লিস্টেড করে রাখা হয়েছে।
https://notionpress.com/in/read/mishti-naam-er-tikto-rog?utm_source=share_publish_email&utm_medium=whatsapp
Parmar Mayur
કર્મ ભગવદ્ ગીતાનો મુખ્ય સાર રહ્યો છે.
માણસ તેના નામથી ફક્ત ઓળખાય છે જ્યારે કર્મથી ઓળખાઇ જતાં હોય છે.
કર્મના રહ્યા બે પાસાં.
એક સારું કર્મ અને એક નિમ્ન અથવા દુષ્ટ કર્મ.
માણસની કર્મના આ બે પાસામાં જેની પસંદગી કરે છે તે મુજબ તેનાં વ્યકિતત્વ ની સાચી ઓળખ છતી થઇ જતી હોય છે.
ઈશ્વરનું ખુશી પૂર્વકનું સાનિધ્ય પામવા કર્મ ખુબજ અગત્યનો ભાગ ભજવી શકે છે.
જેને પોતાના સારા કર્મો થકી દરેક જીવને સુખ, શાંતિ કે સંતોષ આપવા પ્રયત્ન કર્યો છે કે પ્રયત્નશીલ રહ્યો છે.
આ સારાં કર્મથી ભલે કોઈ વિરોધી કે હિતશત્રુઓ ઇર્ષા થી દુઃખી રહે.
ઈશ્વર તેમજ જે જીવને શાંતિ મળી છે તેને મળેલો હાશકારો!
હૃદયને એક અલગ જ આનંદ અને તૃપ્તિ આપે છે.
આ આનંદ અને તૃપ્તિ જગતના દરેક સુખ વૈભવ કરતાં કંઈક અલગ જ અહેસાસ આપે છે.
Payal Author
“तुम पास रहो या दूर, फर्क नहीं पड़ता…
मेरी धड़कन तुमसे ही शुरू होती है।” 💞
Abha Dave
गीता जयंती की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏💐💐
गीता
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गीता में छुपा हुआ है सब ज्ञान संसार का
खोल देती है अंतरपट आचार और विचार का
बचपन से बुढ़ापे तक की खूबसूरत साथी है ये
गूढ़ अर्थ छुपा हुआ है इसमें संसार के सार का ।
गीता का ज्ञान
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श्रीकृष्ण दे गए गीता का ज्ञान
नहीं है कोई भी उससे अनजान
गीता का सार सिखाता है जीना
पर सीख नही पाए, रहे अज्ञान ।
कलयुग में अब भी कई दुर्योधन हैं खड़े
अब कोई कृष्ण नही जो उससे आकर लड़े
समाज में फैल रही हैं कई विसंगतियां
पर सब अपने ही सुख-दुख में घिरे पड़े।
गीता की महिमा का मर्म जो समझे सभी आज
सफल हो जाए जीवन सभी का सफल हो काज
अनोखा गूढ़ रहस्य है इसमें सदियों से छुपा हुआ
समझ जो गये वही बजायें सुख का अनमोल साज ।
आभा दवे
मुंबई
Raju kumar Chaudhary
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NetramEyeCentre
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Soni shakya
तेरे पास आते ही खुद को भूल जाती हूं ..!
तेरी सांसे छू जाए तो पूरी पिघल जाती हुं ..!!
- Soni shakya
Yashvi
શીર્ષક: મૌન
આંસુઓની ભાષા છે મૌન,
વળી લાગણીઓનો વરસાદ છે મૌન,
વિચારોની અતિશયોક્તિ છે મૌન,
વળી ધ્યાનની અવસ્થા છે મૌન,
દાર્શનિક વિચારોનો મેળો છે મૌન,
વળી મૂર્ખતાનો ઘડો છે મૌન,
આનંદની પ્રાપ્તિ છે મૌન,
વળી વિષાદની સીમા છે મૌન,
શાંત સરોવર છે મૌન,
વળી ચંચળ નદી છે મૌન,
સાગર સમ ઊંડું છે મૌન,
વળી ખાબોચિયા સમ છીછરું છે મૌન,
વણકહ્યા પ્રશ્નોનો ઉત્તર છે મૌન,
વળી પ્રશ્નોનો જમાવડો છે મૌન,
સમજણનો સમાગમ છે મૌન,
વળી ગેરસમજનો દરવાજો છે મૌન,
સહજતાનું પ્રતીક છે મૌન,
વળી જટિલ સંવાદ છે મૌન,
ઊંચેરી ઉડાન છે મૌન,
વળી વાસ્તવિક ચાલ છે મૌન
અંતરમનનાં આટાપાટા
- Yashvi
kashish
Agar mai waqt rok pata ..
Na jata tu dur kabhi mere pass hi har dam reh jata , agar mai waqt rok pata ..
Teri ankho me uljhi meri najren , pura jaha vahi pe tham jata , agar mai waqt rok pata ..
