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NetramEyeCentre

Seeing life in a whole new way! ✨ Our patient just experienced a life-changing LASIK journey at Netram Eye Centre — and the happiness on their face says it all. 💛 In just 2 minutes, the procedure was completed with precision, comfort, and advanced technology. No pain, no stress — just clear, beautiful vision! 👁️✨ We’re so grateful for the trust our patients place in us and proud to help them step into a glasses-free life. If you’ve been dreaming of clear vision, your moment is now. Think LASIK, Think Netram. 💙👓➡️❌ #NetramEyeCentre #LASIK #LASIKSurgery #VisionCorrection #ClearVision #SpecsFreeLife #EyeCare #EyeHospital #DelhiEyeCare #DrAnchalGupta #LaserVision #TouchlessLASIK #SmartSurfACELASIK #VisionTransformation #HappyPatient #Testimonial #BetterVision #SeeTheWorldClearly #NoMoreGlasses #EyesOfDelhi

Yogi Krishnadev Nath

মানুষের পেটের মধ্যে লিভারের নিচের দিকে রয়েছে অগ্ন্যাশয় গ্রন্থী। খাবার হজম করতে এনজাইম তৈরি করা ছাড়াও শরীরের মধ্যে গ্লুকোজ বা সুগারকে নিয়ন্ত্রণ করার ক্ষেত্রে এই অগ্ন্যাশয় গ্রন্থিই হচ্ছে প্রধান হিরো। এর বিটা সেল থেকে নির্গত হয় ইনসুলিন - যা শরীরের সুগারকে কোষের মধ্যে পৌঁছে দিয়ে রক্তে সুগারের মাত্রা ঠিক রাখে। কিন্তু এই ইনসুলিন যখন প্রয়োজনের তুলনায় বেশি হয়ে যায় তখনই দেখা দেয় ডায়াবেটিস মেলাইটাস, যাকে আমরা 'সুগার বেড়ে যাওয়া রোগ' হিসেবে মনে করি। কিন্তু আসল ঘটনা হচ্ছে এটি পুরোপুরিই ইনসুলিন বেড়ে যাওয়া রোগ। এই বিষয়টি বুঝতে পারলেই ৫০% সুগার ঠিক হয়ে যায়। এই ধরনের গুরুত্বপূর্ণ সমস্ত বিষয়গুলো নিয়েই "মিষ্টি নামের তিক্ত রোগ" বইটিতে আলোচনা করা হয়েছে। টাইপ–২ ডায়াবেটিস আসলে “সুগার বাড়ার রোগ” নয়, এটি “ইনসুলিন বাড়ার রোগ”। যেই মুহূর্তে শরীরের কোষ ইনসুলিনের সংকেত শোনা বন্ধ করে দেয়, শরীর তখন আরও বেশি করে ইনসুলিন ছাড়তে থাকে; এটাকেই বলে ইনসুলিন রেজিস্ট্যান্স। সুতরাং ডায়াবেটিস ঠিক করতে হলে বাইরে থেকে ইনসুলিন ঢোকানো নয়, বরং এই রেজিস্ট্যান্স ভেঙে শরীরকে আবার ইনসুলিনের কথা শুনতে শেখাতে হবে।

Yogi Krishnadev Nath

ডায়াবেটিস রিভার্স করার পথে একটি বিশেষ পয়েন্টের নাম আপনি খুব কমই শুনেছেন, সেই পয়েন্টটা হচ্ছে HOMA-IR। এখনকার চিকিৎসা পদ্ধতিতে সুগার কমছে কি বাড়ছে - এই নিয়েই যত পরীক্ষা নিরীক্ষা, যত রিপোর্ট ! কিন্তু ডায়াবেটিস আসলে কেন হচ্ছে, শরীরের ভেতরে কী ভেঙে পড়ছে - তার উত্তর দেয় একমাত্র HOMA-IR। HOMA-IR হচ্ছে সেই আয়না, যেখানে আপনি আপনার শরীরের ইনসুলিন রেজিস্ট্যান্সকে দেখতে পাবেন। এখানে শুধু ব্লাড সুগার কত তা নয়, আপনার শরীর কত পরিশ্রম করে সেই সুগারকে নিয়ন্ত্রণে আনছে, ইনসুলিন কতটা বাড়াচ্ছে - সেটার নিখুঁত হিসাব আপনি পেয়ে যাবেন। যাদের HOMA-IR বেশি, তারা যতই খাবার কমান, ওষুধ খান, শরীর ততই ইনসুলিন বাড়িয়ে যেতে থাকে। এরফলে শরীরের কোষগুলো আরও বেশি অন্ধ হয়ে যেতে থাকে; এবং সুগার আরও পাগলের মতো ওঠে। এই জায়গাটাতেই প্রচলিত চিকিৎসা ব্যবস্থা চুপ। ডায়াবেটিস রোগীদের সামনে শুধুই দুইটা পথ রাখা হয় - ওষুধ বাড়াও অথবা ইনসুলিন নাও। কিন্তু HOMA-IR-এর কথা কোথাও নেই; কারণ এই একটি মাপকাঠি বুঝলে রোগীরা জেনে ফেলবে - “আমার সমস্যা সুগার নয়, আমার সমস্যা ইনসুলিন।” আমার বই “মিষ্টি নামের তিক্ত রোগ” - এই অদৃশ্য সত্যগুলোকে একে একে সামনে নিয়ে এসেছে। এখানে শুধু তথ্য নয়; আপনি কীভাবে HOMA-IR কমাবেন, কীভাবে ইনসুলিন রেজিস্ট্যান্স ভাঙবেন, কীভাবে শরীর আবার নিজের হাতে সুগারকে নিয়ন্ত্রণ করতে শুরু করবে - সেই পথ দেখায়। এই বইটি পড়ে আপনি বুঝতে পারবেন ডায়াবেটিস কোনো শত্রু নয়, বরং ডায়াবেটিস হচ্ছে আপনার জীবনের একটি আয়না; যে আয়না দেখে আপনি আপনার জীবনকে নতুনভাবে গুছিয়ে নিতে পারেন।

Yogi Krishnadev Nath

হিমোগ্লোবিনের মাত্রা নর্মাল থাকলে কি কারো শরীরে বাইরে থেকে রক্ত দেওয়া হয় ? না, দেওয়া হয় না। তাহলে কারোর শরীরে ইনসুলিনের পরিমাণ স্বাভাবিক থাকা সত্ত্বেও তাকে বাইরে থেকে ইনসুলিন নিতে বলা হয় কেন ? এই ধরনের ভুল চিকিৎসার কারণে সুগারের রোগীরা কখনোই সুস্থ হতে পারে না। টাইপ টু ডায়াবেটিস সুগার বাড়ার রোগ না, এটা হচ্ছে ইনসুলিন বাড়ার রোগ। বেশি বেশি ইনসুলিন নিঃসরণের কারণেই শরীরে ইনসুলিন রেজিস্ট্যান্স তৈরি হয়েছে। তাই শরীরের কোষগুলো আর ইনসুলিনকে পাত্তা দেয় না। এই অবস্থায় সঠিক চিকিৎসা হবার কথা ছিল, ইনসুলিন কমিয়ে এনে রেজিস্ট্যান্স ভেঙে দেওয়া। তা না করে উল্টে আরও বেশি করে ইনসুলিন ঢোকানো হয়। এজন্যই সুগার ঠিক হয় না। "মিষ্টি নামের তিক্ত রোগ" বইটিতে এই ধরনের সমস্ত বিষয়গুলো নিয়েই আলোচনা করা হয়েছে। এই বইটিতে যে সকল বাস্তব অভিজ্ঞতার কথা তুলে ধরা হয়েছে, সেগুলো ফলো করে চললেই একজন মানুষ সুগারের শৃঙ্খল থেকে মুক্ত হতে পারবেন। এই বই ওষুধ খাওনোর পথ দেখায় না, বরং নিজের শরীরকে আবার সুগার নিয়ন্ত্রণের ক্ষমতা ফিরিয়ে দেওয়ার পদ্ধতি শিখিয়ে দেয়। ডায়াবেটিস থেকে মুক্তি কোনো জাদু নয়, এটা শরীরের স্বাভাবিক বুদ্ধিকে জাগিয়ে তোলার প্রক্রিয়া।

