Gujarati Whatsapp Status |
Hindi Whatsapp Status
Tanya Singh
https://www.matrubharti.com/book/19983803/the-girl-who-forgot-to-hate
Hy guys here is new launch by me
The Girl Who Forgot To Hate
Mesariya Aryan naresh kumar
આ છે ગામ મારું, જ્યાં
ચાલે ત્રણેય પ્રહર આનંદ ને
રમઝટ એ છે ગામ મારું,
જ્યાં વસે છે ભગવાન રે.
જ્યાંની અપૂર્વ વાવ જોતાં
નીકળે ઉદ્ગાર રે, ને એ
પાળિયા કરાવે સ્મૃતિ ધરારક્ષકની,
જેણે આપ્યું બલિદાન રે, એ છે મારું ગામ.
તળાવમાં પગ મૂકતાં થાય
રત્નાકરને વ્યોમનો સાદ રે.
એ ધરા પવિત્ર એટલી, મુજને
માતા સમી લાગે, એ છે મારું ગામ.
ડંકી જોતાં જ મને શૈશવની પ્રતીતિ
કરાવે, ને મુજ ઉર પાસે આવે;
આની ધૂળ લાગે મને દવા, કેટલાય મર્ઝની!
ને આ ધૂળ જનની... આ છે ગામ મારું.
મેસરિયા આર્યન
"યાત્રી"
Agyat Agyani
उपखंड — विष की सभ्यता : विज्ञान का छल ✧
✍🏻 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲
१.
विज्ञान ने हवा से स्वतंत्रता छीनी —
जो कभी प्राण थी, आज उत्पाद है।
अब वही हवा बोतलों में बंद होकर बिकती है।
मनुष्य ने अपनी साँस किराए पर दे दी।
२.
धरती अब माता नहीं, फैक्ट्री है।
विज्ञान ने अनाज में जीवन नहीं, रसायन उगाया।
बीज में अब आत्मा नहीं, कंपनी का पेटेंट है।
३.
पानी जो कभी आशीर्वाद था,
अब “फिल्टर” से होकर धर्म बन गया है —
विज्ञान ने जहर फैलाया,
फिर “शुद्धि” के नाम पर व्यापार किया।
४.
जो प्रकृति ने सहज दिया था —
हवा, जल, भूमि, भोजन —
विज्ञान ने सबको रोग बना दिया।
अब औषधियाँ ही भोजन हैं,
और अस्पताल नया मंदिर।
५.
मनुष्य का शरीर प्रयोगशाला बन गया,
हर कोशिका में किसी न किसी यंत्र की छाप है।
विज्ञान ने अमरता के नाम पर मृत्यु को स्थायी कर दिया —
धीरे, सुरक्षित, औसत।
६.
विज्ञान ने कहा — “मैं विकास लाया हूँ।”
पर विकास अगर धरती की मृत्यु पर टिका हो,
तो वह प्रगति नहीं, आत्महत्या है।
७.
जो प्रकृति कभी शिक्षक थी,
विज्ञान ने उसे नौकर बना दिया।
और जब नौकर ने विरोध किया — तूफ़ान, भूकंप, महामारी के रूप में —
विज्ञान ने कहा — “यह त्रुटि है।”
नहीं, यह प्रकृति की पुकार है।
८.
अब विज्ञान वही कर रहा है जो धर्म ने किया था —
पहले पाप फैलाना, फिर मोक्ष बेचना।
पहले ज़हर देना, फिर “ग्रीन टेक्नोलॉजी” बेचना।
पहले आत्मा बाँटना, फिर मशीन बनाना।
९.
विज्ञान अब भी “उपचार” की भाषा में बोलता है,
लेकिन उसकी दवा हमेशा बीमारी को जन्म देती है।
क्योंकि उसका लक्ष्य स्वास्थ्य नहीं —
नियंत्रण है।
१०.
मनुष्य ने ईश्वर को प्रयोगशाला में मारा नहीं,
बस रूप बदल दिया —
अब उसका नाम है डेटा।
अब वही ईश्वर है — अदृश्य, सर्वज्ञ, और सब पर नियंत्रण रखने वाला।
उपखंड — पाखंड का धर्म : आत्मा का व्यापार ✧
✍🏻 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲
---
१.
धर्म का जन्म हुआ था —
एक मौन की आँच से, एक जागृत की साँस से।
पर धीरे-धीरे वह मौन खो गया,
और बचा सिर्फ शब्द।
अब धर्म शोर है —
मंत्रों का, घंटियों का, वचनों का —
पर भीतर कोई सुनने वाला नहीं।
२.
जिसने सत्य देखा, उसने कुछ नहीं लिखा।
जिसने लिखा, उसने देखा नहीं।
शास्त्र ऐसे ही बने —
किसी की मौन दृष्टि से, और किसी दूसरे की कलम से।
अब वही पुस्तकें सत्य का विकल्प बन गईं।
३.
धर्म का पहला अपराध था —
अनुभव को आचार बना देना।
किसी एक जागृत की अनुभूति को
लाखों अंधों के नियम में बदल देना।
और तब से मनुष्य सोचता है,
सत्य किताबों में मिलता है,
भीतर नहीं।
४.
धर्म ने प्रेम नहीं सिखाया —
भय सिखाया।
कहा — पाप मत कर, वरना ईश्वर देख रहा है।
और मनुष्य पाप नहीं छोड़ा,
बस ईश्वर से छिपना सीख गया।
५.
जो ईश्वर सर्वव्यापक था,
उसे धर्म ने सीमित कर दिया —
मूर्ति में, शब्द में, दिशा में, नाम में।
अब हर मंदिर दूसरे मंदिर से शत्रु है,
हर ईश्वर दूसरे ईश्वर से डरता है।
६.
धर्म ने कहा — त्याग करो,
पर स्वयं सबसे पहले धनवान बन गया।
भिखारी भक्त बन गए,
और पुजारी व्यापारी।
आस्था अब मुद्रा है —
जितना दोगे, उतना वरदान मिलेगा।
७.
धर्म ने कहा — ज्ञान लो,
पर पहले प्रश्न छीन लिया।
बिना प्रश्न के ज्ञान सिर्फ स्मृति है,
और बिना अनुभव के आस्था सिर्फ नशा।
८.
धर्म ने आत्मा की बात की,
पर आत्मा की स्वतंत्रता से डर गया।
क्योंकि स्वतंत्र आत्मा किसी गुरु की नहीं होती,
किसी संस्था की नहीं होती।
इसलिए उसने आत्मा को भी अनुयायी बना दिया।
९.
हर धर्म का मूल अब एक ही है —
भीड़ चाहिए।
भीड़ का अर्थ है सत्ता,
और सत्ता का अर्थ है ईश्वर का व्यापार।
धर्म अब कोई साधना नहीं,
एक कंपनी है —
जहाँ ईश्वर ब्रांड है, और मुक्ति प्रोडक्ट।
१०.
आज का धर्म भीतर नहीं जाता —
वह सिर्फ अभिनय करता है भीतर जाने का।
ध्यान अब फैशन है,
भक्ति अब नाटक।
धर्म का चेहरा कोमल है,
पर हृदय ठंडा।
११.
धर्म ने सत्य को खो दिया,
और उसकी जगह श्रद्धा रख दी।
श्रद्धा सुंदर है,
पर जब बिना बुद्धि के आती है —
वह अंधत्व बन जाती है।
और यही अंधत्व अब सभ्यता का आभूषण है।
१२.
धर्म आज वहीं खड़ा है
जहाँ विज्ञान खड़ा था सौ साल पहले —
अहंकार में।
विज्ञान कहता है — “मैं सब जानता हूँ।”
धर्म कहता है — “मैं सब मानता हूँ।”
दोनों गलत हैं।
सत्य न जानने में है, न मानने में —
बल्कि देखने में।
वेदान्त 2.
Agyat Agyani
मौलिक जीवन — प्रसिद्धि से परे ✧
✍🏻 — 🙏🌸 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲
1️⃣ जब मृत्यु सिर पर खड़ी हो, तब झूठ बोलना असंभव हो जाता है।
2️⃣ बंदूक के सामने मन नहीं बोलता, सत्य बोलता है।
3️⃣ और सत्य यही कहता है — “मैं जीना चाहता हूँ।”
4️⃣ पर यह जीवन कौन-सा है — शरीर का या चेतना का?
5️⃣ शरीर बोले तो जीवन रोटी माँगेगा।
6️⃣ मन बोले तो जीवन सुविधा माँगेगा।
7️⃣ और जब अहंकार बोले — वह प्रसिद्धि माँगेगा।
8️⃣ प्रसिद्धि के लिए वह जीवन भी बेच देगा।
9️⃣ प्रसिद्धि मालिकियत का भ्रम देती है।
🔟 पर सत्य यह है — कोई मालिक कभी हुआ ही नहीं।
11️⃣ जो मौलिक है, वही स्वामी है।
12️⃣ मौलिक जीवन वह है जो किसी तुलना से नहीं चलता।
13️⃣ जो मौलिक है, वह किसी भीड़ में खड़ा नहीं होता — वह शून्य में खिलता है।
14️⃣ प्रसिद्धि भीड़ की आँखों से देखी जाती है; मौलिकता मौन की आँखों से।
15️⃣ प्रसिद्ध व्यक्ति अपने नाम का गुलाम है।
16️⃣ मौलिक व्यक्ति अपने जीवन का मालिक है।
17️⃣ प्रसिद्धि “दिखाने” से आती है; मौलिकता “होने” से।
18️⃣ प्रसिद्धि चाहने वाला संसार को जीतना चाहता है।
19️⃣ मौलिक जीवन वह है — जो स्वयं से जीत चुका है।
20️⃣ जहाँ मौलिकता जन्म लेती है, वहाँ ब्रह्मांड झुक जाता है।
21️⃣ तब प्रसिद्धि पीछे-पीछे चलती है — जैसे छाया सूर्य के साथ।
Raju kumar Chaudhary
RKC GLOBAL RESEARCH CENTRE —
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Raju kumar Chaudhary
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Paagla
PAAGLA – A heart that speaks through words. 💭✨ Sharing emotions, quotes, and stories that touch your soul. From love to pain, from motivation to dreams – here, every line is written to connect with your heart. ❤️📖
ShriSkkanda
#song Dance it out.
ShriSkkanda
#song Dance it out.
Jyoti Gupta
"Anand Dham में हुआ ज़बरदस्त हंगामा 😱🔥 — मस्ती, ड्रामा और हंसी का तड़का!"