Ye tamam bechainiyan , ye udasiyon ka sabab ,
Ye sab kuch ek pal me mitt jata , agar mai waqt rok pata ..
Na jata mai kabhi apne ghar ko chod , mai isi kamre me umar gujar deta , agar mai waqt rok pata ..
Mere anshu bhi tham jate , ham tere gale se ulajh jate ,
Dil kitna khushi se bhar jata , agar mai waqt rok pata ..
_ kashwii...
kashish
vo mere sath bhi raha , vo mere khilaaf bhi raha ..
umar bhar mai jiska talabgar hi raha..
- kashwii..
Miss writer
mujhe papa se pyaar hai
lekin apni maa ke dard bhari chikhe kese bhula du,
mujhe maa se pyaar hai
lekin unki jaisi zindagi main naa jina chahu,
bas ek hi sawal hai...
un dono ke bich me kisi chunu?
kon sahi kon galat kese samjhu?
han! mere papa mere superhero hain,
lekin super husband nahi ye baat kese jhutla du?
han! maa bahut pyaar karti hai papa se,
lekin wo pyaar humare liye kahi kho sa gaya, ye kese bhula du?
bas ek hi sawal hai ....
kon achha kon bura, ye kaise tay karu?
Priya
मेरे जो दिल का आलम हैं
बताऊं किसको क्या गम हैं
समझ कुछ आता नहीं..
please come back...😔
Mannu
ક્યારેક તારી યાદો એવી આવે છે,
જાણે પવનમાં તારો નામ કોઈએ બોલાવ્યું હોય.
દિલ તો શાંત રહેવા માંગે છે,
પર યાદો ધબકાર બનીને આવી જાય છે
અશ્વિન રાઠોડ - સ્વયમભુ
અછાંદસ કાવ્ય...શીર્ષક: યુગોનું શાશ્વત ગાન - ગીતા
રણભેરીઓના ભયાનક ઘોંઘાટ વચ્ચે,
જ્યારે શસ્ત્રો ટકરાવા તત્પર હતા,
ત્યારે સમયની એક ક્ષણ થંભી ગઈ...
અને સર્જાયું વિશ્વનું શ્રેષ્ઠ કાવ્ય!
સારથિના સ્થાને બેઠેલા ઈશ્વરે,
માત્ર રથને જ નહીં,
પણ રથીના મનને દિશા આપી હતી.
એ ગાંડિવધારી અર્જુન તો...
માત્ર એક નિમિત્ત હતો, એક બહાનું હતું!
એ વિષાદ માત્ર એક યોદ્ધાનો નહોતો,
એ મૂંઝવણ હતી આવનારા પ્રત્યેક યુગની.
એ સંવાદ, કુરુક્ષેત્રની માટી પૂરતો સીમિત નહોતો,
એ તો હતો અનંત આકાશ જેવો વ્યાપક.
જેમાં અર્જુનના ખભા પર બંદૂક મૂકીને,
કૃષ્ણએ વીંધી નાખ્યો છે...
કાળના દરેક માનવીનો અજ્ઞાનરૂપી અંધકાર!
આજે પણ,
જ્યારે જ્યારે મનનું કુરુક્ષેત્ર ધખે છે,
અને કર્તવ્ય સામે પ્રશ્નાર્થ ખડા થાય છે,
ત્યારે એ સાતસો શ્લોકનું 'મહાકાવ્ય',
કવિતા મટીને...
જીવન જીવવાની જડીબુટ્ટી બની જાય છે.
આ ગીતા,
માત્ર પુસ્તકમાં કેદ શબ્દો નથી,
પણ માનવજાતના ઉત્થાનનું
એક અખંડ, "સ્વયમ’ભુ’"અવિરત ગુંજન છે!