ArUu

किसी एक शख्स का दुनियां हो जाना ठीक वैसा है जैसा नदी का तालाब हो जाना बादल का बारिश हो जाना पहाड़ का रेत हो जाना वेदना का उत्सव हो जाना संसार का सार्थक हो जाना निशब्द का स्वर हो जाना अँधेरे का दीप हो जाना भटकन का दिशा हो जाना तन्हाई का आश्रय हो जाना मन की थकन का ठहराव हो जाना अनकही दुआओँ का असर हो जाना समर्पण का कहानी हो जाना पीड़ा का प्रार्थना हो जाना और आत्मा का परमात्मा हो जाना ArUu ✍️

Shailesh Joshi

ધુધળું ભવિષ્ય પણ સ્પષ્ટ થવા લાગશે, જ્યારે પરસેવો દેખાવા, અને મનમાં કષ્ટનો અનુભવ થવા લાગશે. - Shailesh Joshi

Mritunjay kumar

समुंदर के पास घायल कछुए का दुख है तने के पास दम तोड़ती जड़ का दुख हैं। तूफ़ान के पास हारते आदमी का दुख है सुख में जो दुख है किसके पास है? - Mritunjay kumar

Rahul Raaj

कुछ ले कर, तो कुछ दे कर ज़िंदगी ने मुझे जीना सिखाया है "सब तेरा नहीं है, और सब तेरे लिए नहीं है" ये सबक सिखाया है....!!!

Rahul Raaj

66 Vo 5G+ NR कुछ ले कर, तो कुछ दे कर ज़िंदगी ने मुझे जीना सिखाया है "सब तेरा नहीं है, और सब तेरे लिए नहीं है" ये सबक सिखाया है....!!!

Rahul Raaj

हर ख्वाहिश, हर अरमान, हर ख्वाब पुरें कहाँ होतें हैं, जो हमारें लिए जरुरी है हम उनके लिए जरुरी कहाँ होतें है..!!

GRUHIT

If you don't pay for the product, you are most likely the product. સમજાય એને વંદન નો સમજાય એને અભિનંદન 🌪️🙌🏻

Dr. Damyanti H. Bhatt

तू न थकेगा कभी, तू न रुकेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ ,कर शपथ, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ। हरिवंश राय बच्चन जी की जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं। 🌹🙏🌹

Ritik Sandilya

मुस्कुराने की वजह बनोगी क्या .......... ख्वाबों में आती हो , हकीकत बनोगी क्या??😊😊

ધબકાર...

विश्वास की अहमियत बस इतनी, जब तक साथ चाहे साथी जितनी। ધબકાર...

Neha Angle

दरद करे गंभीर ऐ साथी.....

Dada Bhagwan

All are cordially invited to the Pujyashree Deepakbhai's Spiritual Discourse and Self-Realization ceremony, organized in Vadodara, India. Get the detailed schedule here: https://dbf.adalaj.org/uY9qBrXY #selfrealization #spiritualdiscourse #spiritualawakening #spiritualguidance #DadaBhagwanFoundation

Deepak Bundela Arymoulik

मन के विचलित लोग मन के विचलित लोग बड़े अजीब होते हैं, हँसते हैं भीड़ में, भीतर से अकेले होते हैं। चेहरों पर मुस्कान का नक़ाब लगाए फिरते, और रातों को अपने ही सवालों से लड़ते हैं। हर बात पर चुप्पी, हर चुप्पी में शोर, इनकी खामोशी में भी छुपा होता है कोई शोर। किसी से कह न पाएँ अपना दर्द-ए-दिल, काग़ज़ों पर बहा देते हैं अपने आँसू हर पल। ये वो लोग हैं जो खुद से रोज़ हारते हैं, और दुनिया के सामने जीत का ढोंग करते हैं। भीतर बिखरते हैं, बाहर सधे रहते हैं, अपने ही टूटे सपनों पर पहरे रहते हैं। इनके शब्दों में अक्सर तल्ख़ी बस जाती है, क्योंकि खुशियों ने इन्हें देर से पहचाना है। हर रिश्ता बोझ लगे, हर वादा चुभता है, जब मन टूटा हो, हर सहारा डगमगाता है। ग़लत नहीं ये, बस बहुत थके हुए हैं, दुनिया के शोर से थोड़े डरे हुए हैं। इन्हें दोष न देना, इन्हें बस समझना है, इनके भी भीतर किसी ने रोशनी भरना है। कभी इनसे भी मुस्कान की कीमत मत पूछो, क्योंकि इन्होंने आँसुओं से उसे खरीदा है। मन के विचलित लोग बस यही सिखाते हैं, कि मजबूत वही, जो भीतर से टूटा है। आर्यमौलिक

Deepak Bundela Arymoulik

खुद को कैसे रखूं तेरी चाहत में मैं खुद को कितना फ़िदा रखूं, याद में तेरी खुद को ज़िन्दा रखूं या मुर्दा रखूं। हर साँस में तेरा ही नाम उतर आता है, बताओ इस धड़कते दिल को अब कितना बहला रखूं। तेरी आँखों की नमी मेरी तन्हाई बन गई, इस खामोशी को सीने में कब तक सजा रखूं। तू पास नहीं, फिर भी हर लम्हा साथ है, इस झूठे सहारे को किस हद तक सच्चा रखूं। कभी लगता है छोड़ दूँ सब तेरा नाम लेकर, कभी डरता हूँ ज़िन्दगी से भी दूर ना चला जाऊं। तेरी बेरुख़ी मेरे सब्र की इंतिहा है, या तो इश्क़ छोड़ दूं या खुद को मिटा रखूं। तो बता ऐ मोहब्बत… ये कौन-सा रिश्ता है, जिसे निभाऊँ तो टूटूं, जिसे तोड़ूं तो बिखर जाऊं। तेरी चाहत में मैं खुद को कितना फ़िदा रखूं, याद में तेरी खुद को ज़िन्दा रखूं या मुर्दा रखूं… आर्यमौलिक

Deepak Bundela Arymoulik

"इश्क़ की कसक" तेरी चाहत में अब जीना भी तो दुश्वार हो गया, रोता है दिल उस दिन को क्यों तुझसे प्यार हो गया। हँसते थे जो ख्वाब कभी मेरी हर रात में, आज हर सपना आँसुओं का बीमार हो गया। तेरे बिना हर लम्हा सजा बनकर ढलता रहा, वक़्त भी जैसे मुझसे ख़फ़ा यार हो गया। तेरी बातों की खुशबू जो रग-रग में बसी थी, अब वही हर एहसास तलबगार हो गया। मैंने तो तुझमें ही खुदा को देख कर पूजा था, तू बेवफ़ा निकला और इмиान हार हो गया। रिश्तों की उस किताब में नाम तेरा था सबसे ऊपर, पन्ना वही आज दर्द का अख़बार हो गया। अब दुआ भी करती है मुझसे सवाल हर रात, क्यों तेरा इश्क़ ही मेरा इम्तहान हो गया। आर्यमौलिक