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Anand Dham में कुछ ऐसा हुआ कि सब दंग रह गए! देखिए पूरा धमाकेदार हंगामा — हंसी और मस्ती से भरपूर वीडियो 😂💥
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Tanya Singh
https://www.matrubharti.com/book/19983824/deadlines-deception
Hy guys, Read new story by me. Tanya Singh
Deadlines Dhokha
Parmar Mayur
ક્યારેક મનમાં પ્રશ્ન થાય છે કે જે જન્નત જોઈ નથી,
જે ધર્મને સાચી રીતે સમજ્યા નથી,
છતાં પણ ધર્મના નામે આતંકી કૃત્યો કરીને નિર્દોષ લોકોના જીવ લઈને શું ખરેખર ઈશ્વર ખુશ થશે?
કોઇપણ ધર્મની કિતાબ કે તેનું જ્ઞાન નિર્દોષ લોકોની હત્યાઓ કરવા માટે પ્રેરિત કરે?
જો ધર્મની સાચી સમજણ હોય કે કિતાબમાં કરવામાં આવેલા ઉલ્લેખો નું સાચું અર્થઘટન વિવેકપૂર્ણ રીતે કરવામાં આવ્યું હોય,
તો તેનો જવાબ 'માનવતા ની વૃદ્ધિ' સાથે સહમત હોય નહીં કે 'હત્યાઓ' કરવા પાછળ!
જ્યારે "વૈધ જ વેરી બને છે" એટલે કે ભણેલા માણસો ધર્મ ઝનૂની કે કટ્ટરતા નો જડ માર્ગ અપનાવે છે,
બસ ત્યારે 'ખુદનાં ધર્મના અસ્તિત્વ સાથે જ પુરેપુરી માનવજાત ને પુર્ણ ના થઈ શકે' તેવું નુકશાન કરશે.
Mahesh Vegad
આજની વાત... ✍🏻
ભૂપેન પટેલ અજ્ઞાત
લોકોના કહ્યા પ્રમાણે જિંદગી જીવાઈ એ સમાજમાં રીતિરિવાજ કહીએ છીએ,
કોઈનાથી પ્રેરણા લઈને નીકળે ત્યાં પોતે નહી પણ પ્રેરણાસ્ત્રોત ધ્યેય સુધી પહોંચી જાય છે.
પણ પોતાનું ધાર્યું જીવન જીવે એ જ મહાન પોતાના નામથી મશહૂર બને છે.
- ભૂપેન પટેલ અજ્ઞાત
સુરજબા ચૌહાણ આર્ય
મિત્રો મને યુનિક પથ્થરો એકત્ર કરવાનો શોખ છે. ફોટામાં તમને જે દેખાય છે એ હાલ તો પથ્થર છે પણ એ કરોડો વર્ષ પહેલાના ઝાડ ના બી છે. પથ્થર આવા કઈ રીતે હોઈ શકે. વાતાવરણ ચેન્જ ના કારણે પથ્થર બની ગયા છે. તાપમાન માં બહુ ઝડપી ફેરફાર ના કારણે આવુ શક્ય છે. કચ્છ કરોડો વર્ષ પહેલા વર્ષાવન હતું. કમેન્ટ કરજો તમને શુ લાગે છે. પથ્થર છે કે બીજ છે.
Raju kumar Chaudhary
https://www.matrubharti.com/book/19983786/365-days-millionaire-action-plan
Raju kumar Chaudhary
https://www.matrubharti.com/book/19983638/the-pride-of-wealth-the-mythology-of-kubera-and-ganesha
Kartik Kule
कोकण एक आठवणं
आयुष जगता जगता खूप लांब गेलो मनाचतर माहित नाही पण नात्यासोबत स्वतःची परंपराही विसरत गेलो लहानपणी सात दिवसाचा गणपती अजून महिनाभर राहुदे म्हणणारे आम्ही घरचा देवाला दीड दिवस रहा म्हणालो बालपण निघून गेल आमच नातीगोतीही जपून झाली
वेळ जेव्हा आमचावर आली आमचीच माणसं आम्हाला सोडून गेली. येणार घेऊन एक दिवस आम्ही आमचा मनासारखा वेळ जरी लागला तरी करेन प्रवास तुझ्या सारखा . येतोस तू दर वर्षी आनंदाने भेटायला तुझ्या येण्याने मात्र चाहूल लागते मनाला सात दिवस कसे जातात मनालाही कळत नाही मात्र संपता वेळ तुझी जाताना तुला पाहून व्यक्त होते भावना डोळ्यांची. आजवर कधी बोललो नाही पण नात्यासोबत स्वतःची परंपराही जपली नाही.
येशील ना मला. समजवायला परत एकदा पुढचा वर्षी परत एकदा पुढचा वर्षीजपता जपता भावनांना वेळ द्यायला विसरून गेलो परत एकदा पहिल्या सारखा बालपण जगायला विसरून गेलो
suruchi Fathepuria
— आत्मा से परमात्मा तक की एक यात्रा —
(कविता — सुरूचि फतेहपुरिया)
यह चोला मिला है प्रभु के वचनों पर चलने के लिए॥
समुद्र-सी गहरी और विशाल,
पहाड़ों-सी अडिग और सुन्दर यह आत्मा है।
फिर क्यों करे इसे सिमित⋯
लगा देने दे प्रभु की वाणी के पर⋯
और उड़ जा — मुक्त होकर इस रिवाजी दायरे से।
हर पल यह क्षितिज पुकार रहा है —
तुझे विशालता में समाने के लिए॥
— ✦ —
कहते हैं नदी की तरह — बस बहता जा,
मलय-पवन-सी सुगंध बन हर जगह मिल जा।
अपने लक्ष्य को पाने के लिए,
नहीं तो भटकेगा तू दर–दर।
ए प्रभु! तेरी कृपा यूँ ही बरक़रार रहे,
बस यही है ख़्वाहिश।
हर पल, हर क्षण में तू ही समाया है॥
— ✦ —
ऐ मन, रूक जा — ठहर जा,
इस चितवन में वाणी के फूल ज़रा खिल जाने दे,
ताकी न रहे कोई संशय – भ्रम,
बस समानता में गुम ही जाऊँ।
हर पल, हर क्षण में बस प्रभु के सुनहरे शब्द बस जाएँ॥
ऐ बुद्धि, तू अच्छे–बुरे के मिटर से निकल जा,
क्योंकि इसका न कोई मोल है।
प्रभु ने सिखाया है कि इससे ख़राब होते हैं
तन, मन और जीवन।
हर पल, हर क्षण मिला हुआ है परमात्मा से॥
ऐ तन, तू भूल जा अपना–पराया,
क्योंकि तू यहीं रह जाएगा।
अपने ही तुझे जला रहे हैं,
और आखिर में अपने ही जलाएँगे।
बस इस तन को तू लगा दे प्रभु के वचनों की सेवा में,
गुम हो जाने दे इस तन को आत्मा में,
क्योंकि यही है तेरा स्वरूप॥
यही तेरा विलय, यही तेरा उदय॥
Ekta Kamlani
इंसान खुद की जिंदगी खुद ही झंड करता है और दोष देता है सरकार को, सिस्टम को, लोगों को।
Dimple Das
A very Good evening everyone, start your evening with a beautiful and meaningful quote.
And do shower your love and support in the link given below .
https://youtube.com/shorts/f4r5qtUaKGc?si=A4YroTAUnrkwAtSx
Soni shakya
कुछ 'प्रेम' नहीं होते मिलने के लिए,
ना ही वह उत्सव मना पाते है..
पर वह उपवास रखते हैं
और दो घूंट 'प्रेम' उन्हें जीवित रखता है..
- Soni shakya
Raj Phulware
IshqKeAlfaaz
तुमको देखा तो दिल....
Narendra Parmar
मत कर तुम वफ़ा की आड़ में मुझे याद
मुझे तेरी याद में फरेब नज़र आता है
अगर में सच कहूं तो मुझे तेरे चेहरे पर
रंग बदलने वाला गिरगिट नज़र आता है ।।
नरेन्द्र परमार " तन्हा "
Falguni Dost
અનુમાન અને વાસ્તવિકતા અલગ હોય શકે છે.
દોસ્ત! વ્યક્તિ એના અસ્તિત્વથી વધુ અનુમાન દ્વારા ઓળખાય છે.
- Falguni Dost
Atul Bhatti
અંતર્મનનો સ્વીકાર
============
મનને મનાવી, આંખોને ઢાળી લીધી છે,
સપનું આવે પહેલાં, ઉંઘ ગાળી લીધી છે.
યાદોની ચાદર તાણી, મેં પથારી પાથરી,
દર્દને ઢાંકી રાખી, રાત ડોળી લીધી છે.
હસતા ચહેરા પર દુઃખનું સાગર છલકાયું,
હસે લોકો પહેલાં, આંખ છોળી લીધી છે.
જીવનના પ્રશ્નના ઉત્તર કૈ મળ્યા નથી"અતુલ",
પછી પોતાની જાતને ત્રાજવે તોળી લીધી છે.✍️ – અતુલ ભટ્ટી
NP - Neil Pandya
જિંદગીમાં ક્યારેય
ગભરાશો નહીં સાહેબ,
કેમ કે દૂધ ફાટવાથી
એ લોકો જ ગભરાય છે,
જેને પનીર બનાવતા
નથી આવડતું !!
- NP - Neil Pandya
Riddhi Patel
આધ્યાત્મિકતા એટલે શું?
બેદરકાર માણસને ઢોળાવોની ખડબચડી પગદંડી પરથી સભાનતાની કેડી તરફ ખેંચે ને ન્યૂનતાના ધુળીયા મારગે લાવીને ધીમેથી ખબર પણ ન પડે એમ વળાંક લઈને શૂન્યતાના હાઇવે પર ચડાવી દેતો રસ્તો...
- Riddhi Patel
Nensi Vithalani
Lessons from the Sea 🌊
Learn from the sea —
so vast, yet grounded.
Its waves rise high, then bow down again.
No matter how far it travels,
it always returns to the shore.
Just like us —
no matter where life takes us,
we find our way back to who we truly are.
Back to the roots,
back to the calm within the chaos.
“No matter how far you flow, life always brings you home.”
— Nensi Vithalani 💫
prachi
न जाने किस मोड पर लाई है जिंदगी,
अपनों की महफिल में कोई पराया पाया है l
shah
Gaon waalo.....Basanti bhi raaji aur mausi bhi raaji... isliye marna cancel 😅
Raj Shah
Don't forget. Don't miss. Must attend 6 days.