અશ્વિન રાઠોડ "સ્વયમ’ભુ’"
Parag gandhi
• *ઈશ્વર સંભાળી લેશે*
• *માણસ સંભળાવી દેશે*
Good morning
Parmar Mayur
🙏🙏કર્મ ને જાણી લો પછી આપોઆપ ભગવદગીતા સમજાઇ જાશે,
ફળની ના રાખો ઝાઝી ચિંતા, વૃક્ષને પ્રેમ અને પાણીની સિંચાઇ આપતા જાવ.🦚🦚
📖શ્રીમદ્ ભગવદગીતા જયંતિ📖
Dada Bhagwan
पूज्य नीरु माँ लोगों के लिए श्रद्धा की प्रतिमा बन गएँ थे। इस वीडियो में पूज्य नीरु माँ के प्रेम स्वरुप होने का वर्णन किया है। आइए देखे यहाँ: https://dbf.adalaj.org/g8cmBCp1
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Kirti kashyap
दिल फिर कहीं दिली रहगुज़र से ना गुज़र जाए कहीं,
ज़हर-ए-उल्फत कोई मेरे लहू में ना उतर जाए कहीं।
Vedanta Two Agyat Agyani
मौलिक जीवन का धर्म
— जियो… अपने स्वभाव में —
मानव के जीने के कोई विशेष नियम–सिद्धांत नहीं हैं।
बस जियो — अपने स्वभाव में।
हर आत्मा एक अनोखा रंग है,
हर जीवन एक मौलिक स्वर।
इसी स्वभाव को जी देना ही जीवन है।
✦ नियम कैसे बंधन बने ✦
धर्म, शिक्षा, विज्ञान —
इन्होंने मनुष्य के अनुभव को बटोरा,
उसे नियम बनाया,
फिर उन्हीं नियमों को सत्ता की गद्दी दे दी।
और कहा —
> “दूसरा मेरे ढंग से जिए,
ताकि मैं उसे आसानी से गुलाम बना सकूँ।”
यहीं से
धर्म → पंथ → संप्रदाय बनते गए,
और मनुष्य का स्वभाव
क़ैद होता गया।
✦ मनुष्य का चमत्कार ✦
यदि मनुष्य सच में अपने को जी ले —
तो हर एक
कला है,
विज्ञान है,
गीत-संगीत है,
चित्रकारी है,
इंजीनियरिंग है,
मूक कविता है।
अस्तित्व किसी की कॉपी नहीं बनाता।
विविधता ही ईश्वर की कला है।
> ईश्वर = जीवन = स्वतंत्र आत्मा का विकास।
✦ उधार का जीवन — भूख का कारण ✦
भीड़ की तालियाँ आज
सत्ता समझी जाती हैं।
पर कला तो
ना सिखाई जाती है,
ना दिखाई —
बस जीने से जागती है।
उधार का जीवन
उधार की खुशी देता है।
फिर भीतर हमेशा
एक भूख…
एक अधूरापन बाकी।
क्योंकि
भीतरी फूल खिलने से पहले ही
धर्म–संस्कारों के बोझ तले मसल दिए गए।
---
✦ जीवन संबंध बनाता है ✦
जिसकी जितनी आयु —
उतने ही रंग, उतने ही रिश्ते:
बच्ची के साथ बच्चा
स्त्री के साथ स्त्री
जवान के साथ जवान
वृद्ध के साथ मौन
पशु के साथ सहज प्रकृति
तभी भरत शेरों के साथ खेला था।
तभी साँप शिव के गले का हार बना।
यह जीवन का अपना नृत्य है।
✦ प्रतिस्पर्धा = व्यापार ✦
✦ मौलिकता = जीवन ✦
जब दुनिया एक जैसा जीवन जीने लगे —
प्रतिस्पर्धा बढ़ती है,
लेकिन जीवन मरता है।
एक जीतता है —
सौ हारते हैं।
यह रावण की व्यवस्था है —
जीवन नहीं।
> प्रतिस्पर्धा व्यापार है।
जीवन मौलिकता है।
✦ आत्मा की राह ✦
जीवन स्वयं
ईश्वर की साधना है।
जिए हुए में ही
तीर्थ बसते हैं।
यही विविधता
हमारे मेल–मिलापों का उत्सव है।
✦ रचना का धर्म ✦
आज तकनीक ने
सब घर एक-से बना दिए।
अतीत के मंदिर देखो —
हर मंदिर अपनी आत्मा लिए खड़ा है।
न हार-जीत
न सफलता–असफलता —
सिर्फ सृजन।
> जियो अपने स्वभाव में — यह ही धर्म है।
जो जीवन थोपा जाता है,
वह शिक्षा नहीं —
हिंसा है।
जीवन छीनकर
नियम दिए जाते हैं।
गुलामी को सभ्यता कहा जाता है।
✦ निष्कर्ष ✦
जीवन का दूसरा नाम —
स्वतंत्रता।
और स्वतंत्रता का असली अर्थ —
मैं वही बनूँ
जो मैं होने आया हूँ।
Vedānta Yoga — Union with Your True Nature
(वेदान्त योग — अपने सत्य स्वभाव से एकत्व)
Vedānta 2.0 © 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲
S A Y R I K I N G
"दायरे में रहकर लिखने का हुनर मुझमें नहीं मैं वो भी लिख दूँगा जो उस से पढ़ा ना जाएगा"
S A Y R I K I N G
मेरे टूटे हुए दिल को अभी और टूटना होगा,
अभी तो उसको किसी और के साथ देखना होगा ।
S A Y R I K I N G
मुझे पसंद है रातें सर्दियों की वक़्त ज़्यादा मिलता है तन्हाई में सुकून से रोने का
Vrishali Gotkhindikar
🥬पालक दुधी सुप
🥬दुधी बारीक तुकडे करून वाफवून घेतला
मिक्सर मधे फाईन पेस्ट करून घेतला
🥬पालक कच्चा बारीक चिरून घेतला
पॅन मधे बटर घालुन
ते वितळले तेंव्हा जीरे घातले
दुधीचा बारीक केलेला गर घालून आवश्यक तितके पाणी घातले
दुधीचा गर इतका दाट असतो की कॉर्न फ्लॉवर वापरायची गरज नाही
थोडी उकळी आल्यावर साखर मीठ आणि पालक ची पाने घातली
परत एक उकळी काढली
🥬एकदा उकळी आली की बारीक केलेली पालक ची पाने छान शिजतात
खायला घेताना काळी मिरी पावडर घातली
सोबत ब्रेड रोस्ट करून..