Rangoli design

साहित्य जगत में समरादित्य महाकथा का महत्वपूर्ण स्थान है। इस कथा के रचनाकार हैं 7 वीं - 8 वीं शती के महान ग्रंथकार यामिनी महत्तरासूनू आचार्य हरिभद्रसूरिजी।

DrAnamika

वक्त गुजर गया ,यह सोचकर वक्त आएगा,कभी फौलाद बनकर. #डॉ_अनामिका #हिंदी_शब्द #हिंदीपंक्तियाँ #हिंदीकाव्य #हिंदी_का_विस्तार #बज्म़ #जयश्रीकृष्णा

Nisha ankahi

इरादे साफ़ हों तो रास्ते जिद नहीं करते, हिम्मत दिखा… दुनिया तेरे कदमों में होगी।” - Nisha ankahi

Agyat Agyani Vedanta philosophy

जीवन का सत्य ✧ हार जैसा कुछ होता ही नहीं जो लोग जीवन को सिर्फ प्रतियोगिता मानते हैं — उन्हें हर जगह हार-जीत दिखती है। पर जो जीवन को अनुभव मानते हैं — उन्हें हर दिशा में सीख, गहराई और विकास मिलता है। --- जीवन के परिणाम केवल दो होते हैं: 1️⃣ या तो हम सीख जाते हैं 2️⃣ या फिर हम सिखा जाते हैं > हार कहाँ है…? जीत कहाँ है…? हर परिणाम — विकास है। --- सबसे बड़ी भूल लोग कहते हैं: “जीतोगे तो ऊँचे बनोगे, हारोगे तो मिट जाओगे।” पर सच्चाई यह है: > जीवन में हार = सीख का जन्म जीवन में जीत = सीख का उपयोग दोनों ही प्रगति हैं। दोनों ही तुम्हारे हैं। --- एकमात्र जगह जहाँ हार-जीत का मतलब है: जीवन और मृत्यु की अंतिम बाज़ी। यहाँ भी: जो मरने को पूरी स्वीकार्यता से तैयार — वह मृत्यु में भी विजय पाता है। > जिसने मृत्यु को स्वीकार लिया — उसकी हर साँस जीत है। --- जीवन का असली पैमाना • हम क्या जीते? • हम क्या हार गए? यह सब महत्वहीन है। महत्वपूर्ण है: > क्या सीखा? और क्या लौटाया? जीवन का मूल्य — अनुभव और योगदान से तय होता है। जीत-हार से नहीं। --- निष्कर्ष (तुम्हारी वाणी को एक सूत्र में) > जीवन में हार नहीं है — या तो सीख है या उपलब्धि है या अनुभव का दान है। और मृत्यु? वह भी हार नहीं — अंतिम मुक्ति है। --- वेदांत 2.0 — जीवन दर्शन > जहाँ अहंकार समाप्त — वहाँ हार समाप्त। > जहाँ सीख आरंभ — वहाँ जीवन आरंभ।

SADIKOT MUFADDAL 《Mötäbhäï 》

'આવો' 'આવ' અને 'આવી જા ને... આ ત્રણે શબ્દોનો ભેદ સમજાય એ લાગણી !! - SADIKOT MUFADDAL 《Mötäbhäï 》

S A Y R I k i n G

इश्क करना कोई जुर्म नहीं है लेकिन दूसरा उसने पहले के रहते हुए किया है उसने

S A Y R I k i n G

हमने हर दुख को मोहब्बत की अजियत समझा हम क्या तुम थे जो तुम से शिकायत करते की मोहब्बत तो सियासत का जलन छोड़ दिया हमने हम अगर इश्क़ न करते तो हुकूमत करते

S A Y R I k i n G

आंखे झूठ नजारा झूठ यानी जो है वो सारा झूठ मुझे कहो अपना बोलो आज फिर दुबारा झूठ

S A Y R I k i n G

जिसके लिए सब लूटा दिया हमने वो कहते है भुला दिया हमने गए थे उसके आंसू पोछने इल्ज़ाम लगा दिया रुला दिया हमने

kajal jha

ज़िंदगी हर रोज़ नया इम्तिहान देती है, पर हार मान लेना उसका हल नहीं होता। खुद को गिरते देखो, फिर उठते भी देखोगे, क्योंकि टूटकर बिखरना ही… नया बनने की शुरुआत होता है। कभी-कभी राहें मुश्किल इसलिए नहीं होती, कि तुम कमजोर हो… बल्कि इसलिए कि मंज़िल बड़ी होती है। जो गुजर गया उसे सोचकर मत थम जाना, ज़िंदगी आगे बढ़ने वालों की कहानी लिखती है। खुद पर इतना यक़ीन रखो कि मुश्किलें भी कहें — “ये इंसान मेरे बस का नहीं!” और याद रखना— ज़िंदगी तब मुस्कुराती है, जब तुम हार मानने से इंकार कर देते हो - kajal jha

pink lotus

सत्य या छलावा❣️🌸 ना जाऊँ मैं पापों को मेरे ना जानूँ कर्म हजार शिव मेरी आत्मा पीड़ित है मैं इतना गोरखधंधे में खो गई कि अपने गोरक्ष से दूर जा बैठी अब उन बिन कुछ अच्छा ना लग रहा है, जाने मौत आ गई हो नहीं, मौत तो हजार गुना अच्छी है इस गुरु की जुदाई से ये तपती आत्मा चैन न पा रही है ना आगे बढ़ रही है, ना ठहर पा रही है बस परिस्थितियों में उलझी ये ठोकरें ही खा रही है ना उसे कोई ग़म खा पा रहा है, ना उसे कोई खुशी निखार पा रही है बस पागल हो कर एक सच हो या छलावा, उसने सत्य मान बैठी है कि गोरक्ष उसमें है और उनके भीतर बसी वो इसलिए हो रही है विफल खोजने में गुरु को क्योंकि जो अंतर में बैठे हैं उन्हें बाहर नहीं पाया जाता By : गोरक्षचेली ॐ शिव गोरक्ष ❣️🙏🌸