Fazal Esaf
"जिंदगी तुझी किंमत विचारतं कोण आहे"
जिंदगी तुझी किंमत विचारतं कोण आहे,
इथे प्रत्येक श्वासावर पहारा — बोलतं कोण आहे।
शतकानुशतकं आम्ही शेतात रक्त पेरलं,
पण हक्काची गोष्ट करायला — वाचतं कोण आहे।
द्वेषाच्या भिंती उभ्या राहिल्या प्रत्येक गल्लीत,
आता प्रेमाचं बी पेरतं कोण आहे।
प्रत्येक शहर एक तुरुंग, प्रत्येक माणूस शिक्षा,
पण ही साखळी तोडतं कोण आहे।
धर्म, सत्ता आणि बंदुकीची जमली कटकारस्थानं,
सत्य विकलं जातंय — थांबवतं कोण आहे।
तरीही एक स्वप्न आहे — भाकरी, मान आणि शांतीचं,
या स्वप्नाचा रखवालदार झोपतो कोण आहे।
✍️ फज़ल अबूबक्कर एसाफ
NetramEyeCentre
Understanding the Symptoms of Diabetic Eye Diseases 👁️
Diabetes doesn’t just affect your blood sugar — it can quietly harm your eyes too.
If you or your loved ones are diabetic, regular eye check-ups are essential to prevent vision loss. Let’s understand the common warning signs of diabetic eye diseases.
🔍 1. Vision Changes
Do you often notice your vision getting blurry, then clear, and blurry again?
These fluctuating vision changes, including double vision or difficulty focusing, can be early signs that high blood sugar is affecting your eye’s lens and retina.
🧿 2. Loss of Visual Acuity
If reading small print, recognizing faces, or seeing distant objects becomes hard — it may indicate damage to the retina caused by diabetes.
Prompt diagnosis and treatment can help preserve your sharpness of vision.
🌫️ 3. Spots or Dark Strings
Seeing floating spots or dark strings (also known as floaters) can signal bleeding inside the eye due to Diabetic Retinopathy — a serious complication that requires immediate attention.
⚫ 4. Dark or Empty Areas in Vision
If you notice patches or missing areas in your vision, it may mean the retina isn’t getting enough oxygen.
Left untreated, this can lead to partial or complete vision loss.
💡 Protect Your Vision — Take Action Early
Diabetic Eye Disease often develops silently. By the time symptoms appear, damage may already be advanced.
That’s why regular retina screening and eye exams are crucial for every diabetic patient.
At Netram Eye Centre, our specialists use advanced diagnostic tools and treatments to detect and manage diabetic eye diseases early — helping you maintain clear, healthy vision.
📍Visit Us: E-98, GK-2, New Delhi - 48
📞 Call: 011-41046655, 9319909455
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Dada Bhagwan
This year, the 118th birth anniversary of Revered Gnani Purush, Param Pujya Dada Bhagwan was celebrated from Nov 3rd to Nov 9th in Morbi, Gujarat.
Discover more about this celebration: https://blog.dadabhagwan.org/latestupdates/param-pujya-dada-bhagwans-118th-janma-jayanti/
#blog #blogpost #celebration #DadaBhagwanFoundation #morbi
Shailesh Joshi
મારા અંદાજ પ્રમાણે
60 થી 70 ટકા લોકોની આજ,
ગઈકાલ કરતાં તો થોડી વધારે સારી હોય છે,
છતાંય એમાંથી મોટાભાગના લોકો
ગઈકાલ કરતાં આજ
વધારે ચિંતિત હોય છે.
- Shailesh Joshi
Dinesh
*🙏જય બાબા સ્વામી*🙏
*આજનો સુવિચાર*
બધાં કહે એટલે સાચું જ છે, એવું કહી શકાય નહીં. 'સત્ય'ને 'બહુમતી' કે 'માન્યતા' સાથે કોઈ સંબંધ હોતો નથી.
*શુભ સવાર*
Awantika Palewale
मेरे हर रंग पर, बस तुम्हारा असर है,
इस दिल में हर जगह, तेरा ही गुज़र है।
ये कैसी कशिश है, ये कैसा है जादू,
जहाँ भी मैं देखूँ, उधर तू ही नज़र है।
मेरी ख़ामोशियों में जो शोर-ए-बयाँ है,
वो लफ़्ज़ों से ज़्यादा, तेरी ही ख़बर है।
भला कैसे खुद को, मैं तुझसे बचाऊँ,
ये धड़कन भी बोले, तेरी ही सहर है।
जो नींदों में आकर, मुझे चैन देती है,
वो ख्वाबों की दुनिया, तेरा ही शहर है।
ये माना कि मुश्किल है तुझको भुलाना,
मगर तेरी यादों में जीने का हुनर है।
ग़ज़ल क्या लिखूँ, अब मैं तेरे असर पर,
मेरी शायरी भी तो तेरा ही सफ़र है।
Anup Gajare
१८…"बुरे अनुभव"
_____________________________________
बुरे अनुभव जैसा कुछ नहीं होता,
वह भी हमारी रूह का अँधेरा है,
जहाँ दर्द खुद को आग की तरह जलाता है,
फिर भी उस राख में छुपा होता है नया सूरज।
हर ठोकर, हर आँसू, हर टूटती साँस,
जैसे पत्थर में उकेरी जाती एक रेखा,
जो समय के बहाव में हीरे की तरह चमक उठती है।
हमारे अंदर की कमजोरियों की चोटें,
दरअसल हमारी ताकत की नींव हैं।
वह क्षण जब दुनिया ने हमें गिराया,
वह क्षण जब उम्मीदें धूल में मिल गईं,
वह क्षण जब कोई हाथ हमारे हाथ नहीं थामा—
वहीं हम स्वयं को पहचानते हैं,
अपनी असली मिट्टी में, अपने असली अस्तित्व में।
बुरे अनुभव सिर्फ अंधेरा नहीं हैं,
वे हमारी आत्मा की किताब के पन्ने हैं,
जिन्हें पढ़कर हम अपने भविष्य को लिखते हैं।
और हर घाव, हर दर्द, हर अकेलापन,
सिर्फ एक सिख है—
कि हम हैं, और हम बनते जा रहे हैं,
असंभव को भी संभव में बदलते हुए।
बुरे अनुभव जैसा कुछ नहीं होता,
वह भी हमारी रगों में दौड़ता खून है,
सटीक, कठोर, कभी-कभी बेधड़क।
हर ठोकर, हर विफलता, हर टूटता पल,
जैसे हमारी आत्मा पर शटर क्लिक करता है,
काला और उजाला, दर्द और हँसी,
सब एक ही फ्रेम में कैद।
हम गिरते हैं—और गिरते ही उठते हैं,
जैसे ब्रेक हुए तारों से बिजली निकलती है।
वह अकेलापन, वह ठंड, वह घबराहट,
हमें हमारी असली पहचान दिखाता है—
कोई स्क्रीन, कोई फिल्टर, कोई दिखावा नहीं।
बुरे अनुभव सिर्फ अंधेरा नहीं हैं,
वे हमारी रफ़्तार हैं, हमारी आवाज़ हैं,
वे हमारे अंदर की बाग़ी को जगाते हैं।
और जब दुनिया कहती है “तू नहीं कर पाएगा,”
हम अपने घावों को हथियार बना लेते हैं,
क्योंकि अब हम जानते हैं—
धड़कते हुए दर्द से भी बड़ी चीज़ कोई नहीं।
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Soni shakya
"उन्हें दिल तोड़ने की आदत हो गई है
और हमे... सहने की"..!!
'वो' हर रोज रूला जाते हैं
हम फिर भी उन्हीं को 'चाहते' हैं ..!!
- Soni shakya
Sanjay Sheth
कल सुबह नहीं, सॉरी, परसों मध्यरात्रि के ठीक बाद, यानी 11 नवंबर 2025 की तड़के सुबह करीब 3 बजे – भारतीय मीडिया के 'ब्रेकिंग न्यूज' के महारथियों ने फिर कमाल कर दिया। धर्मेंद्र जी, हमारे ही-मैन, 'शोले' वाले गब्बर-किलर, अचानक 'मृत' घोषित हो गए! स्क्रीन पर लाल पट्टी, भारी आवाज़: "धर्मेंद्र का निधन! वेंटिलेटर पर थे, अब नहीं रहे!" आज तक, इंडिया टुडे, न्यूज18, जी न्यूज सबने एक साथ 'सूत्रों' का हवाला देकर गोता लगा दिया। कुछ अखबारों ने तो सुबह की हेडलाइन सजा ली "बॉलीवुड का सूर्य अस्त!"
परिवार वाले तो स्तब्ध! हेमा मालिनी जी सुबह 9:40 बजे ट्वीट करके चिल्लाईं "ये क्या बकवास है? वो बिल्कुल ठीक हैं!" ईशा देओल ने इंस्टा पर पोस्ट डाला, "पापा स्टेबल हैं, प्राइवेसी दो, फेक न्यूज बंद करो!" सनी देओल ने भी साफ कहा "वेंटिलेटर वाली खबर झूठी है।" लेकिन भाई, मीडिया कहाँ रुकने वाला था? TRP की भूख में सितारे भी मर जाते हैं, चाहे वो जिंदा ही क्यों न हों!
और ये तो बस एक और एपिसोड था। 'ऑपरेशन सिंदूर' के वक्त भी यही नाटक हुआ था – फर्जी वीडियो, फेक वॉर रूम, पाकिस्तान तक ने दो भारतीय एंकर्स को 'डिसइन्फॉर्मेशन अवॉर्ड' दे दिया! पुलवामा, किसान आंदोलन, कोविड हर बार यही कहानी।
क्यों? क्योंकि अब स्टूडियो में जो बैठे हैं, वो वही 'स्नातक' हैं जिन्होंने व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से डिग्री ली है। फॉरवर्ड मैसेज = फैक्ट, वायरल सच्चाई। फैक्ट-चेक? अरे वो तो पुरानी किताबों में है! इनका मंत्र "जितना सनसनीखेज, उतना सही!"
तंज कसना बनता है, क्योंकि ये मीडिया नहीं, मीडिया सर्कस है। रिंगमास्टर है TRP, और जोकर हैं ये व्हाट्सएप वाले 'जर्नलिस्ट'!
लेकिन आखिर में, उस पत्रकारिता को सलाम जो कभी सच की मशाल थी। उस भारतीय न्यूज मीडिया को श्रद्धांजलि, जो कभी सच बोलता था, न कि चिल्लाता था।
तुम्हें नमन, जो कभी-कभी अब भी चमकते हो – जैसे धर्मेंद्र जी की मुस्कान, फेक मौत के बावजूद अमर!
जय हिंद, जय सच्चाई... और RIP फेक न्यूज! 🙏😂
JIGNESH BHATT
માણસ ભગવાનની પૂજા નથી કરતો,
પરંતુ તેમની મૂર્તિમાં છૂપાયેલી પોતાની મહત્વાકાંક્ષાની પૂજા કરે છે.
Shailesh Joshi
ગરીબી કેવી હોય ? એ
જેણે જેણે જોઈ છે એ,
અને જે જે લોકો જાણે છે
કે એ કેવી હોય ?
