Gujarati Whatsapp Status | Hindi Whatsapp Status
Mamta Trivedi

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं कविता का शीर्षक हैं सफ़र कि सीमा

Raju kumar Chaudhary

👻 हवेली की दास्तान शहर से बहुत दूर, पहाड़ों और घने जंगलों के बीच एक गाँव बसा था – रामगढ़। गाँव शांत था, लोग मेहनती थे, लेकिन उस गाँव के पास एक काली हवेली थी। लोग कहते थे, उस हवेली में कोई इंसान नहीं रहता, सिर्फ़ परछाइयाँ और चीखें रहती हैं। सूरज ढलते ही उस ओर कोई जाने की हिम्मत नहीं करता था। कहा जाता था कि हवेली के सौ साल पहले के मालिक ठाकुर रणवीर सिंह की पत्नी – रूपा – को ज़िंदा दीवारों में चुन दिया गया था। वजह कोई नहीं जानता था, लेकिन उसकी आत्मा हवेली में भटकती रही। जो भी वहाँ गया, या तो कभी वापस नहीं लौटा, या फिर लौटकर पागल हो गया। 🔦 चार दोस्तों का साहस रामगढ़ में पढ़ाई करने आए चार दोस्त – राहुल, आदित्य, सीमा और कविता – इस हवेली की कहानी सुन चुके थे। कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने “Haunted Places of India” पर रिसर्च करनी थी। सबने सोचा कि हवेली को अपनी रिसर्च का हिस्सा बनाएँ। गाँववालों ने मना किया – "बेटा, रात को वहाँ मत जाना… वहाँ से कोई नहीं लौटता।" लेकिन चारों दोस्तों ने हँसते हुए कहा, "ये सब अंधविश्वास है।" एक रात, टॉर्च और कैमरा लेकर वे हवेली पहुँचे। 🏚️ हवेली के भीतर हवेली का दरवाज़ा चर्र-चर्र की आवाज़ के साथ खुला। अंदर सन्नाटा पसरा था। दीवारों पर मकड़ी के जाले, टूटी खिड़कियाँ, और फर्श पर जमी धूल। लेकिन उस सन्नाटे में भी सबको लगा जैसे कोई उनकी साँसें सुन रहा हो। सीमा ने कहा, "मुझे लग रहा है कोई हमें देख रहा है।" आदित्य हँसते हुए बोला, "अरे डरपोक मत बनो। ये सब हमारा वहम है।" वे हवेली के बीचोंबीच बने बड़े कमरे में पहुँचे। वहाँ एक पुरानी लकड़ी की अलमारी थी। अलमारी के अंदर उन्हें एक काली डायरी मिली। 📖 डरावनी डायरी राहुल ने धूल साफ़ करके डायरी खोली। उसमें लिखा था: "मैं रूपा… ठाकुर रणवीर सिंह की पत्नी। मुझे धोखा दिया गया, ज़िंदा दीवारों में चुन दिया गया। मेरा खून इन दीवारों में बहता है। जो भी मेरी चीखें सुन लेता है, वो कभी इस हवेली से बाहर नहीं निकल पाता। जब तक कोई मेरी अधूरी कहानी पूरी नहीं करेगा, मैं हर आत्मा को यहाँ कैद कर लूँगी।" इतना पढ़ते ही हवेली का दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया। तेज़ हवा चली, टॉर्च की रोशनी झपकने लगी। 👁️ प्रेतात्मा का आगमन अचानक दीवार से खून टपकने लगा। सीमा चीख पड़ी। तभी वहाँ एक औरत का साया उभरा – सफ़ेद साड़ी, खुले बिखरे बाल, चेहरे पर काला घूँघट, और आँखें लाल जलती हुई। वो धीरे-धीरे सीमा की ओर बढ़ी। "तुम… मेरी दास्तान पढ़ चुके हो… अब तुम कभी नहीं जाओगे।" सीमा डर से काँप रही थी। राहुल और कविता ने उसे पकड़कर भागना चाहा, लेकिन हवा इतनी तेज़ थी कि दरवाज़ा खुल ही नहीं रहा था। 💀 सीमा की चीख प्रेतात्मा ने सीमा का हाथ पकड़ लिया। उसी क्षण पूरे कमरे में भयानक चीख गूँजी। रोशनी चली गई। जब टॉर्च दोबारा जली, सीमा वहाँ नहीं थी – बस उसकी टूटी चूड़ियाँ और खून के धब्बे पड़े थे। राहुल, आदित्य और कविता ने किसी तरह ज़ोर लगाकर दरवाज़ा खोला और हवेली से बाहर भागे। जैसे ही बाहर पहुँचे, दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया। 🌑 आज तक का रहस्य तीनों किसी तरह गाँव लौटे। उन्होंने सबको सच बताया, लेकिन कोई उनकी बात पर यक़ीन नहीं करता। गाँववाले कहते हैं, सीमा अब हवेली का हिस्सा बन चुकी है। रात को हवेली के अंदर से आज भी हँसी और चीखें सुनाई देती हैं – कभी रूपा की, कभी सीमा की। जो भी वहाँ जाता है, वह हवेली की दीवारों में समा जाता है। हवेली अब सिर्फ़ खंडहर नहीं, बल्कि आत्माओं की जेल बन चुकी है। 😨 यह थी हवेली की दास्तान… एक ऐसी जगह जहाँ कदम रखते ही इंसान ज़िंदा नहीं लौटता।

Raju kumar Chaudhary

🌹 पहली नज़र का इश्क़ 🌹 दिल्ली की ठंडी शाम थी। कॉलेज का कैंपस अपने शोर और चहल-पहल से भरा हुआ था। वहीं, भीड़ के बीच आरव पहली बार उसे देखता है— एक लड़की, सफ़ेद कुर्ते में, बाल हवा में उड़ते हुए, हाथों में किताबें संभालती हुई… उसका नाम था अन्वी। आरव को लगा जैसे वक़्त रुक गया हो। वो कुछ कह नहीं पाया, बस दूर से उसे देखता रह गया। दिन बीतते गए। लाइब्रेरी में, कैफ़ेटेरिया में, और कभी-कभी बस-स्टॉप पर—आरव की नज़र हमेशा उसी पर टिक जाती। पर वो बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। एक दिन, लाइब्रेरी में किताब गिरने पर दोनों का हाथ एक साथ किताब उठाने के लिए बढ़ा। पहली बार उनकी आँखें मिलीं। और शायद वहीं से कहानी शुरू हुई। धीरे-धीरे बातचीत हुई। किताबों पर, सपनों पर, और ज़िंदगी पर। अन्वी को आरव का सच्चा और मासूम स्वभाव पसंद आने लगा। और आरव… वो तो पहले ही उसका हो चुका था। लेकिन प्यार कभी आसान नहीं होता। अन्वी के घरवाले सख़्त थे। पढ़ाई पूरी होने तक किसी रिश्ते की इजाज़त नहीं थी। आरव जानता था कि उसे सब्र करना होगा। वक़्त गुज़रता गया। आरव ने सिर्फ़ एक वादा किया— "अन्वी, मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा। चाहे जितना भी वक़्त लगे।" तीन साल बाद… जब अन्वी ने अपनी पढ़ाई पूरी की, उसके घरवाले हैरान रह गए कि जो लड़का तीन साल तक बिना किसी उम्मीद के उसके लिए खड़ा रहा, वो कितना सच्चा होगा। और उस दिन, अन्वी ने मुस्कुराकर कहा— "आरव, अब और इंतज़ार नहीं। ये ज़िंदगी तुम्हारी है।" आरव की आँखों में खुशी के आँसू थे। उसकी पहली नज़र का इश्क़ आखिरकार हमेशा के लिए उसका हो गया। ✨ सीख: सच्चा प्यार कभी हारता नहीं। वक्त चाहे जितना भी ले, अगर इरादे साफ़ हों और दिल सच्चा हो—तो दो दिल हमेशा मिल जाते हैं।

Kiko Xoxo

F- Fight for you R- Respect you I- Include you E-Encourage you N- Need you D-Deserve you S- Stand by you - Kiko Xoxo

Kiko Xoxo

Compare yourself to your past not to others - Kiko Xoxo

Raju kumar Chaudhary

👻 हवेली की दास्तान शहर से बहुत दूर, पहाड़ों और घने जंगलों के बीच एक गाँव बसा था – रामगढ़। गाँव शांत था, लोग मेहनती थे, लेकिन उस गाँव के पास एक काली हवेली थी। लोग कहते थे, उस हवेली में कोई इंसान नहीं रहता, सिर्फ़ परछाइयाँ और चीखें रहती हैं। सूरज ढलते ही उस ओर कोई जाने की हिम्मत नहीं करता था। कहा जाता था कि हवेली के सौ साल पहले के मालिक ठाकुर रणवीर सिंह की पत्नी – रूपा – को ज़िंदा दीवारों में चुन दिया गया था। वजह कोई नहीं जानता था, लेकिन उसकी आत्मा हवेली में भटकती रही। जो भी वहाँ गया, या तो कभी वापस नहीं लौटा, या फिर लौटकर पागल हो गया। 🔦 चार दोस्तों का साहस रामगढ़ में पढ़ाई करने आए चार दोस्त – राहुल, आदित्य, सीमा और कविता – इस हवेली की कहानी सुन चुके थे। कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने “Haunted Places of India” पर रिसर्च करनी थी। सबने सोचा कि हवेली को अपनी रिसर्च का हिस्सा बनाएँ। गाँववालों ने मना किया – "बेटा, रात को वहाँ मत जाना… वहाँ से कोई नहीं लौटता।" लेकिन चारों दोस्तों ने हँसते हुए कहा, "ये सब अंधविश्वास है।" एक रात, टॉर्च और कैमरा लेकर वे हवेली पहुँचे। 🏚️ हवेली के भीतर हवेली का दरवाज़ा चर्र-चर्र की आवाज़ के साथ खुला। अंदर सन्नाटा पसरा था। दीवारों पर मकड़ी के जाले, टूटी खिड़कियाँ, और फर्श पर जमी धूल। लेकिन उस सन्नाटे में भी सबको लगा जैसे कोई उनकी साँसें सुन रहा हो। सीमा ने कहा, "मुझे लग रहा है कोई हमें देख रहा है।" आदित्य हँसते हुए बोला, "अरे डरपोक मत बनो। ये सब हमारा वहम है।" वे हवेली के बीचोंबीच बने बड़े कमरे में पहुँचे। वहाँ एक पुरानी लकड़ी की अलमारी थी। अलमारी के अंदर उन्हें एक काली डायरी मिली। 📖 डरावनी डायरी राहुल ने धूल साफ़ करके डायरी खोली। उसमें लिखा था: "मैं रूपा… ठाकुर रणवीर सिंह की पत्नी। मुझे धोखा दिया गया, ज़िंदा दीवारों में चुन दिया गया। मेरा खून इन दीवारों में बहता है। जो भी मेरी चीखें सुन लेता है, वो कभी इस हवेली से बाहर नहीं निकल पाता। जब तक कोई मेरी अधूरी कहानी पूरी नहीं करेगा, मैं हर आत्मा को यहाँ कैद कर लूँगी।" इतना पढ़ते ही हवेली का दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया। तेज़ हवा चली, टॉर्च की रोशनी झपकने लगी। 👁️ प्रेतात्मा का आगमन अचानक दीवार से खून टपकने लगा। सीमा चीख पड़ी। तभी वहाँ एक औरत का साया उभरा – सफ़ेद साड़ी, खुले बिखरे बाल, चेहरे पर काला घूँघट, और आँखें लाल जलती हुई। वो धीरे-धीरे सीमा की ओर बढ़ी। "तुम… मेरी दास्तान पढ़ चुके हो… अब तुम कभी नहीं जाओगे।" सीमा डर से काँप रही थी। राहुल और कविता ने उसे पकड़कर भागना चाहा, लेकिन हवा इतनी तेज़ थी कि दरवाज़ा खुल ही नहीं रहा था। 💀 सीमा की चीख प्रेतात्मा ने सीमा का हाथ पकड़ लिया। उसी क्षण पूरे कमरे में भयानक चीख गूँजी। रोशनी चली गई। जब टॉर्च दोबारा जली, सीमा वहाँ नहीं थी – बस उसकी टूटी चूड़ियाँ और खून के धब्बे पड़े थे। राहुल, आदित्य और कविता ने किसी तरह ज़ोर लगाकर दरवाज़ा खोला और हवेली से बाहर भागे। जैसे ही बाहर पहुँचे, दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया। 🌑 आज तक का रहस्य तीनों किसी तरह गाँव लौटे। उन्होंने सबको सच बताया, लेकिन कोई उनकी बात पर यक़ीन नहीं करता। गाँववाले कहते हैं, सीमा अब हवेली का हिस्सा बन चुकी है। रात को हवेली के अंदर से आज भी हँसी और चीखें सुनाई देती हैं – कभी रूपा की, कभी सीमा की। जो भी वहाँ जाता है, वह हवेली की दीवारों में समा जाता है। हवेली अब सिर्फ़ खंडहर नहीं, बल्कि आत्माओं की जेल बन चुकी है। 😨 यह थी हवेली की दास्तान… एक ऐसी जगह जहाँ कदम रखते ही इंसान ज़िंदा नहीं लौटता।