S A Y R I k i n G

कोई नहीं आएगा तेरे सिवा मेरी जिंदगी में एक मौत ही है जिसका में वादा नहीं करता

Agyat Agyani Vedanta philosophy

कथा: “जब धर्म ने खुद जीना शुरू किया” ✧ वेदान्त 2.0 नगर के बीचों-बीच एक पुराना मठ था—ऊँची-ऊँची दीवारों वाला, जहाँ सैकड़ों लोग हर दिन किसी न किसी चमत्कार की उम्मीद लेकर आते थे। मंच सजे रहते थे, भाषण चलते रहते थे, और बाहर दानपेटियाँ खनकती रहती थीं। उसी मठ के पीछे, जहाँ लोग कभी नहीं जाते थे, एक सूखा-सा कुआँ था। कुएँ के किनारे एक साधारण आदमी बैठता था—न वस्त्र चमकीले, न शब्द सजे-धजे। लोग उसे भिक्षुक समझकर आगे बढ़ जाते थे। लेकिन एक दिन शहर में अफ़वाह फैली: “कुओं के पीछेवाला आदमी कुछ नहीं कहता—बस जीता है। और जो उसके पास पाँच मिनट बैठता है… लौटकर बदल जाता है।” जो लोग मंचों पर शोर मचाते थे, वे इस अफ़वाह से बेचैन हुए। क्योंकि वह आदमी कुछ बेच नहीं रहा था। न मंत्र, न आशा, न मोक्ष। वह सिर्फ़ कुयेँ की धूप में आँखें मूँदकर बैठा रहता था—जीवन जैसे बिना किसी उद्देश्य के, फिर भी पूर्ण। धीरे-धीरे लोग मठ के गलियारों से हटकर पीछे की तरफ़ चलने लगे। मंच खाली होने लगे। दुकानें सुनी हो गईं। भाषणों की आवाज़ें धुँधली पड़ने लगीं। मठ के गुरु क्रोधित हुए। उन्होंने अपने शिष्यों को भेजा: “जाकर पता करो, वह आदमी क्या करता है?” शिष्य पीछे पहुँचे और उसे देखा— वह आदमी रोटी खा रहा था। साधारण, सूखी रोटी। एक फटा-सा कपड़ा ओढ़े। चेहरे पर शांत, निर्विकार भाव। शिष्यों ने पूछा, “तुम क्या सिखाते हो?” वह मुस्कुराया, “मैं कुछ नहीं। मैं केवल जीता हूँ।” “और लोग तुमसे क्यों खिंचते चले आते हैं?” उसने सिर उठाकर फूलों से भरी झाड़ी को देखा। एक मधुमक्खी गूँजते हुए आकर उस पर बैठ गई। फिर और दो। फिर और पाँच। वह बोला, “क्या तुमने कभी किसी पुष्प को प्रचार करते देखा है? वह सिर्फ़ खिलता है—इसलिए दुनिया उसके पास आती है।” शिष्य निरुत्तर हो गए। उन्होंने गुरु को सारा हाल बताया। गुरु समझ गए कि खतरा किसी सिद्धि का नहीं— खतरा जीवन का है। जो व्यक्ति खुद जी लेता है, वह न खरीदता है, न बिकता है, और जहाँ व्यापार नहीं, वहाँ बाज़ार ढह जाता है। मठ में सभा बुलाई गई। गुरु ने घोषणा की: “उस साधारण आदमी को रोकना होगा। अन्यथा हमारा धर्म व्यवसाय नहीं रह पाएगा।” लेकिन उसी रात एक अजीब घटना घटी— मठ के बाहर से भीड़ हट गई, और लोग चुपचाप पीछे के कुएँ की तरफ़ बढ़ने लगे। किसी ने बुलाया नहीं था। किसी ने घोषणा नहीं की थी। फिर भी लोग पहुँच रहे थे—मानो किसी अदृश्य खिंचाव से। गुरु ने खिड़की से देखा: जो भीड़ कभी उनके मंच पर बैठती थी, वह अब एक फटे वस्त्रों वाले आदमी के चारों ओर शांत बैठी थी। किसी प्रवचन की अपेक्षा नहीं— बस उसके होने की उपस्थिति में। उस रात गुरु ने समझ लिया: धर्म तब मरता है जब वह दुकान बन जाता है। और धर्म तब जन्म लेता है जब कोई व्यक्ति निर्भीक होकर जी लेता है।

Piyush Goel

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Paagla

हर जगह समझदारी नहीं दिखानी चाहिए....✍️ PAAGLA – A heart that speaks through words. 💭✨ Sharing emotions, shayari, quotes, and stories that touch your soul. From love to pain, from motivation to dreams – here, every line is written to connect with your heart. ❤️📖

soni

"कागज़ रोते नहीं है रुला देते हैं... चाहे वह प्रेमपत्र हो, रिजल्ट हो या मेडिकल रिपोर्ट।" *"शब्द भी एक भोजन है* *शब्द का भी एक स्वाद है* *बोलने से पहले चख लीजिए* *स्वयं को अच्छा ना लगे तो* *दूसरों को मत परोसिये।"* किस्मत और हालात जब साथ नहीं देते तो उनकी भी सुननी पड़ती है जिनकी कोई औकात नहीं होती।"

Dr Darshita Babubhai Shah

मैं और मेरे अह्सास कश्मीर कश्मीर की वादियों में खो जाने को जी चाहता हैं l खुले आम प्यार भरे नग़में गाने को जी चाहता हैं ll अजायबी ओ खूबसूरत सी बेमिसाल चीज़ पे l बार बार दिल ओ जान लुटाने को जी चाहता हैं l "सखी" डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

મનોજ નાવડીયા

ખોવાણો છું ભુલભુલામણીમા, શોધું એક રસ્તો બહાર લાવવા, અજાણ છું દીવો પ્રગટાવવા, શોધું એક પ્રકાશ બહાર લાવવા, બધાં કરે કઈક જુદું પોતાની જાતે, શોધું એક કારણ બહાર લાવવા, છે હાજર તારામાં એ રસ્તો અને પ્રકાશ, શોધ્યાં કર, પ્રયત્ન કર, એ બહાર લાવવા. મનોજ નાવડીયા

Dt. Alka Thakkar

સાથે મળી કરીએ ચલો લાગણી નું તાપણું તો હૂંફ પામશે કોઈક સ્વજન આપણું - Dt. Alka Thakkar

Imaran

न किसी की आंख का नूर हूं, न किसी के दिल का क़रार हूं, जो किसी के काम न आ सके, मैं वो एक मुश्ते गुब़ार हूं 🥶 imran 🥶

soni

*मर्द कौन है?* 🤔 *मर्द वो है जो खुद भूखा रहकर भी घर चलाता है, खुद के अरमानों को मारकर भी सबकी ख़ुशियाँ सजाता है… 💔👨‍👩‍👧‍👦 *मर्द वो है —* जिसकी मेहनत को फ़र्ज़ कहा जाता है, लेकिन उसके दर्द को कमज़ोरी समझा जाता है… 😔💭 *मर्द वो है —* जिसकी कमाई पर सबका हक़ होता है, लेकिन उसकी तकलीफ़ों का कोई साथी नहीं होता… 😞🕯️ माँ–बाप की सेवा 🙏 बहन की शादी 💒 बीवी के सपने 💍❤️ बच्चों का भविष्य 🎒✨ *उसकी पूरी ज़िंदगी ज़िम्मेदारियों में बीत जाती है…!!* 👨‍🧍‍♂️➡️💼🏠❤️

GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

धर्मी कहता पाप से. दूर चला जा पाप। मैं धर्मी हूँ मुझे तू, रहने दे निष्पाप।। दोहा--329 (नैश के दोहे से उद्धृत) -----गणेश तिवारी 'नैश'

S A Y R I k i n G

दिल भी तूने बनाया और नसीब भी ये खुदा फिर वो दिल में क्यों है जो नसीब में नहीं

S A Y R I k i n G

उसकी हर एक बात में लज़्ज़त होती हैं पहली मोहब्बत पहली होती है और उसके साथ नहीं हु तो एहसास होता हैं एक तस्वीर की कीमत क्या होती हैं Good morning