એવા લોકોના જીવનમાં
કોઈપણ પ્રકારની ચિંતાઓ
ઉપરથી હેઠી પડે તો પણ
પ્રવેશી શકતી નથી.
- Shailesh Joshi
Saliil Upadhyay
रिश्ते निभाने के लिए बुद्धि नहीं दिल की शुद्धि होनी चाहिए।
- Saliil Upadhyay
Mahesh Vegad
*આજની વાત...* ✍🏻
એક વખત
એક માણસ ના ખીસ્સામાં
*2000.00*
રૂપિયાની નોટ અને
*1.00*
રૂપિયાનો સિક્કો ભેગા થયા
સિક્કો તો અભીભૂત થઇને
નોટની સામે જોયા જ કરતો હતો
નોટે પુછ્યુ,
આટલું ધ્યાન પૂર્વક
શું જુએ છે ?
સિક્કાએ કહ્યુ,
આપના જેટલા
મોટા મૂલ્યની
વ્યક્તિ સાથે
ક્યારેય મૂલાકાત
થઇ નથી એટલે
આપને જોવ છું
આપનો જન્મ થયો ત્યારથી
અત્યાર સુધીમાં
આપ કેટલું બધુ
ફર્યા હશો
આપનું મૂલ્ય
મારા કરતા
હજાર ગણું વધારે છે
એટલે કેટલા લોકોને
ઉપયોગી થયા હશો ?
નોટે દુ:ખી વદને કહ્યુ,
ભાઇ,
તું વિચારે છે
એવું કંઇ નથી
હું એક
ઉદ્યોગપતિ ના
કબજામાં હતી
એણે મને સાચવીને
એની તિજોરીમાં રાખેલી
એક વખત મને
તિજોરીમાં થી
બહાર કાઢીને
એણે કરેલા
ટેકસ ચોરીના
કૌભાંડને ઢાંકવા માટે
લાંચ તરીકે
એક અધિકારીના
હવાલે કરી
મને એમ થયુ કે
ચાલો જેલમાંથી છુટ્યા
હવે કોઇના
ઉપયોગમાં આવીશ
પણ મારા સપનાઓ
સપનાઓ જ રહ્યા
કારણકે અધિકારીએ
મને એના
બેંક લોકરમાં
કેદ કરી દીધી
કેટલાય મહિનાઓ બાદ
અધિકારીએ
એક મોટો બંગલો ખરીદ્યો
એટલે મને
બેંક લોકરમાંથી
બહાર નીકળવાની
તક મળી
જેવી બીલ્ડરના
હાથમાં આવી કે
એણે તો કોથળામાં પુરીને
એક અંધારી જગ્યાએ મુકી દીધી
મારો તો
શ્વાસ પણ રુંધાતો હતો
હજુ થોડા દિવસ પહેલા જ ત્યાંથી નીકળીને
આ માણસના
ખીસ્સામાં પહોંચી છું
ભાઇ સાચુ કહુ તો
મેં મારી જીંદગી
જેલમાં જ વિતાવી છે
નોટે પોતાની વાત પુરી કરીને પછી
સિક્કાને પુછ્યુ
“દોસ્ત,
તું તો કહે
તારા જન્મ પછી
તું કેટલુક ફર્યો ?"
"કોને કોને મળ્યો ?”
સિક્કાએ
હરખાતા હરખાતા કહ્યુ
*“અરે દોસ્ત,*
*શું વાત કરુ ?*
*હું તો ખૂબ ફર્યો"*
એક જગ્યાએ થી
બીજી જગ્યાએ
અને ત્યાથી વળી
ત્રીજી જગ્યાએ
સતત ફરતો જ રહ્યો
ક્યારેક ભીખારી પાસે જઇને
એને બીસ્કીટ નું
પેકેટ અપાવ્યું
તો ક્યારેક
નાના બાળકના
હાથમાં જઇને
એને ચોકલેટ અપાવી
પવિત્ર તીર્થસ્થાનોમાં
જઇ આવ્યો,
પવિત્ર નદીઓમાં
નાહી આવ્યો
અને
પ્રભુના ચરણસ્પર્શ
પણ કરી આવ્યો
ક્યારેક હું આરતીની
થાળીમાં જઇ આવ્યો
તો ક્યારેક અલ્લાહની
ચાદરમાં પણ પોઢી આવ્યો
મને ખૂબ મજા આવે છે
અને
જેની જેની પાસે જાવ છું
એને પણ
મજા કરાવું છું."
*સિક્કાની વાત સાંભળીને*
*નોટની આંખો*
*ભીની થઇ ગઇ*
*મિત્રો,*
*તમે કેટલા મોટા છો એના કરતા*
*તમે લોકોને કેટલા ઉપયોગમાં આવ્યા*
*એ વધુ મહત્વનું છે.*
*મોટા હોય પણ ઉપયોગમાં ન આવે*
*તો એ નાના જ છે*
*અને નાના હોય પણ બીજા ને ઉપયોગમાં આવે તો*
*એ નાના નહી*
*બહુ મોટા છે.*
Ruchi Dixit
गुण -दोष स्वभाव परिणाम से परिचित होकर
भी आजीवन साथ निभाने की प्रक्रिया में आत्मप्रेम लिए लोग पास तो आते है किन्तु उन गुण दोषो के प्रभाव से खुद को मुक्त नही रख पाते ।
- Ruchi Dixit
jihan
એ પ્રેમ જેમાં તમારું હોવું ના હોવા બરાબર હોય પછી પ્રેમ સાચો હોય કે ખોટો હોય તમારાથી દૂર જાય તો પણ ગુમાવ્યું કે મેળવ્યું નો કોઈ અફસોસ કરવાનો ના હોય...
- jihan
Chaitanya Joshi
ભક્તોના ભાવ જોનાર કે ભોળા શંકર ભગવાન છે.
એના જેવા ન દાતાર કે ભોળા શંકર ભગવાન છે.
નથી ભેદભાવ ત્યાં મારા- તારાના.
આવે તેને આવકાર કે ભોળા....1
ભક્તવત્સલ ભોળાનાથ ભયહારી,
હર હર મહાદેવના ઉચ્ચાર કે ભોળા..2
ભક્તોની લાજ ભોળાનાથ રાખતા,
એક જ એનો જો આધાર કે ભોળા..3
ભજનારને ભાવભૂષણ ગમતા,
રીઝે છે શિવ સરકાર કે ભોળા...4
શરણાગતને શિવ સ્વીકારજો,
નથી કોઈ હારોહાર કે ભોળા...5
ભૂલચૂકને દોષો છે હજારો,
ક્ષમાબક્ષિશ દેનાર કે ભોળા...6
દરશન દેજો દેવ દિલાવર,
અધમને તમે તારનાર કે ભોળા..7
- ચૈતન્ય જોષી. " દીપક " પોરબંદર.
Deepak Bundela Arymoulik
मैं देश से प्रेम करता हूं
मैं देशप्रेमी हूं — ये मेरे कर्मों में झलकता है,
संबिधान का हर अनुच्छेद मेरे दिल में धड़कता है।
महंगाई की मार झेल कर भी मुस्कुराता हूं,
क्योंकि वतन की मिट्टी से ही अपना नाता है।
मुफ्त की रेवड़ियों से मैं खुद को बचाता हूं,
मेहनत की रोटी खाकर गर्व से जीता जाता हूं।
आरक्षण विहीन हूं, पर परिश्रम मेरा सहारा है,
पसीने की हर बूंद मेरे राष्ट्र का इशारा है।
समय पर टैक्स भरता हूं, यही मेरी पूजा है,
ईमानदारी की राह पर चलना ही मेरी दूजा है।
महंगी बिजली के नीचे बच्चों को पढ़ाता हूं,
क्योंकि भविष्य का भारत मैं उनमें देख पाता हूं।
देशभक्ति मेरे शब्दों में नहीं, जीवन में बसी है,
भारत मेरी आत्मा है, और ये धरती मेरी हंसी है।
आर्यमौलिक
Ruchi Dixit
पाने से पहले पाने का सुख
खोने से पहले खोने का दुःख
लगभग बराबर ही होता है।
- Ruchi Dixit -विवेचन
Ruchi Dixit
टूटने से पहले टूटने की पीड़ा
खोने से पहले खोने की पीड़ा
मरने से पहले मरने की पीड़ा
अधिक कष्टकारी होती है।
- Ruchi Dixit
Ruchi Dixit
सबसे खराब स्थिति तब होती है
जब हम किसी अनभिज्ञ वस्तु के खोने की कल्पना मात्र से दु:खी होकर स्वंय को कोसते है।
जबकि वास्तव खोने में खोने का भय ही खोना है। -आत्ममंथन
- Ruchi Dixit
Imaran
खोते हैं अगर जान तो खो लेने दे
ऐसे में जो हो जाए वो हो लेने दे,
तमाम उम्र पड़ी हैं हसने के लिए
इस वक़्त तो जी भर के रो लेने दे
🥲 imran 🥲
suresh
યે દિલ બેગૈરત સા લગતા હૈ.
જો કિસ્મત મે ના હો ઉસી સે જાકે મિલતા હૈ.
_સાવન
Jyoti Gupta
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Gautam Patel
ચા 🍵
ઓગણીસમી સદી
પહેલાં ભારતમા
પીણા તરીકે ચા
અજાણી હતી. ઇસ્ટ
ઇન્ડિયા કંપનીનાં
વહાણો ત્યારે ચીન
જતાં હતાં અને ત્યાંની
ચા છેક ઇંગ્લેન્ડ
પહોંચાડતાં હતાં.
જોસેફ બેન્ક્સ નામનો અંગ્રેજ
વનસ્પતિશાસ્રી
૧૭૯૩માં ચીન ગયો, ચાના છોડ
માટેના અનુકૂળ પર્યાવરણનો તથા
વાવેતરની પદ્ધતિનો ત્યાં અભ્યાસ
કર્યો અને છોડનાં બીજ કલકત્તા લેતો
આવ્યો. ઉત્તર બંગાળમાં તેમજ
આસામમાં તેણે ચાનું વાવેતર
કરવાનું સૂચવ્યું, પણ તેનો પ્રસ્તાવ
ધ્યાન ૫૨ લેવાયો નહિ.
Ans.