Punam Iyengar

माँ, आज मेरा जन्मदिन है, पर दिल कहता है ये दिन आपका भी तो है। क्योंकि आप ही ने मुझे इस दुनिया में लाया, जीवन का पहला उपहार मुझे दिलाया। आज आप पास नहीं हैं, पर हर साँस में आपकी दुआएँ बसती हैं। आपकी ममता की छाया आज भी साथ चलती है, आपकी यादें ही मेरे दिल को संभालती हैं। आपकी गोद का सुकून अब खामोश है, पर उसकी गर्माहट अब भी मेरे अंदर जोश है। आपने जो रास्ता दिखाया, वही मेरी पहचान है, आप ही मेरी शक्ति, आप ही मेरी जान हैं। माँ, हर जन्मदिन पर सबसे बड़ा धन्यवाद, आपको है— जिसने मुझे जन्म देकर, इस दुनिया में जीने का हौसला दिया। आप भले ही दूर सितारों में हों, पर मेरी हर धड़कन में सिर्फ़ "माँ" हो। 🌹🙏पिताजी, आज मैं जो भी हूँ, आपकी मेहनत, आपकी सीख और आपके साए की वजह से हूँ। आपने कभी अपने सपनों को पीछे छोड़कर, मेरे लिए नई राह बनाई। अपने संघर्षों को हंसकर सहा, ताकि मेरी आँखों में कभी आंसू न आए। आपका अनुशासन मेरा सहारा है, आपकी बातें मेरी ताक़त का किनारा हैं। आपकी डांट में भी प्यार था छुपा, आपकी खामोशी में भी दुआओं का आसरा था। पिताजी, मेरे हर जन्मदिन पर, माँ की ममता और आपकी परछाई दोनों मुझे याद आते हैं। आप ही मेरे पहले हीरो हैं, और हमेशा रहेंगे। 🙏💐 धन्यवाद, पिताजी 💐🙏 "माँ-बाप ही इस दुनिया की सबसे बड़ी दौलत हैं। वे ही हमें जीना, सोचना और सही रास्ते पर चलना सिखाते हैं। अगर आज मैं एक अच्छी इंसान और एक अच्छी नागरिक हूँ, तो यह सिर्फ़ मेरे माता-पिता की सीख और परवरिश की वजह से है। धन-दौलत और रिश्ते कभी साथ नहीं रहते, लेकिन माँ-बाप का दिया संस्कार और आशीर्वाद हमेशा ज़िंदगी का सहारा बनता है। इसलिए आइए, हम सब अपने माँ-बाप का सम्मान करें, क्योंकि वही हमारे असली भगवान हैं।" 🙏💐माँ-बाप: जीवन की सबसे बड़ी दौलत 🌺 दुनिया में सब रिश्ते बदल जाते हैं, कोई साथ आता है, कोई साथ छोड़ जाता है। लेकिन माँ-बाप ऐसे होते हैं, जो जन्म से लेकर आख़िरी सांस तक हमारे लिए सिर्फ़ देते ही रहते हैं। माँ हमें जीना सिखाती है, और पिता हमें दुनिया से लड़ना सिखाते हैं। माँ की ममता और पिता का अनुशासन — यही वो दो पंख हैं जिनसे इंसान उड़ना सीखता है। यदि हम अच्छे इंसान हैं, तो यह सिर्फ़ माँ-बाप की सीख का असर है। यदि हमारी सोच साफ है, तो यह उनकी परवरिश की छाप है। यदि हम सच्चे नागरिक हैं, तो यह उनकी दी हुई ईमानदारी का तोहफ़ा है। माँ-बाप ही वो दर्पण हैं जिसमें हम अपनी असली पहचान देखते हैं। धन-दौलत, रिश्तेदार, दोस्त — सब पीछे छूट सकते हैं, पर माँ-बाप की सीख और आशीर्वाद कभी नहीं छूटते। इसलिए माँ-बाप ही हमारी सबसे बड़ी पूँजी हैं, सबसे बड़ा मंदिर हैं, और सबसे बड़ा भगवान भी वही हैं। ---

shabdh skhi

दिल छोटा नहीं करते जो गया समझो मर गया ..! - shabdh skhi

shabdh skhi

जो हाथ में ना हो उन्हें मन से भी आज़ाद कर देना चाहिए। - shabdh skhi

shabdh skhi

जो मन से अच्छे होते है उन्हें दिखावे की जरूरत नहीं होती। - shabdh skhi

ek archana arpan tane

ઇશ્વરે દરેક વ્યક્તિને હીરા બનાવ્યા છે પણ ચમકદાર એ જ બની શકે જેનામાં ઘસાવાની તાકાત હોય. - ek archana arpan tane

Priyanshu Sharma

_*कोशिश करे कि किसी के लिए कुछ न करे;*_ _*वरना अधिकतर संभावना है कि सामने से आवाज आएगी-*_ *`"मैने कहा था क्या करने को?"`* @priyanshusharma8476

Anand Gurjar

परिंदों को यहां पर आशियाना मिल नहीं सकता । सियासत कह नहीं सकती ये साखें जानती हैं ।। हुकूमत की हकीकत को यूं ही कब तक छिपाओगे । हुआ कितना बखेड़ा है दीवारें जानती हैं ।। मुहब्बत दिल में रखने से भला कुछ भी नहीं होगा । जवां बेबस भलां हों पर निगाहें जानती हैं ।। यह आईना तुम्हारा है यह पत्थर भी तुम्हारे हैं । कि शायर मर नहीं सकता किताबें जानती हैं ।। तेरी दीवानगी में यूं फिदा कितने हो गए होंगे । जमाना जानता है यह मजारें जानती हैं ।। - आनन्द गुर्जर सहोदर

Kiya

11❤️

Gunjan Gayatri

yaadein #TriggerThoughts © gunjan Gayatri Aaj mera apne phone kisi ka missed call dekha. uska jisne bina kuch kaahe dil ko dukhaya meri kuch yaadon ko vo din chaap chuka hai, kyunki ek din day tha meri friend ka birthday par jab class mein pahunchi(reach)..... Check out complete Poem on Writco by Gunjan Gayatri https://writco.in/Poem/P81106112025105011 👉 https://bit.ly/download-writco-app #Writco #WritcoApp #WritingCommunity

सीमा कपूर

ये जमीन से जा मिली है,मेरी राहे, मेरी सांसे. 'कोई आके यह ना कहना कहां गुम है, तेरी बातें! - सीमा कपूर

Prashant Singh

"Kaash vo mere khayalon mein aa jaaye, Raat bhar apni baahon ka jadoo dikhlaaye. Subah jaise hi nind meri aankhon se rusva ho, Uski ek jhalak roshni banke samne aa jaaye."

Prashant Singh

Meri tabiyat ab kharab rahti hai, Dil mein bas tumhari aane ki aas rehti hai. Maine bhulana chaha tumko, Par mujhse ab ye duniya udaas rehti hai.

Chaitanya Joshi

ખૂબ ખૂબ વરસ્યો હવે તો જાવું પડશે. ના રહ્યો કો' તરસ્યો હવે તો જાવું પડશે. ભરી દીધાં નદી નાળાં, સરોવર, સમંદર, જળનું મહત્વ સમજ્યો હવે તો જાવું પડશે. કૃષિકારો હરખ્યા, આમજન પણ થૈ રાજી, ક્યાંક અનરાધાર ખાબક્યો હવે તો જાવું પડશે. બસ કરો આગાહીકારો રજા આપો મને, જન્માષ્ટમીને ચોથ મનાવ્યો હવે તો જાવું પડશે. મળીશું આવતે વરસ મને હવે વિદાય આપો, અવની પર ઘણું ઘણું રોકાયો હવે તો જાવું પડશે. - ચૈતન્ય જોષી. " દીપક " પોરબંદર.