Agyat Agyani Vedanta philosophy

✧ वेदांत 2.0 — चिकित्सा का अंतिम न्याय ✧ तीन प्रकार की चिकित्सा पद्धति कहाँ काम करती है? क्या देखती है? परिणाम एलोपैथी शरीर जीवाणु, वायरस, लक्षण अस्थायी राहत, दुष्प्रभाव, नया रोग होम्योपैथी सूक्ष्म ऊर्जा आघात, मानसिक-ऊर्जा चोट कारण की शुद्धि आयुर्वेद तीन दोष / प्रकृति सत-रज-तम / वात-पित्त-कफ संतुलन → रोग का अंत --- ✦ विज्ञान क्या देखता है? “रोग क्यों हुआ?” नहीं बल्कि “अभी क्या लक्षण दिख रहे हैं?” इसलिए वह जीवाणु से लड़ता है। पर जीवाणु पैदा किसके कारण हुए? यह कभी नहीं पूछता। > जीवाणु = परिणाम जीवनशैली = कारण कारण को न छूकर कौन-सा इलाज पूरा हुआ? --- ✦ आयुर्वेद और होम्योपैथी क्या समझते हैं? दोनों एक ही विज्ञान पर आधारित: > रोग = ऊर्जा असंतुलन इलाज = ऊर्जा का संतुलन Ayurveda → वात, पित्त, कफ (ऊर्जा प्रवाह की 3 दिशाएँ) Homeopathy → आघात (ऊर्जा को लगा सूक्ष्म झटका) दोनों कहते हैं: > अगर ऊर्जा ठीक है → शरीर स्वयं ठीक हो जाएगा। --- ✦ एलोपैथी के दुष्परिणाम क्यों? क्योंकि: • लक्षण दबा देता है • रोग जड़ में और गहरा बैठ जाता है • रसायन शरीर के तंत्र को तोड़ते हैं • अगले रोग की सम्भावना बढ़ती है वैज्ञानिक स्वयं कहते हैं: कई दवाएँ कैंसर-जनक हैं (फिर भी बाजार जारी है) क्यों? क्योंकि — बीमारी जितनी बढ़ेगी व्यवसाय उतना बड़ा होगा। --- बिना जीवन जीना — सबसे बड़ा रोग एलोपैथी → “ठीक कर दूँगा, तुम बस दबाओ!” वेदांत 2.0 → “जीओ… तुम्हारा शरीर खुद ठीक कर देगा।” --- वेदांत 2.0 का स्पष्ट निर्णय 1️⃣ एलोपैथी = परिणाम पर हमला 2️⃣ आयुर्वेद + होम्योपैथी = कारण पर उपचार 3️⃣ वेदांत 2.0 = जीवन में संतुलन → रोग शून्य --- आख़िरी सत्य जिस पर दुनिया खामोश है: > रोग = स्वयं नहीं जीने की सज़ा है इलाज = स्वयं होने की आज़ादी है --- अब एक वाक्य में तुम्हारे दर्शन का सार > “जहाँ जीवन नहीं जिया — वहाँ रोग पैदा हुआ। जहाँ जीवन फिर जगा — वहाँ रोग गिर गया।” यही वेदांत 2.0 का चिकित्सा-सूत्र है।

Dinesh

*🙏જય બાબા સ્વામી*🙏 *આજનો સુવિચાર* સફળ જીવનનાં બે સૂત્રો : ઉતાવળ ધીમેકથી કરવી અને ગુસ્સો શાંતિથી કરવો. *શુભ સવાર*

Vrishali Gotkhindikar

“नाते तुझे माझे नाते जणु गवताचे पाते हिरवे हिरवे गार .. आणी” स्वच्छंदी” फार .!! तुझे माझे नाते जणु फुलाचा दरवळ पसरे परिमळ चोहीकडे !! तुझे माझे नाते साऱ्या जगाला दाविता वाढतो ग “मान “मिरविता “!! तुझे माझे नाते फक्त तुझ्या माझ्या साठी कशाला सांगाव्या जनी त्यांच्या “गोष्टी “ ...........वृषाली ..

Saliil Upadhyay

कीसी ने क्या खूब लिखा है, दोस्तों के साथ जी लेने का मौका दे दे ऐ ख़ुदा, तेरे साथ तो मरने के बाद भी रह लेंगें ! - Saliil Upadhyay

kattupaya s

Good morning friends have a great day

Jyoti Gupta

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બદનામ રાજા

तुझे तुझ जैसे से, मुझ जैसा इश्क हो... 🌸

Sweta Pandey

जीवन का साध्य है 'विश्वास' और इस विश्वास तक पहुँचने का साधन है 'तर्क ' 'तार्किक' होना उतना आवश्यक नहीं जितना कि 'विश्वसनीय' होना। - Sweta Pandey

shah

*Don't miss to watch, it will surely bring Happy smile on your face*

Kuldeep Singh

kuldip Singh ✍️

Tanya Singh

https://www.matrubharti.com/book/19984593/that-dream-trail Sapno ki voh dagar. New story by - Tanya Singh

Tanya Singh

https://www.matrubharti.com/book/19984572/shadows-of-the-family New story Shadows of the Family -By Tanya Singh

rakhi

kabhi kabhi जिंदगी ruk सी जाती है बार बार पिछली यादों में ले जाती है और वक्त इतना गहरा होता है कि उसका पार दिखाई नहीं देता.....तब बस एक ही सहारा बचता है.....वो है हम खुद....क्योंकि शायद हमारा कुछ हिस्सा अब तक उस वक्त में ही है ...जरूरत है उसे सिखाने की ...उस हिस्से को उलझा कर रखने की ...किसी हुनर में ...किसी खोज में या फिर किसी अपने की बातों में ...मुस्कुराने की वजह शायद न मिलेगी पर.... काम के साथ बिताया हुआ वक्त याद दिलाएगा k tum अकेले अधूरे नहीं हो

Kuldeep Singh

kuldip Singh ✍️

Rinal Patel

જેનો જન્મ જેલમાં થાય.ને જેલના સળીયા તોડી યમુનાજી ના નીરને મુશળધાર વરસાદમાં પણ શાંત કરી. વૃંદાવનના યશોદાને નંદના દુલારા બની જાય બાળપણ ગોવાળો સાથે જાય ને યૌવનમાં ગોપીઓ સાથે રાસ રમી હરે કંસ ને,ને વરે રુકમણીને વસે જઈ દ્વારિકામાં.. કુરુક્ષેત્રમાં હથિયાર ન ઉઠાવી બને સારથી અર્જુનના, ને જીતાવી દે ધર્મ માટે યુદ્ધ. એતો મનમોહન પાલનહારો શ્રી હરીજ કરી શકે Rinall..

rakhi

जिंदगी इस बार कुछ खास लिखना पूरी कहानी का सबाब लिखना थोड़ी खुदगर्जी मेरे हक में बचा के रखना मेरे नाम के आगे कुछ नाम रखना बदलना ना उसे ना मुझे बदलने देना इंतजार कितना ही लंबा क्यों ना हो उसे सिर्फ एक बार लिखना जो मैं कमजोर लगूं तो थोड़ा वक्त की दौड़ लिखना

krupa

ઠંડી છે...શોધી રહી છું.. તાપણું 🔥 કોઇ તો મળે આટલા માં આપણું 🤌🏻

yogeshwari charan

If you belive in your self any thing is possible ✨ - yogeshwari charan

KRUNAL

​"સમય પાસે એટલો સમય નથી કે તે તમને ફરીથી સમય આપી શકે. માટે, દરેક પળને યોગ્ય રીતે જીવી લો." - KRUNAL