Jyoti Gupta
#JethaBhai
#GadaElectronics
#Bapuji
#BhideMasterMind
#Tapu
#TapuSena
#DayaBen
#ChampakChacha
#Sundar
#GokuldhamGang
Imaran
प्यार तो जिंदगी का एक अफसाना है,
इसका अपना ही एक तराना है,
सबको मालूम है कि मिलेंगे सिर्फ आंसू,
पर न जाने क्यों, दुनियां में हर कोई इसका दीवाना है
🫶 imran 🫶
Bitu
ना सपने हकीक़त बने...
ना पूरे हुए ख्वाब..
ना वादे पूरे हुए
पर गुजर गया ये साल...
देखो दिसम्बर
फिर आगया जनाब...
Bitu....
Raju kumar Chaudhary
https://www.matrubharti.com/book/19984217/first-meeting-last-love
Paagla
Life is a love, love is a life ...✍️
Manoj kumar shukla
मेरा साथ निभाना साथी।
मुझे छोड़ मत जाना साथी।।
फेरे लिए अग्नि-पथ के हैं ।
प्रेम सुधा बरसाना साथी।।
सुख-दुख तो आना-जाना है।
इससे मत घबराना साथी।।
जीवन पथ पर चलें निरंतर।
कुछ भी नहीं छिपाना साथी।।
मेरा जो वह सब तेरा है।
ऐसे भाव मिलाना साथी।।
पथ पथरीले राह कठिन है।
उलझन सभी मिटाना साथी।।
ऊँचीं-ऊँचीं बनीं सीढ़ियाँ।
गहकर हाथ चढ़ाना साथी।।
मनोजकुमार शुक्ल 'मनोज'
Dr Darshita Babubhai Shah
मैं और मेरे अह्सास
प्यार
प्यार एक ही झटके में होता हैं l
आशिकों के लहज़े में होता हैं ll
दिल जब से धड़कना सीखा है l
तब से वो तो ख़तरे में होता हैं ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह
Shefali
#shabdone_sarname__
#શબ્દોને_સરનામે__
#shabdone_sarname_
.
kattupaya s
Good morning friends have a great week
Shikha
কংস বড্ড বোকা ছিল
প্রশ্ন আমার কত আছে,
সুধাই কাকে হাই?
কংস যখন আগেই জানত
অষ্টম জনই মারবে তাকে—
তবে কেন একই সঙ্গে
কারাগারে রাখল দু’জনাই?
বল আমাকে ভাই—
আলাদা করে রাখলে কি আর
গোপাল সোনা জন্মাত রে ভাই?
কংস বড্ড বোকা ছিল—
তাই তো মনে হয় ।।
- কলমে শিক্ষা
મનોજ નાવડીયા
વાયરો પાંદડાને સ્પર્શ કરી જાય છે,
મન બેઉના મહેકીને ડોલી જાય છે,
સૂર છેડાય છે ત્યાં પ્રકૃતિ તણા,
દિલને હળવેથી ઝણકાવી જાય છે,
વાત જાણે છે શું? એ કોઈ પૂછો નહીં,
ડાળીઓ ઝૂલીને બસ હસી જાય છે,
ભેદ ખોલે છે કુદરત અનોખો અહીં,
પાંદડું હળવે છૂપી વાત કહી જાય છે,
પ્રેમ કોરો એ ત્યાં સજીવન થાય છે,
ક્ષણ એ ત્યાં આવીને થંભી જાય છે,
ઝાકળનુ બુંદ સાબીતી આપી જાય છે,
વાયરો પ્રેમનો સાથ નીભાવી જાય છે.
મનોજ નાવડીયા
Soni shakya
🙏सुप्रभात 🙏
🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹
🙏🌹🙏ओम् नमः शिवाय 🙏🌹🙏
GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)
इस पूरे संसार में रिश्ते बने अनेक। दर दर हम भटका किए , काम न आए एक।। दोहा --333
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'
Ami
બહારથી ઘરે આવી ઘરનું દરેક સભ્ય થાકે છે.પણ એક પુત્રવધુ થાકતી નથી.ઘરેથી નીકળતા ઘરે આવતા ઘરનું કામ કરવું એની ફરજ છે.ઘરના દરેક સભ્યની ફરજના ચોપડા આ દુનિયામાં નથી પણ એક પત્ની એક વહુની ફરજ ઘરના સભ્યોને લીટીએ લીટી યાદ છે...
- Ami
Dinesh
*🙏જય બાબા સ્વામી*🙏
*આજનો સુવિચાર*
ભેગું કરેલું ભોગવી શકાશે કે કેમ, એ નિશ્ચિત નથી, પણ ભેગું કરવાં જે કર્મો કર્યાં છે, તે તો નિશ્ચિતપણે ભોગવવાં જ પડશે.