Apurv Adarsh

आदर्श एक भ्रम है ।

Akshay Tiwari

हर एक साँस में बसा है तन्हा सफर, आँखें भी अब कहानी नहीं कहती। चुपके से बहते हैं आँसू दरिया बन, जिसे रोकना अब मुमकिन नहीं। तेरा एहसास अब हर पल का दर्द बन गया, हर ख़ुशी अधूरी, हर मुस्कान बेगानी। ये वक़्त भी अब बस एक बेवफा सिलसिला, जहाँ दिल खो गया अपनी पहचान में।

Piyush Goel

मम्मी का गुस्सा…

Raju kumar Chaudhary

✦ My Contract Marriage ✦ शहर की रौशनी में चमकती ऊँची-ऊँची इमारतों के बीच, इंसानों की कहानियाँ भी अक्सर अनकही रह जाती हैं। कुछ रिश्ते किस्मत से मिलते हैं, कुछ समझौते से। और कुछ… एक ऐसे कॉन्ट्रैक्ट से शुरू होते हैं, जो बाद में ज़िंदगी की सबसे सच्ची दास्तां बन जाते हैं। अध्याय 1 – सौदा आरव मेहरा, 28 वर्षीय नामचीन बिज़नेसमैन, शहर के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक था। हर चीज़ उसके पास थी – पैसा, शान-ओ-शौकत, पहचान – बस कमी थी तो एक रिश्ते की। रिश्तों पर उसका भरोसा टूटा हुआ था। उसके माता-पिता का तलाक, दोस्तों के धोखे और एक पुरानी अधूरी मोहब्बत ने उसे अंदर से कड़वा बना दिया था। उसकी दादी, समायरा मेहरा, अब बीमार थीं। उनका सपना बस इतना था कि वे अपने पोते की शादी देख लें। एक शाम दादी ने साफ़ शब्दों में कहा – “आरव, मेरी आखिरी ख्वाहिश है… मैं तुम्हें दुल्हे के रूप में देखना चाहती हूँ। उसके बाद चाहे मैं रहूँ या न रहूँ।” आरव के पास कोई विकल्प नहीं था। लेकिन वह शादी में भरोसा नहीं करता था। तभी उसकी ज़िंदगी में आई… कियारा शर्मा। कियारा, 24 साल की, महत्वाकांक्षी लेकिन मुश्किलों से जूझती लड़की थी। उसके पिता नहीं थे, माँ की मौत पहले ही हो चुकी थी, और अब वह अपने छोटे भाई विवेक की पढ़ाई और भविष्य के लिए संघर्ष कर रही थी। आरव ने उसे एक प्रस्ताव दिया – “मुझसे शादी करो। एक साल के लिए। कॉन्ट्रैक्ट पर। तुम्हें और तुम्हारे भाई को हर तरह की सुरक्षा और आर्थिक मदद मिलेगी। और दादी खुश हो जाएँगी।” कियारा के पास हज़ार सवाल थे। लेकिन विवेक की फीस और घर का बोझ देखकर उसने हामी भर दी। अध्याय 2 – समझौते की शुरुआत शादी धूमधाम से हुई। मीडिया ने इसे “लव मैरिज” कहा, लेकिन हक़ीक़त सिर्फ दोनों जानते थे – यह बस एक सौदा था। दादी बेहद खुश थीं। “मेरे पोते और बहू को साथ देखकर जीने की वजह मिल गई,” उन्होंने कहा। शादी के बाद दोनों का रिश्ता अजनबी जैसा था। आरव काम में व्यस्त रहता। कियारा अपने भाई और घर की ज़िम्मेदारियों में। दोनों एक ही छत के नीचे रहते लेकिन बीच में अदृश्य दीवार थी। अक्सर छोटी-छोटी बातों पर झगड़े हो जाते। “तुम्हें हमेशा टाइम पर घर क्यों चाहिए?” कियारा गुस्से से पूछती। “क्योंकि ये मेरा घर है, और यहाँ मेरी मरज़ी चलेगी,” आरव ठंडे स्वर में जवाब देता। लेकिन इन बहसों के बीच कहीं न कहीं दोनों एक-दूसरे को समझने भी लगे। अध्याय 3 – बदलते रिश्ते धीरे-धीरे कियारा ने आरव की दुनिया को करीब से देखना शुरू किया। वो जानती थी कि उसके अंदर का गुस्सा सिर्फ बाहरी मुखौटा है। असल में वह अकेला है। एक रात जब आरव काम से लौटकर थका हुआ सोफ़े पर बैठा, तो कियारा ने अनायास कहा – “तुम इतनी बड़ी कंपनी चलाते हो, लेकिन अपनी ज़िंदगी नहीं। कभी खुद को वक्त दिया है?” आरव चौंक गया। पहली बार किसी ने उसकी कमजोरी पर हाथ रखा था। इधर, आरव भी कियारा की मेहनत और त्याग देखकर प्रभावित होने लगा। वो जान गया कि कियारा ने शादी पैसे के लिए नहीं, बल्कि अपने भाई के भविष्य के लिए की है। अध्याय 4 – दिल की धड़कनें समय बीतता गया। दोनों के बीच छोटे-छोटे लम्हे जुड़ने लगे। एक दिन कियारा बीमार पड़ी, तो आरव पूरी रात उसके पास बैठा रहा। दूसरी बार आरव बिज़नेस प्रेज़ेंटेशन में असफल हुआ, तो कियारा ने उसे हिम्मत दी। अब उनकी नज़रों में एक-दूसरे के लिए नफ़रत नहीं, बल्कि एक अजीब सा खिंचाव था। दादी भी सब भाँप गई थीं। “ये कॉन्ट्रैक्ट-वॉन्ट्रैक्ट सब बेकार है,” उन्होंने मुस्कुराकर कहा। “प्यार जब दिल से होता है, तो किसी काग़ज़ की ज़रूरत नहीं होती।” अध्याय 5 – तूफ़ान लेकिन हर कहानी में एक मोड़ आता है। आरव का पुराना बिज़नेस राइवल, विक्रम मल्होत्रा, कियारा की ज़िंदगी में ज़हर घोल देता है। वह आरव को समझाता है कि कियारा ने उससे शादी सिर्फ पैसों के लिए की है और गुपचुप विक्रम से मिल रही है। दूसरी तरफ़, कियारा को पता चलता है कि कॉन्ट्रैक्ट की अवधि लगभग खत्म होने वाली है। वह सोचती है – क्या आरव उसे रोक पाएगा? या यह रिश्ता यहीं खत्म हो जाएगा? गलतफहमियों ने दोनों के बीच दीवार खड़ी कर दी। “तुम्हारे लिए मैं बस एक सौदा थी, है न?” कियारा ने आँसुओं से भरी आँखों से कहा। आरव ने गुस्से में जवाब दिया – “हाँ, और तुमने भी ये सौदा अपने फायदे के लिए ही किया!” दोनों अलग हो गए। अध्याय 6 – सच्चाई कुछ दिन बाद सच सामने आया। विक्रम की चाल बेनक़ाब हुई। आरव को एहसास हुआ कि कियारा ने कभी उसका साथ नहीं छोड़ा। वह दौड़ता हुआ उसके पास गया। “कियारा, मुझे माफ़ कर दो। मैं तुमसे प्यार करता हूँ… कॉन्ट्रैक्ट से नहीं, दिल से।” कियारा ने भी रोते हुए कहा – “मैंने भी तुम्हें कभी सौदे की नज़र से नहीं देखा। लेकिन डर था कि तुम मुझे कभी अपना नहीं मानोगे।” अध्याय 7 – नया सफ़र दादी ने दोनों को आशीर्वाद दिया। “अब मेरा सपना पूरा हुआ,” उन्होंने कहा। आरव और कियारा ने कॉन्ट्रैक्ट को फाड़ दिया। अब उनका रिश्ता किसी काग़ज़ पर नहीं, बल्कि विश्वास और प्यार पर टिका था। विवेक ने पढ़ाई पूरी की, दादी की तबियत भी सुधरी, और आरव ने पहली बार अपने दिल के दरवाज़े खोले। उपसंहार कभी-कभी रिश्ते मजबूरी में शुरू होते हैं, लेकिन किस्मत उन्हें मोहब्बत में बदल देती है। आरव और कियारा की “कॉन्ट्रैक्ट मैरिज” अब एक “फ़ॉरएवर लव स्टोरी” बन चुकी थी