ઇસ્ટ ઇન્ડિયા કંપનીએ પેટ્રોલ બોટના કમાન્ડર તરીકે નીમેલો
ચાર્લ્સ એલેક્ઝાન્ડર બ્રુસ
૧૮૨૩માં
બોટને હંકારતો બ્રહ્મપુત્ર
નદીના ઉપરવાસમાં
પહોંચ્યો. અહીં સિંગહૂ
જાતિના આદિવાસી લોકો
કુદરતી રીતે
થયેલી ચાનાં પાંદડાં
વાપરતા હોવાનુ તેણે
સાંભળ્યું હતું. આદિવાસી
લોકોના મુખિયાનો રૂબરૂ
ભેટો કરી ચાર્લ્સ બ્રુસે ચાના
કેટલાક છોડવા મેળવ્યા, પણ
ત્યાર પછીયે વ્યાપારી ધોરણે
ચાનું વાવેતર પાછળ ઠેલાતું
રહ્યું. કેટલાક સમય બાદ
ચીન સાથે બ્રિટનના રાજકીય
સંબંધો બગડ્યા અને ચાનો
સપ્લાય અનિયમિત બન્યો
ત્યારે ઈસ્ટ ઇન્ડિયા કંપનીના ગવર્નર--
જનરલ વિલિયમ બેન્ટિકે અંગ્રેજો દ્વારા
આસામમાં ચાનું વાવેતર શરૂ કરાવ્યું.
૧૮૩૯માં સ્થપાયેલી આસામ ટી
કંપની ચાના વેપારક્ષેત્રે જગતની
પ્રથમ કંપની હતી, જેના એક ભારતીય ડિરેક્ટર દ્વારકાનાથ ટાગોર જે રવિન્દ્રનાથ ટાગોરના દાદા હતા.
https://www.facebook.com/share/17aTdjda7f/
Sanjay Sheth
मैं कल की धर्मेंद्र जी को श्रद्धांजलि वाली पोस्ट के लिए सबसे माफी चाहता हूं। एक गुजराती अखबार और तीन चार न्यूज चैनल पर यह समाचार देख कर मैने वो पोस्ट किया था। हमारी मीडिया क्यों बार बार यह साबित करने में सफल हो जाती है कि वो विश्व की सबसे घटिया न्यूज मीडिया है! RIP INDIAN MEDIA।
Parmar Mayur
સુર્યના કુમળા કિરણો
સંકોચાઈ ગયેલા પુષ્પો પર પડ્યા.
એક એક કરીને પાંદડીઓ
એકબીજાની આળસ મરડીને ખીલવા લાગી.
પોતાની પાંખોમાં પ્રાણ પુરીને પતંગિયાં પણ પુષ્પોનો પમરાટ પામવા ઉડવા લાગ્યા.
આ જોઈને,
નાસીપાસ થયેલ મનુષ્ય જીવને પ્રકૃતિની સત્યતા, ગતિ અને લય સમજાઈ જાય તો?
તે પણ આળસ ખંખેરીને જાગૃત થઈને,
પોતાના જીવનની અપૂર્ણતા ને સાર્થક કરવા,
સાચો પથ ક્યો છે?તે જાણીને
પોતાના પગને માર્ગ પર ચલાયમાન કરશે!
Hardik Boricha
☀️🔆☀️🔆☀️🔆☀️🔆☀️
आज का मोती
************
*ज्ञानी वही है,**
*जो क्रोध में भी धैर्य रखता है,*
*मोह में भी विवेक नहीं खोता,*
*और हर स्थिति में कर्म करता रहता है।**
*क्योंकि सच्ची भक्ति कर्म में ही है,
शब्दों में नहीं।*
“ *जब मन शांत होता है,*
*तो हर दिशा में भगवान का मार्ग दिखने लगता है।”*
🌹 *हंसते रहो हंसाते रहो* 🌹
💥 *अपना प्रकाश स्वयं बनो* 💥
👉 *शिक्षित बनो संगठित रहो* 👈
Parag gandhi
ખુલ્લી આંખે જોયેલ
*સપના*
અને હકીકત સામે
બંધ કરેલી *આંખ*
આ બે વસ્તુ દરેક ને
નડે છે..
Good morning
Hardik Boricha
*_નિયમ જ્યારે નિશ્ચય બની જાય.._*
*_માણસ ત્યારે સફળ બની જાય....!!_*
Good morning
Hardik Boricha
*ગુસ્સો કર્યા પછી*
*પણ*
*એકબીજાની ચિંતા કરવી*
*એ જ*
*સાચા સંબંધની નિશાની છે...*
*જો તડકા માં બધું જ "સુકાઇ" જતું હોય તો,,*
*માણસ ને તડકા માં "પરસેવો" કેમ થાય..?*
Hardik Boricha
ધુમ્મસ , ઠંડી , સ્વેટર ગરમ કોફી અને તું
બસ આ જ તો છે મારી ગમતી ઋતુ ..
😊😊😊
Hardik Boricha
તારા હૃદયમા અમને ઉમર કેદ મળે,
ભલે થાકે બધા વકીલ, તોય જામીન ન મળે. 😍😍😍
Hardik Boricha
વાગી ગયું અજાણમાં,
ઘવાયું હદય પળવારમાં.!!
તીર નહોતું જોયું હાથમાં,
છુપાવ્યુંતું એણે આંખમાં.!!
Dr Darshita Babubhai Shah
मैं और मेरे अह्सास
बादलों के पार
ख़ालिक ने बादलों के पार से संदेशा भेजा हैं l
एक बार फिर से नादां दिल के साथ खेला हैं ll
संदेश में खूबसूरत मिलन का आशीष भेजा है l
साथ में प्यारा सा हसीन नदीम भी भेजा हैं ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह
Sonu Kumar
क्या मोदी भारत का प्रशासनिक विकास सिंगापुर की तर्ज़ पर करना चाहेंगे?
मेरा जवाब है - 100% !! LKY सिंगापुर के विकास पुरुष थे एवं सिंगापुर के कथित विकास के लिए उन्हें ही जिम्मेदार माना जाता है। और मोदी साहेब LKY की नीतियों पर LKY से भी तेज रफ़्तार से चल रहे है। किन्तु LKY की नीतियां क्या थी, और इससे सिंगापुर में क्या बदलाव आया, इस बारे में पेड मीडिया बिलकुल उल्टी तस्वीर पेश करता है।
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Lee Kuan Yew = LKY ने सिंगापुर की काया पलटने के लिए एक बेहद आसान रास्ता चुना — उसने देश ब्रिटिश के हवाले कर दिया !!!
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नतीजा ; 1960 में सिंगापुर में ईसाई आबादी सिर्फ 4% थी , जो अब बढ़कर 20% हो गयी है। इसके अलावा आज सिंगापुर की पूरी अर्थव्यवस्था ब्रिटिश , अमेरिकन और यूरोपियन कम्पनियों के नियंत्रण में है !!
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1920 के आसपास ब्रिटिश साम्राज्य ने अपना प्रभाव बढाने के लिए एक नए तरीके का इस्तेमाल करना शुरू किया। वे ऐसे नेताओं को प्रोत्साहन देने लगे जो बोलते तो ब्रिटिश के खिलाफ थे , लेकिन कार्य सभी ऐसे करते थे जिससे ब्रिटिश को फायदा हो। मोहन गांधी इस कैटेगरी में उनका सबसे बेहतर प्रोडक्ट था। उसकी भाषणबाजी ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ होती थी , अत: इसे सुनकर ब्रिटिश के खिलाफ लोगो में पनप रहा गुस्सा काफूर हो जाता था। लेकिन मोहन इस नौटंकी द्वारा क्रन्तिकारी युवाओं को बड़ी तेजी से नारेबाज एवं निरापद सामाजिक कार्यकर्ताओ में रूपांतरित कर रहा था।
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बाद में पेड मीडिया के माध्यम से इस तकनीक का इस्तेमाल उन नेताओं को उभारने में किया गया, जिनका ब्रिटिश जाहिर तौर पर छद्म विरोध करते थे, एवं अमुक नेता भी इस तरह से प्रदर्शित करता था कि वह ब्रिटिश-विरोधी नजर आये। लेकिन अमुक नेता उन नीतियों का समर्थन करता था, जिससे अमेरिकी-ब्रिटिश उद्योगपतियों को फायदा हो और स्थानीय उद्योग टूटते चले जाए। लेकिन इसे इस तरह रचा जाता था जिससे अवाम को यह लगे कि, अमेरिकी-ब्रिटिश हमारे नेता का प्रतिरोध कर रहे है , लेकिन इस प्रतिरोध के बावजूद हमारा नेता आगे बढ़ता जा रहा है !!!
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सिंगापुर का LKY = ली इसी श्रेणी का नेता था। उसके तेवर देखकर लगता था कि यह आदमी अमेरिकी-ब्रिटिश धनिकों के खिलाफ है, और अमेरिकी-ब्रिटिश धनिक भी कभी कभार उसके प्रति अपना रोष प्रकट करते थे। साथ ही अमेरिकी-ब्रिटिश धनिक इस तरह का दिखावा करते थे, जिससे अवाम को यह लगे कि अमेरिकी-ब्रिटिश धनिक 'ली' को तोडना चाहते है। लेकिन अमेरिकी-ब्रिटिश धनिको एवं 'ली' के बीच इस तरह का सुविधापूर्ण गठजोड़ था कि ये दोनों एक दुसरे को फायदा पहुंचाते थे !! और 'ली' ने पश्चिमी धनिकों के पक्ष में इस तरह की नीतियाँ बनायी कि पूरे सिंगापुर में स्थानीय उद्योगों का नाश हो गया !!
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सिंगापुर आज सिर्फ बहुराष्ट्रीय कम्पनियों एवं कारोबारियों का हेडक्वाटर बन कर रह गया है। सिंगापुर में किसी भी प्रकार की निर्माण इकाइयां नहीं है , हथियारों का निर्माण तो दूर की बात है। सिंगापुर की तुलना यदि इस्राएल से की जाये तो इस्राएल में निर्माण इकाइयों का मजबूत ढांचा मौजूद है , एवं अपने आधुनिक हथियारों का उत्पादन इस्राएल खुद करता है।
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LKY का कहना था कि — वे सिंगापुर को इस्राएल बनाना चाहते है !!
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मतलब लफ्फाजी करने की एक हद होती है !! इस्राएल इतना शक्तिशाली है कि, भारत अपनी सेना इस्राएल के बने हथियारों पर चला रहा है, और सिंगापुर को बढ़िया क्वालिटी के कैपीसीटर भी बनाने नहीं आते है !! इस्राएल बनने के लिए अपने हथियार बनाने की ताकत खुद से जुटानी होती है !! पराएँ देशो के भरोसे अपनी सेना चलाने से इस्राएल नहीं बनता है !! और जब तक आप हथियार नहीं बनाते तब तक आप इस्राएल नहीं बनते। आप सिंगापुर, फिलिपिन्स, सऊदी अरब ही बन सकते है !! मलतब परजीवी देश, जिन्हें फोन और पेन ड्राइव भी दुसरे मुल्क बनाकर देते है !!
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1960 के बाद सिंगापुर के इतिहास में मुख्य रूप से ध्यान देने योग्य बात यह है कि — आखिर क्यों मलेशिया व इंडोनेशिया सिंगापुर को आपस में आधा आधा बाँट लेने में सफल नहीं हुए थे ?