*શુભ સવાર*
Bhavna Bhatt
લગ્નમાં ગરબા ની રમઝટ
Sonu Kumar
SIR का लक्ष्य केवल इतना है कि बिकाऊ NGO-मुखिया प्रजातंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं को गुमराह कर सकें, ताकि प्रजातंत्र समर्थकों को EvmBlackGlass डेमो देखने का समय न मिले। इसके अलावा कोई और लक्ष्य नहीं है!!!
भारत में लगभग 1 करोड़ सच्चे “कार्यकर्ता” हैं। अधिकांश कार्यकर्ता अपनी 90% ऊर्जा और समय केवल 1–2 मुद्दों पर लगाना चाहते हैं। उदाहरण के लिए—कुछ केवल कुत्तों के लिए काम करना चाहते हैं और कुछ नहीं। कुछ केवल पेड़ों को बचाना चाहते हैं। कुछ के लिए सक्रियता का मतलब सिर्फ शाकाहार/वीगनिज़्म है। कुछ के लिए सक्रियता हिन्दू–मुस्लिम मुद्दे से शुरू होकर वहीं खत्म होती है। कुछ के लिए सक्रियता सिर्फ “रागा का विरोध” या “मोदी का विरोध” है। कुछ केवल स्वास्थ्य मुद्दों पर काम करते हैं।
ये कार्यकर्ता पैसों के लिए नहीं हैं।
कुछ 30–40 साल पहले बड़ी संख्या में गरीब-समर्थक कार्यकर्ता हुआ करते थे, जो समय के साथ कम हुए हैं। समय के साथ पेड़-कार्यकर्ता, वीगन कार्यकर्ता, कुत्ता-प्रेमी कार्यकर्ता, पर्यावरण कार्यकर्ता और हिन्दू-मुस्लिम मुद्दों वाले कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ी है।
और लगभग 50 हज़ार से 1 लाख (या 10 हज़ार) ऐसे लोग हैं जो लोकतंत्र-कार्यकर्ता हैं!! यानी उनके लिए लोकतंत्र सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है।
मैं दोहराता हूँ—भारत में लगभग 50 हज़ार सच्चे कार्यकर्ताओं के लिए लोकतंत्र सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है।
अब लगभग सभी कार्यकर्ता-नेता, पत्रकार, राजनीतिक अंधविश्वास पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसर, समाजशास्त्र के प्रोफ़ेसर आदि केवल पैसों के लिए खेल में हैं। उन्हें पैसे दिए जाते हैं ताकि कार्यकर्ताओं को व्यस्त रखा जाए, और वे EvmVoteChori, USA के चुनाव-रिकॉल ज्यूरी कानून, हथियार, खनिज, प्लॉट, प्रतिगामी कर-व्यवस्था, अफ़ीम–भांग की उपयोगिता, और भोजन/सप्लीमेंट/दवाओं में ज़हर के मुद्दों पर ध्यान न दे सकें।
तो मैं फिर कहता हूँ—
(1) लगभग 50 हज़ार (या 10 हज़ार) लोकतंत्र-कार्यकर्ता हैं!! यानी उनके लिए लोकतंत्र ही सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है।
(2) सभी “कारणों” के कार्यकर्ता-नेता पैसे लेकर सभी कार्यकर्ताओं को इतना व्यस्त रखते हैं कि उन्हें EvmVoteChori, रिकॉल कानून, खनिज, प्लॉट, प्रतिगामी कर-व्यवस्था और भोजन/सप्लीमेंट/दवा में ज़हर जैसे मुद्दों को देखने का समय न मिले।
समस्या यह है—EvmBlackGlass डेमो प्रजातंत्र कार्यकर्ताओं के दिमाग को इस हद तक अपनी ओर खींच रहा है कि उनके नेता उन्हें “बैलट पेपर लाओ” वाले मुद्दे पर भी नहीं ला पा रहे हैं।
इसलिए प्रजातंत्र-कार्यकर्ताओं को व्यस्त रखने में SIR महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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Nabiya Khan
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एक ख़ूबसूरत Subah की रौशन दास्तान
हर नई subah अपने साथ ख़ामोशी में छुपी हुई एक ताज़ा umeed लेकर आती है। जब aftab की पहली किरन पर्दों को चीरकर कमरे में उतरती है, तो ऐसा लगता है जैसे khuda ने हमारी रूह को नई roshanī से भर दिया हो। सुबह की ठंडी hava में वो नर्मी होती है जो दिल को एक अजीब सी tasalli देती है—जैसे जिंदगी हमें फिर से मुस्कुराने का हौसला दे रही हो।
पेड़ों से गिरती हल्की osh की बूंदें, पंछियों की मधुर sada और आसमान की नीली lehrahat—ये सब मिलकर सुबह को एक मुकम्मल nazara बना देते हैं। यही वो वक़्त होता है जब इंसान अपने दिल की आवाज़ साफ़-साफ सुन सकता है। एक शांत पल, एक गहरी सांस, और एक एहसास कि हम आज फिर कुछ अच्छा कर सकते हैं।