Raju kumar Chaudhary

✦ My Contract Marriage ✦ शहर की रौशनी में चमकती ऊँची-ऊँची इमारतों के बीच, इंसानों की कहानियाँ भी अक्सर अनकही रह जाती हैं। कुछ रिश्ते किस्मत से मिलते हैं, कुछ समझौते से। और कुछ… एक ऐसे कॉन्ट्रैक्ट से शुरू होते हैं, जो बाद में ज़िंदगी की सबसे सच्ची दास्तां बन जाते हैं। अध्याय 1 – सौदा आरव मेहरा, 28 वर्षीय नामचीन बिज़नेसमैन, शहर के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक था। हर चीज़ उसके पास थी – पैसा, शान-ओ-शौकत, पहचान – बस कमी थी तो एक रिश्ते की। रिश्तों पर उसका भरोसा टूटा हुआ था। उसके माता-पिता का तलाक, दोस्तों के धोखे और एक पुरानी अधूरी मोहब्बत ने उसे अंदर से कड़वा बना दिया था। उसकी दादी, समायरा मेहरा, अब बीमार थीं। उनका सपना बस इतना था कि वे अपने पोते की शादी देख लें। एक शाम दादी ने साफ़ शब्दों में कहा – “आरव, मेरी आखिरी ख्वाहिश है… मैं तुम्हें दुल्हे के रूप में देखना चाहती हूँ। उसके बाद चाहे मैं रहूँ या न रहूँ।” आरव के पास कोई विकल्प नहीं था। लेकिन वह शादी में भरोसा नहीं करता था। तभी उसकी ज़िंदगी में आई… कियारा शर्मा। कियारा, 24 साल की, महत्वाकांक्षी लेकिन मुश्किलों से जूझती लड़की थी। उसके पिता नहीं थे, माँ की मौत पहले ही हो चुकी थी, और अब वह अपने छोटे भाई विवेक की पढ़ाई और भविष्य के लिए संघर्ष कर रही थी। आरव ने उसे एक प्रस्ताव दिया – “मुझसे शादी करो। एक साल के लिए। कॉन्ट्रैक्ट पर। तुम्हें और तुम्हारे भाई को हर तरह की सुरक्षा और आर्थिक मदद मिलेगी। और दादी खुश हो जाएँगी।” कियारा के पास हज़ार सवाल थे। लेकिन विवेक की फीस और घर का बोझ देखकर उसने हामी भर दी। अध्याय 2 – समझौते की शुरुआत शादी धूमधाम से हुई। मीडिया ने इसे “लव मैरिज” कहा, लेकिन हक़ीक़त सिर्फ दोनों जानते थे – यह बस एक सौदा था। दादी बेहद खुश थीं। “मेरे पोते और बहू को साथ देखकर जीने की वजह मिल गई,” उन्होंने कहा। शादी के बाद दोनों का रिश्ता अजनबी जैसा था। आरव काम में व्यस्त रहता। कियारा अपने भाई और घर की ज़िम्मेदारियों में। दोनों एक ही छत के नीचे रहते लेकिन बीच में अदृश्य दीवार थी। अक्सर छोटी-छोटी बातों पर झगड़े हो जाते। “तुम्हें हमेशा टाइम पर घर क्यों चाहिए?” कियारा गुस्से से पूछती। “क्योंकि ये मेरा घर है, और यहाँ मेरी मरज़ी चलेगी,” आरव ठंडे स्वर में जवाब देता। लेकिन इन बहसों के बीच कहीं न कहीं दोनों एक-दूसरे को समझने भी लगे। अध्याय 3 – बदलते रिश्ते धीरे-धीरे कियारा ने आरव की दुनिया को करीब से देखना शुरू किया। वो जानती थी कि उसके अंदर का गुस्सा सिर्फ बाहरी मुखौटा है। असल में वह अकेला है। एक रात जब आरव काम से लौटकर थका हुआ सोफ़े पर बैठा, तो कियारा ने अनायास कहा – “तुम इतनी बड़ी कंपनी चलाते हो, लेकिन अपनी ज़िंदगी नहीं। कभी खुद को वक्त दिया है?” आरव चौंक गया। पहली बार किसी ने उसकी कमजोरी पर हाथ रखा था। इधर, आरव भी कियारा की मेहनत और त्याग देखकर प्रभावित होने लगा। वो जान गया कि कियारा ने शादी पैसे के लिए नहीं, बल्कि अपने भाई के भविष्य के लिए की है। अध्याय 4 – दिल की धड़कनें समय बीतता गया। दोनों के बीच छोटे-छोटे लम्हे जुड़ने लगे। एक दिन कियारा बीमार पड़ी, तो आरव पूरी रात उसके पास बैठा रहा। दूसरी बार आरव बिज़नेस प्रेज़ेंटेशन में असफल हुआ, तो कियारा ने उसे हिम्मत दी। अब उनकी नज़रों में एक-दूसरे के लिए नफ़रत नहीं, बल्कि एक अजीब सा खिंचाव था। दादी भी सब भाँप गई थीं। “ये कॉन्ट्रैक्ट-वॉन्ट्रैक्ट सब बेकार है,” उन्होंने मुस्कुराकर कहा। “प्यार जब दिल से होता है, तो किसी काग़ज़ की ज़रूरत नहीं होती।” अध्याय 5 – तूफ़ान लेकिन हर कहानी में एक मोड़ आता है। आरव का पुराना बिज़नेस राइवल, विक्रम मल्होत्रा, कियारा की ज़िंदगी में ज़हर घोल देता है। वह आरव को समझाता है कि कियारा ने उससे शादी सिर्फ पैसों के लिए की है और गुपचुप विक्रम से मिल रही है। दूसरी तरफ़, कियारा को पता चलता है कि कॉन्ट्रैक्ट की अवधि लगभग खत्म होने वाली है। वह सोचती है – क्या आरव उसे रोक पाएगा? या यह रिश्ता यहीं खत्म हो जाएगा? गलतफहमियों ने दोनों के बीच दीवार खड़ी कर दी। “तुम्हारे लिए मैं बस एक सौदा थी, है न?” कियारा ने आँसुओं से भरी आँखों से कहा। आरव ने गुस्से में जवाब दिया – “हाँ, और तुमने भी ये सौदा अपने फायदे के लिए ही किया!” दोनों अलग हो गए। अध्याय 6 – सच्चाई कुछ दिन बाद सच सामने आया। विक्रम की चाल बेनक़ाब हुई। आरव को एहसास हुआ कि कियारा ने कभी उसका साथ नहीं छोड़ा। वह दौड़ता हुआ उसके पास गया। “कियारा, मुझे माफ़ कर दो। मैं तुमसे प्यार करता हूँ… कॉन्ट्रैक्ट से नहीं, दिल से।” कियारा ने भी रोते हुए कहा – “मैंने भी तुम्हें कभी सौदे की नज़र से नहीं देखा। लेकिन डर था कि तुम मुझे कभी अपना नहीं मानोगे।” अध्याय 7 – नया सफ़र दादी ने दोनों को आशीर्वाद दिया। “अब मेरा सपना पूरा हुआ,” उन्होंने कहा। आरव और कियारा ने कॉन्ट्रैक्ट को फाड़ दिया। अब उनका रिश्ता किसी काग़ज़ पर नहीं, बल्कि विश्वास और प्यार पर टिका था। विवेक ने पढ़ाई पूरी की, दादी की तबियत भी सुधरी, और आरव ने पहली बार अपने दिल के दरवाज़े खोले। उपसंहार कभी-कभी रिश्ते मजबूरी में शुरू होते हैं, लेकिन किस्मत उन्हें मोहब्बत में बदल देती है। आरव और कियारा की “कॉन्ट्रैक्ट मैरिज” अब एक “फ़ॉरएवर लव स्टोरी” बन चुकी थी

Narendra Parmar

तेरी अहमियत मेरे दिल में बहुत है फिर भी पहले मेरे मम्मी पापा और तूं साईड में है ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "

Narendra Parmar

तेरी अहमियत मेरे दिल में बहुत है फिर भी पहले मेरे मम्मी पापा और तूं साईड में है ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "

nidhi Shrivastava

आँखो से आँखो पर पहला वार होता है तीर-ए- नज़र दिल के पार होता है बातों ही बातों में इकरार होता है हर पल हरदम दीदार-ए-इश्क के लिए दिल बेक़रार होता है ज़माने को नज़र न आ जाएं ये जज़्बात कहीं ये ख्याल दिलो-दिमाग में बार-बार होता है कुछ एसा सुरूर-ए-आलम छा जाता है हरसू कायनात में ख़ुमार ही ख़ुमार होता है कुछ इस तरह का सुलूक हाल-ए-दिल करे तो समझ लीजिए जनाब, बस यही पहला पहला प्यार होता है ।।

Dr. Gyanendra Singh

The AI Revolution: Where Are We Heading? ​Artificial intelligence is no longer science fiction; it's a transformative force reshaping our world at an unprecedented pace. From automating daily tasks to revolutionizing entire industries, AI's influence is everywhere. So, where is this technological revolution leading us?​ The Future of Work and Industries ​AI is set to redefine the workplace by automating routine, repetitive tasks, freeing up human workers to focus on more creative and complex problem-solving. We're already seeing this in industries like finance, healthcare, and manufacturing. For instance, AI algorithms can analyze vast amounts of financial data to detect fraud, and AI-powered robots are optimizing production lines. In healthcare, AI is assisting with medical diagnoses and drug discovery, leading to more personalized treatments and faster scientific breakthroughs. This shift is creating a demand for new skills, emphasizing the need for lifelong learning and adaptability. ​AI in Our Daily Lives 🤖 ​AI is becoming seamlessly integrated into our daily routines. Think of the personalized recommendations on your favorite streaming service, the real-time translations on your phone, or the smart assistants that manage your schedules and homes. This trend will only accelerate, with AI playing a larger role in everything from autonomous vehicles and smart cities to personalized education and customized shopping experiences .​The Challenges and Ethical Considerations ​With great power comes great responsibility. The rapid advancement of AI brings significant ethical challenges. Issues like data privacy, algorithmic bias, and job displacement are at the forefront of the conversation. Ensuring AI systems are fair, transparent, and accountable is crucial. The potential for a widening digital divide, where access to these powerful tools is not equitable, is another major concern.​ A Collaborative Future ​Ultimately, the future isn't about AI replacing humans, but about a collaboration between the two. AI will serve as a powerful tool to augment human intelligence and capabilities. By harnessing AI responsibly, we can tackle some of the world's most pressing challenges, from climate change and disease to poverty and inequality. The journey ahead requires us to navigate a path that maximizes AI's benefits while mitigating its risks, ensuring a future where this technology serves all of humanity

mim Patel

وہ رخصت ہوا تو آنکھ ملا کر نہیں گیا وہ کیوں گیا ہے یہ بھی بتا کر نہیں گیا وہ یوں گیا کہ باد صبا یاد آ گئی احساس تک بھی ہم کو دلا کر نہیں گیا یوں لگ رہا ہے جیسے ابھی لوٹ آئے گا جاتے ہوئے چراغ بجھا کر نہیں گیا بس اک لکیر کھینچ گیا درمیان میں دیوار راستے میں بنا کر نہیں گیا شاید وہ مل ہی جائے مگر جستجو ہے شرط وہ اپنے نقش پا تو مٹا کر نہیں گیا گھر میں ہے آج تک وہی خوشبو بسی ہوئی لگتا ہے یوں کہ جیسے وہ آ کر نہیں گیا تب تک تو پھول جیسی ہی تازہ تھی اس کی یاد جب تک وہ پتیوں کو جدا کر نہیں گیا رہنے دیا نہ اس نے کسی کام کا مجھے اور خاک میں بھی مجھ کو ملا کر نہیں گیا ویسی ہی بے طلب ہے ابھی میری زندگی وہ خار و خس میں آگ لگا کر نہیں گیا یہ گلہ ہی رہا اس کی ذات سے جاتے ہوئے وہ کوئی گلہ کرکے نہیں گیا پروین شاکر

Piyush Goel

मैं ज़िन्दगी हूँ ……

kattupaya s

Goodnight friends

Bitu

मोहब्बत में मानने लगे थे जिसे खुदा जैसा , दिल तोड़कर चला गया वो शख्स निकला दो कोड़ी का...

महेश रौतेला

हैरान हूँ,आवाक हूँ सृष्टि की पहिचान हूँ, हैरान हूँ, परेशान हूँ इसलिए कविता में हूँ। काँटों सा चुभता हूँ इसलिए फूलों में हूँ, इधर-उधर लुढ़कता हूँ इसलिए पथ पर हूँ। हैरान हूँ,समाचार हूँ इस सतत विकास में हूँ, मन से विचलित हूँ इसलिए आन्दोलित हूँ। इस भ्रष्टाचार में, इस सदाचार में, झूठ-सच से मिला कलियुगी समाधान हूँ। पहाड़ सा हूँ अतः धरती पर हूँ, टूटता-फूटता पर सतत खड़ा हूँ। *** महेश रौतेला

kajal jha

ज़िंदगी के सफर में, दिल ने कई मोड़ देखे, कभी खुशियों से चमका, कभी दर्द से टूटे. ​पर तेरी यादों का साया जब भी साथ आया, टूटते हुए ख्वाबों को भी मुस्कुराना सिखाया. - kajal jha

Rashmi Dwivedi

💕💕इस दुनिया को क्या समझा था💕💕 इस दुनिया को क्या समझा था, सपनों का कोई मेला होगा, हर चेहरे के पीछे सच्चाई, हर हाथ सच्चा सहारा होगा। पर यहाँ तो मुस्कान नकली है, और रिश्ते भी सौदों जैसे, जहाँ दिल नहीं तौले जाते, बस गिने जाते हैं पैसों जैसे। जिसे अपना समझा था मैंने, वो पराया ही निकला आखिर, इस दुनिया को क्या समझा था, यहाँ हर कदम है ज़ख़्म का ज़ाख़िर। फिर भी मैं टूटूँगी नहीं, ये हौसले मेरे साथ रहेंगे, दुनिया चाहे जो भी हो, मेरे सपने हमेशा सच्चे रहेंगे।