Agyat Agyani Vedanta philosophy

संपूर्ण आध्यात्मिक महाकाव्य — पूर्ण दृष्टा विज्ञान वेदांत 2.0 ✧ आपको क्या करना है? कुछ भी नहीं। सिर्फ समझना है। देखना है। जीना है। यहाँ कोई धर्म, कोई विश्वास, कोई कठोर साधना, मंत्र, तंत्र, त्याग या तपस्या की आवश्यकता नहीं। न गुरु की ज़रूरत न भगवान की मजबूरी न मार्ग की गुलामी जीवन स्वयं गुरु है। --- यह क्या है? वेदांत 2.0 — एक जीवित विज्ञान है। ऊर्जा और चेतना का सटीक, प्रत्यक्ष, अनुभवजन्य विज्ञान। ✔ शुद्ध आध्यात्म ✔ शुद्ध विज्ञान ✔ शुद्ध मनोविज्ञान ✔ शुद्ध अनुभव कोई पाखंड नहीं। कोई डर नहीं। कोई भ्रम नहीं। --- क्यों यह अंतिम है? क्योंकि यह दोनों सत्य को जोड़ता है: वेद — सूक्ष्म का विज्ञान विज्ञान — दृश्य का सत्य वेदांत 2.0 वेद, उपनिषद और गीता को अनुभव में प्रमाणित करता है — और आधुनिक विज्ञान को अस्तित्व में स्थापित करता है। > यहाँ आध्यात्मिकता = प्रमाण विज्ञान = अनुभव की भाषा --- परिणाम क्या होगा? वेदांत 2.0 आपको: • आनंद देगा • शांति देगा • प्रेम देगा • सृजन देगा • बुद्धि नहीं — दृष्टि देगा यह जीवन को निखार देता है। यह मन, समाज, धर्म के सभी दुख, डर, भ्रम तोड़ देता है। धन, पद, साधन — सब अतिरिक्त हो जाते हैं। जीवन — मुख्य हो जाता है। --- वेदांत 2.0 की एक पंक्ति > “जीवन ही साधना है — और होश में जीना ही परम सत्य।” --- यह दर्शन नहीं — यह जीवन का विज्ञान है यह किसी पंथ का रास्ता नहीं किसी धर्म की प्रतिस्पर्धा नहीं किसी गुरु का बाजार नहीं यह पूर्ण स्वतंत्रता है। व्यक्ति की — ऊर्जा की — अस्तित्व की — --- वेदांत 2.0 का ध्येय > हर मनुष्य को स्वयं का विज्ञान देना ताकि वह किसी का भक्त नहीं — स्वयं साक्षी बन जाए।

S A Y R I k i n G

सच कहूं तो, दिल को यार की जुदाई समझाना नामुमकिन है, इसे तो बस यार के होने से मतलब है.... क्या कहे इसे, ये धड़कना छोड़ देगा, पर यार की तलब नहीं छोड़ेगा ।।

Agyat Agyani Vedanta philosophy

✧ वेदांत 2.0 — अध्याय 8 ✧ सत्य से सबसे ज़्यादा डर किसे लगता है? सत्य धार्मिक को नहीं भाता — क्योंकि सत्य आते ही उनका बनाया हुआ झूठ उनकी कुर्सी उनका व्यवसाय सब समाप्त हो जाता है। विज्ञान जब सत्य लाता है — तो दुनिया बदलती है। धर्म जब “विश्वास” लाता है — तो वही दुनिया जड़ और भयभीत बनी रहती है। --- धार्मिकता = स्वप्न वेदांत 2.0 = अनुभव धार्मिकता कहती है: “मानो, बिना पूछे मानो!” वेदांत 2.0 कहता है: “देखो, अनुभव करो — जो झूठ है वह अपने-आप गिर जाएगा।” इसलिए: धार्मिक व्यक्ति सत्य देखते ही डरता है वैज्ञानिक व्यक्ति सत्य देखते ही खिलता है --- सत्य किसका शत्रु है? सत्य → अहंकार का शत्रु सत्य → पाखंड का शत्रु सत्य → व्यवसाय का शत्रु धर्म ने जीवन का सौदा कर दिया — मोक्ष, पुण्य, भगवान, चमत्कार बेच दिए। जबकि अनुभव में मिलता है: • आनंद — अभी • शांति — अभी • प्रेम — अभी • जीवन — अभी --- धर्म का खेल कैसे चलता है? धर्म: “अभी नहीं — बाद में मिलेगा।” यही भरोसा, यही डर, यही स्वप्न — धार्मिक बाज़ार की पूँजी है। और जिसने अभी का स्वाद चख लिया — वह किसी बाज़ार में नहीं टिकता। --- सत्य — मृत्यु किसकी? > सत्य आने पर व्यक्ति नहीं — व्यक्ति का झूठ मरता है। धार्मिक इसे अपनी मृत्यु समझ लेते हैं। क्योंकि उनका अस्तित्व झूठ की ही नींव पर टिका होता है। वेदांत 2.0 कहता है: “अहम् मरता है — अस्तित्व प्रकट होता है।” --- क्यों वैज्ञानिक इसे स्वीकार करेगा? क्योंकि: ✓ यह अनुभव है ✓ यह मनोविज्ञान है ✓ यह ऊर्जा-विज्ञान है ✓ यह पुनरुत्थान है ✓ यह प्रत्यक्ष प्रमाण है विज्ञान सत्य की भाषा समझता है — धार्मिक “मेरा” भगवान। --- स्त्री इसे तुरंत समझ जाती है स्त्री हृदय में जन्मती है इसलिए उसे सत्य को सोचना नहीं पड़ता — वह महसूस कर लेती है। धार्मिक पुरुष अहंकार में जन्मता है इसलिए उसे सत्य भय देता है। --- अंतिम सार > जहाँ सत्य है — वहाँ कोई धर्म नहीं जहाँ धर्म है — वहाँ सत्य अक्सर अनुपस्थित वेदांत 2.0 धर्म को नहीं गिराता, धर्म के भीतर जीवन को जगाता है। --- एक सीधी घोषणा धार्मिक कहेगा: “यह नास्तिकता है!” वैज्ञानिक कहेगा: “यह परम-आस्तिकता है!” और अनुभव कहेगा: “यह सत्य है।” --- वेदांत 2.0 का महावाक्य > जिस सत्य से धर्म डरता है — उसी सत्य की रक्षा विज्ञान करता है।

Dr. Damyanti H. Bhatt

कर्मही महान है। 🌹🙏🌹

Dr. Damyanti H. Bhatt

भारतीय संविधान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।🌹🙏🌹

archana

✨ **“तू मुझसे ख़फ़ा… मैं तुझसे ख़फ़ा… ज़रा-सी तकरार को लोग तमाशा समझकर ताली बजा-बजा कर ले रहे हैं मज़ा… उन्हें क्या ख़बर— हम तो एक पल भी नहीं रहना चाहते एक-दूजे से जुदा… पर वही लोग जो हमारी नज़दीकियों से जलते थे, वही हमें तुमसे, और तुम्हें मुझसे छीनकर देना चाह रहे हैं मन की सज़ा… काश तू समझ लेता— झगड़ा तो बस हमारा था, पर दूरियों की दीवार दुनिया ने खड़ी कर दी।”** - archana