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वजह अमेरिकी-ब्रिटिश धनिक थे। तब इंडोनेशिया एंव मलेशिया के नेताओं पर भी अमेरिकी-ब्रिटिश धनिकों का पर्याप्त नियंत्रण था, और वे सिंगापुर को टेकओवर होने देना नहीं चाहते थे।
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बाद में अमेरिकी-ब्रिटिश धनिकों एवं जापानियों का कारोबारी नियंत्रण एशिया में बढ़ गया। लेकिन इन सभी देशो में सैन्य विद्रोह और / या कम्युनिस्ट क्रांति की सम्भावना के चलते उन्हें एक सुरक्षित देश की तलाश थी। उन्होंने पहली प्राथमिकता सिंगापुर को दी। हांगकांग उनकी दूसरी पसंद था।
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'ली' ने सब कुछ आउटसोर्स कर लिया था — नीतियों से लेकर निष्पादन तक !! बदले में अमेरिकी-ब्रिटिश धनिकों ने सिंगापुर शहर को उतने अच्छे से प्रबंधित किया, जितना पश्चिम में भी कोई शहर नहीं है।
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तो इसमें दिक्कत क्या है ?
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इस तरह के विकास के लिए मोटी कीमत चुकानी पड़ती है। पहला नुकसान यह है कि जब विदेशी पूँजी आती है तो वह स्थानीय धर्म को अपने धर्म से बदल देती है — कोई दया नहीं , कोई अपवाद नहीं !!
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भारत के ब्रांडेंड नेताओं के भगत विदेशी निवेश आने की ख़ुशी में सड़को पर इसीलिए नाच रहे है, क्योंकि वे इस कड़वे सत्य पर चर्चा से बचना चाहते है !! 1960 में जब 'ली' ने सत्ता सम्भाली थी तो सिंगापुर में इसाईयत सिर्फ 4% थी, जो कि अब बढ़कर 20% हो गई है !! यह वृद्धि दर भी तब है , जब ईसाई समुदाय में जन्म दर काफी निम्न रहती है। इस सम्बन्ध में और अधिक जानकारी के लिए गूगल करें।
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अगला नुकसान — अमेरिकी-ब्रिटिश कम्पनियों ने स्थानीय निर्माण एवं हथियार निर्माण इकाइयों को पूरी तरह से ख़त्म कर दिया।
आज सिंगापुर बन्दुक नहीं बनाता , कारतूस नहीं बनाता और यहाँ तक कि वे 1 ग्राम गन पाउडर तक नहीं बनाते !! सिंगापुरियन कारे तो नहीं बनाते , लेकिन वे कारो के टायर तक नहीं बनाते !! वहां सभी प्रकार का बेहतरीन सामान उपलब्ध है — लेकिन यह सभी आयातित है !!
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गणित-विज्ञान एवं इंजनियरिंग की शिक्षा का स्तर वहां अच्छा है। लेकिन वास्तविक निर्माण इकाइयां न होने की वजह से यह शिक्षा सिर्फ पाठ्यक्रम एवं जबानी जमा खर्च तक ही सीमित है। वहां इसकी कोई व्यवहारिक उपयोगिता नहीं। क्योंकि सिर्फ निर्माण इकाइयों की आपसी प्रतिस्पर्धा ही इंजीनियरिंग के स्नातको को अपना हुनर तराशने का अवसर देती है। किताबी ज्ञान सिर्फ आभासी ज्ञान है। एक दुसरे का चमड़ा उधेड़ देने वाली वास्तविक प्रतिस्पर्धा में इंजीनियरिंग के स्नातको की क्षमता उस किशोर के समान है , जिसने ब्रूस ली की सभी फिल्मे दर्जनों बार देखी हो, लेकिन कभी रिंग में न उतरा हो।
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तो अमेरिकी-ब्रिटिश धनिकों ने सिंगापुर को अधिगृहित करने बाद उनकी विज्ञान-गणित एवं इंजीनियरिंग की शिक्षा का कबाड़ा क्यों नहीं कर दिया ?
वजह - अमेरिकी-ब्रिटिश धनिक सिंगापुर को समृद्ध होता दिखाना चाहते थे , वर्ना सिंगापुर के मलेशिया में विलय होने की मांग बढ़ जाती। लेकिन फिलिपिन्स के साथ ऐसी कोई शर्त नहीं थी, अत: अमरीकी-ब्रिटिश धनिकों ने फिलिपिन्स में विज्ञान-गणित की शिक्षा को बर्बाद कर दिया।
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उदाहरण के लिए, गोरो ने अपने ज्यादातर उपनिवेशों में 1885 के बाद पाठ्यक्रम में गणित-विज्ञान को शामिल करना शुरू कर दिया था। भारत में भी तब गणित-विज्ञान की पुस्तकें जोड़ी गयी। मैकाले की अनुशंसा के 50 साल बाद !! क्योंकि गोरो को हथियारों के उत्पादन की जरूरत थी। बाद में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गोरो ने भारत में हथियार निर्माण की बड़े पैमाने पर फैक्ट्रियां लगायी। तब गोरो को एक अतिरिक्त सप्लाई लाइन खोलने की जरूरत थी, ताकि इंग्लेंड की सप्लाई लाइन टूट जाए तो भारत से हथियार पहुंचाए जा सके। तो भारत में गणित-विज्ञान का जो बेहतर आधार था उसकी वजह ब्रिटिश थी। लेकिन 1990 में WTO एग्रीमेंट होने के साथ ही अमेरिकी-ब्रिटिश धनिकों ने भारत में प्रवेश करना शुरू किया, और तब से लगातार हमारे विज्ञान-गणित के पाठ्यक्रम को कमजोर किया जा रहा है।
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वे किस तरह भारत में गणित-विज्ञान का आधार कमजोर कर रहे है, इस बारे में यह जवाब पढ़ें - भारत हथियारों की इंजीनियरिंग में अमेरिका को कैसे पछाड़ सकता है? के लिए Pawan Kumar Sharma का जवाब
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अमेरिकी-ब्रिटिश धनिकों ने साउथ कोरिया में 1960 में प्रवेश किया था। तब कोरिया में ईसाई आबादी 4% थी, जो आज बढ़कर 40% ( ऑफिशियली यह 29% है ) हो गयी है !! लेकिन नार्थ कोरिया के साथ संभावित प्रतिरोध से निपटने के लिए अमेरिकी-ब्रिटिश धनिकों ने साऊथ कोरिया में निर्माण इकाईयो को बनाए रखा , परन्तु हथियार निर्माण इकाइयों को पूरी तरह से खत्म कर दिया था। साउथ कोरिया में भी आज जो निर्माण इकाईया है उन पर तथा उनकी समूची अर्थव्यस्था पर अमेरिकी-ब्रिटिश धनिकों का नियंत्रण है।
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साउथ कोरिया को बेचने का काम PCH = Park Chung Hee ने किया था। 'ही' 1963 में सत्ता में आया और अगले दस वर्षो में उसने पूरा दक्षिण कोरिया अमेरिकी-ब्रिटिश के हवाले कर दिया था। रिपेट्रीएशन क्राइसिस की वजह से 1999 तक साउथ कोरिया 2 बार बैंक करप्ट हुआ और अमेरिकी-ब्रिटिश धनिको ने उनकी सारी राष्ट्रिय सम्पतियों एवं सरकारी भूमि का अधिग्रहण कर लिया था।
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तो जैसे ही अमेरिकी-ब्रिटिश धनिक मलेशिया को ख़त्म करने में सफल होंगे , जो कि वे चाइना को कमजोर करने के बाद ही कर सकेंगे, वैसे ही सिंगापुर को वे फिलिपिन्स में रूपांतिरत कर देंगे। और तब सिंगापुर किसी भी तरह अपनी अर्थव्यवस्था बचा नहीं सकेगा , क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्था पर आज भी उनका नियंत्रण नहीं है।
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मोदी साहेब LKY एवं PCH की तर्ज पर ही काम कर रहे है। आप देख सकते है कि, वे बेहद तेजी से भारत की अर्थव्यवस्था अमेरिकी-ब्रिटिश कम्पनियों के हवाले कर रहे है। तो अमेरिकी-ब्रिटिश धनिक भारत पर पूर्ण नियंत्रण बनाने के बाद भारत का इस्तेमाल चीन को तोड़ने में करेंगे। यदि चीन से भारत का युद्ध का होता है, तो भारत का इराकीकरण हो जाएगा और यदि युद्ध टल जाता है तो बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारत को एक विशाल फिलिपिन्स में बदल देगी। एक विशाल फिलिपिन्स में बदल जाने का क्या आशय है, इस बारे में मैंने ऍफ़ डी आई से सम्बंधित अपने कई जवाबो में लिखा है।
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कैसे अमेरिकी-ब्रिटिश धनिकों का नियंत्रण भारत पर बढ़ता जा रहा है ?