Ranjeev Kumar Jha

सुविधा का शाप और समाधान! ___-------------------_______----------___ मनुष्य ने जब से सभ्यता का चोला पहना, तब से उसने अपने जीवन को आसान बनाने के लिए साधनों का आविष्कार किया। अब प्लास्टिक से बनी पोलिथीन। यह पतली-सी थैली, जो दिखने में जितनी हल्की है, हमारे जीवन पर उतनी ही भारी पड़ रही है। कहना कठिन है कि इसका समाधान क्या है। शहरों की सड़कें, गांव की पगडंडियां, नदियों के घाट और खेतों की मेड़ें—सब इस “सुविधा” के बोझ तले कराह रही हैं। जल स्रोत कचरे से पट चुके हैं, गली-मोहल्ले में नालियां जाम हैं, बरसात आते ही शहर झील का रूप ले लेते हैं। पशु इसे खाकर तड़प-तड़प कर मर जाते हैं। खेतों की उपजाऊ मिट्टी दम तोड़ देती है। और तो और, जब विदेशी पर्यटक भारत आते हैं और हर जगह बिखरी रंग-बिरंगी थैलियां देखते हैं तो वे हमारी संस्कृति की भव्यता से पहले हमारे कचरे की दुर्गंध पहचान लेते हैं। यह कोई क्षणिक समस्या नहीं है। पोलिथीन की आयु सैकड़ों वर्षों की है। यानी जो थैली आज सड़क किनारे फेंकी गई है, वह हमारी सातवीं पीढ़ी को भी उपहार स्वरूप मिलेगी। और यह ऐसा उपहार है जिसे कोई भी स्वीकार नहीं करना चाहेगा। लेकिन इसके दूसरे पहलू पर भी नज़र डालनी होगी। पोलिथीन दुनिया का सबसे सस्ता और सुविधाजनक पैकेजिंग मटीरियल है। दुकानदार के लिए यह राहत है, ग्राहक के लिए सुविधा। एक छोटी-सी थैली में सौदा पैक, और न कोई झंझट, न अतिरिक्त खर्च। इसीलिए आप दुकानदारों और खरीदारों से इसे छीन नहीं सकते। यह "फैशन" नहीं, "आर्थिक विवशता" है। हम अक्सर कहते हैं—“जागरूकता से लोग बदल जाएंगे।” पर सच यही है कि महज़ जागरूकता किसी को पोलिथीन छोड़ने पर मजबूर नहीं करेगी। यह सुविधा और खर्च का मामला है। जब तक कोई ऐसा विकल्प सामने न आए जो उतना ही सस्ता और उतना ही सुविधाजनक हो, तब तक पोलिथीन की पकड़ से समाज को आज़ाद कराना मुश्किल है। तो फिर समाधान क्या है? दोष किसे दें? सरकार को? दुकानदार को? उपभोक्ता को? दोषारोपण से कोई राह नहीं निकलेगी। यह समस्या सामूहिक है और समाधान भी सामूहिक ही होगा। जैव-अवशोषित विकल्प: उद्योग जगत को ऐसे थैले बनाने होंगे जो मिट्टी में घुल-मिल जाएं। स्टार्च और कपास आधारित पैकेजिंग इस दिशा में उम्मीद जगाती है। आर्थिक प्रोत्साहन: सरकार यदि कपड़े या जूट की थैलियों को सस्ता करने के लिए सब्सिडी दे, तो दुकानदार और उपभोक्ता स्वयं उनका प्रयोग करने लगेंगे। सख़्त नीति: नियम केवल कागज पर नहीं, ज़मीन पर लागू होने चाहिए। जब दुकानदार और ग्राहक को वास्तविक जुर्माना भरना पड़ेगा, तभी व्यवहार बदलेगा। जनभागीदारी: हर नागरिक को अपनी थैली लेकर बाज़ार जाने की आदत डालनी होगी। जैसे अतीत में घर से टोकरी या कपड़े का झोला ले जाया जाता था, वही परंपरा पुनः जीवित करनी होगी। रीसाइक्लिंग और अपसाइक्लिंग: पहले से फैले प्लास्टिक को इकट्ठा कर सड़कों, ईंटों या फर्नीचर बनाने में इस्तेमाल करना होगा, ताकि कचरा घटे। पोलिथीन की थैली दरअसल मनुष्य के स्वभाव का आईना है। हम सुविधा के लिए प्रकृति को दांव पर लगाने से नहीं हिचकते। किंतु प्रकृति का न्याय धीमा जरूर है, पर अटल है। यदि हमने समय रहते इस “सुविधा के शाप” का हल न खोजा, तो आने वाली पीढ़ियां हमें कोसेंगी—“जिन्होंने सुविधा के लिए धरती का दम घोंट दिया।” समस्या कठिन है, पर समाधान असंभव नहीं। बस, पूरे समाज को मिलकर इस बोझिल हल्की थैली से मुक्ति का रास्ता खोजना होगा। और वह रास्ता किसी उपदेश से नहीं, बल्कि नीति, नवाचार और आदत के संगम से ही निकलेगा। “धरती न हमारी बपौती है, न हमारे साथ जाएगी; हम तो बस इसके पहरेदार हैं, जितना बचा लें उतना भविष्य का ऋण चुक जाएगा।” आर के भोपाल

Fazal Esaf

नात्यांमध्ये राजकारण हेच सगळ्यात धोकादायक खेळ असतो— इथे हृदय मत देतं, पण मेंदू कायम विरोधी पक्षात बसलेला असतो. कधी प्रेम जाहीरनामा होतं, तर कधी अहंकार सत्ताधारी पक्ष ठरतो. प्रत्येक छोटी गोष्ट मंत्रिमंडळाची बैठक बनते, जिथे निर्णय भावनांच्या सभापतीच्या हातात असतो. निष्ठा इथे बहुमत असते, आणि विश्वास ही खरी राज्यघटना. आणि जेव्हा विश्वास तुटतो, तेव्हा सगळं नातं मध्यावधी निवडणूक बनून कोसळतं... By Fazal Abubakkar Esaf

Fazal Esaf

एका कोपऱ्यात उपाशी बाळ, कोरड्या भाकरीसाठी डोळे पुसतं काळ. दुसऱ्या कोपऱ्यात हट्टाचा गजर, पिझ्झासाठी रडतो लेकरू अधीर. अश्रूंचे प्रवाह वेगळे जरी, भिजवितात तेच धरणीवरील सारी. कदाचित जगण्याची हीच विडंबना— भुकेलाही असतो एक रंग सदा... By Fazal Abubakkar Esaf

Chaitanya Joshi

અંતરના ઓરડેથી આવો મહાદેવજી આશુતોષ શિવશંકર તમે. આવીને આંગણું દીપાવો મહાદેવજી આશુતોષ શિવશંકર તમે. હૈયાના હેતે સદાશિવ આવકારીએ, નમઃ શિવાય હરપળે ઉચ્ચારીએ. દરશનનો લહાવો અપાવો મહાદેવજી...1 મહાદેવ હર નામે ઉર ધબકતુંને, પુલકિત ગાત્રે શિવને આરાધતું. માયા બંધનને મૂકાવો મહાદેવજી....2 કૃપા તમારી પળેપળે દેખાતી, ગીત તમારું જીહ્વા નિત ગાતી. છીએ તમારાં અપનાવો મહાદેવજી..3 - ચૈતન્ય જોષી. " દીપક " પોરબંદર.

Kirti kashyap

"मै ही काश हूँ" मै मोहब्बत, मै ही आस हूँ। किसी की धड़कन, किसी की साँस हूँ। मै जन्म-ओ-जन्म की प्यास हूँ। मगर चलती-फिरती इक लाश हूँ। मै अदना, मै ही ख़ास हूँ। है कई खफ़ा, किसी को रास हूँ। मै गमों का ज़िन्दा एहसास हूँ। मै तन्हाइयों का सुर्ख लिबास हूँ। मै मंज़िल-ए-राही, मै ही तलाश हूँ। किसी की रंज, किसी की अरदास हूँ। मै हासिल नही मगर सबके पास हूँ। किसी की खुशी, किसी के लबों की मिठास हूँ। मै मशहूर "कीर्ति" ख्यालों का उल्लास हूँ। मै आह, उफ्फ, मै ही काश हूँ। Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️

Komal Mehta

I’m not the one you can control. I’m the fire that burns your demons to ashes. Komal Mehta

kattupaya s

Good evening friends

Komal Mehta

Unapologetically Me I am a relentless warrior, fierce like Rani Lakshmibai, undaunted by fear, unbroken by odds. I am shattering stereotypes. I live on my own sovereign terms and unyielding conditions. I refuse to be anyone’s puppet. My thoughts are original, my vision is unconquerable. I may stumble, I may err — but I alone face the aftermath of my choices. Why should I surrender, when I am flawless in my own authenticity? Why should I reshape myself for anyone? No one holds the right to dismantle a soul’s essence. Whenever someone dares to erode my dignity, I rise with ferocity, unmuted and unbreakable. I thunder my truth. I annihilate nonsense. I may not wear the crown of a leader, but I guard one eternal truth: only I am the protector of my being. 👑 Yes, that’s me — fearless and indomitable. 🔥 Yes, that’s me — scarred yet unshaken. 👑 Yes, that’s me — the sovereign queen of my realm. 🔥 Yes, that’s me — the hero and warrior of my own epic.

Manvika Shveta

ना कोई वादे थे, ना कोई कसमें थीं, ना मिलने की फरियाद थी, ना बिछड़ने का कोई ग़म था... बस, जाते हुए उनकी आंखों में ख़ुद का ही अक्स देख कर हमें खुदा मिल गया... - Manvika Shveta

Manvika Shveta

खामोशी मेरी जुबां थी, आज वो आवाज़ बन गई... चाहती थी जिसको बेवजह, वही अब साज़ बन गई... और मैं, बस एक कहानी बन गई...