सुबह हमें याद दिलाती है कि बीती हुई रात चाहे जितनी sakht रही हो, हर नया दिन एक नई dastaan लेकर आता है। बस ज़रूरत है उस roshanī को अपनाने की, उसे महसूस करने की, और जिंदगी को अपने दिल की नर्मी से जीने की।
एक खूबसूरत subah सिर्फ सूरज के निकलने का नाम नहीं, बल्कि एक नए safar की शुरुआत का एलान है।
तो आइए… इस सुबह को दिल से महसूस करें, मुस्कुराएं, और जिंदगी को एक नए रंग में स्वीकार करें
Nabiya Khan
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एक ख़ूबसूरत Subah की रौशन दास्तान
हर नई subah अपने साथ ख़ामोशी में छुपी हुई एक ताज़ा umeed लेकर आती है। जब aftab की पहली किरन पर्दों को चीरकर कमरे में उतरती है, तो ऐसा लगता है जैसे khuda ने हमारी रूह को नई roshanī से भर दिया हो। सुबह की ठंडी hava में वो नर्मी होती है जो दिल को एक अजीब सी tasalli देती है—जैसे जिंदगी हमें फिर से मुस्कुराने का हौसला दे रही हो।
पेड़ों से गिरती हल्की osh की बूंदें, पंछियों की मधुर sada और आसमान की नीली lehrahat—ये सब मिलकर सुबह को एक मुकम्मल nazara बना देते हैं। यही वो वक़्त होता है जब इंसान अपने दिल की आवाज़ साफ़-साफ सुन सकता है। एक शांत पल, एक गहरी सांस, और एक एहसास कि हम आज फिर कुछ अच्छा कर सकते हैं।
सुबह हमें याद दिलाती है कि बीती हुई रात चाहे जितनी sakht रही हो, हर नया दिन एक नई dastaan लेकर आता है। बस ज़रूरत है उस roshanī को अपनाने की, उसे महसूस करने की, और जिंदगी को अपने दिल की नर्मी से जीने की।
एक खूबसूरत subah सिर्फ सूरज के निकलने का नाम नहीं, बल्कि एक नए safar की शुरुआत का एलान है।
तो आइए… इस सुबह को दिल से महसूस करें, मुस्कुराएं, और जिंदगी को एक नए रंग में स्वीकार करें
Bhavna Bhatt
સફળતામાં સૌ ભાગીદાર બને છે ્..
Soni shakya
वह एक लम्हा कि जिसमें मिले थे तुम मुझसे..
अभी भी जिंदा है दिल में एक सदियों की तरह..
💕💕💕💕
- Soni shakya
Bhavna Bhatt
લાડલી દિકરી દ્રિષવી ને ખુબ ખુબ શુભેચ્છાઓ અને અભિનંદન સાથે અઢળક આશિર્વાદ બેટા 🙌❤️🙌
ભરતભાઈ જોષી પરિવાર નું નામ રોશન કર્યું છે..
તારાં જીનલ માસા ને સરગમ માસી ને રાજુ દાદા અમને સૌને ગર્વ છે ...
Bitu
अच्छा लगता अगर तुम
पकड़कर मेरा हाथ
बैठाकर अपने पास
कहते कुछ देर
और बैठो ना मेरे साथ....
कभी पीछे से आकर
सीने से लगाकर
कहते मैं हु ना तेरे साथ...
तकलीफ़ होती हैं जनाब
जब जिंदगी के सफर में
साथ होकर भी ना
हो हमसफर साथ में....
Payal Rai
ME & DEATH
Death watched me finish my story,
his eyes dimming like lamps starved of oil.
For a moment he said nothing-
just stared at the wreckage inside me
as if reading a book he was afraid to touch.
Then he rose, slowly, almost apologetically,
and extended his thin, trembling hand.
“Come,” he whispered,
“there are places darker than hell…
and yet they hurt far less than what you’ve endured.”
I hesitated, out of habit,
out of the strange loyalty I still carried
toward the world that ruined me.
But Death only looked at me with quiet grief,
the grief of someone who knows
I have suffered more than most corpses he has collected.
“Walk with me,” he said,
“not to punish you,
but to lead you somewhere
where the monsters are at least honest.”
And for the first time,
the real world felt more terrifying
than the hell he gently offered.
Ashish
*## ગૃહિણી ..."*
*રસાયણશાસ્ત્ર* નો કોઈ અભ્યાસ ન હોય, પણ રસોડું તો એક પ્રયોગશાળા જ ગણાય. દૂધમાં સાઇટ્રિક એસિડ ઉમેરી પનીર બનાવવું, ...સોડિયમ બાઈકાર્બોનેટ થી કેક ફુલાવવી.