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कम्युनिकेशन यानी संचार के साधनों पर अमेरिकी पूरी तरह से नियंत्रण बना चुके है। इलेक्ट्रोनिक मीडिया एवं सोशल मीडिया पर उनका 100% नियंत्रण है। हालात यह है कि भारतीय सेना के उच्च अधिकारी अपने सैन्य कम्युनिकेशन के लिए भी व्हाट्स एप का इस्तेमाल कर रहे है। कोमकासा एग्रीमेंट के बाद भारत की सभी सैन्य गतिविधियों के बारे में अमेरिका की सेना को पूर्व सूचना रहती है, और उन्हें अद्यतन सूचनाएं भी मिलती रहती है।
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हमारी सेना में अमेरिकी-ब्रिटिश-फ्रेंच हथियारो का हिस्सा बढ़ता जा रहा है, और हम इनके स्पेयर पार्ट्स के लिए अमेरिकीयों पर निर्भर रहेंगे। जब युद्ध होता है पूरा युद्ध संचार साधनों की गोपनीयता पर निर्भर करता है। हमारे पूरे संचार साधनों पर अमेरिका को हमसे ज्यादा एक्सेस मिला हुआ है। और हम अमेरिकी हथियारों पर अपनी सेना चला रहे है।
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डिफेंस डील ( कॉमकासा एग्रीमेंट ) के संदर्भ में कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य ने जो कार्टून बनाया था वह इस नीति पर सबसे सटीक टिप्पणी है। मतलब इससे आगे कहने को कुछ रह नहीं जाता।
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अभी मोदी साहेब ने भारत सरकार की जमीनों को अमेरिकी-ब्रिटिश धनिकों को बेचना शुरु किया है। यह काफी गंभीर विषय है। कृपया इस बात पर ध्यान दें कि सरकार की असीमित शक्ति का स्त्रोत जमीनों का स्वामित्व है। यदि सरकार के पास से जमीन निकल जाए तो सरकार के हाथ से अर्थव्यवस्था का नियंत्रण भी निकल जाएगा। किन्तु जिस गति से PSU बेचे जा रहे है, जल्दी ही भारत सरकार कंगाल हो जायेगी। क्योंकि असली ताकत जमीनों के स्वामित्व से आती है, कागज के नोटों से नहीं। हमारे बैंक भी तेजी से उनके कब्जे में जा रहे है। एक बार जब अमेरिकी-ब्रिटिश धनिक बैंको, जमीनों, खदानों पर स्वामित्व बना लेंगे तो वे भारत में भारत सरकार से भी ज्यादा ताकतवर हो जायेंगे।
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आप पेड मीडिया में विनिवेश के नाम पर जितनी भी खबरें पढ़ते-देखते है, दरअसल यह जमीनों की बिकवाली है। जब वे कोई PSU बेचते है तो इसमें मुख्य भाग जमीनों का होता है, और इसे अंडर वैल्यू करके दिखाया जाता है। उदाहरण के लिए मान लीजिये कि एक कम्पनी कोई PSU जैसे कोल इण्डिया वगेरह 10,000 करोड़ में खरीदती है तो उन्हें 50,000 करोड़ की जमीन मुफ्त में मिल जाती है। क्योंकि कोल इण्डिया के स्वामित्व में 50 हजार करोड़ की जमीन है। इस जमीन को कोल इण्डिया के लेखो में अंडर वैल्यू करके दिखाया जाता है, और इसे मीडिया में रिपोर्ट भी नहीं किया जाता। इस तरह जितनी भी संस्थाएं बेचीं जा रही है, उनके पास किलोमीटरो के हिसाब से जमीन है, और यह सारी जमीन विदेशियों के कब्जे में जा रही है। दुसरे शब्दों में, वे संस्थाएं नहीं, बल्कि जमीने बेच रहे है।
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मैंने लोकसभा चुनावों से पहले एक जवाब में लिखा था कि, जो भी पीएम बनेगा वह भारत की सभी राष्ट्रिय संपत्तियां, सार्वजनिक उपक्रम, खदाने, प्राकृतिक संसाधन, कीमती जमीने और आवश्यक सेवाएं प्रदाय करने वाली सरकारी संस्थाएं विदेशियों को बेच देगा। यह जवाब आप यहाँ पढ़ सकते है - अगर २०१९ में मोदी जी फिर प्र.म. बनते हैं तो पाँच सालों मे आगे क्या काम कर सकते है? के लिए Pawan Kumar Sharma का जवाब
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जिस स्पीड से अभी मोदी साहेब देश की संपत्तियां बेच रहे है, यह बात बिलकुल ठीक है कि वे LKY एवं PCH की तर्ज पर ही काम कर रहे है। बल्कि मैं कहूँगा कि मोदी साहेब इन दोनों से ज्यादा रफ़्तार से यह बेचान कर रहे है !!
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निचे मैंने कुछ न्यूज लिंक रखे है, जो बताते है कि मोदी साहेब किस रफ़्तार से बढ़ रहे है।
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नीति आयोग ने बेचने के लिए एनटीपीसी, सीमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, भारत अर्थ मूवर्स और सेल सहित सरकारी कंपनियों की जमीन और इंडस्ट्रियल प्लांट्स जैसी 50 संपत्तियों की पहचान की है। एक अधिकारी ने बताया कि नीति आयोग ने डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट ऐंड पब्लिक ऐसेट मैनेजमेंट (दीपम) को एक लिस्ट भेजी है। उन्होंने कहा, 'हम इन संपत्तियों को बेचने की तैयारी कर रहे हैं।
assets monetisation: नीति आयोग ने बेचने के लिए बनाई 50 सरकारी संपत्तियों की लिस्ट - niti aayog readies list of over 50 central government's assets for sale | Navbharat Times
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(2)
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सरकार चुनिंदा सार्वजनिक उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे लाने की भी योजना बना रही है। अधिकारी ने कहा कि सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे लाने के लिए कानून में कुछ संशोधन करने की जरूरत होगी। साथ ही इससे यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि ये कंपनियां केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) और नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के नियंत्रण दायरे से बाहर आ सकें। अधिकारी ने कहा कि इस तरह का कदम संभव है। इसके लिए कंपनी कानून की धारा 241 में संशोधन करने की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि अगले तीन-चार साल में सरकार की शीर्ष प्राथमिकता निजीकरण की है। उन्होंने कहा, ''इसके लिए हमें प्रधानमंत्री का पूरा समर्थन है।
उस समर्थन के जरिये मुझे पूरा भरोसा है कि जो भी बिक सकता है उसे बेचा जाएगा। जो नहीं बिकने योग्य है उसे भी बेचने का प्रयास किया जाएगा।'' अधिकारी ने यह भी माना कि इस मामले में विभिन्न पक्षों द्वारा अवरोध खड़े किये जायेंगे लेकिन सरकार ने अपना मन बना लिया है।
'जो भी बिक सकता है बेचेगी सरकार, चुनिंदा सार्वजनिक उपक्रमों में हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे लाएगी' - Lokmat News Hindi | DailyHunt
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गोला बारूद फैक्ट्रियों को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाने की तैयारी में मोदी सरकार
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एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के चेयरमैन गुरुप्रसाद महापात्रा ने शुक्रवार को कहा कि देश के 6 हवाई अड्डों के निजीकरण के बाद सरकार जल्द इसका दूसरा चरण शुरू करने जा रही है। उन्होंने कहा कि अगले चरण में देश के 20-25 हवाई अड्डों का निजीकरण किया जाएगा।
अगले चरण में 20-25 हवाई अड्डों का होगा निजीकरण: एएआई चेयरमैन
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(4)
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बैलाडीला के डिपाजिट 13 में 315.813 हेक्टेयर रकबे में लौह अयस्क खनन के लिए वन विभाग ने वर्ष 2015 में पर्यावरण क्लियरेंस दिया है। जिस पर एनएमडीसी और राज्य सरकार की सीएमडीसी को संयुक्त रूप से उत्खनन कार्य करना था। इसके लिए राज्य व केंद्र सरकार के बीच हुए करार के तहत संयुक्त उपक्रम एनसीएल का गठन किया गया था, लेकिन बाद में इसे निजी कंपनी अडानी एंटरप्राइजेस लिमिटेड को 25 साल के लिए लीज हस्तांतरित कर दिया गया। डिपाजिट 13 के 315.813 हेक्टेयर रकबे में 250 मिलियन टन लौह अयस्क होने का पता जांच में लगा है। इस अयस्क में 65 से 70 फीसदी आयरन की मात्रा पायी जाती है
बस्तर : बैलाडीला की 13 खदान अडानी को बेचने पर पचास हजार आदिवासी विरोध करने के लिए घरों से निकले; आज से अनिश्चितकालीन धरना शुरू
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(5)
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सरकार अब मुनाफा कमाने वाली सरकारी कंपनियों के निजीकरण पर विचार कर सकती है। इससे पहले घाटे में चल रहे सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (CPSE) को ही विनिवेश करने की नीति रही है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि सरकार नीति आयोग से ऐसी नॉन-स्ट्रैटिजिक प्रॉफिटेबल कंपनियों की लिस्ट बनाने को कह सकती है, जिनका निजीकरण किया जा सके।
Business News: प्राइवेट सेक्टर के हाथ बेची जाएंगी मुनाफे में चल रहीं सरकारी कंपनियां! - big shift in disinvestment policy: plan to privatise profitable cpses in works | Navbharat Times
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मैंने मई 2019 के बाद की ये कुछ ख़बरें रखी है। ज्यादा लिंक डालने से जवाब स्पैम हो जाएगा, अत: मैं उन्हें यहाँ रख नहीं रहा हूँ। और अधिक जानकारी के लिए आप गूगल कर सकते है। पढ़ते पढ़ते थक जायेंगे, पर खबरें ख़त्म नहीं होगी।
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समाधान ?
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मैं भारत की सेना एवं अर्थव्यवस्था को अमेरिकी-ब्रिटिश-फ्रेंच कंपनियों के हवाले करने के सख्त खिलाफ हूँ। भारत में ब्रांडेड नेताओं को फोलो करने वाले कार्यकर्ता इस "विकास" की ख़ुशी में छतों से छज्जो पर इसीलिए छलांगे लगा रहे है क्योंकि वे दो तथ्यों से अनजान है :
उन्हें नहीं पता कि अमेरिकी-ब्रिटिश कम्पनियों पर निर्भरता का क्या परिणाम होता है, और कितने देश इसे भुगत रहे है।
उन्हें यह जानकारी नहीं है कि अमेरिकी-ब्रिटिश कम्पनियां तकनीक के क्षेत्र में इसीलिए आगे निकल गयी क्योंकि उन देशो में बेहतर क़ानून व्यवस्थाएं है।
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मेरा मानना है कि यदि भारत के कार्यकर्ताओ को इन दो तथ्यों के बारे में सटीक जानकारी मिल जाए तो वे उधार की इस समृद्धि का विरोध करना शुरू कर देंगे।
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(1) एफडीआई के साइड इफेक्ट्स जानने के बारे में यह जवाब पढ़ें - प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति क्यों दी जाती है? इससे हमें क्या फायदे और नुकसान होंगे? के लिए Pawan Kumar Sharma का जवाब
https://hi.quora.com/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%80-%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B6-FDI-%E0%A4%95%E0%A5%80/answers/124760141?ch=10&oid=124760141&share=23948cc1&srid=5XEL1l&target_type=answer
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(2) किन कानूनों की वजह से अमेरिकी-ब्रिटिश कम्पनियां अन्य देशो की कम्पनियों की तुलना में आगे निकल गयी इस बारे में कृपया यह जवाब पढ़ें - भारत क्यों अमेरिका से पीछे हैं? के लिए Pawan Kumar Sharma का जवाब
https://hi.quora.com/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4-%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A5%80%E0%A4%9B%E0%A5%87/answers/178397074?ch=10&oid=178397074&share=0aaeefcb&srid=5XEL1l&target_type=answer
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Mamta Trivedi
ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है 🌹 यादें वादे
Falguni Dost
શંકા અને અવિશ્વાસ જ્યાં જન્મે
દોસ્ત! પછી દરેક સંબંધ ત્યાં પળ પળ મરે.