Ranjeev Kumar Jha

परिवर्तन का ताप और स्थायित्व का तापमान! ----------------------+----------------------- भारतीय इतिहास की धारा सदियों से यही कहती आई है—अचानक उफान भले ही क्रांति का ज्वार ला दे, मगर उसका रक्तरंजित शोर स्थायित्व नहीं ला पाता। स्थिरता केवल उस परिवर्तन की देन है जो धीरे-धीरे, धरती की गहराइयों में बीज की तरह जड़ें जमाता है। रामायण में भी यही भाव है। राम वनवास जाते हैं। वनवास चौदह वर्षों का है—एक क्षणिक विद्रोह से अयोध्या को बर्बाद करने के बजाय समय की कसौटी पर तप कर लौटना ही स्थिर समाधान था। तुलसीदास ने राम के धैर्य को रेखांकित करते हुए कहा “धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी। आपद काल परखिये चारी॥” भारत में अशोक का प्रसंग अत्यंत मार्मिक है। कलिंग के युद्ध ने अचानक परिवर्तन का प्रयास किया—लाखों लाशें, रक्त की नदियाँ, शोक से भरा सम्राट। परिणाम? वह हिंसक विजय क्षणिक साबित हुई। स्थायी परिवर्तन तब आया जब अशोक ने धीरे-धीरे बौद्ध धर्म और अहिंसा का संदेश फैलाया। मुग़ल काल में अकबर की नीति को देखिए। “सुलह-ए-कुल” एक दिन में लागू नहीं हुई। धीरे-धीरे हिंदू, मुसलमान, जैन, ईसाई—सबको साथ लेकर एक ताना-बाना बुना गया। यह धैर्य ही था जिसने स्थायित्व की नींव रखी। आधुनिक भारत में गांधीजी का उदाहरण सर्वाधिक प्रासंगिक है। “अचानक विद्रोह” का रास्ता उनके लिए आसान था, परंतु उन्होंने सत्याग्रह और असहयोग को चुना—धीरे-धीरे, पीढ़ी दर पीढ़ी जनता के भीतर अनुशासन और आत्मबल पैदा किया। यही कारण है कि स्वतंत्रता केवल तात्कालिक घटना न होकर स्थायी उपलब्धि बनी। गांधीजी के शब्द याद कीजिए— “सच्चा लोकतंत्र वही है, जो धीरे-धीरे जनता के मन और कर्म में उतरता है।” काव्य-साक्ष्य कबीर ने चेताया था“धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय। माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय॥” दिनकर ने भी क्रांति की उत्तेजना और धैर्य की आवश्यकता को जोड़ते हुए कहा— “बलिदान जिनका उधार है, हम उनके ऋणी सदा रहेंगे। पर धैर्य बिना इतिहास अधूरा, क्रांति के पथ पर ठहरेंगे॥” ये पंक्तियाँ बताती हैं कि बलिदान और वेग आवश्यक हैं, पर स्थायित्व के लिए धैर्य और क्रमिकता अनिवार्य है। आज भी जब हम नीतियों और सुधारों पर नज़र डालते हैं तो वही सबक सामने आता है। आर्थिक उदारीकरण 1991 में अचानक घोषणा के रूप में आया, लेकिन उसका स्थायित्व धीरे-धीरे संस्थाओं, बाज़ार की संरचनाओं और जनता की मानसिकता में बदलाव से ही सुनिश्चित हुआ। डिजिटल इंडिया या हरित ऊर्जा की योजनाएँ भी एक झटके में सफल नहीं हो सकतीं; इन्हें क्रमशः शिक्षा, तकनीक और सामाजिक व्यवहार में समाहित करना पड़ता है। भारतीय संस्कृति का गूढ़ संदेश यही है— “शाश्वतता उफान से नहीं, अविरल धारा से जन्म लेती है।” पौराणिक काल से लेकर आधुनिक युग तक हर उदाहरण इस बात को पुष्ट करता है कि क्रांति यदि स्थायी चाहिए तो वह रक्त की बूँदों से नहीं, समय की बूँदों से सींचनी होगी। अचानक उठी आँधी छत उखाड़ देती है, पर धीरे-धीरे चलने वाली हवा ही ऋतु बदलती है। इसलिए भारत का सूत्र-वाक्य यही है—“परिवर्तन हो, मगर धैर्य के साथ। क्रांति हो, मगर स्थायित्व के साथ।” आर के झा भोपाल ।

MASHAALLHA KHAN

ख्वाबो मे हूं ख्यालो मे हूं कुछ उलझे हुए सवालो मे हूँ दिन गुजरता है आती है रात बन्द कमरा है और ताले मे हूँ.

Gautam Patel

हिन्दू होने पर गर्व हो तो ही वीडियो देखना #hindu

kajal Thakur

हार गए हम इस दुनिया के शोर से, थक गए हर रिश्ते के झूठे दौर से। बस एक तेरा साथ मिले कहीं पर, जी उठें हम फिर से उस छोटे से ठौर से। तेरी झलक ही मेरी ज़िन्दगी का सहारा है, तेरी यादों में ही मेरा जीना गुज़ारा है। हार मान ली है दुनिया से, मगर ऐ हमसफ़र, तुझसे मोहब्बत में अब भी दिल गुनहगार है। kajal Thakur 😊

kajal jha

"रूह से रूह का रिश्ता बना लेते हैं, चलो आज फिर मुस्कुरा लेते हैं। जो गुजर गया उसे भूल जाते हैं, जो बाकी है उसे गले लगा लेते हैं।" - kajal jha

kajal Thakur

हार गए हम इस दुनिया के शोर से, थक गए हर रिश्ते के झूठे दौर से। बस एक तेरा साथ मिले कहीं पर, जी उठें हम फिर से उस छोटे से ठौर से। तेरी झलक ही मेरी ज़िन्दगी का सहारा है, तेरी यादों में ही मेरा जीना गुज़ारा है। हार मान ली है दुनिया से, मगर ऐ हमसफ़र, तुझसे मोहब्बत में अब भी दिल गुनहगार है। kajal Thakur 😊

Manvika Shveta

"मैं भी टूटता हूँ, बस शोर नहीं करता, हर दर्द हँसी में छुपा लेता हूँ। कसूरवार तो नहीं हर बार, फिर भी इल्ज़ाम मैं ही सहता हूँ…"

SARWAT FATMI

मुझे वजह नहीं चाहिए तुम्हे हर पल याद करने के लिए .... तुम तो मेरे वो ख्याल हो जो मुझसे कभी दूर गया ही नहीं.. ..... - SARWAT FATMI

Afreen Khan

"Whenever you feel like you can't move forward, just take a deep breath. Look at the beauty of nature and let all your doubts out." Finding Peace in Beauty ☺️

Imaran

मेरे हिस्से में आँधी, तेरे हिस्से में हवाएं लिखीं, मैंने खुद को मिटाकर तेरे हिस्से में दुआएं लिखीं, और न जाने तेरी नजर कमजोर थी या नीयत खराब थी, तूने तब-तब बेवफ़ा पढ़ा, मैने जब जब वफाएं लिखीं 🖊️ imran 🖊️

Parmar Mayur

સાગરને નદી સ્પર્શ છે ત્યારે નદી નદી નથી રહેતી. બસ તે સાગરની થઈ જાય છે. હિલોળા મારી રહેલા અગાધ જળમાં. કેવું ખળખળ વહેતું સ્નેહનું ઝરણું ભળી જાય છે. વાંસળી નાં સૂર ફક્ત ગોપીઓ, ગોકુળ કે રાધાને જ નહીં. આખેઆખી પ્રકૃતિને મોહિત કરી દેવા સક્ષમ રહ્યા. સંગીતમાં સ્નેહ ભળે તો સંગીત પણ સામર્થ્યવાન બને છે. જ્યારે શબ્દો નાં સમજાય ત્યારે સંગીતના સૂરો થોડું નહીં ઘણું જ સમજાવી જતા હોય છે. દૂર થી માર્ગને જોતાં જ લાગે. માર્ગ તો સ્થીર જ રહ્યોં છે. પથિકે સમજવું પડશે. મુસાફર નાનાં નાનાં ડગલાં માંડશે . આપોઆપ મંઝીલ તરફ સંપૂર્ણ પ્રયાણ થશે. નજર ના પોંહચી શકે તે સાગરની વિશાળતા વચ્ચે પણ દ્વિપ ઉપસેલા હોય છે. ખરેખર સાગર મધ્યે પણ માટીનું તો અસ્તિત્વ દેખાય આવે છે. અરે જ્યાં માટીને નિરાંત છે ત્યાં હરિયાળી આપો આપ ખીલશે. તરવૈયાએ કિનારો પામવો જરુરી રહ્યો પણ તેને થોડો વિરામ દ્વિપ પર પણ મળી શકે. બસ જીંદગી રહી નહીં, વહી રહી હોય ત્યારે મૌન અતિશય ના શોભે. મન ભીંતર થી જે અવાજ કરે. તેનું અનુસરણ સમજણથી કરીને પરમાનંદ પ્રાપ્ત કરી શકાય છે.

Ajit

ચાલ્યા ગયા બધા એક એક કરતા વારા ફરતી મારી જીંદગીમાંથી........ હવે હું ખુદને ખુદથી બેઈમ્તીહા મહોબ્બત કરવા જઈ રહ્યો છું..... જિંદગી ની "યાદ"

kajal jha

रूह को मेरी छू कर गुज़र गया, जैसे एक ख़्वाब हक़ीक़त में उतर गया। तेरी मुस्कान का क्या ही कहूं, देख कर जिसे, हर ग़म बिखर गया।" - kajal jha

surya Bandaru

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shah

*તમે ભાગ્યથી અપેક્ષા રાખશો તો તમને નિરાશા મળશે..!* *કર્મ પર વિશ્વાસ રાખશો તો અપેક્ષા કરતાં વધુ મળશે..!!*

Kamini Shah

શ્વાસોમાં ભરી લઊં આજ માટીની મહેંક ફરી આ ખુશ્બુ મળે ના મળે… -કામિની

Rj Ritu

कभी मुस्कान में छुपा, कभी आंसुओं में मिलता है, ये दिल के कोनों से उठकर रूह तक सिलता है। बिन कहे भी जो बातें समझा जाए, वो अहसास ही तो है जो रिश्तों को गहराई दे जाए। कभी हवा के झोंके सा हल्का सा छू जाता है, कभी यादों की तरह दिल में बसकर रुला जाता है। अहसास ही तो है ज़िंदगी का सबसे हसीन हिस्सा, जो दिल को जोड़ता है, जो रूह को करता है रौशन किस्सा.....

Dipika

अब रूठने की चाहत .. खुद से है.... और मनाने जैसी कोई... आरजू भी नहीं...

Dada Bhagwan

Do you know that if you accept with joy the suffering others impose upon you, then your past accounts will be settled and you will attain liberation? Read more on: https://dbf.adalaj.org/ZRQOtYpO #doyouknow #spirituality #facts #suffering #DadaBhagwanFoundation

Ajit

તું નઈ સમજે કિંમત શ્વાસની અને વિશ્વાસની....... મેં પ્રેમ રુપી પંખીડાને શ્વાસ અને વિશ્વાસ વિના તરફડીયા મારતા જોયા છે...... જિંદગી ની "યાદ"

Rushil Dodiya

ये यादें ना जाएगी हम से तुम्हारी... ऐसे बंधे है के न टूटेगी डोर हमारी... बाहों में आ साथिया ऐसे तू... - ऋषिल

Ruchi Dixit

गर्भनाल से छूटने के बाद हम उस नाल को भूल जाते हैं और पकड़ना शुरू कर देते हैं बस कठिनाई इतनी है! कष्ट यही है।। - Ruchi Dixit

jagrut Patel pij

शमा-ए-इश्क़ जो दिल में जल उठा हो, वो हवा से क्या बुझें जो आँधियों से लड़ा हो..