ચમચીથી સોડિયમ ક્લોરાઇડ નું ચોક્કસ પ્રમાણ તોલતી, ...રોજ કેટલાય પ્રયોગો કરી નાખે છે. ...*પણ પોતાને કોઈ વૈજ્ઞાનિક નહીં, માત્ર ગૃહિણી જ માને છે."*
રસોઈ ગેસના ભાવ વધે કે શાકભાજી મોંઘી થાય, ...પેટ્રોલ-ડીઝલ મોંઘું થાય કે તેલમાં ઉછાળો આવે, ...ઘરના બગડેલા બજેટને ઝટપટ સંભાળી લે છે. ....*અર્થશાસ્ત્રી હોવા છતાં, પોતાને માત્ર ગૃહિણી જ માને છે.*
મસાલાના નામ પર ભરેલો છે... *આયુર્વેદનો ખજાનો.* ..આંગણામાં ઉગાડી રાખ્યા છે, ..તુલસી, ને લીમડો... છોટી-મોટી બીમારીઓને તો,
કાવાથી જ ભગાડવાનું જાણે છે. *પણ પોતાને માત્ર ગૃહિણી જ માને છે."*
સુંદર રંગોળીઓ અને મહેંદીમાં, નજર આવે છે તેમની ચિત્રકારી. સુવ્યવસ્થિત ઘરમાં ઝળકે છે, તેમની કલાકારી. "ઢોલક ના તાલ પર ગીત ગાતી-નાચતી, કેટલીય કળાઓ જાણે છે, પણ ...*પોતાને માત્ર ગૃહિણી જ માને છે."*
સમાજશાસ્ત્ર કદાચ ભણ્યું પણ નહીં હોય, પણ, પરિવારને ઉન્નત કરી, સમાજની ઉન્નતિમાં, પૂરું યોગદાન આપે છે. ...*પણ પોતાને માત્ર ગૃહિણી જ માને છે."*
મનોવૈજ્ઞાનિક ભલે ન હોય, પણ ઘરમાં બધાનું મન વાંચી લે છે. રિશ્તાઓના ઉલઝેલા તાણાને, સુલઝાવવા ખૂબ જાણે છે. ...*પણ પોતાને માત્ર ગૃહિણી જ માને છે."*
યોગ-ધ્યાન માટે સમય નથી, એવું ઘણીવાર કહે છે, અને પ્રાર્થનામાં મન લગાવી, ઘરની કુશળતા માંગે છે. ...*પોતાને માત્ર ગૃહિણી જ માને છે."*
આ ગૃહિણીઓ ખરેખર મહાન છે, કેટલાય ગુણોની ખાણ છે. સર્વગુણ સંપન્ન હોવા છતાં, અહંકાર નથી કરતી. ...*પોતાને માત્ર ગૃહિણી જ માને છે."*
##ઘરકામ માં વ્યસ્ત રહેતી દરેક ગૃહિણી ને *સમર્પિત... દરેક ગૃહિણીને શેર કરશો...*"
Priya
मेरे दर्द का मुझसे हिसाब ना मांगिये
बेवजह ही मुझें गुनाहगार मत मानिए...
Priya kashyap
Deepak Bundela Arymoulik
"पत्नी क्यों मोहनी नहीं होती?”
क्यों पत्नियाँ प्रेमिका नहीं होती,
क्यों हर रोज़ वो मोहनी नहीं होती?
क्यों महके हुए ख़्वाबों की जगह,
रसोई की धूप ओढ़नी नहीं होती?
क्यों सजना अब फ़र्ज़ नहीं रह जाता,
हँसी आईने की ज़रूरत नहीं होती?
क्यों आँखों में अब नशा नहीं दिखता,
वो बातों में पहले सी रोशनी नहीं होती?