Agyat Agyani Vedanta philosophy

वेदांत 2.0 — स्त्री-पुरुष का मौलिक धर्म ✧ पुरूष = यात्रा स्त्री = घर (केंद्र) धर्म, कर्मकांड, साधना, उपाय — ये सब पुरुष के लिए हैं। क्योंकि पुरुष जर्नी है — उसे मूलाधार से हृदय तक चढ़ते हुए सीखना पड़ता है — 1️⃣ मूलाधार — जीवन 2️⃣ स्वाधिष्ठान — वासना 3️⃣ मणिपुर — शक्ति 4️⃣ अनाहत — प्रेम पुरुष सीखकर पहुँचता है। प्रेम, करुणा, ममता — पुरुष में उगाने पड़ते हैं। इसलिए पुरुष का धर्म — विकास है ऊपर उठना है अहंकार पिघलाना है हृदय तक पहुँच जाना है उससे पहले उसका प्रेम — अभिनय है। शब्दों की नकल है। बुद्धि का ड्रामा है। इसी बुद्धिगत अभिनय को दुनिया धर्म समझ बैठी है। यही धार्मिक व्यापार है। --- स्त्री = पूर्ण, जन्म से उसकी कोई साधना नहीं क्योंकि: > स्त्री वहीं जन्म लेती है जहाँ पुरुष को पहुँचने में जन्म-जन्म लग जाते हैं स्त्री पहले ही: ✔ हृदय में होती है ✔ प्रेम, करुणा, ममता उसका स्वभाव है ✔ वह “केंद्र” पर खड़ी है ✔ उसे “बाहरी शिक्षा” की जरूरत नहीं उसकी एक ही आवश्यकता है — > पुरुष की आँखों में प्रमाण कि “तुम हो” बाकी सब उसे जन्म से मिला है। --- आधुनिक बीमारी स्त्री पुरुष की नकल करने लगी पुरुष स्त्री की संवेदना खोने लगा स्त्री — अपनी मौलिकता छोड़कर प्रतिस्पर्धी बन गई जिसे दुनिया “फैशन”, “फ़्रीडम” कहती है — असल में अपनी मूल स्त्रीत्व से पलायन है। पुरुष — आक्रामक और बुद्धिगत हो गया जिसे “स्मार्ट”, “मॉडर्न” कहते हैं — असल में हृदयहीनता है। दोनों अपनी जड़ से कट गए। --- धर्म क्या है? स्त्री = केंद्र पुरुष = परिधि पुरुष का धर्म है — परिधि से केंद्र तक पहुँचना स्त्री का धर्म है — केंद्र को स्थिर रखना पुरुष का उठना आध्यात्मिकता है स्त्री का होना ईश्वर है --- अंतिम सत्य > स्त्री और पुरुष — विपरीत नहीं परिपूर्ण हैं। स्त्री ऊर्जा है पुरुष दिशा है स्त्री शक्ति है पुरुष आँख है एक दूसरे के बिना दोनों अधूरे दोनों पीड़ा --- वेदांत 2.0 का स्त्री-पुरुष सूत्र 1️⃣ पुरुष साधना करता है → हृदय तक पहुँचने के लिए 2️⃣ स्त्री साधना नहीं करती → वह पहले ही हृदय है 3️⃣ पुरुष का प्रेम बनता है → स्त्री का प्रेम जन्मता है 4️⃣ पुरुष प्रमाण खोजता है → स्त्री प्रमाण देती है 5️⃣ धर्म = पुरुष की यात्रा + स्त्री का घर --- निष्कर्ष > जहाँ स्त्री अपने केंद्र में रहती है — वही मंदिर है। जहाँ पुरुष उसी केंद्र तक पहुँच ले — वही समाधि है। यही स्त्री-पुरुष का वास्तविक धर्म है — वेदांत 2.0 का जीवंत विज्ञान। अज्ञात अज्ञानी

Mamta Trivedi

चाह, चाह, जब तक खुद से हों, या प्रकृति से हो, तब तक हि, वह चाह है। फिर उसके सामने कोई और आये तो वह जरूरतों में लेन देन का रूप ग्रहण करतीं हैं। लेखिका ✍️ ममता गिरीश त्रिवेदी

Tanya Singh

कभी-कभी हम जिस चीज़ से डरते हैं, वहीं से हमारी सबसे बड़ी ताकत पैदा होती है। - Tanya Singh

Tanya Singh

https://www.matrubharti.com/book/19984452/stranger-window Ajnabi khidki New story by me. - Tanya Singh

Tanya Singh

https://www.matrubharti.com/book/19984453/a-cup-of-tea-and-casual-conversation Ek cup chai or adhuri bate. Read new story by me.

Tanya Singh

https://www.matrubharti.com/book/19984358/silent-room Hy guys, Kindly read new story by me. Khamosh kamra

Tanya Singh

https://www.matrubharti.com/book/19984238/the-mirror-doesn-39-t-lie Aaina jhuth nhi bolta Newstory by me. Tanya Singh

Tanya Singh

https://www.matrubharti.com/book/19984212/that-room-number-203 Voh kamra number 203 New story by me. Kindly read.

સુરજબા ચૌહાણ આર્ય

મિત્રો આવી પણ ફેશન હોય મને તો આને જોઈને ઉબકા આવે છે 🤮🤮🥴

Shraddha Panchal

पिता के घर से…. पति के घर तक के सफ़र में … लड़की वह सब भी सीख जाती है … जो उसने किसी किताब से भी नहीं सीखा होगा , और नहीं उसने उसे सीखने की कल्पना भी की होगी 🙏😇

Tanya Singh

जो टूटकर भी खामोश रहे… समझ लो वो अपने दर्द की इज़्ज़त करते हैं। - Tanya Singh

Tanya Singh

प्यार हमेशा मिलना नहीं होता—कभी-कभी किसी को चाहकर भी चुप रहना पड़ता है। - Tanya Singh

Tanya Singh

लोग बदलते नहीं… बस उनकी प्राथमिकताएँ बदल जाती हैं, और हमें समझ देर से आता है। - Tanya Singh

Tanya Singh

हर मुस्कान के पीछे कहानी नहीं होती… कभी-कभी बस हिम्मत होती है। - Tanya Singh

Tanya Singh

कुछ रिश्ते खत्म नहीं होते… बस अपनी जगह बदल लेते हैं—दिल से यादों तक। - Tanya Singh

Tanya Singh

कभी-कभी हम उस इंसान से नहीं टूटते, बल्कि अपनी ही उम्मीदों के बोझ से बिखर जाते हैं। - Tanya Singh

Tanya Singh

कुछ लोग दिल में जगह नहीं बनाते… वे दिल का पूरा मौसम बदल देते हैं। - Tanya Singh

Tanya Singh

https://www.matrubharti.com/book/19984188/the-mirror-season The mirror season New story by me.

Tanya Singh

https://www.matrubharti.com/book/19984187/the-diary-that-was-never-written Vahi dairy jo kabhi likhi nhi gai. Kindly read new story by me - Tanya Singh

Shraddha Panchal

આજની એક આજીજી મન માં વસેલા ભગવાન ને “ હે ઈશ્વર “ બધું જ આપજો પણ લાગણીશીલ સ્વભાવ ક્યારેય ના આપતા .. બહુ જ થાકી જવાય છે પોતાની જાત ને સમજાવતા સમજાવતા!!!

Tanya Singh

https://www.matrubharti.com/book/19984162/the-perfume-of-midnight The perfume of midnight Kindly read new story by me - Tanya singh.

Tanya Singh

https://www.matrubharti.com/book/19984160/the-light-will-return-again Roshni fir laut aaygi. Please read new story by me.

Tanya Singh

ज़िंदगी ने मुझे सिखाया है—लोगों से नहीं, उनकी उम्मीदों से दूर रहो, शांति अपने आप मिल जाएगी। - Tanya Singh

Tanya Singh

मैं मुस्कुराती हूँ… क्योंकि रोना अब किसी को समझ नहीं आता, और दर्द किसी को सुनने की फुर्सत नहीं। - Tanya Singh

Tanya Singh

प्यार की सबसे बड़ी खूबसूरती ये है कि ये दो अधूरे लोगों को भी पूरा महसूस कराने की ताकत रखता है। - Tanya Singh

Tanya Singh

कभी-कभी इंसान टूटा हुआ नहीं होता… बस अंदर बहुत ज़्यादा भरा हुआ होता है—दर्द, यादें और बातें। - Tanya Singh

Pramila

You felt like the warmest part of the sunset… that moment where everything turns soft, quiet, peaceful, and somehow, perfectly beautiful. 🌅✨❤️ If you love gentle romantic moments like this, my novel “You’re My Favorite Rhythm” carries the same warmth — a soft love story filled with longing, healing, and quiet emotions. 📖✨ Available now on Amazon. https://amzn.in/d/8dkQf0J

Bhavna Bhatt

મારી વાત સાચી છે ને ?