Kirti kashyap

हम तो जी रहे थे तन्हा ख़ुशी से मग़र, आज फिर उसकी यादों ने रुला दिया, दिल में जल रही थी एक उम्मीद की शमा, जिसे अश्कों की बारिश ने बुझा दिया। Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️

kajal jha

​कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी, यूँ ही कोई बेवफ़ा नहीं होता। जो दिल में बसता है, वो हमेशा साथ नहीं होता। ​तुम्हारी यादों में जीना भी एक सजा है, हर लम्हा तुमसे दूर जाने का अहसास कराता है। तुमसे दूर होकर भी तुम्हारे पास रहने का एहसास कराता है। ​आज भी तुम्हारी राह देखते हैं, शायद तुम आओगे, और कहोगे कि हम तुम्हें कभी छोड़कर नहीं जाएंगे। - kajal jha

Tr. RAJ KHARA

रुख़्सत हुआ तो आँख मिला कर नहीं गया, वो क्यूँ गया है ये भी बता कर नहीं गया। - Tr. RAJ KHARA

KRISHNA DEBNATH

## ঈশ্বর কোথায় ? আকাশে নয়, নক্ষত্রের দূর ঝলকে নয়, ঈশ্বর লুকিয়ে নেই কোনো মন্দিরের অন্ধকার গর্ভে। তিনি আছেন আমাদের ভেতরে— শ্বাসের ওঠা-নামায়, হৃদয়ের অনন্ত সুরে। লালন গেয়েছেন— *“খাঁচার ভিতর অচিন পাখি কেমনে আসে যায়!”* দেহটাই সেই খাঁচা, আর সেই অচিন পাখিই ঈশ্বর, যিনি প্রবাহিত হচ্ছেন স্নায়ুর নদী বেয়ে, চক্রের পদ্মে জাগিয়ে তুলছেন আলো। রামপ্রসাদ বলেছিলেন— *“হৃদি রত্নাকরের অগাধ জলে ডুব দে রে মন, কালী বলে।”* অর্থাৎ ঈশ্বরের দরজা হৃদয়ের গভীরে, যেখানে বেদও ঘোষণা করেছে— *“আত্মানাং বিদ্ধি”*, নিজেকে জানো, কারণ নিজেকে জানা মানেই অসীমকে জানা। মেরুদণ্ডের সুষুম্না নাড়ি যেন অদৃশ্য সেতু, ইড়া আর পিঙ্গলা তার দুই প্রহরী। মূলাধার থেকে আজ্ঞা অবধি ছয় পদ্ম ফুটে আছে, প্রত্যেকটি চক্র এক একটি সোপান, যা বেয়ে আত্মা এগিয়ে যায় সহস্রার প্রান্তে। সেখানে নেই সীমা, নেই মৃত্যু, আছে কেবল আলো, অসীম শান্তি। যার ভেতরের স্নায়ুব্যবস্থা যতখানি জাগ্রত, তার ঈশ্বরচেতনা ততখানি দীপ্ত। এই দীপ্তির কারণেই শঙ্করাচার্য, বিবেকানন্দ স্বল্পায়ু হয়েও রেখে গেছেন অমরতার ছাপ। তাঁদের অন্তরের ঈশ্বর উত্তাল মহাসমুদ্রের মতোই প্রকাশিত হয়েছিল। তাহলে কি মন্দির, মসজিদ, গির্জা অর্থহীন ? না, তারা আমাদের স্মরণ করায়— যে পথ বাইরের দিকে, তার দিশা আসলে ভেতরের দিকে। বাইরের ঈশ্বরকে পেতে হলে প্রথমে জাগাতে হবে ভেতরের ঈশ্বরকে। রবীন্দ্রনাথ তাই লিখেছিলেন— *“সীমার মাঝে অসীম তুমি বাজাও আপন সুর, আমার মাঝে তোমার প্রকাশ তাই এত মধুর।”* ঈশ্বর সর্বত্র, কিন্তু সবচেয়ে বেশি তিনি লুকিয়ে আছেন আমাদের নিজেদের ভেতরেই। আমরা যতদিন না নিজের অন্তরে তাঁকে চিনব, ততদিন বাইরে খুঁজে ফিরব ব্যর্থ যাত্রী হয়ে। কারণ সত্য একটাই— ঈশ্বর কখনো দূরে নন, তিনি তো আমাদের ভেতরেই নিঃশব্দে গাইছেন অনন্ত জীবনের গান।

Imaran

तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ । तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ 💘 imran 💘 - Imaran

Ajit

પરોઢે પેહલા તમને યાદ કરતા ને પછી આંખ ખોલતા એ કેમ ભુલી ગયા તમે.. ખુદની ચિંતા મૂકી ને ખબરૂ તમારી લેતા પહેલા એ કેમ ભુલી ગયા તમે.... દર્દ પોતાના સંતાડીને દિલાસો તમને આપતા પહેલા એ કેમ ભુલી ગયા તમે વિયોગમાં વિખરતા ને તમ ગળે લાગીને હળવું હસતાં એ કેમ ભુલી ગયા તમે... છેલ્લા શ્વાસ સુધી જોડે રહેવાની વાતું ને લાગણી નું ભાથું કેમ ભૂલી ગયા તમે જિંદગી ની "યાદ"

Salill Upadhyay

हकीकत को तलाश करना पड़ता हैं, अफवाहें तो घर बैठे आप तक पहुँच जाती हैं। - Salill Upadhyay

Yamini

* మన జీవితంలో ఎదురయ్యే అడ్డంకులు ఎంత తీవ్రమైనవి అయినా, ఆగకుండా ముందుకు సాగడమే సాహసం. మన గమ్యం కనబడకపోయినా, గమ్యం పట్ల నమ్మకం వదలకుండా నిరంతరం ప్రయాణం చేయాలి. ప్రతి అడుగు మన ఆశయాన్ని దగ్గర చేస్తుంది. ఆత్మవిశ్వాసం కలిగి ఉన్నప్పుడు, ఎదురు పడే ప్రతి సమస్యను జయించడం సాధ్యం అవుతుంది. అడుగులు చిన్నవైనా సరే, ఆగకుండా కొనసాగాలి. * ఎంతటి విఫలమైన క్షణాలు ఎదురైనా,ధైర్యం అనేది మనకు ఉన్న లోతైన విశ్వాసం, అది మన జీవితాన్ని ప్రగతిపరంగా మార్చడానికి శక్తినిస్తుంది. నిరాశ వచ్చినప్పుడు మన మనసును నమ్మాలి, ఎందుకంటే ఆశ అన్నది మార్గాన్ని చూపించే వెలుగును చూపిస్తుంది. నడక కొనసాగించండి, కష్టాలు మనల్ని బలపరుస్తాయి. * “మన గమ్యం ఎప్పుడు చేరుతామో తెలియదు, కానీ ఆ ప్రయాణాన్ని ఆస్వాదించడమే నిజమైన జీవితం. మన కష్టాలు, సంతోషాలు, అనుభవాలు అన్నీ కలగలిసి మన ప్రయాణాన్ని మరింత అందంగా చేస్తాయి. * “జీవితంలో ఎదురు గాలులు మన మార్గాన్ని అడ్డుకుంటాయి, కానీ వాటిని ఎదుర్కోవడమే మన బలాన్ని చూపుతుంది. మన మార్గంలో ఉన్న ప్రతి అవరోధం మన ఆత్మను సవాలు చేస్తుంది, మన హృదయం నిరీక్షణ, సహనం అనే శక్తులతో నిండిపోయినప్పుడు, ఎదురుగాలికి తట్టుకోగలుగుతుంది. * మన జీవితం అనేది ఒక పోరాటం. ప్రతి ఆటకు ఒక అంచు ఉంటుంది, ఆ అంచు మన బలాన్ని, మన కృషిని పరీక్షించే చివరి మెట్టు. మనం ఆ అంచును దాటినప్పుడు మాత్రమే గెలుపు మన సొంతం అవుతుంది.

Dhamak

હસો અને હસતા રહો એક કાબર હવામાં ખૂબ જ સ્પીડમાં ઉડતી હતી. ઉડતા ઉડતા તેની નજર નીચે રોડ પર ગઈ, જ્યાં એક ટ્રક ઝડપથી આવી રહ્યો હતો. કાબરે વિચાર્યું કે તે ટ્રકથી વધુ ઝડપી છે, એટલે તેણે ટ્રકને ઓવરટેક કરવાનો પ્રયાસ કર્યો. ​પરંતુ "ધડામ!" કરતો અવાજ આવ્યો અને કાબર સીધી ટ્રક સાથે અથડાઈને બેહોશ થઈ ગઈ. ​ટ્રકવાળાએ દયા ખાઈને તેને એક પિંજરામાં પૂરી અને ટ્રકની પાછળ મૂકી દીધી. ​થોડી વાર પછી કાબરને ભાન આવ્યું અને તેણે આસપાસ જોયું. પોતાને પિંજરામાં જોઈને તે અફસોસ સાથે બોલી, "અરે! હું ક્યાં ફસાઈ ગઈ? મને લાગે છે કે ટ્રક સાથેના એક્સિડન્ટમાં ટ્રકવાળો મરી ગયો હશે એટલે જ મને જેલની સજા થઈ છે!"😀😀 (અને ગામડાની ભાષામાં બોલી અને સંભળાવો તો બહુ સરસ લાગશે) (ટપોરી મુંબઈ ભાષામાં પણ બોલી શકો ખુબ સરસ લાગશે)

Deepak Bundela Arymoulik

मेहनतकश इंसान सुबह की किरण संग उठ जाता है, सपनों को हथेली पर रख घर से निकल जाता है। पसीने की हर बूंद में चमकती आस, मेहनत से ही बुझती है जीवन की प्यास। धरती जोतता, ईंट गढ़ता, रोज़ नए सपनों को आकार करता। उसके हाथ भले खुरदरे सही, पर दिल में उजले इरादे वही। धूप की तपिश हो या सर्दी की मार, कभी न रुकता उसका संघर्ष अपार। राह कठिन हो, बोझ भले भारी, हिम्मत उसकी कभी न हारी। न नाम की चाह, न शोहरत का गुमान, बस मेहनत ही उसका सच्चा ईमान। उसकी थकन में भी चमकता उजाला, मेहनतकश इंसान ही है जग को सहारा। DB-ARYMOULIK

archana

जिस तरह लकड़ी के तख्तों को ठोक-ठोक कर मजबूत बॉक्स बनाया जाता है, उसी तरह जीवन की मुश्किलें और चुनौतियाँ हमें मजबूत बनाती हैं। जो धैर्य और साहस के साथ हर चुनौती का सामना करता है, वह हर चोट के बाद और भी ताकतवर बनकर उठता है।

Soni shakya

"तेरे बिना हर महफ़िल, सुनी-सुनी ही लगती है पर.. 'ख़ामोशी' बहुत शोर करतीं हैं..!! - Soni shakya

rajeshwari shivarathri

“##A woman’s heart is like a mirror… even a small strike can shatter it. Just as it is hard to fix a broken mirror, it is just as hard to mend a broken heart.” - rajeshwari shivarathri

Devesh Sony

आप आये ही नहीं मुलाक़ात पर… हम चाँद को देखते रहे रात भर…✨ - Devesh Sony

મનોજ નાવડીયા

છેતરી રહ્યો છે, કેમ, પણ કોને એ, ચાલાક બન્યો છે, કેમ, કયાં સુધી એ, મોટો બની ગયો, કેમ, પણ કયારે એ, ખરેખર શું એ બીજાને ? કેમ, પણ જાતને નહીં એ.. મનોજ નાવડીયા

Mamta Trivedi

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं

KRUNAL

ઘોંઘાટથી દૂર, એકાંતમાં મળ્યો છું મને, ત્યારે જ સમજાયું કે હું માત્ર માનવ નહિ, પરંતુ દિવ્યતાનો અંશ છું.