- Falguni Dost
Vihad Raval
સિવિલ હોસ્પિટલમાં ઓ .પી. ડી. વિભાગની બહાર છેલ્લા બે કલાકથી ઉભેલી બિમાર કાવેરીને માંડ માંડ ખુરશી મળી તો ' હાશ' કરતાક ને બેસી જ ગઈ. હજી તો બેસી જ છે ત્યાં જ પાછળથી એક વૃદ્ધ કાકાને લાકડીના સહારે માંડ માંડ ઉભેલા જોયા. પોતે તરત જ ખુરશી માંથી ઊભી થઈને વૃદ્ધ કાકાને જગ્યા આપી. ટ્રેન હોય કે એસ. ટી બસ હંમેશા પોતે ઊભા રહીને બીજા ને જગ્યા આપવાની એની આદત ના કારણે એ ઊભી તો થઈ ગઈ પણ એ તો ભૂલી જ ગઈ કે પોતે પણ ક્યાં હવે નાની છે? ચક્કર આવવાના કારણે ત્યાં ને ત્યાં જ ફસડાઈ પડી.
Neha kariyaal
जब सब कुछ ख़त्म हो जाता है,,
तब नई कहानी शुरू होती है।।।
Neha kariyaal ✍️
kajal jha
हर मुलाकात का अंजाम जुदाई होगा,
यह जानते थे मगर फिर भी दिल लगाया था।
बस एक तेरी ही आरज़ू में ऐ जान-ए-वफ़ा,
हमने हर दर्द को हँस कर अपनाया था।
- kajal jha
Kirti kashyap
"हम जुदा होते नहीं"
हम जुदा होते नहीं, गर तुम राहों में काँटे बोते नहीं,
शिद्दत-ए-दिल हो तो फिर, दरमियाँ फ़ासले होते नहीं।
दर्द-ए-दिल लफ़्ज़ों में ढल जाए, ये मुमकिन कहाँ,
ज़ख़्म सीने में चुभे बेशक, मगर हम रोते नहीं।
रात भर करवटों में ख़्वाब ढूँढा करते हैं,
पलकें तो झपकती हैं, फिर भी हम सोते नहीं।
ज़िन्दगी कितनी आसान हो जाती ऐ सनम,
गर ये ग़म अब तलक, हम दिल पे ढोते नहीं।
Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
Amreen Khan
https://www.instagram.com/reel/DQ8CVHgDyG9/?igsh=MTV2d2JkMnNoa2JiNw==
Amreen Khan
https://www.instagram.com/reel/DQ8CVHgDyG9/?igsh=MTV2d2JkMnNoa2JiNw==
GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)
पाप कर्म से जो मिले, दौलत द्रव्य अकूत। धर्मी ऐसे द्रव्य को, समझें निरा अछूत। दोहा--317
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'
GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)
पाप कर्म से जो मिले, दौलत द्रव्य अकूत। धर्मी ऐसे द्रव्य को, समझें निरा अछूत। दोहा--317
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'
InkImagination
“उसकी हँसी पर दिल ऐसे हार गई,
जैसे पहली बार किसी को सच में चाह लिया हो...
पता नहीं वो जानता भी है या नहीं,
पर मैं तो उसकी हर झलक में खो सी गई हूँ...” 💫
Good morning 🌞🌞
Soni shakya
🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏
🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹
Raju kumar Chaudhary
RKC GLOBAL RESEARCH CENTRE —
ज्ञान की हर दिशा में आपका स्वागत है! 🌍
यहाँ आपको मिलेंगे Motivational Videos, Business & Research Facts, Global Updates, Life Lessons, और Educational Insights — जो आपके सोचने का नजरिया बदल देंगे।
👉 सीखिए, समझिए और बढ़िए हमारे साथ — क्योंकि Research ही Real Power है!
Monty Khandelwal
इस दुनिया में घमंड और जवानी
दोनों ही ज्यादा दिनों तक नहीं टिकती
इसलिए विनम्र बन के रहो लोह जलती रहेगी
- Monty Khandelwal
Mesariya Aryan naresh kumar
દિવસો શાળાના હતા પ્યારા,
લાગતા એ મને એ દિવસો ન્યારા.
શું એ દિવસો હતા? એ પણ લાગતા
એ દિવસો મને મારા હૃદયથી વહાલા.
વાતો કરતા ખૂબ, યાર દિલ
ખોલીને! શું એ મસ્તી હતી!
ત્યારે કોઈ હસ્તી નહોતી અમારી,
પણ બાળપણની એ નિખાલસ મસ્તી હતી.
રજા પાડવાનો આનંદ હતો કેવો?
ખબર ક્યારે મળશે એ
અતિ આનંદ ને હર્ષ એવો,
જ્યારે ફરતા ખૂબ આનંદથી.
જુદાઈની રાત્રિ આવી,
પેગામ વિરહનો લાવી.
થયો જલદ એ શૈશવની લાગણીઓથી,
પીડિત થયો આ દર્દી યાત્રી.
મેસરિયા આર્યન
"યાત્રી"
Mesariya Aryan naresh kumar
દીકરી જન્મી મારે આંગણે;
કહે પિતા, "દેવીનું થયું અવતરણ."
જન્મી લક્ષ્મી મુજ આંગણે,
કોઈ કહે, "જાણે આ યુદ્ધનું સમરાંગણ!"
કોઈ કહે, "તનુજા પિતાનો બોજ,"
પિતા કહે છે, "દેવી મુજ દીકરી."
નથી બોજ! તનુજા મારો બોજ નથી,
એ તો મારું ઘર ઉજાળશે રોજ.
કોઈ બીજું કહે, "ડુબાડ ને તું
આને દૂધમાં, કર ને તું પુણ્ય.
ને દૂર કર તું પાપ તારું; દૂર કર ને
આનું જીવન કાપ આનું!"
પિતા કહે, "લક્ષ્મી મારી ધનની વર્ષા
કરશે, લાવશે એ મારે આંગણે નવપ્રભાત.
વધારશે તે મુજ સન્માન; તે જ મારું અભિમાન.
મારે આંગણે જન્મી રે દીકરી, ને જન્મી રે લક્ષ્મી!"
rakhi jain
Ishq होने k liye majid jaruri h dil हारना...
vrna khiladi ham bhi kachhe na थे
Mesariya Aryan naresh kumar
જોઈ શરધારીને, એ
વનપુત્ર વદ્યો કે, "હે!
ભલે અતરાયો છે,
શા માટે તું અહીં?"
અરીબોધક વળતો બોલ્યો,
"શરની ધારથી આવ્યો.
અહીં હું લેવા જીવ વિહગનો,
કરીશ હું શિકાર એનો!"
ઉપાડ્યું અમાનુષી ઈષુ એણે,
એ જોઈ ખગને કહે:
"મળશે આનંદ ને હર્ષ મને,
ઉડાડી પ્રાણપંખીડાં તારાં!"
શ્રુણી આ ક્રૂર વાતને,
અરણ્ય ને ખગ એ રુદન
કરે ને કહે, "વાગે મને શૂળ!
કરી શું કરી મેં કોઈ મોટી ભૂલ?"
Meenakshi Mini
चाँदनी रातों में तेरा इंतज़ार है,
दिल की धड़कनों में बस तेरा प्यार है।
हवा के झोंकों में आती है खुशबू तेरी,
हर फूल में छुपा हुआ तेरा दीदार है।
सपनों के आलम में मिलते हैं हम रोज़,
हक़ीक़त की दुनिया में फिर बेकरार है।
इश्क़ की मंज़िल तक पहुँचने को जी चाहे,
राहों में तेरे ही तो गुलज़ार है। 😊
———Meenakshi Mini
AKANKSHA SRIVASTAVA
90s का वो सुनहरा वक्त… जब शाम होते ही घर की छत पर चाय की खुशबू फैल जाती थी।
टीवी का एंटीना तिरछा हुआ रहता—
और पापा नीचे से आवाज़ लगाते,
“अरे ज़रा और घुमा… दूरदर्शन की लाइन नहीं आ रही!”
हम बच्चे छत की रेलिंग के पास खड़े,
एक हाथ में पल्लू पकड़कर झूला बनाते,
और दूसरे हाथ से हवा को चीरते हुए
सपनों की उड़ानें भरते।
दिन कितने सरल थे…
ना मोबाइल, ना सोशल मीडिया,
बस पड़ोस की आवाज़,
गली में खेलते बच्चों की हँसी
और माँ की पुकार—
“आओ खाना ठंडा हो जाएगा!”
रात को छत पर लेटकर
तारों को गिनने वाली आदत भी क्या खूब थी।
एक-एक तारा,
एक-एक कहानी,
और हमारी बचपन की धड़कनें
धीरे-धीरे हवा में खो जातीं।
आज बैठकर याद करते हैं तो लगता है—
कहाँ गए वो दिन?
वो मासूमियत…
वो धीमी-सी ज़िंदगी…
वो पल जो कभी बेमानी लगे,
आज सबसे क़ीमती खजाना बन गए।
काश…
समय पलट सके,
और हम फिर से वही छत, वही एंटीना,
और वही मासूम झूलों में
अपना बचपन ढूँढ सकें।
Ajay
Isiliye To Mai Roya Nahi bichhadte Samay..!!
Isiliye To Mai Roya Nahi bichhadte Samay..!!
Tujhe Rawana Kiya Hai Zuda Nahi Kiya Hai..!!
❤️🩹💔❤️🔥
Bhavna Bhatt
નવરાં બેઠા.... હસો ને હસાવો... મસ્તી ટાઈમ
Tanya Singh
https://www.matrubharti.com/book/19983699/the-house-on-maple-street
hy guys go and must read new story by me.
The house on maple street
Tanya Singh
https://www.matrubharti.com/book/19983654/barish-wali-breakup-story
hy guys here is new story by me.
#Barishwalibreakupstory
DrAnamika
जय द्वारकाधीश की जय
#जयश्रीकृष्णा #राधे_राधे
man patel
ક્યારેક એકલામાં બેસીને ખુદ થી
જ વાત કરીને જોજો સારું લાગશે.
કેમકે, તમારા સિવાય તમને કોઈ નહીં સમજી શકે.
જય શ્રી કૃષ્ણ
Kuldeep Singh
kuldip Singh ✍️
Noor
https://youtube.com/@fictionaltaless?si=uHdwpnf5f9n0kLrC
soni
✍️✍️✍️
आपका मुड़ आज कैसे है
1-khush
2-normal
3-thoda gussa
4-Dimag kharab
comment me jarur batana....
soni
सबंध का अर्थ हैे पीठ पीछे भी सन्मान
Soni shakya
मंजिल मिली नहीं मगर, रास्ते याद रह गए..
तुम बिछड़ गए, पर जज़्बात रह गए ...
जिंदगी ले आई वहां,जहां जाना नहीं था...
अब लौटती भी कैसै, हालात बदल गए...
- Soni shakya🥀🥀
Komal Arora
रिश्तो को कुछ ज्यादा गेहराई से जानने के बाद पता चलता है........
कि जिसके पिछे भाग कर यू खुद को परेशान कर रही थी......
वो तो सिर्फ नाम के थे..........
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