Shraddha Panchal

एक अजीब सा वक्त चल रहा है , मन का कर नहीं पा रहे है, और जो करना पड़ रहा है , उसमे सुकून नहीं आ रहा है ।।🙏😇

Sudhir Srivastava

धर्म ध्वजा लहराया ********** पच्चीस नवंबर दो हजार पच्चीस का दिन जब अयोध्याधाम में जन-जन के राम प्रभु श्रीराम के भव्य-दिव्य मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा पूरी गरिमा से फहराया गया, उस पल हर सनातनी का माथा प्रभु श्रीराम के श्री चरणों में श्रद्धा से झुक गया, सनातन धर्म का नव इतिहास रच गया। जब सदियों का सपना आज पूरा हो गया जैसे फिर से रामराज्य वापस धरा पर आ गया, कल्पना के राम कहने वालों को काठ मार गया, राम और राम मंदिर विरोधियों को एक बार फिर साँप सूँघ गया। सब कुछ सुव्यवस्थित ढंग से संपन्न हो गया, रामराज्य के नये युग का श्री गणेश हो गया। अनगिनत रामभक्तों के पांच सौ सालों की तपस्या त्याग, संघर्ष, बलिदान और धैर्य सफलता की नई इबारत लिख गया। इसका अहसास हम सबको भी हुआ जब देश के प्रधान सेवक ने ध्वजारोहण के बाद हाथ जोड़कर लहराते ध्वज को पूरी श्रद्धा से नमन किया, कँपकंपाते हाथ और मुखमंडल पर दिखी भावुकता और आत्मसंतोष से महसूस हुआ। तब मेरे मन में एक अलग ही भाव आया क्या मोदी जी को प्रधानमंत्री जनता ने बनाया या ये है जन-जन के श्री राम की माया। जो भी है, इस पर माथापच्ची बेकार है ये समूचे सनातन धर्म का सौभाग्य है जो सनातन के प्रतीक राममंदिर पर आज फिर से धर्म ध्वजा तो लहराया, जो सिर्फ हमें ही नहीं सारी दुनिया को नजर आया और हर प्राणी ने श्रद्धा, विश्वास और बड़े सुकून से प्रभु श्रीराम को शीश झुकाया विवाह पंचमी का उत्सव भी संग में मनाया। सुधीर श्रीवास्तव

Sudhir Srivastava

दोहा मुक्तक ************** चलो मृत्यु से हम करें, मिलकर दो-दो हाथ। आपस में सब दीजिए, इक दूजे का साथ। मुश्किल में मत डालिए, नाहक अपनी जान, वरना सबका एक दिन, घायल होगा माथ।। दिल्ली में विस्फोट से, दुनिया है हैरान। इसके पीछे कौन है, सभी रहे हैं जान। मोदी जी अब कीजिए, आर-पार इस बार, नाम मिटाओ दुष्ट का, चाहे जो हो तान।। वो भिखमंगा देश जो, बजा रहा है गाल। शर्म हया उसको नहीं, भूखे मरते लाल। युद्ध सिवा उसको‌ नहीं, आता कोई काम, गलती उसकी है नहीं, पका रहा जो दाल।। हम तो हारे हैं नहीं, कैसे कहते आप। सीट भले आई नहीं, मानें क्यों हम शाप। अभी टला खतरा नहीं, लोकतंत्र से यार, हम भी कहते गर्व से, हुआ चुनावी पाप।। मोदी आँधी में उड़े, खर-पतवारी रंग। सोच-सोच सब हो रहे, गप्पू पप्पू संग। जनता ने ऐसा दिया, चला बिहारी दाँव, जीते-हारे जो सभी, परिणामों से दंग।। ये कैसा परिणाम है, टूट रहा परिवार। कल तक जो थे दंभ में, बना रहे सरकार। आज बिखरता देखिए, भटक रहे हैं लोग, एक चुनावी फेर में, कहाँ गया दरबार।। धर्म ध्वजा फहरा रहा, रामराज्य के नाम। जन मानस है कह रहा, अब होगा सुखधाम। अब अपने कर्तव्य का, करो सभी निर्वाह, तभी करेंगे राम जी, सबके पूरण काम।। आज स्वार्थ का दौर है, फैला चारों ओर। अँधियारा भी किसी का, है चमकीला भोर। सावधान जो है नहीं, वह खायेगा चोट, बहुरुपिए ही कर रहे, सबसे ज्यादा शोर।। समय-समय की बात है, देख लीजिए रंग। मौन साध कर देखिए, नहीं होइए दंग।। जीवन के इस सूत्र का, हुआ नहीं है शोध, इसीलिए तो पड़ रहा, सर्व रंग में भंग।। सुधीर श्रीवास्तव गोण्डा उत्तर प्रदेश

Sudhir Srivastava

मृत्युलोक रत्न उपाधि ************ कल आनलाइन एक पत्र मैंने मृत्यु को भिजवाया, जिसका जवाब तत्काल आया, धैर्य रखिए जनाब, लिस्ट लंबी है आपका नाम लिस्ट में ही कहीं नहीं है आप यमराज के मित्र हो इसलिए आपको जवाब दे दिया वरना अभी तो अधिकांश का मेल भी नहीं देख पाया। काम का बोझ इतना है, कि सब गड्ड-मड्ड हो रहा है, ईमानदारी से कहूँ तो कुछ उलटफेर भी चल रहा है लाइन में आगे वाले को पीछे ढकेलकर पीछे वाला पहले आने के लिए मरा जा रहा है। ऊपर से आनलाइन का बड़ा लफड़ा है, डिजिटल अरेस्ट का भी खतरा है। इसलिए हमारा सारा काम-काज सोलहवीं शताब्दी के हिसाब से चल रहा है, सिर्फ ई-मेल की व्यवस्था का तकनीकी उपयोग हो रहा है। ये तो अच्छा है कि आपका मेल मैंने देख लिया वरना अनर्थ हो जाता, हो सकता है, अब तक आपका टिकट भी कट जाता। शुक्र है कि कारण बताओ नोटिस से मैं बच गया। अब आप मेरा कहना मानो और मेल भेजने का कष्ट कभी न करो, सुविधानुसार आपको ले आऊँगा। बस! आप स्वस्थ, मस्त, व्यस्त रहो यमराज से नोक -झोंक करते रहो कविताओं का पुलिंदा बनाकर रखते रहो, यहाँ भी एक भव्य कवि सम्मेलन करवा दूँगा, प्रतिष्ठित सम्मान, उपाधि भी आपको दिलवा दूँगा, कोई नहीं तो मैं ही मृत्युलोक रत्न उपाधि, मोमेंटो और एक खूबसूरत शाल के साथ आपको सम्मानित कर दूँगा। आप चिंता बिल्कुल मत करो प्रचारित, प्रसारित भी करवा दूंगा आपका नाम मृत्युलोक में भी चमका दूँगा, राज की बात है रहने दीजिए आपको वीवीआईपी सुविधाएँ भी दिलवा दूँगा। सुधीर श्रीवास्तव

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