Dr Darshita Babubhai Shah

मैं और मेरे अह्सास भारत विविधता में एकता ही भारत की शान हैं l दुनिया में सबसे उच्च भारत का स्थान हैं ll धर्म जाति के भेदभाव को छोड़कर बस l इंसानियत और मानवता ही पहचान हैं ll "सखी" डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

Ranjeev Kumar Jha

इतिहास नरेंद्र मोदी को किसलिए याद रखेगा? ---------------------------------------------- ​नरेंद्र मोदी। ​उनके जीवन की यात्रा एक सीधी रेखा की तरह रही है—संघ के अनुशासन से शुरू होकर, संगठन की गहराई को आत्मसात करते हुए, और फिर सत्ता के शिखर तक पहुँचना। सत्ता ने उनके मूल स्वभाव को बदला नहीं, बल्कि उनकी दृढ़ता और रणनीति को और भी पैना कर दिया। ​इतिहास की किताबों में हर प्रधानमंत्री की छवि किसी न किसी ख़ास उपलब्धि से जुड़ी है। पंडित नेहरू को आधुनिक भारत की नींव रखने के लिए, इंदिरा गांधी को हरित क्रांति और राष्ट्रीयकरण के लिए, राजीव गांधी को तकनीकी क्रांति के लिए, और अटल बिहारी वाजपेयी को ग्रामीण सड़कों और स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना के लिए याद किया जाता है। मनमोहन सिंह आर्थिक सुधारों और मनरेगा जैसी योजनाओं के प्रतीक बने। ​तो, नरेंद्र मोदी किसलिए याद किए जाएँगे? ​वे उस नए भारत के प्रधानमंत्री हैं, जिसने आत्मविश्वास से वैश्विक मंच पर कदम रखा। जहाँ कभी भारत केवल एक दर्शक बनकर खड़ा रहता था, आज वही भारत G20 जैसे मंचों की मेजबानी करता है और वैश्विक एजेंडा तय करता है। ​वे उस प्रधानमंत्री के रूप में याद किए जाएँगे जिन्होंने डिजिटल इंडिया का स्वप्न बोया और देश की नई पीढ़ी को मोबाइल और इंटरनेट की ताक़त से जोड़कर एक सशक्त समाज गढ़ा। उन्होंने जन धन खातों, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत और आवास योजना जैसी नीतियों के माध्यम से करोड़ों ग़रीबों तक सीधे सरकार का हाथ पहुँचाया। उन्होंने सिर्फ़ नीतियों को बनाया नहीं, बल्कि उनके कार्यान्वयन की गति से राजनीति का स्वरूप बदल दिया। ​आर्थिक मोर्चे पर मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव जैसी योजनाओं ने देश को आत्मनिर्भरता के रास्ते पर आगे बढ़ाया। वहीं, रक्षा और विदेश नीति में सर्जिकल और एयर स्ट्राइक जैसे साहसिक निर्णयों ने भारत की सुरक्षा नीति में एक निर्णायक मोड़ ला दिया। जहाँ पहले भारत "प्रतिक्रिया देने वाला देश" था, वहीं मोदी युग में वह "निर्णय लेने वाला देश" बन गया। ​हाँ, उनकी यात्रा में चुनौतियाँ भी आईं—नोटबंदी, जीएसटी के शुरुआती झटके और कोविड-19 महामारी की मार। लेकिन इन सब के बावजूद, उन्होंने जिस राजनीतिक इच्छाशक्ति और जन-संपर्क की ताक़त से देश को संभाला, वह उनके नेतृत्व की एक अलग पहचान बन गई। इतिहास उनसे यही कहेगा कि यह वह शख्स था जिसने भारत को आत्मसम्मान का पाठ पढ़ाया, जिसने तिरंगे को वैश्विक मंचों पर पहले से कहीं अधिक ऊँचाई दी, और जिसने करोड़ों साधारण भारतीयों को यह विश्वास दिलाया कि इस राष्ट्र की यात्रा में उनका भी हिस्सा है। ​भविष्य में, नरेंद्र मोदी को भारत के पुनर्जागरण के नायक के रूप में, और आत्मनिर्भरता और आत्मगौरव के प्रतीक के रूप में याद किया जाएगा। ​जब इतिहास अपने पन्ने पलटेगा, तो वह दर्ज करेगा—"यह वह प्रधानमंत्री था जिसने भारत को विश्व की भीड़ में खोए हुए एक राष्ट्र से उठाकर एक आत्मविश्वासी महाशक्ति बना दिया।" ​🌸 प्रधानमंत्री जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ। आर के भोपाल।

ajay

सपनों की राह में काँटे बहुत मिलेंगे, अंधेरों के बाद भी सितारे खिलेंगे। मत हार, तू आगे बढ़ता जा, हर रात के बाद नए सूरज मिलेंगे। - ajay

ajay

ज़िंदगी आईने जैसी होती है, जैसा देखो वैसी दिखती है। मुस्कुरा कर जी लो हर लम्हा, क्योंकि ये फिर लौटकर नहीं आती है। - ajay

ajay

दोस्ती वो रिश्ता है अनमोल, जिसमें नहीं होता झगड़ा या मोल। साथ दे हर मोड़ पर वो, तो ज़िंदगी का हर सफ़र हो गोल।

GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

नर समाज का अंंग‌ है, इसे चाहिए साथ। अच्छा साथी मिला यदि, सदा बँटाए हाथ। दोहा--262 (नैश के दोहे से उद्धृत) ------गणेश तिवारी 'नैश'

Kirti kashyap

आधी रात होने को है और नींद आँखों से कहीं कोसों दूर है। सोने की सारी कोशिशें नाकाम होती नज़र आ रही हैं। रात के इस पहर में चारों तरफ़ सन्नाटा फैला हुआ है। यही वो समय है जब मैं सबसे ज्यादा महसूस कर सकती हूँ खुद को। सुन सकती हूँ अपनी साँसों का गूंजना, अपनी सिसकियों को — जो दिन भर सुनाई नहीं पड़तीं। सुन सकती हूँ उस घड़ी की टिक-टिक को, कुछ अनकही बातों को, और मेरी अंतरात्मा की आवाज़ को जो कहीं दफ़न हैं मुझमे ही। मैं कोशिश करती हूँ खुद से वो बातें करने की, जो किसी से कही नहीं जा सकतीं। यही घड़ी की टिक-टिक मुझे बार-बार एहसास दिलाती है कि समय कितनी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, और मैं ठहरी हुई हूँ बीते कल में। यह घड़ी अक्सर मुझे ताना देती है, मानो कह रही हो — जैसे मैं अपनी गति से बढ़ती जा रही हूँ तुम क्यों नहीं मेरे साथ साथ-साथ चल सकती? क्यों ठहरी हो बरसों से अतीत में? Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️

Muskurahat

Mistakea are important for motivation, Motivate yourself, mistakes are naturally, but repetition is not.....

Asmita Madhesiya

आज आइना देखा , ऐसा नहीं है पहली बार देखा , खुद को देखा , बदलते वक्त के साथ, अपने आप को देखा, कुछ नया तो नहीं, लेकिन फिर भी कुछ अलग देखा, हां शायद ये पहली बार देखा , निहारने लगी, मुस्कुराने लगी , कहीं से फुसफुसाने की आवाज आई, नजरंदाज किया, सोचा कोई ऐसा काम तो नहीं बचा, फिर भी यू ही कह गई आई, फिर क्या , और क्या , वापिस से निहारने लगी, अब तो ऐसा लगा , कोई कानों के पास कुछ कह गया, ध्यान दिया , तो ये तो मेरी ही आवाज थी, जिसकी मैंने सुनना बंद कर दिया था, मगर उसने सुनना बंद नहीं किया था , बोली , तुम खूबसूरत हो, हिम्मती हो, शक्ति से भरी हो, ठान लो तो सब पर भारी हो, हार न कभी मानना , ये जंग भले ही तुम्हारी हो, लेकिन याद रखना तुम्हारे लिए हर काम मुक्मकिन है, क्योंकि तुम एक नारी हो, क्योंकि तुम एक नारी हो।।

Shraddha Panchal

ख़ुद कितना भटका होगा वो शख़्स ?!!!!!! जो सही राह बताता है औरो को ….🙏😇🩶

Komal Arora

कुछ रिश्ते सिर्फ कान्हा तुम्हारे सहारे ही चलते हे.......... वर्ना कुछ अपनों ने तो मुझे बर्बाद देखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है..... शुक्र है आप साथ हो वर्ना किसी पर विश्वास नहीं करते....... ना हे अब साथ कोई और ना ही चाहिए... क्योंकि जहां राधा और कृष्ण हो.......... वहां किसी दूसरे की जरूरत ही नहीं........

Ahmed Baig

hey guys! do you want chapter 2 of *afsos* novel? let me know.

Vipul Borisa

में कभी मर जाऊ तो भूल कर भी याद मत करना। अपने तक रखना,एरे-गेरो के साथ बर्बाद मत करना। दुआ करना ये मेरा अंतिम चरण आख़री जन्म हो, अब कभी भी वापस ना आउ,तो फरियाद मत करना। विपुल प्रीत - Vipul Borisa

Yamini

జీవితానికి ఒక లక్ష్యం ఉండాలి లక్ష్యాన్ని నిర్దేశించుకుని, దాని కోసం శ్రమించి, విజయం సాధించాలని ప్రేరణనిస్తాయి. * "జీవితంలో విజయం పొందాలంటే లక్ష్యాన్ని నిర్దేశించుకోవాలి", "మన లక్ష్యాలను చేరుకోవడానికి, కష్టాలను అధిగమించడానికి ప్రేరణ ఇస్తాయి". * "మన లక్ష్యాలకు చేరుకోవడానికి, కష్టాలను అధిగమించడానికి, మరియు జీవితం కోసం కొత్త దారులు వెతకడానికి ప్రేరణ ఇస్తాయి." * "మీరు ఒక లక్ష్యాన్ని పెట్టుకోండి, ఆ లక్ష్యాన్ని సాధించడానికి కృషి చేయండి. అప్పుడు మీరు విజయం సాధిస్తారు." * "జీవితానికి ఒక అర్ధాన్ని, ఒక దిశానిర్దేశాన్ని ఇచ్చేది లక్ష్యమే." * స్వయం జ్ఞానం (అంటే ఆత్మజ్ఞానం, అనుభవాలు లక్ష్య సాధనకు అవసరమని) ద్వారా జీవిత పాఠాలు నేర్చుకోవాలి."

Kamlesh

થઇ ગઈ છે પિડ પર્વત સમી, હવે પિઘળવી જોઇએ... હૈયાને હેમાળેથી કોઇ પ્રિતસરિતા હવે નિકળવી જોઇએ...

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