असल में वो मोहनी आज भी होती है,
बस उसे दिखाने की फुर्सत नहीं होती।
वो जो घर को जन्नत बना देती है,
उसे जन्नत देखने की इजाज़त नहीं होती।
वो थक कर भी मुस्कान पहन लेती है,
पर उसकी थकान कभी ज़ाहिर नहीं होती।
प्रेमिका सपनों में बसती है अक्सर,
पत्नी हक़ीक़त की कहानी होती है।
जहाँ मोह छिन जाता है आदतों में,
वहीं से असली मेहरबानी होती है।
पत्नी मोहनी नहीं लगती शायद,
क्योंकि वो दिखावा नहीं करती।
वो इश्क़ को कामों में बदल देती है,
इसलिए अदाओं की नुमाइश नहीं करती।
और जो इसे समझ ले सच्चे दिल से,
उसकी पत्नी फिर भी मोहनी लगती है,
बस देखने वाली नज़र चाहिए,
वरना मोहब्बत रोज़ की आदत बन जाती है।
आर्यमौलिक
Priya
कोई प्यार करता था हमसे
उससे कहा ना गया
ये दर्द उसका हमसे सहा ना गया
जानते हैं उसके सारे हालात को
इंतजार उसका और दिल ए बेकरार को
पर चाहते नहीं की वो भी हमसा हो जाए
प्यार में खो जाए और मायूस हो जाए
दिल में कोई और हमारे ठहरा हुआ हैं
ये बात उसको मालूम हैं फिर भी
हमारे लिए वो हमेशा हंसता रहा हैं
यकीन नहीं होता ,
वो इतना कुछ कैसे सहता गया हैं
हम जानते हैं हमारी गलतियों को
इसीलिए अब तुमसे भी नाराजगी कर ली हमने
ये ख्याल हैं तुम्हारा की हम तुम्हें भूल चुके हैं
पर हम तुम्हें ये कैसे बताए की
हम खुद को ही ढूँढ रहे है
तुम दोस्त हो मेरे ये बात जानते हैं
तुमसे बांटले ये दर्द अपना
ये मन मेरा अब भी कहता हैं
पर तुम्हारी भावना को जानते हुए
ये दिल मेरा चुप रहता हैं।
Priya kashyap..✍️
Kuldeep Singh
https://www.matrubharti.com/book/19984710/zindagi-sangharsh-se-sukun-tak-4
please give me your wonderful reviews and ratings 🙏😊
varshini
Hii! This is a small girl writter from Hyderabad. Thank you for your support for the story of " The silent warrior"
my next novel " A lion's Roar a chapter of courage ( Chhatrapati Shivaji Maharaj ji)
I hope you all will like the story,this is a story where we gain some knowledge on them and respect to the warriors.
ArUu
एक दिन जब जिंदगी पूछेगी
तो सबसे बड़ी दुश्मन है वही मेरी
बताऊंगी उसे मैं
- ArUu
pink lotus
गोरख दिशा🌸
मुझे उस दिश जाना
जिस दिश गोरख लीन
वही वचन मे कहना चाहू
गुरु इस कलयुग मे तेरा दर्श चाहू
लोग कहे न जागे कोई संत
पर मे अटल तेरी राह निहारु
और ना धुन्दू संतन को कोई
मे बस अपने गुरु को चाहू
गुरु तुम्ही मेरे भगवन
हा गुरु हा मे मानु ये बात की मेने किये पाप हजार पर मे तो थी अज्ञानी नाथा ज्ञान का दातार कोई।
की गलती सब गोरखधंधे मे
अब तो बस तेरी दिशा दिखे
हा मानु मे पापी बड़ी
पर तुम भी तो दया के दातार हो
डे दो इस मुर्ख को शरण अपने चरण मे
न करू कोई कर्म न पुण्य न पाप
तोड़ दु वो कर्म के बंधन
मेरे करम बस तुम्हें गिनु हाँ
करू मे हर एक कर्म का पश्यताप मे
मानु ग़लती माफी भी मांगू ना मिले
माफी तो उस कर्म की सजा भी चाहू
दे दो सजा मे खुशी से स्विकारु
आपका दिया तो दुख भी सुख है
आपका दिया वोह जहर भी अमृत
घट घट पीयू एक बूंद ना छोडू
Om shiv gorksh ❣️🙏🌸
By: pinklotus 🌸
Anup Gajare
"चंद्र-शल्य"
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चाँद पर पड़ी दरारें—
एक मृत नदी की स्मृतियाँ हैं,
जिसके सीने में न जाने कितनी
अनजानी तृष्णाएँ दबी थीं।
क्या कहूँ—उस रात मैंने क्या देखा?
मैंने अपने आपको अनगिन अर्थों में
धीरे-धीरे बिखरते देखा,
और चाँद के ठीक नीचे
एक परछाईं की तरह खड़ा पाया।
अब उस नदी में ऊफ़ान नहीं आता।
सागर से मिलने के बाद भी
वह सागर की न रही—
नदी की पहचान
उस संगम में कहीं खो गई।
रत्नाकर भी कब समझ पाया था
कि उसके भीतर
इच्छाओं के कितने
निर्मम शिंपले पल रहे थे?
समुद्र तो न जाने
कितनी नदियाँ भोग चुका है—
पर मैं?
मैंने तो सिर्फ़ रातों को ही जाना है।
रातें—जहाँ उगता है
शत-विशत रूपों वाला चाँद,
और जहाँ मैंने देखा है
उस मृत नदी का
कभी न बुझने वाला
अतृप्त विरह।
मैं—अभोगी।
अदास।
बस देख सकने वाला एक साक्षी।
जो देखता है
व्यथा के अंतहीन गर्त से उठती
सूची-बाणों की किरचें—
किरचें जो शरीर में अटककर
अपने आप ही
एक नया अंग बन जाती हैं।
देखने के अलावा
एक त्र्यस्त, भटका हुआ मुसाफ़िर
और कर भी क्या सकता है।
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pink lotus
दुसरो के कारण
अपने जीवनका
आनंद न लेना
यह जीवन का अपमान है 🖤
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